एक चिकित्सिक के पास प्रतिदिन ऐसे रोगी भी आते हैं जिनकी स्वास्थ्य समस्या कुछ और होती है और रोगी बयाँ कुछ और करता है । ऐसी स्थिति में डॉक्टर का अनुभव ही होता है जो गलत उपचार से बचाता है ।
आइये देखते हैं ये कैसी कैसी स्थितियां होती है :
१) गैस सर में चढ़ जाती है :
अक्सर मरीज़ शिकायत करते हैं --डॉक्टर साहब , पेट में गैस बनती है और सर में चढ़ जाती है ।
असलियत में iऐसी न कोई गैस होती है , न कोई स्थिति । यह या तो मरीज़ का वहम होता है या उसे कोई और मानसिक तौर पर समस्या होती है जैसे एन्जाईटी।
पेट में गैस दो तरह से पैदा होती है । एक -- खाने के साथ हवा का प्रवेश । यह डकार के रूप में बाहर आती है ।
दूसरी खाने की पाचन क्रिया में और आंतों में मौजूद जीवाणुओं की प्रतिक्रिया से बनती है ।
इसके निष्कासन के बारे में फिल्म दबंग में सलमान खान द्वारा बोले गए डाय्लोग्स में सम्पूर्ण जानकारी मिलती है ।
पेट में अत्याधिक गैस बनना खाने की किस्म और मात्रा पर बहुत निर्भर करता है ।
लेकिन सबसे ज्यादा कॉमन कारण हैं --पेट में संक्रमण ।
अक्सर पेट में या तो कीड़े होते हैं या अमीबिक इन्फेक्शन होता है । हमारे देश में अधिकतर लोगों को यह शिकायत होती है ।
आखिर गोल गप्पे या चाट पापड़ी तो सभी खाते हैं ।
२) हड्डियों में बुखार रहता है ।
यह शिकायत ओ पी डी में बहुत सुनने को मिलती है । विशेष रूप से निम्न आय वर्ग की महिलाओं में ।
हकीकत : ऐसा कोई बुखार नहीं होता । बुखार होने पर त्वचा का तापमान बढ जाता है । आंतरिक सोफ्ट टिस्युज का तापमान भी बढ़ता है ।
लेकिन ऐसा नहीं होता कि हड्डियों का तापमान बढ़ जाए और त्वचा का सामान्य रहे ।
कारण : अक्सर ऐसे मरीजों को सामान्य कमजोरी होती है , या हाथ पैर में दर्द रहता है । विटामिन्स की कमी भी हो सकती है ।
३) बुखार में ठंडे पानी की पट्टियाँ करना : इसे कोल्ड स्पॉन्जिंग या हाइड्रोथेरपी कहते हैं ।
अक्सर यह सलाह दी जाती है कि बुखार में ठंडे पानी की पट्टियाँ करनी चाहिए ।
भ्रान्ति : I--ठंडा पानी
दरअसल बुखार में ठंडा पानी इस्तेमाल नहीं करना होता । स्पॉन्जिंग के लिए कक्ष के तापमान वाला सादा पानी लेना चाहिए ।
कुछ लोग अत्याधिक ठंडा पानी या बर्फ का प्रयोग करते हैं जो सर्वथा अनुचित है । इससे त्वचा की नसें सिकुड़ जाती हैं और लाभ की बजाय हानि हो सकती है ।
बुखार में स्पोंजिंग से त्वचा पर पानी की जो पर्त बनती है , वह शरीर से ऊष्मा लेकर वाष्पित होती है । यह वाष्पन ही त्वचा को ठंडा कर बुखार उतारने में सहायक होता है ।
भ्रान्ति II --पानी की पट्टी
स्पोंजिंग के लिए लोग अक्सर रुमाल या कोई कपडा लेकर पानी में भिगोकर , तह बनाकर माथे पर रख देते हैं । यह तरीका आंशिक रूप से ही फायदेमंद होता है ।
