दिल्ली में गर्मी का आगमन धीरे धीरे हो रहा है । बढ़ती गर्मी का प्रभाव तन पर तो पड़ता ही है , मन पर भी पड़ता है ।
मन कुछ अशांत हो तो बाहर बालकनी में बैठ जाता हूँ । नीचे सड़क किनारे हरे भरे पेड़ों के बीच गुलमोहर के पेड़ भी हैं जिन पर इस समय फूलों की बहार आई हुई है ।
संतरी रंग के फूलों को देखकर मन कुछ शांत होता है । और यूँ ही बैठे बैठे याद आ जाती हैं कुछ हरियाणवी बातें ।
१)
हमारे एक हरियाणवी ताऊ थे । थे ही कहना पड़ेगा क्योंकि अब तो हम खुद ताऊ बन चुके हैं । एक दिन एक शादी में उनके गाँव जाना हुआ । उस समय मैं एम् बी बी एस कर रहा था ।
गाँव पहुंचा तो देखा ताऊ हलवाई के पास कढ़ाई पर बैठे थे हुक्का गुडगुडाते हुए ।
मैंने जाकर कहा --ताऊ राम राम ।
वो बोले --राम राम भाई छोरे , आज्या , और सुणा कौन सी क्लास में पढ़े सै ।
मैंने सोचा इनको एम् बी बी एस का क्या मतलब समझ आएगा । सो कहा --ताऊ डाक्टरी का कोर्स कर रहा हूँ ।
ताऊ बोला --भाई कोर्स वोर्स तै ठीक सै , पर न्यू बता कितनी ज़मात पढ़ा ।
मैंने कहा --ताऊ बस यूँ समझ लो कि बारहवीं पास कर के दाखिला लिया था ।
ताऊ -- भाई बारा ए पढ़ा , थोडा ही पढ़ा । अरै चौदाह पढ़ कै , कम तै कम बी ए पास तै करनी चाहिए थी ।
मैंने कहा --ताऊ बस ये डॉक्टरी कोर्स में दाखिला मिल गया ।
ताऊ --ना भाई ना । स्वाद नहीं आया । अरै बी ए पास करता तै मुन्सी बनता , पटवारी बनता --यो डाक्टरी का कोर्स करके के कम्पाउंडर बनैगा ।
२) हरियाणवी लोग मीठा खाने के बड़े शौक़ीन होते हैं ।
ताऊ भी रोज ताई से हलवा बनवाकर खाते थे । लेकिन एक दिन ताई ने हलवा नहीं बनाया । ताऊ को गुस्सा आ गया और वो आंख बंद कर लेट गया । तभी वहां भीड़ लग गई । सब सोचने लगे --ये ताऊ को क्या हो गया । किसी ने कहा --अरे मूंह पर पानी मारो । कोई बोला --भाई जूता सुन्घाओ । कोई कुछ उपाय बता रहा था कोई कुछ ।
इतने में एक समझदार सा आदमी बोला --अरै ताऊ ने हलवा खिला दो ।
अब ताऊ ने एक आँख खोली और उस आदमी की ओर इशारा कर बोला --रै कोए इस की भी सुण ल्यो ।
३)
गाँव में कोई भी ब्याह शादी होती , ताऊ का न्यौता ज़रूर होता ।
लेकिन एक बार एक महाशय ने उन को नहीं बुलाया । अब ताऊ को बड़ी बेचैनी हुई । एक दो बार उनके घर के आगे से चक्कर लगाये । लेकिन किसी ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया । अब ताऊ के सब्र का बाँध टूट गया ।
उसने देखा --गली में चावल का मांड बहा दिया गया था । उसने जान बूझ कर उसमे पैर मारा और चिल्लाने लगा --अरै किस नालायक का काम सै , सारा रास्ता बंद कर दिया । राह में गंद फैला दी । और लगा ताऊ ऊंची ऊंची गालियाँ बकने ।
अब लोगों का ध्यान ताऊ की तरफ गया तो एक बोला --अरे भाई ताऊ को न्यौता नहीं दिया था क्या । जल्दी से न्यौता दे दो वर्ना आसमान सर पर उठा लेंगे ।
खैर ताऊ को बुला लिया गया ।
ताऊ ने आशीर्वाद देते हुए कहा --भाई मैं जाणू था भोत भला आदमी सै ।
उसके बाद किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि ताऊ को भूल जाएँ ।
सीख : हरियाणे के ताउओं को अपनी रिस्क पर भूलें ।
