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Thursday, December 30, 2021

डॉक्टर्स की हड़ताल पर एक हास्य व्यंग रचना --

अभी अस्पताल से फोन आया, 

फोन करने वाले ने फ़रमाया, 

डॉक्टर साहब को अस्पताल में बुला रहे हैं।  

जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल है, 

इसलिए साहब की ड्यूटी लगा रहे हैं।  


फोन जिस मेड ने सुना, 

वो यूँ तो मेड इन इंडिया की पात्रा थी, 

किंतु एम ऐ पोल साइंस की छात्रा थी।  

बोली, 

काहे इस उम्र में साहब से काम करा रहे हैं !  

हड़ताल बच्चों ने की है और, 

सज़ा उनके मात पिता को दिला रहे हैं।  


एक ओर तो उन्हें कोरोना वारियर कहते हैं, 

पर तीन का काम दो रेजिडेंट्स से करा रहे हैं।  

अरे ज़रा सोचो  समझो, 

ये कोर्ट कचहरी का चक्कर छोड़ो,

और तुरंत पी जी एडमिशन खोलो, 

वरना हम आपको बता रहे हैं, 

तीसरी लहर लेकर समझो,

ओमिक्रोन महाराज बस आ रहे हैं।  


वैसे रिटायर होकर भी साहब सदा तैयार हैं, 

किंतु अभी व्यस्त हैं, किचन में रोटियां बना रहे हैं।  



 

 

Wednesday, December 1, 2021

कितना बदल गया संसार --

 कभी दो कमरों में छह जनें रहते थे,

अब छह कमरों में दो जनें रहते हैं। 


घरवाले तकलीफ़ तब भी सहते थे,

घर के बुजुर्ग दुखी अब भी रहते हैं। 


मकां छोटा था पर दिल बड़ा रखते थे,

अब मकां बड़े और दिल छोटे दिखते हैं। 


रोज शाम सब हिल मिल कर हँसते थे,

अब पार्क में हँसी भी नकली हँसते हैं।


डिग्री नहीं पर ज्ञान का भंडार रखते थे,

अब ज्ञानविहीन डिग्री का भार रखते हैं। 


रोज सुबह बुजुर्गों का आशीष प्राप्त करते थे,

अब दूर बैठे व्हाट्सएप्प पर हैलो हाय करते हैं। 


दो चार बच्चे सदा मां बाप के पास रहते थे, 

अब उनके दिल में खाली अहसास रहते हैं। 


तब अभावों में भी ख़ुशी का भाव रखते थे, 

अब विकास में भी मन में तनाव रखते हैं।