हमने ब्लॉगिंग की शुरुआत की थी १ जनवरी २००९ को जब नव वर्ष की शुभकामनाओं पर पहली पोस्ट लिखी थी एक कविता के रूप में। फिर ५ -६ वर्ष तक जम कर ब्लॉगिंग की और ५०० से ज्यादा पोस्ट्स डाली। लेकिन फिर फेसबुक ने कब्ज़ा कर लिया और सब ब्लॉगर्स फेसबुक पर आ गए और ब्लॉग्स सूने हो गए। इस बीच हमने भी अपने चिकित्सीय जीवन के ३५ वर्ष पूरे किये और अंतत: ३० अप्रैल २०१६ को सरकारी सेवा से सेवानिवृत हो गए। उस समय तो कुछ यूँ महसूस हुआ कि --
एक बात हमको बिलकुल भी नहीं भाती है,
कि आजकल ६० की उम्र इतनी जल्दी आ जाती है !
लेकिन फिर यह भी महसूस हुआ कि ---
मोह जब टूटा तो हमने ये जाना ,
कितना कम सामान चाहिए , जीने के लिए।
लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं जो जिंदगी भर चिपटे रहते हैं पैसे कमाने की होड़ से। उनको देखकर ज़ेहन में ये पंक्तियाँ आती हैं --
भरी जवानी में धर्म कर्म करने लगे हैं ,
मियां जाने किस जुर्म से डरने लगे हैं।
साथ लेकर जायेंगे जैसे जो था कमाया ,
बक्सों में सारा ऐसे सामान भरने लगे हैं।
लेकिन हमने तो यही देखा है कि रिटायर होने के बाद इंसान की आवश्यकताएं एकदम से कम हो जाती हैं।
तन पर वस्त्र हों और खाने के लिए दो रोटी ,
फिर बस नीम्बू पानी चाहिए पीने के लिए।
लेकिन फिर एक प्रॉब्लम अवश्य सामने आने लगती है। होता ये हैं कि अब जब भी हम घर से बाहर निकलते हैं और कोई मिलता है तो एक ही सवाल पूछता है -- आजकल क्या कर रहे हो ? आरम्भ में तो हम कहते रहे कि भई बहुत काम किया , अब थोड़ा आराम किया जाये। लेकिन धीरे धीरे यह सवाल हमें भी खटकने लगा। इसलिए हमने भर से बाहर निकलना ही बंद कर दिया। लेकिन फिर एक और मुसीबत आ गई। अब पत्नी शाम को घर आते ही पूछने लगी
कि बताइये , आज दिन भर क्या किया। अब यह तो हमारी स्वतंत्रता और पुरुषत्व दोनों पर आघात सा लगता था। इसलिए हमने एक दिन जिम ज्वाइन कर लिया। अब जब पत्नी पूछती है तो हम कहते हैं -- देखिये आपके जाने के एक घंटे बाद हम जिम गए , दो घंटे जिम में लगाए , फिर घर आकर एक घंटे बाद नहाकर खाना खाया और तीन घंटे के लिए सो गए। इस तरह बज गए शाम के चार और दिन पूरा। लेकिन पत्नी तो पत्नी होती है। अब उनका अगला सवाल होता है कि बताओ , कितनी मसल्स बनी । अब हम उन्हें कैसे समझाएं कि रोम एक दिन में नहीं बसा था। अरे भई भूतपूर्व जवान की मसल्स हैं , सोचते समझते धीरे धीरे ही बनेंगी।
वैसे जिम का नज़ारा भी बड़ा अजीब होता है। युवा लड़के , लड़कियां , गृहणियां , कुछ मोटे पेट वाले थुलथुल अधेड़ आयु के लोग , सब किस्म के प्राणी मिल जायेंगे बिगड़ी हुई फिगर को संवारने में जुटे हुए। अधिकतर लड़कियां तो ऐसा लगता है कि टाइम पास करने ही आती हैं। लेकिन युवक अवश्य मेहनत करते हुए मसल्स बनाने में गंभीर नज़र आते हैं। सबसे ज्यादा अजीब लगता है ट्रेनर्स को देखकर। बेचारे ३० तक की गिनती इंग्लिश में सीख कर सारे दिन दोहराते रहते हैं जैसे स्कूल में पहली दूसरी क्लास में रटाया जाता था। कई बार दिलचस्प दृश्य भी देखने में आ जाते हैं। जैसे --
सुन्दर मुखड़ा देखकर ज़िम ट्रेनर के चेहरे पर चमक आ गई ,
पहली बार आई लड़की की भोली सूरत उसके मन को भा गई।
उसने अपने हाथों से पकड़ कर उसको एक घंटा कसरत कराई ,
पर दिल टूट गया जब जाते जाते अपने पति का पता बता गई !