मन कुछ अशांत हो तो बाहर बालकनी में बैठ जाता हूँ । नीचे सड़क किनारे हरे भरे पेड़ों के बीच गुलमोहर के पेड़ भी हैं जिन पर इस समय फूलों की बहार आई हुई है ।
संतरी रंग के फूलों को देखकर मन कुछ शांत होता है । और यूँ ही बैठे बैठे याद आ जाती हैं कुछ हरियाणवी बातें ।
१)
हमारे एक हरियाणवी ताऊ थे । थे ही कहना पड़ेगा क्योंकि अब तो हम खुद ताऊ बन चुके हैं । एक दिन एक शादी में उनके गाँव जाना हुआ । उस समय मैं एम् बी बी एस कर रहा था ।
गाँव पहुंचा तो देखा ताऊ हलवाई के पास कढ़ाई पर बैठे थे हुक्का गुडगुडाते हुए ।
मैंने जाकर कहा --ताऊ राम राम ।
वो बोले --राम राम भाई छोरे , आज्या , और सुणा कौन सी क्लास में पढ़े सै ।
मैंने सोचा इनको एम् बी बी एस का क्या मतलब समझ आएगा । सो कहा --ताऊ डाक्टरी का कोर्स कर रहा हूँ ।
ताऊ बोला --भाई कोर्स वोर्स तै ठीक सै , पर न्यू बता कितनी ज़मात पढ़ा ।
मैंने कहा --ताऊ बस यूँ समझ लो कि बारहवीं पास कर के दाखिला लिया था ।
ताऊ -- भाई बारा ए पढ़ा , थोडा ही पढ़ा । अरै चौदाह पढ़ कै , कम तै कम बी ए पास तै करनी चाहिए थी ।
मैंने कहा --ताऊ बस ये डॉक्टरी कोर्स में दाखिला मिल गया ।
ताऊ --ना भाई ना । स्वाद नहीं आया । अरै बी ए पास करता तै मुन्सी बनता , पटवारी बनता --यो डाक्टरी का कोर्स करके के कम्पाउंडर बनैगा ।
२) हरियाणवी लोग मीठा खाने के बड़े शौक़ीन होते हैं ।
ताऊ भी रोज ताई से हलवा बनवाकर खाते थे । लेकिन एक दिन ताई ने हलवा नहीं बनाया । ताऊ को गुस्सा आ गया और वो आंख बंद कर लेट गया । तभी वहां भीड़ लग गई । सब सोचने लगे --ये ताऊ को क्या हो गया । किसी ने कहा --अरे मूंह पर पानी मारो । कोई बोला --भाई जूता सुन्घाओ । कोई कुछ उपाय बता रहा था कोई कुछ ।
इतने में एक समझदार सा आदमी बोला --अरै ताऊ ने हलवा खिला दो ।
अब ताऊ ने एक आँख खोली और उस आदमी की ओर इशारा कर बोला --रै कोए इस की भी सुण ल्यो ।
३)
गाँव में कोई भी ब्याह शादी होती , ताऊ का न्यौता ज़रूर होता ।
लेकिन एक बार एक महाशय ने उन को नहीं बुलाया । अब ताऊ को बड़ी बेचैनी हुई । एक दो बार उनके घर के आगे से चक्कर लगाये । लेकिन किसी ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया । अब ताऊ के सब्र का बाँध टूट गया ।
उसने देखा --गली में चावल का मांड बहा दिया गया था । उसने जान बूझ कर उसमे पैर मारा और चिल्लाने लगा --अरै किस नालायक का काम सै , सारा रास्ता बंद कर दिया । राह में गंद फैला दी । और लगा ताऊ ऊंची ऊंची गालियाँ बकने ।
अब लोगों का ध्यान ताऊ की तरफ गया तो एक बोला --अरे भाई ताऊ को न्यौता नहीं दिया था क्या । जल्दी से न्यौता दे दो वर्ना आसमान सर पर उठा लेंगे ।
खैर ताऊ को बुला लिया गया ।
ताऊ ने आशीर्वाद देते हुए कहा --भाई मैं जाणू था भोत भला आदमी सै ।
उसके बाद किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि ताऊ को भूल जाएँ ।
सीख : हरियाणे के ताउओं को अपनी रिस्क पर भूलें ।
"हरियाणे के ताउओं को अपनी रिस्क पर भूलें ।"
ReplyDeleteअब आप भी ताऊ बन ही चुके हैं सर तो कोई आपको कैसे भूल सकता है.:)
आपने पोस्ट पता नहीं किसके रिस्क पर लिखी है, पर टीप हम अपनी रिस्क पर ही देवेंगे.
