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Tuesday, July 9, 2024

बीवी और बी पी....

 डॉक्टर, मरीज़ से:

अब आपका बी पी कैसा है ?

मरीज़: डॉ साहब, आपकी दवा से बहुत फायदा हुआ है। लेकिन बी पी कभी कभी बढ़ जाता है। 

डॉक्टर: अच्छा, कब बढ़ता है ?

मरीज़: एक तो तब बढ़ता है जब मैं टी वी पर नेताओं की बहस सुनता हूं। लेकिन जब मैं टी वी बंद कर देता हूं, तब 5 मिनट में नॉर्मल हो जाता है। 

दूसरा जब मैं अख़बार पढ़ता हूं।

तब जो बी पी बढ़ता है, उसे नॉर्मल आने में पूरा एक घंटा लग जाता है। 

डाक्टर: ओह ! तो अखबार पढ़ना बंद कर दो। और भी कोई कारण ?

मरीज़ : जी एक और। जब बीवी बहस करती है, तब जो बी पी बढ़ता है, वह शाम तक नॉर्मल नहीं होता। कोई अच्छी सी दवा दीजिए ताकि बीवी बहस ना करे।

डॉक्टर: चुप कर पगले। ऐसी कोई दवा होती तो पहले मैं स्वयं ही ना लेता। इसका एक ही इलाज है, बीवी जो कहे उसे चुपचाप मान लो, कोई बहस मत करो। 

इसी में भलाई है। 😂

Saturday, June 22, 2024

सावधानी नहीं तो रंग में भंग पक्का....

सावधानी में ही समझदारी है। यदि उचित जानकारी ना हो तो ना केवल निराशा हाथ लग सकती है, बल्कि परेशानी भी हो सकती है। 

हमने जब सिक्किम का प्रोग्राम बनाया, तब किसी जानकार ने बताया था कि सिक्किम में जून के महीने में नहीं जाना चाहिए, विशेषकर मिड जून के बाद, क्योंकि उसके बाद भारी बारिश होने लगती है और भूस्खलन का खतरा निरंतर बना रहता है जो कभी कभी बहुत खतरनाक हो सकता है। हमने भी देखा कि 12 जून के बाद होटल आसानी से और सस्ते मिल रहे थे। यानी सीजन खत्म। इसीलिए सोच समझकर हमने मई की बुकिंग कराई, भले ही थोड़ा ज्यादा खर्च करना पड़ा। 

आज ही पेपर में पढ़ा कि कल नॉर्थ सिक्किम में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन के कारण जान माल का काफी नुकसान हो गया। करीब 2000 यात्री अभी भी फंसे पड़े हैं। ज़ाहिर है, किसी दूर दराज के क्षेत्र में जाने से पहले वहां की पर्याप्त जानकारी ले लेनी चाहिए। 

अब चलते चलते बताते चलें कि दार्जिलिंग से बागडोगरा वापस आने वाला रूट सबसे खूबसूरत और मजेदार रहा। घनी हरियाली और ऊंचे ऊंचे पेड़ों से ढके पहाड़ से होती हुई सुंदर सड़क पर ट्रैफिक भी ना के बराबर था। पहाड़ खत्म होने के बाद मीलों तक फैले चाय के बागान देखकर आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हो रही थी। पता चला वे बागान किसी कंपनी के थे । 

पूरे रास्ते में बस एक ही ढाबा मिला जहां से हमने लंच के लिए आलू परांठे पैक करा लिए क्योंकि यह भी पता लगा लिया था कि एयरपोर्ट पर खाने की कोई विशेष सुविधा नहीं है। वैसे भी ढाई सौ रुपए की बासी सैंडविच से तो 50 रुपए का ताजा आलू परांठा एक बेहतर विकल्प था। ढाबेवाले ने पैक भी इतना अच्छा किया कि परांठे 3 घंटे बाद भी piping hot निकले। इसके बाद एयरलाइन का कॉरपोरेट मील भी फीका लगा था। 

गर्मियों के सीजन में लोग गर्मी से राहत पाने के लिए पहाड़ों की ओर कूच करते हैं लेकिन पहाड़ों का ही तापमान बढ़ा देते हैं। कोई हैरानी नहीं कि अब वहां भी पंखे ही नहीं, ए सी भी चलने लगे हैं। जाने कब तक पहाड़ ये बोझ सहन कर पाएंगे !

