बचपन गाँव में गुजरा . फिर शहर में रहने लगे तो छुटियाँ गाँव में ही बीतती . उन दिनों में भी गाँव में अपना फार्म हाउस था --जी हाँ दादाजी ने गाँव से बाहर दो बीघा खेत में मकान बनाया था . गाँव के पनघट में जब पानी सूख गया तो आधे गाँव द्वारा हमारे फार्म हाउस में लगे हैण्ड पम्प का पानी ही पीने के लिए प्रयोग किया जाने लगा .
आज उम्र भले ही पचपन की हो गई हो , लेकिन दिल में कहीं न कहीं एक बच्चा अभी भी जिन्दा है ।गर्मियों की छुट्टियों में पानी लेने आई रंग बिरंगी पोशाक धारण किये पनिहारियों को निहारना निर्मल आनंद की अनुभूति प्रदान करता था .
गाँव की औरतें वैसे जैसे भी रहें , लेकिन पानी भरने जाते समय अपनी सबसे बढ़िया ड्रेस पहन कर आती थी .नई नवेली दुल्हन के तो क्या कहने . घूंघट समेत वस्त्रों से भले ही सारा शरीर ढका हो , लेकिन सिर्फ हाथों को ही देखकर अंदाज़ा हो जाता था कि फलाने की बहु कितनी सुन्दर है .
अब यह हमारी मजबूरी थी कि हमारे घर में हमारे लिए तो बस चाचियाँ , ताइयां और दादियाँ ही थी --बहु कोई नहीं थी .होती भी कैसे --सारे भाई बहनों में सबसे बड़े , खानदान के सबसे बड़े चिराग हमी तो थे .
उसपर ऐसे शर्मीले कि हमारे शर्मीलेपन पर शर्म भी शर्मशार हो जाए .
फिर एक दिन अचानक बड़े हो गए . शहर में रहने लगे . गाँव पूर्ण रूप से छूट गया . शर्माना भी थोडा कम हुआ . जाने कैसे मंच से दोस्ती हो गई . डॉक्टर होने के साथ साथ कब लाफ्टर चैम्पियन , हास्य कवि , और मंच संचालक बन गए , पता ही नहीं चला ।
लेकिन आज भी जब कभी गाँव की किसी चाची या ताई से मुलाकात होती है और वो प्यार से सर पर हाथ रख कर पुचकारती है , तो उसी तरह शर्माकर बच्चा सा महसूस करता हूँ ।
शायद यही जिन्दादिली का अहसास कराता रहता है ।
फोटो में आप हो या आमिर खान?
ReplyDeleteएक अंग्रेजी में कहावत है, "बूढ़े होने की कला हमेशा बच्चे बने रहने में है"!
हा हा हा, दादी-ताईयां सिर पे हाथ फ़ेर के बाए-बुहाए बाल खराब कर देती हैं। इनके लिए छोरा गंजा ही ठीक है, फ़ेर चाहे कितना ही असीस दिए जाओ, लिए जाओ।:)
ReplyDeleteजनमदिन की घणी घणी बधाई।
राम राम
कुछ ही लोग हैं जो जिंदगी जीना जानते हैं, हमेशा जवान रहते हैं, मुझे लगता है आप उनमे से एक हैं। आजकल नेट में अधिक समय नहीं दे पा रहा हूँ। जाना कि आपका जन्म दिन है तो खुद को रोक नहीं सका।
ReplyDeleteजन्म दिन की ढेर सारी बधाई। बाबा विश्वनाथ आपको यूँ ही जीवन भर प्रसन्न रखें।
happy birthday sir , bahut hi umda post ... aapne to bachpan aur gaon ki yaad dila di
ReplyDeletehttp://eksacchai.blogspot.com/2011/08/blog-post.html
जन्मदिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ! खुदा से दुआ करता हूँ कि आप यूँ ही हमेशा जवान रहें!
ReplyDeleteजन्मदिन की बधाई !
ReplyDeleteसिर्फ हाथ देख कर सुन्दरता का पता लगाने वाली बात से पाकीजा का दृश्य याद आ गया |
क्या बात है लगता आप कि जवानी के दौर के हीरो विनोद खन्ना या अमिताभ थे.वैसे भी कितना भी शहर मैं रह लो गाँव के दिन भूलते नहीं.
ReplyDeleteडॉ.दराल आपको जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें.....!!
ReplyDeleteबहुत रोचक आलेख लिख कर याद किया बचपन ...!!
बचपना सलामत रखिये ...!!
