top hindi blogs

Wednesday, November 24, 2021

ज़िंदगी का सफ़र, अविरल अनवरत --

 

ज़िंदगी का सफ़र 

वक्त के वाहन पर होकर सवार 

चलता जाता है अविरल, अनवरत।  

सफ़र की पगडंडी में 

आते हैं कई मोड़।  

हर एक मोड़ पर 

दिखती है एक नयी डगर।  

अंजानी डगर पर लगता है 

अंजाना सा डर। 

एक राह से पहचान होती है 

कि फिर आ जाता है एक मोड़।  

और एक नयी अंजान डगर,  

आगे बढ़ने के लिए 

अंजानी मंज़िल की ओर। 

मन करता है मुड़कर देखना 

पीछे छूट गये 

पहचाने रास्ते की ओर। 

लेकिन जीने के लिए चलना पड़ता है 

आगे ही आगे, अविरल, अनवरत।  


राहों की तरह ज़िंदगी की मंज़िल भी 

अंजानी होती है।  

फिर भी चलना ही पड़ता है 

अविरल, अनवरत। 

इसी अंजाने सफ़र का नाम जिंदगी है।  



Thursday, November 18, 2021

अच्छे दिन फिर आने लगे हैं---

 

अच्छे दिन शायद फिर आने लगे हैं, 

लोग मिलते ही हाथ मिलाने लगे हैं।  


कोरोना के डर से हुए निडर इस कदर,

कि दोस्तों को फिर गले लगाने लगे हैं।   


शादियां भी अब होने लगी हैं पंडाल में,

गली में बैंड वाले भी बैंड बजाने लगे हैं।   


नेता भी दिखते हैं अब हर महफ़िल में,  

लगता है कि चुनाव पास आने लगे हैं।  


टीकाकरण से मिली है राहत जग को, 

बच्चे भी स्कूल कॉलेज जाने लगे हैं।  


अपने ही घर में दुबके बैठे थे "तारीफ़, 

अब हम भी पार्क में घूमने जाने लगे हैं।  


Saturday, November 6, 2021

दीवाली का बदलता रूप -


ना मैं कहीं गया, ना कोई मेरे घर आया,

क्या बताऊँ, दीवाली का पर्व कैसे मनाया। 


ना कोई गिफ्ट ना ग्रीटिंग कार्ड ना लैटर,

ना कोई ई मेल ना कोई फोन ही आया।


कभी जाते थे मंत्री और अफसरों के घर, 

अब अपने ही घर बैठ आराम फ़रमाया।   


कभी आते थे सैंकड़ों संदेश मोबाइल पर,

अब एक एस एम एस तक नहीं आया।


पर भरा पड़ा है मोबाइल रंग बिरंगे चित्रों से,

मानो सबने पर्व वाट्सएप्प पर हो मनाया। 


एक एक ने सौ सौ को दी चित्रों सहित बधाई,

सौ सौ ने फिर सौ सौ को सन्देश पहुंचाया।    


दर्ज़नों ग्रुप्स के हज़ारों मित्रों का जज़्बा जब,

आंखें बंद कर देखा तो पागल मन भर आया। 


प्रदूषण और कोरोना ने ऐसा हाल किया "दराल", 

कि क्या बताऊँ, हमने दीवाली पर्व कैसे मनाया।