सही तरीका है --कपडे को सादे पानी में भिगोकर , हल्का सा निचोड़कर पूरे शरीर को पोंछें । इसे लगभग १० मिनट तक बार बार करने से बुखार नीचे आ जायेगा ।
स्पॉन्जिंग करने से निश्चित ही आराम मिलता है । हालाँकि दिन में कई बार करना पड़ सकता है ।
अब एक काम की बात :
उपरोक्त बातें न तो कोई सरकारी डॉक्टर बताएगा न प्राइवेट डॉक्टर । सरकारी डॉक्टर के पास टाइम नहीं होता और प्राइवेट तो कमाता ही ऐसे मरीजों से है । लेकिन इसका सबसे ज्यादा दुरूपयोग करते हैं--क्वैक्स ( नीम हकीम यानि नकली डॉक्टर )।
आइये देखते हैं ये कैसी कैसी स्थितियां होती है :
१) गैस सर में चढ़ जाती है :
अक्सर मरीज़ शिकायत करते हैं --डॉक्टर साहब , पेट में गैस बनती है और सर में चढ़ जाती है ।
असलियत में iऐसी न कोई गैस होती है , न कोई स्थिति । यह या तो मरीज़ का वहम होता है या उसे कोई और मानसिक तौर पर समस्या होती है जैसे एन्जाईटी।
पेट में गैस दो तरह से पैदा होती है । एक -- खाने के साथ हवा का प्रवेश । यह डकार के रूप में बाहर आती है ।
दूसरी खाने की पाचन क्रिया में और आंतों में मौजूद जीवाणुओं की प्रतिक्रिया से बनती है ।
इसके निष्कासन के बारे में फिल्म दबंग में सलमान खान द्वारा बोले गए डाय्लोग्स में सम्पूर्ण जानकारी मिलती है ।
पेट में अत्याधिक गैस बनना खाने की किस्म और मात्रा पर बहुत निर्भर करता है ।
लेकिन सबसे ज्यादा कॉमन कारण हैं --पेट में संक्रमण ।
अक्सर पेट में या तो कीड़े होते हैं या अमीबिक इन्फेक्शन होता है । हमारे देश में अधिकतर लोगों को यह शिकायत होती है ।
आखिर गोल गप्पे या चाट पापड़ी तो सभी खाते हैं ।
२) हड्डियों में बुखार रहता है ।
यह शिकायत ओ पी डी में बहुत सुनने को मिलती है । विशेष रूप से निम्न आय वर्ग की महिलाओं में ।
हकीकत : ऐसा कोई बुखार नहीं होता । बुखार होने पर त्वचा का तापमान बढ जाता है । आंतरिक सोफ्ट टिस्युज का तापमान भी बढ़ता है ।
लेकिन ऐसा नहीं होता कि हड्डियों का तापमान बढ़ जाए और त्वचा का सामान्य रहे ।
कारण : अक्सर ऐसे मरीजों को सामान्य कमजोरी होती है , या हाथ पैर में दर्द रहता है । विटामिन्स की कमी भी हो सकती है ।
३) बुखार में ठंडे पानी की पट्टियाँ करना : इसे कोल्ड स्पॉन्जिंग या हाइड्रोथेरपी कहते हैं ।
अक्सर यह सलाह दी जाती है कि बुखार में ठंडे पानी की पट्टियाँ करनी चाहिए ।
भ्रान्ति : I--ठंडा पानी
दरअसल बुखार में ठंडा पानी इस्तेमाल नहीं करना होता । स्पॉन्जिंग के लिए कक्ष के तापमान वाला सादा पानी लेना चाहिए ।
कुछ लोग अत्याधिक ठंडा पानी या बर्फ का प्रयोग करते हैं जो सर्वथा अनुचित है । इससे त्वचा की नसें सिकुड़ जाती हैं और लाभ की बजाय हानि हो सकती है ।