दराल जी,
ReplyDeleteआरज़ू चाँद सी निखर जाए,
जिंदगी रौशनी से भर जाए,
बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की,
जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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ऑटिज्म और वातावरण!
ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
जन्मदिन मुबारक हो जी। आप अब पचपन के हुए। हम पिछले साल हो लिए थे।
ReplyDeleteइस फोटो में आप अपने ज़माने के मशहूर पॉप स्टार एल्विस प्रिसले की झलक दे रहे हैं...
ReplyDeleteगाँव की औरतें वैसे जैसे भी रहें, लेकिन पानी भरने जाते समय अपनी सबसे बढ़िया ड्रेस पहन कर आती थी...
अब शहर से इतना गबरू जवान आया हो तो बन-ठन के तो दिखाना ही पड़ेगा...
जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई...ड्यूटी न होती तो आफिसर्स क्लब में आकर ही जश्न मनाता...
जय हिंद...
खुश रहने के लिए पचपन की उम्र में बचपन बना रहना चाहिए साथ ही जन्मदिन पर बधाई और शुभकामनाएं..... बस सर अगले बरस मैं भी आपकी कतार में शामिल हो जाऊंगा...आभार
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत बहुत बधाई सर ।
ReplyDeleteसादर
मुबारक भाई जान ,होठों में छिपी स्मित ,नयन शर्मीले ,भाई जान हमारे बड़े रसीले ..बाल भाव चुकते ही आदमी की एजिंग शुरु हो जाती है .सभी उम्र दराज़ लोगों ने अपने वक्तव्यों में यही बतलाया है ,हम बच्चों के साथ बच्चा बनके नांच लेते हैं .
ReplyDeletehttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
Thursday, August 11, 2011
Music soothes anxiety, pain in cancer "पेशेंट्स "
जन्मदिन की बधाई। गाँव की गौरियों की याद आ रही है? वास्तव में शहर में ऐसा नजारा कहाँ।
ReplyDeleteलेकिन सिर्फ हाथों को ही देखकर अंदाज़ा हो जाता था कि फलाने की बहु कितनी सुन्दर है :)
ReplyDeleteइंटर में एक दोस्त की शादी हो गयी .... जब कुछ रिवाज चल रहे थे तो उसके पाँव देखने को मिल गए - मुझे भी और दोस्त को भी.....
हम लोग बाहर आये - और दोस्त बोला ..... भाई पैर देख तो लग रहा है तेरी भाभी घणी सुथरी से ..:)
कैसे दिन थे वो...:) जब शादी बिना देखे हो ज़ाती थी...
जन्मदिन की बहुत शुभकामनायें !
ReplyDeleteदराल साहब आपको जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें.....!!
ReplyDeleteगया वक्त कब वापस आता है सिर्फ़ यादें ही धरोहर बन जाती
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteगर्मियों की छुट्टियों में पानी लेने आई रंग बिरंगी पोशाक धारण किये पनिहारियों को निहारना निर्मल आनंद की अनुभूति प्रदान करता था .
ReplyDeleteइस निर्मल आनंद का एहसास शतक पूरा होने तक बनाये रखिये, इसमें ही बचपन जिंदा रहेगा, जन्मदिवस की घणी बधाई.
रामराम.
आपको जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeletejanm din ki dheron badhaaiyan.bahut manoranjak post hai.padhkar maja aa gaya.
ReplyDeleteभारत मां के पूत ! हे हरियाणे के लाल !
ReplyDeleteब्लॉगजगत में छा गए , कर’ नित नई धमाल !!
हंसा-हंसा’ जग में भरे रंग गुलाबी लाल !
आप आप हैं ! आप तो करते रहें कमाल !!
लाख दुआ तारीफ़ है , ताऊ बीर दराल !
बना रहे यह बचपना …अगले पचपन साल !!
हरी-भरी सिर पर फसल , चीकू-चीकू गाल !
घुटने भी ना जाम हों , रहे चमकती खाल ! !
नयनों में नित नूर हो , रहे दमकता भाल !
मन-मस्तिष्क में ताज़गी , बनी रहे हर हाल !!
ख़ुशियों से करते रहें जग को मालामाल !
स्वस्थ रहें ख़ुद भी , करें सबको धन्य-निहाल !!
कृपा करे नित आप पर ईश्वर दीनदयाल !
जन्मदिवस शुभकामना ! सदा रहें ख़ुशहाल !!
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाओं सहित
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत रोचक पोस्ट के लिए अलग से बधाई !
ReplyDeleteजन्म दिन की ढेर सारी बधाई!!
ReplyDeleteदिल में बसा बच्चा हमेशा बच्चा ही बना रहे...कभी बड़ा ना हो....