ReplyDeleteवाह ! आनंद आ गया ताऊ के किस्से पढकर.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है पर सच ही इस अवस्था में शायद बजुर्ग यही चाहते है कि सभी उन्हे सम्मान दे यह बात तो हर जगह देखी जा सकती है पर हरियाणा की बात ही निराली है।
ReplyDeleteदराल साब! ताऊ तो करैकटर ई न्यारा सै! आपनै तो ताऊ की बहोत कम बातां बताई. ताऊ के किस्सेआं का तो भंडार सै. फेर भी आपनै हंसाण की खूब कोसिस करी... अर सफल बी होगे.
ReplyDeleteतीखे तड़के का जायका लें
संसद पर एटमी परीक्षण
मुस्कान आ गयी चेहरे पर ताऊ से मिल कर ! आभार आपका !!
ReplyDeleteऐसे ताऊ हर गाँव में होते है ,कुछ भी बोले पर जो अपनापन मिलता है वो शहरों में कहाँ?इसी बात का मज़ा है......
ReplyDeleteएक से बढ़ कर एक मजेदार किस्से हैं...ताऊ के...आनद आ गया पढ़कर.
ReplyDeleteसारे किस्सों के दौरान मुस्कान खिली रही होंटों पर.
ReplyDeleteताऊ की तो बात ही निराली है.
.
ReplyDeleteजाटों की सरलता निष्कपटता और यारबाजी का मैं कायल हूँ ताऊ लोगों के बहुत से असली किस्से हैं, मेरे पास ( सहेज़ रखा है कि कभी पोस्ट लिखूँगा )... खैर आज तो एक चुटकुला साझा करना चाहूँगा !
एक बर एक कैदी नै फांसी की सजा मिली !
उसनै इक सिपाही लेकै फाँसी को जाण लागरया था ।
उस दिन मौसम बी घणा ख़राब होरया था.. गरमी भाई गरमी ।
रास्ते मै कैदी सिपाही तै बोल्या ; देख भाई भगवान की करणी , .... मनै आज के दिन बी कितणी तकलीफ दे रया से
सुरजा बोल्या ; अ मेरे यार तू तो जमा ऐ माडा मन कर रया से ,( बेकार में मन खराब कर रहा है )
.. मनै देख इसे ऐ खराब मौसम मै मनै उल्टा बी आणा से ( मुझे देख मुझे इसी गरमी में वापस भी आना है )
हम राजनीतिक लोग तो हरियाणा के एक ही ताऊ चौ.देवी लाल को जानते हैं जिन्होंने भाजपा को चड्डी धारी पार्टी की संज्ञा दी थी .उप-प्रधानमंत्री रहते हुए सरकारी बंगले में गौ-पालन सिर्फ उन्हीं के बूते की बात थी.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया !
ReplyDeleteडॉक्टर अमर कुमार ने भी जताया कि प्रकृति से हरयाणवी ताऊ सभी हंसोड़ होते हैं, भले ही वो डॉक्टर या सिपाही ही क्यूँ न हो !!!
इंटरव्यू बहुत सार्थक रहा!
ReplyDeleteआप भी हरियाणा से ही होंगे!
अब तो हम खुद ताऊ बन चुके हैं ।
ReplyDeleteहरियाणे के ताउओं को अपनी रिस्क पर भूलें ।
और दिल्ली के ताउओं को???????
याद रखने वाली नसीहत.
ReplyDeleteसीधे-सच्चे लोग। जितना समझ आया,पूरी सादगी और बेतकल्लुफी से बयां किया,इसीलिए अब भी याद आते हैं।।
ReplyDeleteकभी कभी calculated risk लिया जा सकता है ..