बुखार में स्पोंजिंग से त्वचा पर पानी की जो पर्त बनती है , वह शरीर से ऊष्मा लेकर वाष्पित होती है । यह वाष्पन ही त्वचा को ठंडा कर बुखार उतारने में सहायक होता है ।
भ्रान्ति II --पानी की पट्टी
स्पोंजिंग के लिए लोग अक्सर रुमाल या कोई कपडा लेकर पानी में भिगोकर , तह बनाकर माथे पर रख देते हैं । यह तरीका आंशिक रूप से ही फायदेमंद होता है ।
सही तरीका है --कपडे को सादे पानी में भिगोकर , हल्का सा निचोड़कर पूरे शरीर को पोंछें । इसे लगभग १० मिनट तक बार बार करने से बुखार नीचे आ जायेगा ।
स्पॉन्जिंग करने से निश्चित ही आराम मिलता है । हालाँकि दिन में कई बार करना पड़ सकता है ।
अब एक काम की बात :
उपरोक्त बातें न तो कोई सरकारी डॉक्टर बताएगा न प्राइवेट डॉक्टर । सरकारी डॉक्टर के पास टाइम नहीं होता और प्राइवेट तो कमाता ही ऐसे मरीजों से है । लेकिन इसका सबसे ज्यादा दुरूपयोग करते हैं--क्वैक्स ( नीम हकीम यानि नकली डॉक्टर )।
बढिया जानकारी है भाई साहब,
ReplyDeleteइस तरह पोल खोलने से क्वैक्स का धंधा मारा जाएगा।
कहीं लाल झंडी लेकर न बैठ जाएं।
वैसे भी सरकार बाबा और अन्ना से हलाकान है।
एक नयी मुसीबत और खड़ी हो जाएगी।
हा हा हा हा
बहुत सरल भाषा में आपने जो जानकारी दी वह सहेजने और अमल में लाने योग्य है.
ReplyDeleteसादर
अधिकतर मरीज खुद ही डाक्टर होते हैं ,खुद ही किसी नतीजे पर पहुंच कर रोग पहचान चुके होते हैं ।
ReplyDeleteयह सब लोगों की अधूरी जानकारी का परिणाम है ....आपने बहुत से भ्रम दूर करने का प्रयास किया है ....आपका आभार
ReplyDeleteबेहद उपयोगी. बहुत आभार इस पोस्ट का.एक बहुत ही कॉमन समस्या का सहज समाधान.
ReplyDeleteसर बड़ी काम की बातें बताईं हैं,कुछ नहीं तो इन्हें पढ़ कर कुछ एक भ्रान्ति मिट गयी.
ReplyDeleteaabhar!!
जन-जागरण के आपके इस अभियान हेतु हार्दिक मुबारकवाद.
ReplyDeletebhut hi saral bhasha me jaankari di apne....
ReplyDeleteअच्छी जानकारी दी है ... आभार
ReplyDeleteबहुत उत्तम और काम की जानकारी.
ReplyDeleteजन-जागरण हेतु काम की जानकारी !
ReplyDeleteमुबारकबाद !!!
त्वचा में दर्द के अभिग्राहकः Receptors
काम की जानकारी.
ReplyDeleteआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सलमान ख़ान को डॉक्टर बना दिया तो सांस कहां से लेना है और......कहां से, सब भूल जाएंगे...
ReplyDeleteमेरठ में किसी बीमारी का प्रकोप होता था तो डॉक्टरों में कहा जाता था कि सीज़न चल रहा है...
लेकिन आप जैसे अपवादों की वजह से डॉक्टरी प्रोफेशन की शुचिता अब भी बनी हुई है...
जय हिंद...
बहुत मार्के की सूचनाएं -एक श्रृखला ही क्यों नहीं ? प्लीज!
ReplyDeleteDr. Daral bahut hi upyogi post likhi hai aapne.aapki agli post ka intjar rahega.bahut dhanyavaad is post ke liye.aapke blog par aana safal raha.
