अक्सर ट्रकों पर लिखा देखा होगा -- दिल्ली , यु पी , पंजाब एंड हरियाणा !
कल खचाखच भरे हॉल में बैठकर इन्ही राज्यों की पृष्ठभूमि में बनी फिल्म "तनु वेड्स मनु रिटर्न्स" देखी। एक अर्से के बाद हीरोइन को डबल रोल में देखा। फिल्म पूर्णतया कंगना रनाउत की फिल्म है। एक लन्दन रिटर्न्ड आधुनिका और एक हरियाणवी एथलीट के रूप में दोनों ही रोल्स में खूब जमी है। अधिकांश पात्र देहाती दिखाए गए हैं , भले ही वे पंजाब के हों , यु पी या हरियाणा के। कुल मिलाकर एक हल्की फुल्की मनोरंजक फिल्म है जिसे परिवार के साथ देखा जा सकता है। फिल्म के अंत में सभी के चेहरे पर हंसी और ख़ुशी नज़र आ रही थी।
लेकिन पिछले हफ्ते पीकू जैसी क्लास फिल्म देखने के बाद इस फिल्म में दिमाग बंद ही रखना पड़ा। फिल्म में स्टोरी लाइन रास्ता भटक जाती है। अंत में तो ऐसी खिचड़ी बन जाती है कि समझ में नहीं आता कि खाएं या पीयें । फिल्म के शुरू में दिमाग के डॉक्टर्स को दिमाग से खाली दिखाया गया है । बाद में हरियाणा के जाटों की मिट्टी पलीद करके रख दी। हैरानी है कि हरियाणा के जाटों ने अब तक इस पर शोर नहीं मचाया। कंगना को हरियाणवी बोलते सुनकर हंसी कम रोना ज्यादा आ रहा था। उसकी नेजल टोन और मोनोटॉनस लहज़े ने भाषा का सत्यानाश कर दिया। थोड़ी और मेहनत करती तो नतीजा और अच्छा हो सकता था।
कुल मिलाकर खाली दिमाग से मज़े लेकर देखने वाली फिल्म है।