ReplyDeleteहा हा हा ! बहुत खूब डॉ अमर कुमार जी । मज़ा आ गया ।
ReplyDeleteमाथुर साहब , उनके बाद डॉ साहब सिंह जी ने भी जो दिल्ली के मुख्य मंत्री थे , सरकारी बंगले पर भैंस बांध रखी थी । एक दिन तो हम भी उनके साथ घर का बना मक्खन परांठे के साथ नाश्ते में खा कर आए थे ।
नीरज जाट जी , दिल्ली के ताऊ भी हरियाणवी ही होते हैं ।
क्या सभी ताऊ ऐसे ही ताऊ होते है ? ज्ञानदर्पण ब्लाग पर भी आज ही एक और ताऊ के ऐसे ही मजेदार संस्मरण पढे । दोनों ही बढिया लगे.
ReplyDeleteहाय़ डॊक्टर साब! आप भी गर्मी के मारे हैं!!!!!! पर हरियाणवी लठ अच्छी रही :)
ReplyDeleteहरियाणे के ताउओं को अपनी रिस्क पर भूलें ।" सही कहा ताऊ जी आप ने:)
ReplyDeleteभाई साहब, आपने तो ताऊ पै पोस्ट लिख कै मौज ले ली, और यो ताऊ म्हारे दुरज्जे पै लठ ले कै खड़ा सै। कहवै सै के-'यो बता तु तो ब्लोगर बणा हांडे सै, ताऊ की पोल आज ब्लॉग पै किसनै खोली सै। मन्ने तो राम धन का छोरा बतावै था।"
ReplyDeleteइब के करया जाए इसका? थारे धोरे भेज दिया सै, संभाल लियो :)
आप भी ताऊ हो चुके...आपको भूलने की अब भला कैसे हिम्मत कर सकते हैं. :)
ReplyDeleteरोचक किस्से हैं हरियाणवी ताऊ के ...
ReplyDeleteअब किसकी मजाल जो भूल जाए !
वाह पूरे हरयाणावी मूड में दिखे हो डाक्टर जी :) हा हा हा
ReplyDeleteताऊ से टाइम पूछो तो वो टाइम तो नहीं बताएगा, उलटे ये जवाब देगा...
ReplyDeleteफांसी चढ़ना के...
जय हिंद...
ताऊ तो ताऊ ही होता है चाहे वह दिल्ली का हो या हरियाणे का। ऐसी जिंदादिल कौम दूसरी नहीं देखी। वहाँ के पानी में यह कुव्वत है या मिट्टी की देन है?
ReplyDeleteहा-हा.. डा० साहब, आजकल के ताऊ लोग भी काफी एडवांस हो गए है, मगर पहले के ताऊ लोग वाकई बड़े भोले लोग थे, लठमार बोली में एकदम सपाट बोलने की खूबी थी उनमे !
ReplyDeleteKAUN BHOOLNA CHAHEGA KAMBAKHT..?
ReplyDelete............
ब्लॉ ग समीक्षा की 12वीं कड़ी।
अंधविश्वास के नाम पर महिलाओं का अपमान!
ha ha ha
ReplyDeletemazaa aa gaya......
blog jagat se hatne ke irade badle ki nahee DrTau....... ?
bhool kar bhee aisa anarth mat kariyega.......
Aabhar
badiya.....lekin aisa lagta ki is post ko punrprakashit kiya gayaa haii.....par mazaa utna hi aaya...
ReplyDeleteललित भाई , असली ताऊ तो आजकल दिखाई ही नहीं दे रहे । कुछ अता पता है आपके पास ॥
ReplyDeleteअजित जी , सही कहा ताऊ तो ताऊ ही होते हैं । ताऊ बिना जग सूना ।
@ अपनत्व
जी एक शे' र याद आ गया किसी और का --
शायद मुझे निकाल कर पछता रहे हो आप
महफ़िल में इस ख्याल से फिर आ गया हूँ ।
योगेन्द्र जी , लिखा तो पहली बार है , लेकिन हो सकता है कहीं सुना हो ।
मजेदार
ReplyDeleteराम राम डा. साब , जोरदार है
ReplyDeleteरोचक लेख...
ReplyDeleteहर घर में इस तरह के ताऊ-ताई होते हैं और
इसी तरह अपना अपनापन और हक जताते हैं.....
शुक्र है मेरा सामना नही पड़ा ताऊ जी से वरना मेरे तो हालत और खराब हो जाते..बहुत बढ़िया और मजेदार वाक़या हम तो ये सोच रहे है इतने से छुपा कर क्यों रक्खा था आपने इन क़िस्सों को..
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