एक दिन एक महिला ने फ़रमाया ,
आप पत्नी पर हास्य कविता क्यों नहीं सुनाते हैं !
हमने कहा , हम लिखते तो हैं , पर सुनाने से घबराते हैं।
एक बार पत्नी पर लिखी कविता पत्नी को सुनाई थी ,
गलती ये थी कि अपनी को सुनाई थी।
उस दिन ऐसी भयंकर मुसीबत आई,
कि हमें घर छोड़कर जाना पड़ा ,
और रात का खाना खुद ही बनाना पड़ा।
अब हम पत्नी विषय पर कविता तो लिखते हैं ,
लेकिन खुद की नहीं ,
दूसरों की पत्नियों को ही सुनाते हैं।
तभी सकूंन से सुबह शाम दो रोटी खा पाते हैं।
अब हम पत्नी विषय पर कविता तो लिखते हैं ,
ReplyDeleteलेकिन खुद की नहीं ,
दूसरों की पत्नियों को ही सुनाते हैं।
तभी सकूंन से सुबह शाम दो रोटी खा पाते हैं।
बात तो तब होती जब दूसरों की पत्नियां कविता सुनकर खाना भी खिला देती?
just like..
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Deleteआप तो घर से भी निकलवाने का इंतज़ाम करा रही हैं...
Deleteजय हिन्द...जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग
हा हा हा। सही कहा खुशदीप। वैसे खाना तो हम ही बनाकर दूसरों को खिला सकते हैं। :)
Deleteबहुत शातिर हैं आप.
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