ReplyDeleteललित भाई , क्वेक्स का धंधा कभी बंध नहीं हो सकता क्योंकि उनकी संख्या ही असली डॉक्टरों से ज्यादा है ।
ReplyDeleteखुशदीप भाई मैंने एक क्षणिका लिखी थी --जिंदगी के मायने कितने जुदा होते हैं । उसका सार यही था --किसी के लिए जिंदगी , किसी के लिए मुसीबत ।
यह सच है कि किसी भी महामारी में प्राइवेट डॉक्टरों की कमाई काफी बढ़ जाती है और सरकारी डॉक्टरों का काम ।
अरविन्द जी , ये तो चलता ही रहेगा । लेकिन थोड़ी मौज मस्ती भी ज़रूरी है ।
ReplyDeleteवो क्या है कि अपुन बहुत देर तक सीरियस नहीं रह सकता ।
सभी डॉक्टरों को ब्लॉग ज़रूर लिखना चाहिए :)
ReplyDeleteकाजल जी , ज्यादातर बेचारे रोजी रोटी कमाने में इतने व्यस्त होते हैं कि घर का ख्याल भी नहीं रहता । फिर भला ब्लॉग क्या लिखेंगे ।
ReplyDeleteदूर के ढोल सुहाने लगते हैं ।
@@उपरोक्त बातें न तो कोई सरकारी डॉक्टर बताएगा न प्राइवेट डॉक्टर । सरकारी डॉक्टर के पास टाइम नहीं होता और प्राइवेट तो कमाता ही ऐसे मरीजों से है । लेकिन इसका सबसे ज्यादा दुरूपयोग करते हैं--क्वैक्स ( नीम हकीम यानि नकली डॉक्टर )।..
ReplyDeleteसही कह रहे हैं..
एक भ्रान्ति तो दूर की आपने की बुखार मैं पानी की पट्टियाँ बर्फ की नही रखनी चाहिए ...
ReplyDeleteदूसरी यह की, अक्सर कहते हैं की गैस कमर में भर गई या गैस की कोई चीज खाने से पैट दर्द हो रहा है ? इसमें कितनी सच्चाई है ?इसका भी निराकरण करे ...
कभी -कभी हमें भी याद करवा दीजिए की हम एक कुशल डोक्टर के दोस्त है ...धन्यवाद ऐसे लेख के लिए डॉ साहेब ..
अपना,डाक्टर और मरीज़- तीनों का बहुत समय मैं भी नष्ट कर चुका हूं। जो बातें आपने बताई हैं,उनका छोटे-छोटे विज्ञापनों से अगर प्रसार किया जाए,तो देश में एक स्वास्थ्य-क्रांति आ सकती है।
ReplyDeleteआज तो बहुत काम की बाते जानने को मिली है, आभार ऐसी बातों को बताने का
ReplyDeleteडॉक्टर दराल जी, लाभदायक जानकारी के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteकृपया यह भी बतादें कि बर्फ किस स्थिति में लगाई जानी है, चोट आदि में?
और पेट में कभी 'गैस' होने पर घरेलू नुस्खा कोई है क्या?
मेरे ख्याल से गैस सर में चढ़ने के पीछे प्राचीन मान्यता है कि भोजन का, (उपयोगी भाग का), ठोस अंश शरीर के ठोस भाग में जाता है, तरल अंश रक्त में, और गैस प्राण में,,, जहां प्राण से तात्पर्य सांस से था, जो शायद काल के प्रभाव से 'माथा' माने जाना लगा होगा :)
उपयोगी जानकारियां.
ReplyDelete.सर जी,
ReplyDeleteपिछले 25 वर्षों से अपनी प्रैक्टिस में मैंने इन भ्रान्तियों को इन मूढ़ों के दिमाग से झाड़-पोंछने का बीड़ा उठा रखा है.... इसके लिये मुझे उनसे जिरह करनी पड़ती है.... और वह टूट जाते हैं । फिर भी कुछ मुझे झक्की समझ कर वाक-आउट कर जाते थे और जो कन्विन्स हो गये.. वह आज तक मुरीद हैं । सवाल यह है कि.. ग्रामीण परिवेश और अर्धशिक्षित / अशिक्षित जनता के मनोमष्तिष्क में यह बातें कैसे इतने गहरे पैठीं.. जिसे क्वैक अपनी मर्ज़ीनुसार पोस रहे हैं ?
