कहते हैं , मनुष्य का टाइम ( समय ) खराब चल रहा हो तो सब गलत ही गलत होता है। लेकिन हमें लगता है कि यदि आपकी टाइमिंग ( समय-निर्धारण ) ख़राब हो तो भी सब गलत ही होता है। अब देखिये एक दिन डिनर करते समय हमने सोचा कि श्रीमती जी को अक्सर शिकायत रहती है कि हम उनके बनाये खाने की तारीफ़ कभी नहीं करते। क्योंकि उस दिन दोनों का मूड अच्छा था तो हमने सोचा कि चलो आज बीवी को मक्खन लगाया जाये।
यह सोचकर खाते खाते हमने कहा -- भई वाह ! क्या बात है , आज तो सब्ज़ी बड़ी टेस्टी बनी है।
पत्नी ने बिना कोई भाव भंगिमा दिखाए कहा -- अच्छा !
हमने कहा -- हाँ भई , और दाल की तो बात ही क्या है , बहुत ही विशेष स्वाद आ रहा है। जी चाहता है , आपके हाथ चूम लूँ।
अब तक पत्नी के सब्र का बांध जैसे टूट सा गया था। तुनक कर बोली -- क्या बात है , आज बड़ी तारीफें हो रही हैं ! इससे पहले तो आपने कभी खाने की तारीफ नहीं की।
हमने कहा -- भई हमने सोचा है कि आप जब भी अच्छा खाना बनाया करेंगी , हम तारीफ ज़रूर किया करेंगे।
अब पत्नी बिफर कर बोली -- तारीफ़ गई भाड़ में । दाल सब्ज़ी मैंने नहीं , नौकरानी ने बनाई हैं।
यह सुनकर हमारे तो होश उड़ गए।
हमने खींसें निपोरते हुए कहा -- ओह सॉरी डार्लिंग। हमने सोचा कि चलो आपकी शिकायत दूर कर दें कि हम कभी तारीफ़ नहीं करते। लेकिन हमें क्या पता था ! शायद तारीफ करने की टाइमिंग गलत हो गई। वैसे ऐसा कुछ नहीं है आज के खाने में , बस सो सो है। बल्कि कुछ टेस्ट है ही नहीं , बकवास बना है। वो तो मैं तुम्हे खुश करने के लिए कह रहा था।
हमने सोचा कि शायद पलटी मारने से काम चल जाये।
लेकिन तभी पत्नी दहाड़ी -- मैं जानती हूँ , आप मेरे खाने की तारीफ कभी नहीं करेंगे। मैं ही बेवक़ूफ़ हूँ जो रोज रोज खाना बनाने में खटती रहती हूँ। आपको मेरा बनाया खाना क्या , मैं ही अच्छी नहीं लगती। मैं जा रही हूँ मायके।
और अब कान खोल कर सुन लो , आज का खाना भी मैंने ही बनाया था।
हमारे तो पैरों के नीचे से जैसे धरती ही खिसक गई और सोचा -- लगता है , टाइमिंग ही नहीं, ये तो टाइम ही खराब चल रहा है।
हाँ जी खेल तो टाइमिंग का ही है :)
ReplyDeleteशुक्र है नौकरानी ने ही बनाया था. कहीं पड़ोसन दे गई होती तो.... :)
ReplyDeleteशिखा जी , शायद आपने अंतिम दो पंक्तियाँ नहीं पढ़ी ! :)
Deletebiwi ke samne kiska time achchha rahta hai ..koi mile to bataiyega ...
ReplyDeleteटाइमिंग और टाइम की सतर्कता जरूरी है...
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-07-2015) को "शब्दों को मन में उपजाओ" (चर्चा अंक-2660) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
टाइम खराब हो तो टाइमिंग भी खराब हो जाती है .
ReplyDeleteHa ha ha... :)
ReplyDeleteबीबी के सामने सब्की टाईमिंग और टाईम सब खराब ही रहता है. इसलिये हमारे नक्शे कदम पर चलिये और मजे किजीये.:)
ReplyDeleteरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
हाहाहा .........:)
ReplyDeleteहा हा सही टाईमिंग के साथ पढ़ लिया
ReplyDeleteटाइमिंग टाइमिंग ही नहीं, ये तो टाइम ही खराब चल रहा है।
ReplyDeleteटाइमिंग दिखना पड़ता है जी भले घर की बात हो। .
ReplyDeleteबहुत खूब!
हा हा तो फंडा यह है कि चुप रहने में ही भलाई है।
ReplyDeleteवैसे पत्नी के सामने किसी भी टाइम को सही टाइमिंग नहीं कह सकते....या यूं कहें सही टाइमिंग वही होती है, जिसे पत्नी सही माने
ReplyDeleteहा हा हा हा हा इसी को कहते हैं चित्त भी मेरी और पट भी मेरी , श्रीमती जी लोगों के सामने कोइ टाईमिंग नहीं होती है सर जो होती है वो श्रीमती जी की ही होती है , टाईमिंग भी :) :) मजेदार |
ReplyDeleteतारीफ को भी तारीफ करनी होती है यह पहली बार जाना। दूसरा ये कि आप को ये क्यों नहीं पता था कि जब तारीफ पोलसन लगाने के मकसद से की जाए तो पहले होमवर्क जरूर कर लेना चाहिए।
ReplyDeleteहा हा हा। सही कहा आपने।
Deleteहा हा ... बीबी के सामने किसी भी बात की टाइमिंग सही हुयी है क्या आज तक ...
ReplyDelete:)
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