क्या कभी आपका
टॉप ऑफ़ दा वर्ल्ड जाने का मन किया है ?
एवेरेस्ट पर पहुंचना तो सबके बस की बात नहीं । लेकिन एक और जगह है जहाँ जाकर आपको यही फीलिंग आएगी । जी हाँ --
लेह-लद्दाख ।
इस वर्ष बड़ा मन था वहां जाने का । लेकिन एयर इण्डिया की हड़ताल ने सब गड़बड़ कर दिया । खैर हम तो न जा सके लेकिन हमारा छोटा सा कैमरा ज़रूर लेह की सैर कर आया ।
आइये हमारे साथ आप भी घर बैठे लेह लद्दाख की सैर करिए ।
लेह वैली :
इंडस रिवर और जंस्कार रिवर :
पैन्गोंग लेक --ऊँचाई १४००० फीट समुद्र तल से ऊपर
इसका ठंडा पानी इतना साफ है कि गहराई का पता ही नहीं चलता । तल में पड़े पत्थर बहुत साफ दिखते हैं ।
लेह और आस पास के क्षेत्रों में बहुत सी
मोनास्ट्रिज हैं ।
विश्व की सबसे ऊंची मोट्रेबल रोड --
खड़दोंगला पास ( १८००० + फीट ) से होकर
नुब्रा वैली ( १०००० फीट) तक पहुंचा जा सकता है ।
विश्व का सबसे ऊंचा केफे
बेशक यह अपने आप में एक अनूठा अनुभव होगा ।
लेकिन यहाँ जाने से पहले कुछ प्लानिंग बहुत आवश्यक है ।
सावधानियां :
लेह की ऊँचाई १४०००-१५००० फीट होने के कारण यहाँ हवा का दबाव काफी कम होता है । इसलिए यहाँ ऑक्सिजन की कमी की वज़ह से आपको आरम्भ में काफी परेशानी हो सकती है ।
इसलिए यहाँ ऐकलेमेटाईजेशन करना बहुत ज़रूरी है ।
यदि आप सीधे विमान द्वारा लेह पहुँचते हैं तो आपको पहले दिन निम्न शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है :
* High Altitude sickness :
८००० फीट की ऊँचाई के बाद बहुत से लोगों की तबियत बिगड़ जाती है ।
सर दर्द , भूख न लगना , नींद न आना , मिचली , उलटी और थकावट --ये इसके लक्षण हैं ।
यह लक्षण आम तौर पर १-२ दिन में ठीक हो जाते हैं । इसलिए पहले दिन पूर्ण आराम करना चाहिए ।
* Acute Cerebral Edema :
इसमें मष्तिष्क में सूजन आने से सर में तेज दर्द जो दवा से ठीक नहीं होता , चक्कर आना , और बेहोशी हो सकती है ।
* Acute Pulmonary Edema :
इसमें फेफड़ों में पानी आने से खांसी , साँस फूलना , छाती में दर्द और बुखार हो सकता है ।
ये सब बीमारियाँ ऑक्सिजन की कमी से होती हैं ।
ऐसे में पानी पीते रहना चाहिए और आराम करना चाहिए ।
कोई भी थकावट का काम न करें । धीरे धीरे अपने आप ठीक हो जायेगा ।
कभी कभी ऑक्सिजन लेने की ज़रुरत भी पड़ सकती है । इसलिए अधिकतर होटल वाले ही होटल में ऑक्सिजन के सिलिंडर रखते हैं ।
लेकिन रोग ज्यादा बढ़ने पर एक ही इलाज बचता है --फ़ौरन कम ऊँचाई के स्थान के लिए प्रस्थान । ऐसे में वहां मौजूद थल सेना ही काम आती है ।
लेह जाने से पहले यदि
एसिटाजोलामाइड गोली १२५ मिलीग्राम एक बार दो दिन पहले से लेना शरु कर दें , तो इन रोगों से बचा जा सकता है । लेकिन यह एक डाईयुरेटिक दवा है जिसे पेशाब ज्यादा आएगा । इसलिए पानी पीते रहना ज़रूरी है । इसे बिना डॉक्टर की सलाह के न लें ।
लेह जाने के लिए बेहतर विकल्प :
सड़क मार्ग -- सड़क मार्ग से
मनाली या
श्रीनगर से जाया जा सकता है । इसमें दो दिन लगते हैं और रस्ते में एक जगह रुकना पड़ता है । लेकिन धीरे धीरे ऊँचाई बढ़ने से तबियत ख़राब होने की नौबत नहीं आती ।
लेह जाने के लिए सबसे बढ़िया समय है --सितम्बर माह । लेकिन प्रति व्यक्ति खर्च आता है सब मिलाकर लगभग २०००० रूपये । यहाँ आप पॅकेज लेकर ही जा सकते हैं । जून के महीने में यही आपको मिलेगा २५०००-३०००० रूपये में ।
सौदा महंगा है , लेकिन निसंदेह एक बार हिम्मत करने लायक है ।
शुभकामनायें ।
नोट : यदि रंगों की कमी खले तो
यहाँ देखना न भूलें ।