यदि आप बारीकी से देखें तो इसमें आयुर्वेद की अवधारणा कफ़, वात, पित्त, वायु का हाथ तो है ही, साथ ही यूनानी और हकीमी उपचार 400 वर्षों तक मुग़लिया.. निज़ाम रियासतों के प्रश्रय में परवान चढ़ा । मैंनें हिकमत की किताबें देखी पढ़ी हैं.. उनका सीधा फँडा यही है कि जो उनकी किताब में नहीं हैं.. वह वर्ज़्य है । जिस सरज़मीं पर हिकमत की पैदाइश हुई वहाँ चावल, सब्जियाँ, गन्ना इत्यादि कल्पना की चीजें हुआ करती थीं... जब भारत की धरती पर हकीमों का सामना इन वस्तुओं से हुआ तो उन्होंने लाज़वाब होकर इन चीजों को सर्द, गर्म की तासीर में बाँट कर वर्जित कर देने में अपनी भलाई समझी !
अब देखिये न.. चावल खाने से जुकाम हो जाता है, दूध पीने से बलगम बन जाता है, मूली बहुत सर्द होती है, बेचारा बैंगन बादी होता है । सभी दवायें खाना खाने के बाद ही लेनी चाहिये ( भले मरीज़ अर्धबेहोशी में हो और खाने की स्थिति में न हो )। तगड़ी ( हार्ड ) दवा दूध से लेनी चाहिये.. नस से एक दो बोतल ग्लुकोज़ चढ़वा लेना हर मर्ज़ में शर्तिया फ़ायदेमँद है । यह सब तो आप भूल ही रहे हैं ।
बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण जानकारी मिली! कभी कभी शायद आपको ऐसी मरीज़ मिल जाती होगी जो ख़ुदको डॉक्टर समझकर दवाई खाते हैं कुछ भी ज्ञान न होने पर!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी जानकारी दी ,जो अक्सर फीस देने पर भी नही मिलती !अगली कड़ी में मोटापे पर कुछ लिखियेगा...
ReplyDeleteइन्हीं समस्याओं से हम रोज रूबरू होते हैं जी!
ReplyDeleteअन्तर यह है कि आप लिख जाते हैं और हम हज़म कर जाते हैं।
बहुत ही अच्छी और जानकारी भरी पोस्ट सर जी । आज सच में ही चिकित्सकों से ऐसी ही भूमिका की बडी तलाश है । शुभकामनाएं सर
ReplyDeleteज्ञानवर्धक लेख़. ख़ास कर के गैस के बारे मैं जानकारी बहुत काम की है.
ReplyDeleteलकीर के फकीरों के लिए एक अच्छी जानकारी |
ReplyDeleteआभार!
ब्लॉगर के रूप मे डाक्टर को पा कर हम धन्य हुए।
ReplyDeleteआपने कहा है -
ReplyDelete"कुछ लोग अत्याधिक ठंडा पानी या बर्फ का प्रयोग करते हैं जो सर्वथा अनुचित है । इससे त्वचा की नसें सिकुड़ जाती हैं और लाभ की बजाय हानि हो सकती है ।"
परंतु इसके उलट मद्रास मेडिकल मिशन नामक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एक बार जब मेरा बुखार 106 से ऊपर चला गया था तो बर्फीली ठंडे पानी का ही प्रयोग किया गया था. शायद प्रचलन की वजह से?
जो भी हो, अब आगे सादा पानी ही प्रयोग करेंगे.