खैर अब हम दोस्तों को तो यही सुनाते हैं --
एक मित्र मिले बोले भैया , आजकल किस चक्कर में रहते हो ,
इस महंगाई में बिना जॉब के , कैसे गुजर बसर करते हो !
क्या रखा है बेवज़ह घूमने में , कुछ तो काम काज करो ,
कब तक खाली घर बैठोगे , कुछ तो शर्म लिहाज़ करो ।
हम बोले किया काम ताउम्र , अब तो पूर्ण विराम करो ,
इस दौड़ धूप में क्या रखा है , आराम करो आराम करो।
बचपन से लेकर जवानी , गृहस्थी , सरकारी नौकरी का कार्यकाल , सब पूरे हुए। अब वानप्रस्थ आश्रम में आकर वन के लिए तो प्रस्थान नहीं करना है , लेकिन मुक्त और स्वच्छंद भाव से विभिन्न कार्यकलापों द्वारा जनमानस के हित में कार्य करते रहने का संकल्प लिया है जिसे पूरा करना है। अपना तो यही कहँ अहइ कि --- हँसते रहो , हंसाते रहो। क्योंकि ---
जो लोग हँसते हैं , वे अपना तनाव भगाते हैं ,
जो लोग हंसाते हैं , वे दूसरों के तनाव हटाते हैं।
हँसाना भी एक परोपकारी काम है दुनिया में ,
इसलिए हम तो सदा हंसी की ही दवा पिलाते हैं।
सभी को ब्लॉग दिवस , डॉक्टर्स डे , CA डे , GST और कनाडा में रहले वाले दोस्तों को कनाडा डे की बहुत बहुत बधाई।
सुन्दर मुखड़ा देखकर ज़िम ट्रेनर के चेहरे पर चमक आ गई ,
ReplyDeleteपहली बार आई लड़की की भोली सूरत उसके मन को भा गई।
उसने अपने हाथों से पकड़ कर उसको एक घंटा कसरत कराई ,
पर दिल टूट गया जब जाते जाते अपने पति का पता बता गई !
ये तो बहुत बुरा किया बेचारे ट्रेनर के साथ:)
#हिंदी_ब्लागिँग में नया जोश भरने के लिये आपका सादर आभार
रामराम
०१३
जी, आपको भी. पर, हम तो यहीँ जमे हुए हैं :)
ReplyDeleteमोह जब टूटा तो हमने ये जाना ,
ReplyDeleteकितना कम सामान चाहिए , जीने के लिए। ... सच है
आपको भी ढेरों शुभकामनाएँ, हम सभी निरंतर लिखें यही कामना है, बाकी जिम भी निरंतर जाइये और उसके मज़ेदार इंसीडेन्स भी हम तक ज़रूर पहुंचाइये और पहले की तरह स्वास्थ्य टिप्स भी :)
ReplyDeleteकिसी चीज की कीमत उसके जाने के बाद ही ज्यादा पता चलती है |
ReplyDeleteअन्तर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स डे की शुभकामनायें ..... हिन्दी ब्लॉग दिवस का हैशटैग है #हिन्दी_ब्लॉगिंग .... पोस्ट लिखें या टिपण्णी , टैग अवश्य करें ......
