इन्सान पर तरह तरह के प्रैशर होते हैं -- बचपन से लेकर बुढ़ापे तक . बचपन में पढाई का प्रैशर , ज़वानी में ज़वानी का , किसी को अत्यधिक काम का प्रैशर , किसी को काम न मिलने का। किसी को कमाई का प्रैशर , किसी को कमाई को छुपाने का , किसी को ब्लड प्रैशर , किसी को दिमागी प्रैशर।
लेकिन कुछ प्रैशर ऐसे भी ओते हैं जो आए तो मुसीबत ,न आए तो मुसीबत।
सुबह सुबह एक दिन जब अस्पताल पहुंचा तो देखा , कहीं से कराहने की आवाज़ आ रही थी। ध्यान से देखने पर पता चला -- एक वृद्ध गेट के सामने झाड़ियों में बैठा था और कराह रहा था। उसकी स्थिति और परिस्थिति देखकर हम समझ गए -- यह भी प्रैशर में है। लेकिन प्रैशर था कि कम ही नहीं हो रहा था। बेचारा दर्द के मारे कराह रहा था।
ज़रा सोचिये , आपको अचानक शौच या मूत्र आ जाए और आप कर ही न पायें। यूँ तो प्रकृति ने इन्हें थामे रखने के लिए उपयुक्त प्रबंध किये हैं लेकिन एक सीमा के बाद थामे रखना असंभव हो जाता है। लेकिन एक स्थिति ऐसी भी होती है जब आप करना तो चाहते हैं, उपयुक्त स्थान भी मिल जाता है , लेकिन फिर भी मूत्र वित्सर्जन नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति अक्सर पुरुषों के साथ आती है।
क्या कारण होते हैं इस स्थिति के ?
अक्सर मूत्र या मूत्र नली में संक्रमण से ऐसी स्थिति आती है जब जलन की वज़ह से मूत्र वित्सर्जन में दिक्कत आती है। लेकिन वृद्ध पुरुषों में एक विशेष स्थिति होती है जिसे हम कहते हैं --प्रोस्टेट एनलार्जमेंट। यानि प्रोस्टेट के बढ़ने से पेशाब में रुकावट पैदा होने लगती है जो अक्सर ५५-६० की उम्र से ऊपर के लोगों को होती है।
चित्र गूगल से साभार
प्रोस्टेट :
यह पुरुषों के शरीर में मूत्र नली के साथ एक ग्रंथि होती है जिससे एक विशेष श्राव निकलता है जिससे मूत्र मार्ग गीला रहता है। वीर्य का करीब २० % भाग प्रोस्टेट में बनता है। प्रोस्टेट वीर्य को स्टोर करके भी रखता है। लेकिन समय के साथ इसका साइज़ बढ़ता जाता है और एक समय ऐसा आता है जब यह पेशाब में रुकावट पैदा करने लगता है। इसे बी एच पी कहते हैं -- बिनाइन हाइपरप्लेजिया ऑफ़ प्रोस्टेट। यह बढती उम्र के साथ अवश्यम्भावी है। लगभग आधे मर्दों को ५० वर्ष की आयु तक पहुँचने पर यह समस्या आ सकती है। समय के साथ प्रोस्टेट का साइज़ बढ़ता जाता है। ७० -८० की उम्र तक इसमें कैंसर बनने की सम्भावना भी बढ़ जाती है। इसमें कैंसर बनने की सम्भावना उम्र के साथ बढती रहती है। ८० वर्ष की आयु के ८० % लोगों को प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है। हालाँकि यह बहुत धीरे धीरे होता है , इसलिए पता भी नहीं चलता। अक्सर यह पोस्ट मॉर्टम पर ही पता चलता है। लेकिन कभी कभी यह तेजी से भी बढ़ सकता है जो खतरनाक हो सकता है।
बी एच पी के लक्षण :
प्रोस्टेट बढ़ जाने से पेशाब करने में दिक्कत होने लगती है। जहाँ पहले आपको पेशाब करने में २-३ मिनट्स लगते थे , अब यह समय बढ़ने लगता है। पेशाब की धार भी पतली और एक से ज्यादा हो सकती है। लेकिन सबसे मुख्य लक्षण है -- पेशाब की शुरुआत होने में देरी -- यानि आप करना तो चाहते हैं लेकिन पेशाब हो ही नहीं रहा , जैसा इस वृद्ध के साथ हो रहा था। ऐसे में यदि प्रैशर ज्यादा हो या ब्लैडर फुल हो तो दर्द के मारे जान सी निकल जाती है।
फ़ुल ब्लैडर में रुकावट होने पर एक इमरजेंसी की स्थिति बन जाती है। ऐसे में अक्सर मरीज़ को अस्पताल आना पड़ता है।
अन्य लक्षण हैं -- पेशाब बार बार आना , अचानक प्रैशर बन जाना , रात में बार बार पेशाब के लिए उठना, जलन होना आदि।
यदि पेशाब रुक जाए तो क्या करें ?