दर्शन जी , डॉ अमर कुमार की टिप्पणी में सब कुछ बहुत खूबसूरती से बता दिया गया है ।
ReplyDeleteराधारमण जी , इस विषय में क्रांति की नहीं , थोड़ी सी सावधानी की ज़रुरत है । एक अच्छा डॉक्टर ये बातें अपने रोगी को अवश्य बताएगा । हमारे देश में सब चल जाता है वरना अमेरिका , कनाडा जैसे देशों में डॉक्टर को स्यु किया जा सकता है , यदि यह जानकारी न दें तो ।
जे सी जी , बर्फ मोच आने पर या गुम चोट लगने पर लगाई जा सकती है । RICE के बारे में पहले बताया जा चुका है ।
ReplyDeleteलेकिन घरेलु नुस्खे तो आप ही बेहतर बता सकते हैं ।
डॉ अमर कुमार जी , भ्रांतियां तो बहुत हैं लेकिन आपने कुछ और जोड़कर पोस्ट को विस्तार दिया है । आभार सबकी ओर से ।
ReplyDeleteरजनीश जी मोटापे पर एक पोस्ट पहले लिखी थी ।
अजय भाई , यह तो हमारे प्रोफेशन का हिस्सा है । यह और बात है कि सब ईमानदारी से अपना फ़र्ज़ नहीं निभाते ।
रवि रतलामी जी , बुखार अक्सर इतना नहीं होता । इतने तापमान से बेहोशी हो सकती है । इसलिए नीचे लाने के लिए बुखार का इंजेक्शन लगाना पड़ता है ।
ReplyDeleteलेकिन घर में सबसे पहला उपचार तो यही है ।
अच्छी जानकारी दी है ... आभार
ReplyDeleteहमारे आफिस में एक यादव जी हैं, अक्सर उनके सिर में चढ जाती है गैस। उन्हें पढवाउंगा, शायद उनका भी वहम दूर हो सके।
ReplyDelete------
तांत्रिक शल्य चिकित्सा!
…ये ब्लॉगिंग की ताकत है...।
सरल भाषा में उपयोगी जानकारी ...कई भ्रांतियां दूर होंगी !
ReplyDeleteहड्डियों में बुखार वाली बातें तो कई डाक्टरों से सुनी है बचपन में ... हा हा आपने अच्छा बताया नहीं तो हम भी आज तक समझ रहे ते ऐसा कोई बुखार होता होगा ...
ReplyDeleteगीली पट्टी वाली जानकारी सच में उपयोगी है ... प्रयोग की विधि विस्तार से बताने का शुक्रिया ...
डॉक्टर दराल जी बर्ग के उपयोग के विषय में जानकारी देने के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteघरेलु नुस्खे तो हमारी माँ जानती थी किन्तु हमने वो सब कहीं लिखा नहीं इसलिए अब याद नहीं हैं...
जहां तक 'हिन्दू मान्यता' का प्रश्न है वो तो यह संकेत करती है कि 'माया' से 'हम' वर्तमान में घोर कलियुग ("जब आदमी छोटा हो जाता है" यानि जब छोटे बच्चे भी वो काम करते दीखते हैं जो पहले बड़े करते थे - जो स्तिथि आज है?!) के फिल्म समान नज़ारे देख रहे हैं... शायद यह देखने के लिए कि हम भूत में, उत्पत्ति के आरम्भ में, कितने अज्ञानी थे (जैसे हम अपनी भूत काल की तसवीरें एल्बम में देखते हैं... जिससे हम अमरत्व को प्राप्त आत्माएं अपने भूत काल के सीमित ज्ञान के कारण किये गयी मूर्खता का आनंद दृष्टा भाव से उठा सकें :)...
फिर भी जितना हमको बाहरी संसार को देख याद आता है उसके अनुसार हम कुछ अटकलें लगाते हैं... मेरी इस कारण दिलचस्पी अर्थात मानसिक रुझान नगों से कार्य-क्षमता बढाने में है...
वाह ! बड़े काम की जानकारियाँ हैं , बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय दराल जी का और आदरणीय अमर कुमार जी का
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी और उपयोगी जानकारी...कई भ्रांतियां दूर हो गयीं...
ReplyDeleteडॉक्टर,अंग्रेजी में tepid water कह देते हैं....और नल का पानी समझ में आ जाता है...हिंदी में भी शायद ठंढा पानी की जगह नल का पानी ही बताना चाहिए.
bahut bahut shukriya dr. sahab.aabhari hun.