Tuesday, June 11, 2024

सिक्किम दार्जिलिंग यात्रा ...

 सिक्किम, दार्जिलिंग का संक्षिप्त लेखा जोखा:

पिछले पचास सालों में हमने देश के लगभग सभी हिल स्टेशंस की यात्रा की है। उत्तर, दक्षिण, पश्चिम के सभी और उत्तर पूर्व में गंगटोक और दार्जिलिंग। लेकिन इन सब में से जहां सबसे ज्यादा हरियाली दिखती है वे उत्तर पूर्व में स्थित सिक्किम, और पश्चिमी बंगाल के पर्वतीय स्थल दार्जिलिंग और कलिंपोंग। आइए आपको संक्षिप्त में बताते हैं यहां कब, क्यों और क्यों नहीं जाना चाहिए। 

गंगटोक:

सिक्किम की राजधानी गंगटोक यहां का सबसे लोकप्रिय टूरिस्ट स्टेशन है। यहां का मुख्य आकर्षण है यहां का MG रोड यानि माल रोड। बिलकुल यूरोपियन शहरों जैसा माल रोड इतना साफ सुथरा है जितना देश में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा। पक्की टाइल्ड सड़क पर ट्रैफिक की अनुमति नहीं है, बीसियों बेंच बैठकर सुस्ताने के लिए, अनेक डस्टबिंस और कूड़ा डालने पर जुर्माना इस शहर को बहुत खूबसूरत बनाता है। 

यहां घूमने के लिए विशेष तौर पर नथुला पास का डे ट्रिप है जो अपने आप में एक अद्भुत अनुभव है। लेकिन यहां जाने के लिए परमिट लेना पड़ता है जो आपकी टैक्सी वाला ही लेता है लेकिन आपसे 5000 रुपए चार्ज करता है। इसी के रास्ते में छांगू लेक आती है जहां फोटो लेने के अलावा और कुछ खास नहीं है करने के लिए। युवा दंपत्ति और बच्चे अवश्य याक की सवारी और कॉस्ट्यूम पहनकर फोटो खिंचवाते हुए नजर आ जाएंगे। यहां टैक्सी बहुत महंगी हैं। अधिकांश गाड़ियां इनोवा चलती हैं जिनका एक दिन का किराया 6000 से 7000 तक होता है। नथुला ट्रिप 12000 में पड़ेगा। 

इसके अलावा यहां देखने के लिए कई मोनेस्ट्री हैं जो सब लगभग एक जैसी ही होती हैं। शहर में ट्रॉली की सवारी अवश्य रोमांचक लगती है। 

गंगटोक में सीजन में भीड़ बहुत होती है, इसलिए ट्रैफिक भी बहुत होता है। सारा ट्रैफिक छोटी छोटी संकरी गलियों से होकर ही गुजरता है। लेकिन कुछ प्रशासन का प्रबंधन, कुछ लोगों का अनुशासन, दोनों मिलकर ट्रैफिक को आसानी से मैनेज कर लेते हैं। 

सिक्किम जाने के लिए सबसे बढ़िया मौसम अक्टूबर या फिर जनवरी फरवरी रहेगा, क्योंकि इस समय मौसम साफ होता है और दूर हिमालय पर्वत की विभिन्न चोटियां साफ दिखाई देती हैं। बेशक अप्रैल से मई में सबसे ज्यादा भीड़ होती है गर्मी से बचने के लिए। लेकिन मध्य जून के बाद बिलकुल नहीं जाना चाहिए क्योंकि भारी बारिशों में भूस्खलन की घटनाएं होती रहती हैं जो जानलेवा भी हो सकती हैं। यदि कहीं फंस गए तो घंटो नहीं बल्कि पूरे दिन फंसे रहना पड़ सकता है, क्योंकि यहां कोई बाईपास या विकल्प नहीं होता। 

अगली पोस्ट में दार्जिलिंग की वास्तविक स्थिति के बारे में अवश्य पढ़िएगा।

Friday, May 31, 2024

विश्व धूम्रपान रहित दिवस:


