जो कविता के चक्कर में अपनी कविता को भूल जाए,
उसे कवि कहते हैं।
जो संगीत के चक्कर में अपनी संगीता को भूल जाए,
उसे संगीतज्ञ कहते हैं।
जो विशेष के चक्कर में आम बातों को भूल जाए,
उसे विशेषज्ञ कहते हैं।
जो प्रजातंत्र के चक्कर में अपनी प्रजा को भूल जाए,
उसे नेता कहते हैं।
जो अभिनय के चक्कर में हकीकत को भूल जाए,
उसे अभिनेता कहते हैं।
और आजकल ऐसे लोग दुनिया में बहुतायत में रहते हैं।