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें ! ये बच्चा खोना नही चाहिये ।
ReplyDeleteJanmdin ki dheron bdhaiyan,,,,
ReplyDeletejai hind jai bharatJanmdin ki dheron bdhaiyan,,,,
jai hind jai bharat
हा हा हा ! ललित जी यह तो सही कह रहे हैं । लेकिन गंजे सर पर तो ताई को भी हाथ फिराने में मज़ा नहीं आता होगा !
ReplyDeleteखुशदीप भाई तब तो हम बच्चे ही थे । सच्ची !
जी हाँ , अजित जी । गाँव में बहुएं हमेशा सुन्दर दिखती थी ।
हा हा हा ! दीपक जी , सचमुच ऐसा ही होता था ।
dral saheb bhut dino bad aapse mukhatib hun . kuchh vyasthta thi .
ReplyDeleteaap hmesha sbhi ke liye jindadili ke prernashrot rhe hai aage bhi apni isi jindadili se aap sbhi ko urjawan bnaye rkhrn isi shubhkamna ke sath janmdin ki hardik bdhai .
हरे, लाल, गुलाबी रंगों में , शब्दों का बुनकर जाल
ReplyDeleteअनुज ने स्नेहाशीष से , कर दिया मालामाल ।
राजेन्द्र भाई , आपने तो हमें बिल्कुल क्लीन बोल्ड कर दिया ।
आप सभी ब्लोगर मित्रों का दिल से आभार ।
जे सी जी , द्विवेदी जी , वीरुभाई , मिश्र जी , ताऊ रामपुरिया जी -- बेशक जब तक दिल में जिंदगी के प्रति जोश बना रहे , तब तक आदमी कभी बूढा हो ही नहीं सकता ।
ReplyDeleteजेमिनी हरियाणवी का एक जोक याद आ रहा है --बस में सफ़र करते हुए एक लड़की ने उन्हें ताऊ और बुड्ढा कह दिया । वे बोले --देखो रै लोगो , मन्ने बूढा बतावे सै । मैं तै इसकी जोट का सूं ।
पनिहारिनों के रोचक वृतांत से कहीं अधिक रोचक तो उन्हें निहारते हुए आपकी ग्रामीण संस्कृति से जुडी तस्वीर दिख रही है ।
ReplyDeleteजन्मदिन की अनेकों शुभकामनाएँ...
दिल तो बच्चा है जी....
ReplyDeleteजन्मदिन की ढेरों ढेर बधाई...
जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें। हम आपके उज्ज्वल ,मंगलमय एवं सदा स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।
ReplyDeleteजन्मदिन की बधाई। बचपन गांव में, जवानी शहर मे, पचपन दवाखाने में मरीज़ो की देखभाल में, अब तक छप्पन संचालन में....:)
ReplyDeleteगर्मियों की छुट्टियों में पानी लेने आई रंग बिरंगी पोशाक धारण किये पनिहारियों को निहारना निर्मल आनंद की अनुभूति प्रदान करता था .
ReplyDeleteओये होए ....
जन्मदिन पर जवानी के तोहफे ....
क्या बात है ये तस्वीर आप ही की है न .....???
चीकू-चीकू गाल !
:))
डॉ. टी.एस.दराल जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteउस बच्चे से मुझे भी मिलने का सौभाग्य मिला था दिल्ली में
ReplyDeleteबस गयीं हैं यादें दिल में जो गुजारी थी जो वह शाम दिल्ली में
आप तो तब भी गाँव के छैल छबीले नौजवान ही थे...
क्या हैंडसम होने और शर्मीला होने का साँचा एक ही है ?:)
चलो गाँव घूम आये।
ReplyDeleteजन्मदिन वही पर मनाया जाये।
दाराल साहब प्रथम तो जन्म दिन की बधाई , उम्र कितनी भी बढे एक बच्चा हमेशा रहता है सबके अन्दर जो गाहे बगाहे कुलांचे भरता है .. आज की आपकी कुलांचे अपने दिल में भी महसूसने लगा हूँ मैं .
ReplyDeleteडॉक्टर साहब आप तो बिल्कुल हीरो लग रहे हैं ! पुराने ज़माने के हीरो नवीन निश्चल और कुछ हद तक आमोल पालेकर जैसा लग रहे हैं! ज़बरदस्त फोटो! आपको जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें! उम्र चाहे कितना भी बढ़ जाए पर दिल से हमेशा बच्चे जैसा मासूम रहना चाहिए तभी जीने का मज़ा आता है! रोचक प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
b a d h a i y a n kubul ho bare bhai ke bare bhaiya.........
