लेकिन इसी रहस्य का फायदा कुछ लोग बड़ी खूबी से उठा लेते हैं ।
चंद रोज़ पहले टी वी पर न्यूज में ऐसा ही एक चमत्कार दिखाया जा रहा था । जर्मनी के एक महाशय एक हाथ के सहारे दीवार पर हवा में लटक कर तमाशा दिखा रहे थे । कुछ इस तरह --
कार्यक्रम में मौजूद मेहमान जादूगरों ने बताया कि जादू वास्तव में एक कला है जिसमे विज्ञानं , गणित , इंजीनियरिंग , योग और साधना का प्रयोग किया जाता है ।
मूल रूप से जादू जादूगर के क्रिया कलापों का कमाल होता है ।
इसे आँखों का धोखा भी कहा जा सकता है ।
अक्सर जादूगर आपको अपनी बातों में इतना उलझा लेते हैं कि उनके हाथ क्या कर रहे हैं , उससे आपका ध्यान हट जाता है ।
मंच पर दिखाया गया जादू वास्तव में यंत्रों और मशीनों का खेल है ।
कुछ लोग इसे सम्मोहन भी कहते हैं । हालाँकि मेडिकल सम्मोहन ( हिप्नोटिज्म) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे एक स्पेशलिस्ट ही कर सकता है और इसमें सब्जेक्ट का सहयोग आवश्यक होता है ।
निश्चित ही , किसी जादूगर द्वारा सम्मोहन नहीं किया जा सकता ।
लेकिन एक घटना ऐसी है जिसका राज़ मैं आज तक नहीं जान सका ।
कुछ साल पहले हम मनाली में स्टर्लिंग रिजॉर्ट्स में छुट्टियाँ मना रहे थे । एक दिन शाम को एक्टिविटीज डिपार्टमेंट ने एक जादूगर का शो कराया । यूँ तो जादूगर कोई सड़क छाप सा ही दिख रहा था । उसने करतब भी ऐसे ही छोटे मोटे दिखाए । लेकिन अंत में एक करतब देखकर मैं आज तक हैरान हूँ ।
उसने वहां मौजूद सभी लोगों को कहा --आप एक फूल का ध्यान कीजिये और अपने साथ बैठे व्यक्ति के हाथ पर अपना हाथ उल्टा रखकर रगड़िये ।
हमने भी ऐसा ही किया ।
फिर उसने कहा --अब अपने हाथ को सूंघिए ।
और यह क्या --अपने हाथ में से उसी फूल की खुशबू आ रही थी जो हमने सोचा था ।
वह खुशबू काफी देर तक आती रही ।
हम तो पूरे तैयार होकर बैठे थे कि कहीं जादूगर की चाल को पकड़ सकें । लेकिन इस वाकये ने तो हमें हैरत में डाल दिया ।
यह राज़ तो हम आज तक नहीं जान सके ।
यह कैसी मनोवैज्ञानिक चाल थी ?