चौराहे पर जैसे ही बत्ती लाल हुई और गाडी स्टॉप लाइन से पहले रुकी, तभी एक छोटी बच्ची ज़ेब्रा क्रॉसिंग पर खडी होकर तमाशा दिखाने लगी. पतली दुबली मैली कुचैली , उम्र यही कोई ६ वर्ष रही होगी , हालांकि कुपोषित बच्चों मे सही आयु का पता लगाना लगभग असंभव सा होता है. बच्ची कलाबाज़िया खाती हुई सड़क पर उछल कूद मचा रही थी। अब तक उसके आस पास कई मोटरसाइकल आकर रुक गई थी.
एक दो मिनट नटबाज़ी दिखा कर फिर उसने हाथ फैलाने शुरू कर दिये. इस बीच एक और बच्ची जो मुश्किल से दो साल की रही होगी , भीख मांगने का काम शुरू कर चुकी थी. वह सर उठाये और एक हाथ फैलाये एक मोटरसाइकल सवार के आगे खडी थी. कुछ पल उसे निहारने के बाद युवक ने ज़ेब से निकाल कर एक सिक्का बच्ची के हाथ मे रख दिया. सिक्का हाथ मे आते ही बच्ची ने सर झुका कर हाथ मे रखे सिक्के को देखा और उसके चेहरे पर अनायास ही एक मासूम सी संतुष्ट मुस्कान फै़ल गई. ज़ाहिर था , दो साल की मासूम बच्ची भी पैसे की ताकत को पहचानती थी.
वह मोटरसाइकल सवार युवक अब एक हाथ मे मोबाइल पकड कर उसे दर्पण की तरह प्रयोग करते हुए मोबाइल के स्क्रीन मे अपना चेहरा देख रहा था. उसने हैलमेट को उतार कर हेंडल पर टांग दिया था और दूसरे हाथ से बालों को संवार रहा था. वह एक हाथ से एक कुशल कारीगर की तरह अपने बालों को ऐसे सेट कर रहा था जैसे कोई मूंगफली बेचने वाला मूंगफलियों को आग की हांडी के चारों ओर सजाता है. पूर्ण रूप से संतुष्ट होने के बाद उसने जेब से एक रुमाल निकाला और एक मंजे हुए जादूगर की तरह उसकी तह खोली. हमने सोचा शायद मोबाइल के स्क्रीन को साफ करना चाहता है. लेकिन उसने बड़ी सफाई से रुमाल को सर पर बिछाया और इतमिनान से सर के पीछे गांठ लगाई. फिर हैलमेट उठाकर सर पर रख लिया. लेकिन हैलमेट को बांधने के लिये कोई प्रायोजन नहीं था. यह देख कर हम तो सकते मे आ गए। क्योंकि युवक ने हैलमेट सर पर रख कर अपने माल की रक्षा का प्रबन्ध तो कर लिया था , लेकिन जान की सुरक्षा के बारे मे उसने सोचा ही नहीं. ज़ाहिर था, उसे सर से ज्यादा सर के बालों की चिन्ता थी. इस बीच बत्ती हरी हो गई और वह युवक फर्राटे से हवा से बातें करने लगा. हम तो बस उसकी सलामती की दुआ करते हुए आगे बढ गए.
नोट : दो पहिये वाहन चालकों को हैलमेट पहन कर ड्राइव करना चाहिये. लेकिन हैलमेट को मजबूती से बांधना भी आवश्यक है. किसी भी दुर्घटना के समय यह जीवन रक्षक साबित हो सकता है.