ReplyDeletepalnam.
हम to बचपन से ही नयी दिल्ली में रहे, किन्तु लगता है प्राचीन काल से ही - 'ब्रज की कृष्ण लीला' से प्रेरित हो - गावों में पनघट युवक-युवतियों के मिलने का स्थान रहा होगा...
ReplyDeleteकिसी युवक ने एक युवती से पनघट पर मिलने को कहा तो उसने कहा कि उसके बापू ने घर में ही हैण्ड पम्प लगवा दिया था :)
@किन दिल में कहीं न कहीं एक बच्चा अभी भी जिन्दा है,
ReplyDeleteउस बच्चे को जिन्दा रखिये सर जी.
(देर से) जन्मदिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
नैन कटोरे ,काजल गोरे ,मैं तो तन मन वार गया ,
ReplyDeleteओ !तेरे रूप का जादू गोरे बंजारिन नै मार गया ...
कृपया यहाँ भी आपकी मौजूदगी अपेक्षित है -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_9034.हटमल
Friday, August 12, 2011
रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११
Early morning smokers have higher cancer रिस्क.
जन्मदिन मुबारक हो दोस्त , आशीर्वाद तो बरसते ही रहेंगे आप पर !
ReplyDeleteयह बच्चा बचा रहे और कभी बड़ा न हो पाए तभी जीवन का आनंद है भाई जी !
शुभकामनायें आपको !
many many happy returns of the day......
ReplyDeletebachpan bana rahe......
Aaj hee aapko yaad kar rahee thee.....
blog padte padte Avinash Vachspati jee kee unkee aswasthta v treatment ko le post padne me aaee.....usee samay aapka dhyan aaya aap jaroor unkee post pade aur uchit salah de....
Aabhar
जन्म दिन की ढेर सारी बधाई...शुभकामनाएँ....बचपना बना रहे...लजाना शर्माना चलता रहना चाहिये. :)
ReplyDeleteसरिता जी , मैंने भी अविनाश जी की पोस्ट पढ़कर उनकी अस्वस्थता के बारे में जाना । उनसे बात भी हो गई है । यथासंभव उचित सलाह और सहायता भी जारी है ।
ReplyDeleteशुभकामनाओं के लिए आप सबका बहुत बहुत आभार ।
शुक्रिया संदीप भाई जन्म दिन तुम्हारा मिलेंगे लड्डू हमको और ....हम भी अग्र बच्चे होते ,नाम हमारा होता गब्लू बबलू ,खाने को मिलते लड्डू और दुनिया कहती हेपी बर्थ डे टू यू ....
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी आपकी मौजूदगी अपेक्षित है -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_9034.हटमल
Friday, August 12, 2011
रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
हमारे भीतर का बच्चा ही हमारे होने की वजह है।
ReplyDeleteजन्मदिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteजन्मदिन मुबारक हो , बच्चे जैसी सरलता और निश्छलता बनी रहे बरसों बरस तक ।
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई...
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढ़कर मशहूर फ़िल्म राइटर जनाब अख़तरूल ईमान साहब की नज़्म ‘एक लड़का‘ याद आ गई है। यह एक उर्दू नज़्म है और इसके लेखक ने चोपड़ा कैंप के लिए बहुत सी फ़िल्में लिखी हैं बल्कि आजीवन उनके लिए ही लिखी हैं।
वक्त , हमराज़ और विजय जैसी फ़िल्में उन्होंने ही लिखी हैं लेकिन फ़िल्म के लिए गाने कभी नहीं लिखे। पूछने पर वह कहते थे कि फ़िल्म के लिए गाना लिखने के नाम पर ‘चल चमेली बाग़ में मेवा खिलाऊंगा‘ ही सूझता है।
...और उनकी इस लाइन को मुखड़ा बनाकर किसी ने एक फ़िल्मी नग़मा लिख भी दिया है।
बहरहाल आप अपने अंदर एक बच्चा महसूस करते हैं और यह बच्चा हर इंसान के अंदर रहता है। इस बात को जनाब अख़तरूल ईमान साहब ने बहुत सलीक़े से कहा है।
कभी उनके इकलौते शागिर्द और ख़लीफ़ा जनाब अमानुल्लाह ‘ख़ालिद‘ साहब के पास बैठना नसीब हुआ तो वह नज़्म आपके लिए ज़रूर लिखूंगा।
अभी वो हमारे घर आए थे तो हमने ‘ख़ालिद‘ साहब की नज़्म ‘गर्दिश‘ तो उनके क़लम से तहरीर करवा ली है।
आपकी फ़रमाइश पर उसे भी मुशायरा ब्लॉग पर पेश किया जा सकता है।
हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा और राखी का मर्म
डॉ अनवर ज़माल जी , बच्चे निश्छलता का प्रतीक होते हैं . इसीलिए किसी भी देश , धर्म या क्षेत्र के हों , उनमे कोई फर्क नज़र नहीं आता .