सिगरेट पीते थे हमदम, हम दम भर कर,

अब हरदम हर दम पर, दम निकलता है। 


गुटखा खाते थे सनम, मुंह में चबा चबा कर,

अब खाने के लिए भी, मुंह ही नहीं खुलता है।

Saturday, May 25, 2024

तोड़ मरोड़ कर :

 

हमारी परेशानी को तुम क्या समझोगे दोस्त,

हम जब गुजरते हैं कब्रिस्तान से,

तो मुर्दे भी उठकर कहने लगते हैं,

डॉक्टर साहब, एक कविता तो सुनाते जाओ। 

😅

Monday, May 20, 2024

दोहे...

 कमर का नाप राखियो, ज्यों बैल्ट पहन पाय,

कमीज़ भी अटकी रहे, पैंट खिसक ना पाय। 


डाइटिंग एसन कीजिये, वज़न घट नहीं पाय,

आप भी ना भूखा रहे, रात नींद आ जाय। 


झूठ की मैराथन में, जो अव्वल आ जाय,

आज कल राजनीति में, वो नेता कहलाय।


नेता जी दल बदल के, फिर सी एम बन जाय, 

सज्जन सोशल साइट्स पे, बेबात भिड़त जाय। 


नेता जी धांधले में, अगर कभी फंस जाय,

बीवी को सी एम बना, खुद राज करत जाय। 


Monday, May 13, 2024

ले भाई, हो गया हिसाब बराबर...


आजकल साइबर फ्रॉड के केस बहुत नज़र आते हैं,

फ्रॉड करने वाले भी रोज नए नए तरीके अपनाते हैं। 

हम तो सावधानी में इस कदर सावधान हो गए हैं कि,

बीवी की बेवक्त कॉल को भी डर के मारे नही उठाते हैं।


शादियों में सबसे पहले मेजबान को लिफाफा थमाते हैं,

फिर प्लेट पकड़ पंडाल का चक्कर लगा जम कर खाते हैं।

फिर मेजबान को ढूंढ कर, अच्छा जी चलते हैं बोलकर,

मिठाई का डिब्बा देना हो तो दे दो, ये याद दिलाते हैं। 


सरकारी अस्पताल में मरीज़ दिखते हैं बदहाल से,

जेब में किसी के माल नहीं होता, लगते हैं कंगाल से। 

चार बच्चों की अम्मा जब अपनी उम्र बताती है बीस,

तो डॉक्टर को भी पूछना पड़ता है, कितने साल से।


एक बाइक वाला उधर से आ रहा था,

एक रिक्शावाला उधर को जा रहा था। 

एक गाड़ी वाला दोनों से जा टकराया,

वो ग्रीन लाइट जंप करके जा रहा था ।


रोज सोचते हैं सेहत बनाने कल से जिम जाएंगे,

या सुबह शाम पार्क की सैर करने ही चले जाएंगे।

परंतु पत्नी कहती है, घर के काम काज किया करो,

वरना मेरी तरह ही हाथ पैरों के जोड़ जाम हो जाएंगे। 


कुछ सरकारी अफसर दफ्तर खुद लेट आते हैं,

लेकिन पी ए लेट आए तो जमकर डांट लगाते हैं। 

दरअसल अंदर की बात बताएं तो ये वही लोग हैं,

जो घर में सुबह शाम खुद पत्नी से डांट खाते हैं।


उच्च शिक्षा से जिंदगी के कई अहम मुद्दे हल होते हैं,

कभी सुशिक्षित भी जिंदगी के इम्तिहान में विफल होते हैं।

जो लोग शादी को सादी और आशा को आसा बोलते हैं,

वे अक्सर हास्य कवि के रूप में ज्यादा सफल होते हैं। 


हरियाणवी ताऊ खुश रहते हैं रोज हलवा खाकर,

जलेबी और लड्डू खूब उड़ाते हैं शादियों में जाकर।

डायबिटिक भी हों तो आधा किलो लड्डू खाने के बाद,

एक पाव करेला खाकर बोलेंगे, हो गया हिसाब बराबर।