ReplyDeleteदराल सर #हिन्दी_ब्लॉगिंग को पैदल चाल से स्प्रिंटर बनाने के लिए आपके लेखन के टॉनिक की अति आवश्यकता है...
ReplyDeleteरोचक पोस्ट .... आपकी पोस्ट्स तो तनाव भगाने वाली और स्वास्थ्य के लिए जगाने वाली ही होती हैं .... :)
ReplyDeleteचकाचक मामला जा रहा है
ReplyDelete#हिन्दी_ब्लॉगिंग
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-07-2016) को "ब्लॉगिंग से नाता जोड़ो" (चर्चा अंक-2653) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सटीक व् सार्थक आकलन
ReplyDeleteसही कहा लेकिन हम तो कहेंगे
ताऊ के डंडे ने कमाल कर दिया
ब्लोगर्स को बुला कमाल कर दिया
#हिंदी_ब्लोगिंग जिंदाबाद
यात्रा कहीं से शुरू हो वापसी घर पर ही होती है :)
आपको भी इन सभी डेज़ की शुभकामनाएँ डॉक्टर साहब!
ReplyDeleteजब लेख तैयार हो, तभी ब्लॉग डे हो जाता है अपना तो,
ReplyDeleteजो छोड चुके है उन्हे जरूर मनाना चाहिए, वैसे भले न लिखे, इस बहाने कुछ लिखेंगे तो सही...
हिन्दी ब्लॉगिंग में आपका लेखन अपने चिन्ह छोड़ने में कामयाब है , आप लिख रहे हैं क्योंकि आपके पास भावनाएं और मजबूत अभिव्यक्ति है , इस आत्म अभिव्यक्ति से जो संतुष्टि मिलेगी वह सैकड़ों तालियों से अधिक होगी !
ReplyDeleteमानते हैं न ?
मंगलकामनाएं आपको !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
सटीक और सार्थक लिखा है
ReplyDeleteशुभकामनाएं
आपबीती की रोचक प्रस्तुति .... यूँ ही हंसते रहें और हंसाते रहें ....
ReplyDeleteवाह सर आपको पढ़ना हमेशा ही रोचक और बहुत सीख देने वाला होता है , मुस्कराहट बांटना सबसे दुश्वार काम है ,,ब्लोग्गिंग जिंदाबाद | बहुत जल्दी ही आप हम रूबरू होंगे |
ReplyDeleteब्लोगिंग का सफ़र आपका भी ख़ासा लम्बा ही रहा है ..५००+ पोस्ट्स!!
ReplyDeleteफेसबुक ने वाकई ब्लोगिंग को निष्क्रिय कर दिया है,रोचक लेख .
अभी अवसान शेष एक जुलाई का
ReplyDeleteकरते हैं प्रणाम ताऊजी के कवि मन को
जिम की एक बात समझ में आई
भोली सूरत कहीं दिखे बस चुपचाप
निहार कर ही सदा मन बहलाएं
हा हा हा।
Deleteसभी को ब्लॉग दिवस , CA डे , GST और कनाडा में रहले वाले दोस्तों को कनाडा डे की बहुत बहुत बधाई....ये सारी हमने ले ली है :) धन्यवाद...आपको भी बधाई..
ReplyDelete:)
Deleteतन पर वस्त्र हों और खाने के लिए दो रोटी ,
ReplyDeleteफिर बस नीम्बू पानी चाहिए पीने के लिए।
Waah Doctor Sahab waah...Kya baat kah di...zindabaad
भोत बढ़िया जी, शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteजय जय। बढ़िया डॉक्टरी की डॉ साहब।
ReplyDeleteविविध विषय समेटे हुए आपकी पोस्ट अच्छी लगी ... जहाँ तक ६० की बात है ... तो गांधी जी कौन सा छोटी उम्र में आये थे भारत की राजनीती में ... आप तो माशा-अल्ला ६० के जवान हैं ...
ReplyDeleteराजनीति में जाने की क्या ज़रुरत है। बस दोस्तों से मिलना होता रहे , यही काफी है।
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