यूरिनल में रिलैक्स होकर बैठने या खड़े होने की कोशिश करें। अक्सर बहते पानी की आवाज़ से मदद मिलती है। पेट के निचले हिस्से पर गर्म कपड़ा रखने से भी पेशाब आने में सहायता मिलती है।
इमरजेंसी होने पर तो अस्पताल जाना ही पड़ेगा।
अस्पताल में पहले कैथिटर डालकर पेशाब निकाला जाता है। लेकिन कभी कभी कैथिटर भी नहीं घुस पाता। ऐसे में सीधे ब्लैडर में सूई डालकर प्रैशर कम किया जाता है। लम्बे समय के लिए कैथिटर डालकर छोड़ दिया जाता है। बेशक रोगी के लिए अत्यंत कष्टदायक स्थिति होती है।
उपचार :
प्रोस्टेट का साइज़ पढने पर इसका ऑपरेशन आवश्यक हो जाता है। इसके लिए आजकल कई तकनीक हैं जिसमे चीर फाड़ नहीं करनी पड़ती। हालाँकि अत्यधिक बढ़ने पर ओपन ऑपरेशन ज़रूरी हो सकता है।
आजकल सबसे पहले दवाओं से उपचार करते हैं जिनके परिणाम काफी अच्छे हैं और सर्जरी को टाला जा सकता है।
बिना सर्जरी किये भी कई तकनीक हैं जिनसे प्रोस्टेट को जला दिया जाता है जिनमे प्रमुख हैं -- लेज़र , ऊष्मा या विकिरण द्वारा प्रोस्टेट का इलाज।
ट्रांस युरेथ्रल रिसेक्शन ऑफ़ प्रोस्टेट में पेशाब के रास्ते नली डालकर प्रोस्टेट को खुरच कर निकाल दिया जाता है।
लेकिन साइज़ ज्यादा बड़ा होने या कैंसर होने पर ओपन सर्जरी की ज़रुरत पड़ सकती है।
प्रोस्टेट कैंसर :
इसकी जाँच के लिए ५० से ऊपर के सभी पुरुषों को पी एस ऐ ( PSA ) की रक्त जाँच करानी चाहिए , विशेषकर यदि कोई लक्षण हों। बढ़ा हुआ पी एस ऐ कैंसर की सम्भावना को उजागर करता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
कैसे बचें :
प्रोस्टेट कैंसर अमेरिका और यूरोप में बहुतायत में पाया जाता है जहाँ यह दूसरे नंबर पर आता है , फेफड़ों के कैंसर के बाद। इसमें रैड मीट और अत्यधिक शराब के सेवन का रोल होता है , साथ ही जेनेटिक कारण भी होता है। शुक्र है , एसिया और हमारे देश में यह विरला ही होता है। इसका एक कारण शाकाहारी भोजन और सादा जीवन हो सकता है।
एक दिलचस्प पहलु :
ऐसा माना गया है , नियमित रूप से इजेकुलेशन करते रहने से प्रोस्टेट कैंसर होने की सम्भावना काफी कम हो जाती है। हालाँकि अनेक पार्टनर्स के साथ सम्भोग करने से सम्भावना बढती है। इसलिए एक विवाहित पुरुष के लिए ज़रूरी है , गीतानुसार ब्रह्मचर्य का पालन करना यानि संबंधों में नैतिक ईमानदारी बरतना।
यह अलग बात है , एक उम्र के बाद पति पत्नी में भी यौन सम्बन्ध धीरे धीरे कम हो जाते हैं। लेकिन यह तो आप पर ही निर्भर करता है , आप अपने आप को कितना ज़वान या बूढा समझते हैं !