हमारी सेहत द्रोपदी जैसी है जिसकी सुरक्षा पांच पांडवों के हाथों में है। लेकिन जिस तरह पांडवों की उपस्थिति में भी कौरवों ने द्रोपदी का चीर हरण किया था , और तब श्रीकृष्ण जी ने आकर उसे बचाया था, उसी तरह सेहत के पांच पांडव भी फेल हो सकते हैं , यदि किस्मत रुपी कृष्ण साथ न दे। ये पांच पांडव हैं :
१) युधिष्ठर -- मेडिटेशन ( ध्यान )
२ ) अर्जुन ----योग
३ ) भीम ------मस्कुलर एक्सरसाइज़
४ ) नकुल --- एरोबिक एक्सरसाइज़
५ ) सहदेव -- लाफ्टर ( तनाव रहित जीवन )
आइये देखते हैं इन पांच प्रक्रियाओं का हमारे शरीर पर प्रभाव :
* मेडिटेशन से हमारा चलायमान चित शांत होकर एकाग्र और तनाव रहित होता है। हमारी सोच में सुधार होता है और हम सात्विक जीवन की ओर अग्रसर होते हैं।
* योग हमें शारीरिक और मानसिक रूप से अनुशासित बनाता है। योग द्वारा हम अपनी गतिविधियों को नियंत्रित कर सकते हैं जिससे हमारी कार्यक्षमता पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
* मस्कुलर एक्सरसाइज़ जैसे जिम या घर में ही उठक बैठक आदि लगाना एक मेहनत का काम है जिसमे बहुत पसीना बहाना पड़ता है। लेकिन स्वास्थ्य के लिए यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। मस्कुलर एक्सरसाइज़ से हमारे शरीर में कई एंडोर्फिन्स का श्राव होता है जो शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
* एरोबिक एक्सरसाइज़ जैसे दौड़ना , साइक्लिंग , तैरना , सीढ़ियां चढ़ना आदि ऐसी कसरतें हैं जिससे हमारा कार्डिओ रेस्पिरेटरी सिस्टम मज़बूत होता है। स्टेमिना बढ़ता है , साँस फूलना बंद होता है , दिल की धड़कन पर काबू होता है और कोई भी भारी काम आसानी से कर सकते हैं।
* लाफ्टर यानि हंसना हँसाना जिंदगी का एक अहम् हिस्सा है जो हमें तनाव मुक्त रखता है और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
इन पांच कार्य कलापों से आप अपना स्वास्थ्य निश्चित ही बेहतर रख सकते हैं। लेकिन फिर भी आप सदा निरोग ही रहें , इस बात की गारंटी नहीं दी जा सकती क्योंकि हमारा शरीर पूर्णतया हमारे वश में नहीं है। यदि किस्मत ख़राब हो तो कभी कभी कुछ लोगों को ऐसी बीमारी लग जाती है जिसका कोई इलाज नहीं होता और कोई कारण भी नहीं होता, जैसे कैंसर। यदि किस्मत से आप ऐसे रोगों से बचे रहे तो बाकि पांच पांडव रुपी गतिविधियां आपको सदा स्वस्थ रख सकती हैं। बस इसके लिए चाहिए मन में दृढ निश्चय , लगन , मेहनत का ज़ज़्बा और विश्वास।
मस्कुलर एक्सरसाइज़ :
सदियों से शरीर को मज़बूत बनाने के लिए शारीरिक श्रम और कसरत का सहारा लिया जाता रहा है। जब आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थीं तब अखाड़े , दंगल , कुश्ती आदि के लिए दंड बैठक और मुद्गल जैसी कसरतें ही काम आती थीं। लेकिन आजकल जिम में तरह तरह के उपकरण उपलब्ध होते हैं जिनसे शरीर की एक एक मांसपेशी की कसरत की जा सकती है।
मस्कुलर एक्सरसाइज़ सिर्फ मसल्स बनाने के लिए ही काम नहीं आती , बल्कि इससे हमारे शरीर पर और कई तरह से सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आइये देखते हैं कि अच्छी मस्कुलर एक्सरसाइज़ से क्या होता है :
* करीब आधे घंटे की कड़ी एक्सरसाइज़ के बाद हमारे शरीर में न्यूरोट्रांसमिटर्स का स्राव बढ़ जाता है जिन्हे एंडोर्फिन्स कहते हैं। यह रसायन एक दर्द निवारक का काम करता है। इससे तनाव भी कम होता है और आप अच्छा महसूस करते हैं। यह एंटी डिप्रेसेंट भी है यानि इससे अवसाद ख़त्म होता है और मूड एलिवेट होता है यानि आप खुश महसूस करते हैं।
* केटाकोलअमीन्स जिसमे एड्रिनलिन और नॉरएड्रिनलिन शामिल हैं , के श्राव से शरीर में उत्साह और चुस्ती स्फूर्ति आती है। इससे शरीर के हर एक अंग की गतिविधि में तेजी आती है।
* टेस्टोस्टिरॉन एक मेल हॉर्मोन है लेकिन मेल और फीमेल दोनों में पाया जाता है। इससे शरीर में ताकत , चुस्ती स्फूर्ति , साहस और पुरुषत्त्व का आभास होता है। टेस्टोस्टिरॉन के बढ़ने से मर्दाना ताकत में वृद्धि होती है तथा स्तंभन दोष ठीक होता है। यह बालों के लिए भी एक टॉनिक का काम करता है।
इस तरह कुल मिलाकर फिजिकल एक्सरसाइज़ से तन और मन दोनों में चुस्ती स्फूर्ति महसूस होती है और आप सदा जवान बने रहते हैं। कई तरह के लाइफ स्टाइल से सम्बंधित रोग जैसे डायबिटीज , बी पी , कॉलेस्ट्रॉल आदि स्वत: ठीक हो जाते हैं या इनमे बहुत लाभ होता है। इसके लिए कोई आयु सीमा भी नहीं है। हर आयु का मनुष्य , स्त्री या पुरुष , एक्सरसाइज़ करके स्वस्थ रह सकता है।