ReplyDeleteपेट में अत्याधिक गैस बनना खाने की किस्म और मात्रा पर बहुत निर्भर करता है ।
ReplyDeleteलेकिन सबसे ज्यादा कॉमन कारण हैं --पेट में संक्रमण ।
पेट में संक्रमण से भी गैस बनती है ये बात नई थी मेरे लिए ....
जी अक्सर डॉ ये बातें नहीं बताते ......
आपका किन शब्दों से शुक्रिया अदा करूँ इतनी उपयोगी जानकारी के लिए ....?
पिछली पोस्ट भी देखी ...और उससे पिछली भी .....
ऊटी मैं भी गई थी .....ये घोड़ा देख याद आया किसी रेल लाईन के पास ये घोड़े वाला खड़ा था ....
उस वक़्त २० रुपये लिए थे चदकर सैर करवाने के ...
यहाँ इलाइची बहुत सस्ती थी ...अब तो पता नहीं ...पर उस वक़्त जगह- जगह इलाइची वाले बैठे थे ...
आपने पुरानी यादें याद दिला दीं .....
:))
बढिया सबक़ामेज़ लेख। पर... हम ने दबंग नहीं देखी :)
ReplyDeleteहरकीरत जी , इलायची आदि मसाले अभी भी मिलते हैं । लेकिन सबसे ज्यादा वहां अलग अलग किस्म की चाय मिलती है । जैसे इलायची वाली , मसाला चाय , लेमन टी ।
ReplyDeleteशुक्रिया समय निकालने के लिए ।
अभी तक तो यही सुन रहे है और कर रहे है बुखार में पहले े क्रोसीन देदी वर्फ की पटटी रखदी सुबह डाक्टर को बता दिया । अच्छी जानकारीदी आपने
ReplyDeleteआपने बहुत अच्छी जानकारियाँ दी हैं.एक बार मुझे आज से २०-२५ साल पूर्व १०४ डिग्री फा. से अधिक बुखार होने पर मेरे एक मित्र M.D.डॉ.ने बर्फ़ के पानी से नहला दिया था,बुखार कम हो /उतर गया.परन्तु,मुझे आपकी बात ज्यादा उचित जान पड़ रही है.क्यूंकि evaporation में latent heat के रूप में ज्यादा गर्मी का निष्कासन होना चाहिये.बर्फ़ से अकस्मात नसों की सिकुडन से नुकसान की सम्भावना अधिक लगती है.
ReplyDeleteज्ञानवर्धक पोस्ट के लिए बहुत बहुत आभार.
बृजमोहन जी , राकेश जी , चलिए अच्छा है अब आप ध्यान रखेंगे ।
ReplyDeletekitni badi jaankari mili aapse
ReplyDeleteबहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण जानकारी...
ReplyDeletepet saf karne ki dawa
ReplyDeleteDr. Sir mai takriban 2 sal se ajib bimari se grast hu muje khane ke bad tej jalan hone lagti hai aur hr wkt muje meri pit solder aur sar pr kuch kuch kide jaisa rengta mahsoos hota h jisse muje sui jaisi chban mhsoos hoti hai sar me chadti hai bahot dard hone lgta hai ye kon si bimari hai ye gas ki dikkat hai aur kuch plz meri help kare kkansari3@gmail.com
ReplyDeleteआप किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाएं ! बिना देखे कुछ नहीं बताया जा सकता !
DeleteThakyou dr. Dts dral sir... sir mai ye janna chahta hu ki kya m r i scan me gas ditect ho jati hai i mien mri se gas y air ko dekha ja skta h plz sir muje btaye apki mehrbani hogi thankyou once again sir
ReplyDeleteMRI gas ke liye nahi kiya jata !
ReplyDeleteThank you ok sir but sir koi to aisa test hoga jisse pta lgaya ja ske ki ye kon si bimari hai present time to kanpur me Dr. Ak dey se treatment le rha hu aur mai kanpur me hi rhta hu
DeleteSach me gas sar me nahi chahadta docoter
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