ReplyDeleteयह तो बड़ा होकर ही इन्सान इतना समझदार हो जाता है की अपने स्वार्थ के वश होकर सभी बातों में भेद भाव करने लगता है .
यदि इसी स्वार्थ पर काबू पाया जा सके तो आज अन्ना हजारे की भी ज़रुरत क्यों हो .
ज़र्रानवाज़ी के लिए शक्रिया भाई जान .
Many happy returns of the day . Let the kid in you smile always.
ReplyDeleteनमस्ते भाईजान !नै पोस्ट का कब तक इंतज़ार करवाईयेगा .?.
ReplyDeletehttp://www.blogger.com/post-edit.g?blogID=232721397822804248&postID=५९१०७८२०२६८३८३४०६२१
HypnoBirthing: Relax while giving birth?
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
व्हाई स्मोकिंग इज स्पेशियली बेड इफ यु हेव डायबिटीज़ ?
रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .(कबीरा खडा बाज़ार में ...........)
Links to this post at Friday, August 12, 2011
आलेख "हिप्नोबर्थिंग "के सन्दर्भ में आपने महत्वपूर्ण जानकार दी -कोमा में प्रसव ,जच्चा और बच्चा सलामत .जा कू राखे साइयां ..../सम्मोहन -मार सके न कोय .आभार आपका .
ReplyDeletehttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
व्हाई स्मोकिंग इज स्पेशियली बेड इफ यु हेव डायबिटीज़ ?
http://veerubhai1947.blogspot.com/
HypnoBirthing: Relax while giving birth?
HypnoBirthing: Relax while giving birth?
जन्मदिवस की बहुत बधाईयाँ.
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की भी आपको बहुत बहुत शुभकामनायें.
डॉ.दराल आपको जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें.....!!
ReplyDeleteइतना रोचक आलेख लिख कर हमें भी अपना बचपन याद दिलाने के लिए धन्यवाद ...!!बचपन होता ही बहुत प्यारा होता है...
जन्दीन की बधाई ...
ReplyDeleteदेर से आना हुआ ...
दिल बच्चा ही रहना चाहिए
डाक्टर साहब ... जनम दिन मुबारक ... अपने अंदर के बच्चे को ऐसे ही जिलाए रखिये हमेशा हमेशा के लिए ... बहुत बहुत शुभकामनाएं ...
ReplyDeleteडॉ.दराल..आज के शुभ दिन जन्मदिन की बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ ..
ReplyDeleteस्वाधीनता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।
ReplyDeleteडॉ .दराल भाईसाहब ,यौमे आज़ादी मुबारक आप इसी तरह सांगीतिक रहेंजीवन की लय ताल बनाए रहें ,खिले खिले फूल से ,रहनुमाओं को कुछ होश आये ....
ReplyDeletehttp://veerubhai1947.blogspot.com/
रविवार, १४ अगस्त २०११
संविधान जिन्होनें पढ़ा है .....
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
Sunday, August 14, 2011
चिट्ठी आई है ! अन्ना जी की PM के नाम !
आपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteआप सब को भी स्वतंत्रता दिवस की बधाई और मंगल कामनाएं ।
ReplyDeletejan-din ki bahut2 badhai.
ReplyDeleteक्या बात है!! सतीश जी भी ऐसा ही कुछ महसूस कर रहे हैं :)
ReplyDeleteआज़ादी की सालगिरह मुबारक़ हो.
wah umar 55 ki, dil bachpan ka....handsome they yaa nahi yeh to aapki saheliyan hi batayengi..kyinoki hum to aapko bade bhai ki tahra dekhte hai .... islye aap jawan to hai hi hamare liye ....
ReplyDeleteदेर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ डॉ साहेब ..जन्मदिन ११ को हो या ३० को क्या फर्क पड़ता हैं ...मुबारकबाद तो कभी भी ली जा सकती हैं ....हाय जवानी ! फोटू बड़ा ही सुंदर हैं और उससे भी सुंदर आपका वर्णन ...:)
ReplyDeleteशुक्रिया दर्शी जी । हमने भी लगभग एक महीने बाद ही देखा ।
ReplyDeleteबचपन और ज़वानी की तो बात ही कुछ और होती है ।