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Sunday, January 28, 2024

ये सिक्योरिटी चेक वाले...

 हर बार निकल जाती थी, इस बार नहीं निकली,

अटक गई। 

वो गोरी गोरी, लंबी सी जर्मन छोरी, हमारी शेविंग क्रीम झटक गई। 

किफायत का सौदा था, उसमे डिस्काउंट का 33% माल ज्यादा था,

फिर पुराने को छोड़कर, हमने केबिन बैग भी नया नया खरीदा था। 

सुंदर सुघड़ था और उसका डिजाइन भी निराला था,

बस इसी नए डिजाइन ने हमें दुविधा में डाला था। 


यूरोप में सिक्योरिटी चेक में बड़ी मारामारी सहन करनी पड़ती है,

घड़ी, पर्स ,मोबाइल , जूते और बेल्ट तक भी उतारनी पड़ती  है। 

फिर हाथ फैलाकर वे यहां वहां जाने कहां कहां से हाथ निकालते हैं,

बिना बेल्ट के लोग बड़ी मुश्किल से खिसकती पैंट को संभालते हैं। 


इधर सिक्योरिटी जेनटलमेन की जांच खत्म हुई तो हमने खुद को संभाला,

जैसे तैसे ओरिजनल रूप में आए और शर्ट को पेंट में डाला। 


फिर शुरू हुई बैग की तलाश, जब बैग कहीं नज़र नही आया,

और एक सरदारजी को हमे हमारे बैग जैसा बैग थामे पाया। 


तो हमने कहा पा जी कित्थे चले, साड्डा बैग ते छड़ते जाओ,

वो बोला ओए केड़ा बैग, ए ते साड्डे पिंड वाला बैग है बादशाहो। 

तभी सिक्योरिटी वाली लड़की एक बैग को अल्टी पलटी मारती दी दिखाई,

हमने बैग को पहचाना तो सोचा लगता है कोई नई मुसीबत आई। 

हमने डरते डरते कहा मैडम क्या बैग में कोई फजीहत  हो गई,

वो बोली आपकी तो नहीं, परंतु हमारी ज़रूर मुसीबत हो गई। 

डिटेक्टर का सेंसर बार बार आपके बैग में प्रॉब्लम दिखा रहा है, 

पर प्रॉब्लम क्या है कहां है, ये बिलकुल समझ में नहीं आ रहा है। 

आखिर उसके गोरे पर निर्भाव चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई,

जब कपड़ों के बीच हमारी शेविंग क्रीम उसके हाथ आ गई। 


बोली इसका वजन सवा सौ ग्राम है, ये प्लेन में नहीं जा पाएगा,

हम सोचने लगे कि 25 ग्राम एक्स्ट्रा से प्लेन कैसे भारी हो जाएगा। 


हिम्मत कर हमने कहा मैडम, 25 ग्राम को निकाल दें तो चलेगा,

वो बोली निकाल कर तो देखो, अभी 100 यूरो का चालान कटेगा। 


और इस तरह हमारी नई शेविंग क्रीम हमारे देखते देखते फिसल गई,

उस जर्मन छोरी के हाथों हमारी शेविंग क्रीम हमारे हाथों से निकल गई। 


Saturday, January 20, 2024

सर्दियों के दिन ...

 सर्दियों के दिन, हैं बहुत कठिन,

कास्तकार लोगों के जीने के लिए।


धोबी का लड़का रोज पूछता है,

कपड़े हैं क्या प्रैस करने के लिए।


कपड़े भी ऐसे हैं कि फटते ही नहीं,

दर्जी भी पूछे, हैं क्या सीने के लिए। 


ना कोला, ना शरबत, ना ही ठंडाई, 

एक चाय ही काफ़ी है पीने के लिए। 


बैठे बैठे खाते रहते हैं मूंगफली रेवड़ी,

कोई काम नहीं होता पसीने के लिए। 


सर्दियों का मौसम होता स्वस्थ मौसम, पर 

कामवालों के लाले पड़े रहते जीने के लिए।

Friday, January 12, 2024

ग्लोबल वार्मिंग और बदलता मौसम...

 दिल्ली में दिसंबर गर्म है, और शिमला भी सूखा है,

बिना स्नोफॉल कनाडा का, क्रिसमस भी रूखा है। 


कोहरा है, धुंध है, आसमान का रंग भी गहरा है,

घर बैठे हैं, बाहर धीमी धीमी बारिश का पहरा है। 


बारिश की फुहारें भी अदृश्य है, दिखाई नहीं दे रहीं,

बूंदें नवजात शिशु के नर्म स्पर्श सा बस अहसास दे रहीं। 


झील का पानी शांत है, ना कोई बोट ना पानी की कलकल है,

सड़कें वीरान हैं, ना गाड़ियों का शोर है ना हवा में कोई हलचल है।


सुना है पहली बार दिसंबर बिना स्नोफॉल निकल रहा है,

एक चेतावनी है समझो तो, विश्व का मौसम बदल रहा है। 


पृथ्वी की सतह का तापमान हर साल बढ़ता जा रहा है,

लगता है जैसे इस प्लेनेट का अन्तकाल निकट आ रहा है। 


पता चला है पृथ्वी पर 1.3 मिलियन बिलियन मनुष्य रह सकते हैं,

यानि अभी हम और दो लाख गुणा लोगों का बोझ सह सकते हैं। 

किंतु वो जिंदगी भी क्या होगी जब चप्पे चप्पे पर जिंदगानी होगी,

प्राकृतिक संसाधन सब खत्म होंगे, आदिकाल सी कहानी होगी।  


आओ आपसी भेद भाव को भूलकर सब एक जुट हो जाएं,

सब मिलकर करें विचार और धरा को बेवक्त बर्बादी से बचाएं। 


Wednesday, January 3, 2024

विविधता में समानता ...

 अनेक देश, अनेक रेस, 

अनेक सूरतें हैं धरा पर।

पर एक ही मूल रूप है, 

इंसान का हर जगहां पर। 

अलग खान पान, रहन सहन, 

अलग हैं रीति रिवाज।

पर एक ही हैं प्रकृति के 

पांच तत्वों की आवाज़। 

सभी सोते हैं जागते हैं, 

खाते हैं, पीते हैं, 

अपनी अपनी जिंदगी जीते हैं। 

वही भावनाएं, वही संवेदनाएं,

वही गम, वही खुशियां। 

वही दर्द, वही चैन। 

सब कुछ एक जैसे ही तो दिखते हैं। 

फिर क्यों इंसान ने खुद को

बांट लिया है,

रंग, मजहब और सरहदों की दीवारों से। 

कुदरत नहीं करती कोई भेद भाव,

नहीं देखती देश, धर्म और रेस,

जब वो कहर बरसाती है।

फिर क्यों इंसान की फितरत 

कुदरत से टकराती है। 

ये हसीन फिजाएं कुदरत का तोहफ़ा है,

इसे व्यर्थ ना गवाएं,

इंसानियत को समझें, 

आपस में ना टकराएं। 

सब मिलकर पर्यावरण की करें रक्षा,

और विश्व को बेवक्त बर्बादी से बचाएं। 

यही हैं हमारी,

नव वर्ष की शुभकामनाएं।