शायद ऐसा इसलिए है , हमारे यहाँ कुछ वर्ष पहले तक कैमरा रखना एक लग्जरी होता था . कभी कोई फॉर्म भरते वक्त स्टूडियो में जाकर फोटो खिंचवाते थे , जहाँ खींचे गए फोटो में चेहरे भावहीन दिखाई देते थे . इसीलिए अक्सर लोगों को फोटो खिंचवाने का अनुभव बहुत कम ही होता था . यदि गौर से देखें तो , उस समय के क्रिकेटर्स भी अधिकतर शर्मीले ही नज़र आते थे . मोहम्मद अजहरुद्दीन जब तक क्रिकेट खेलते रहे , कैमरा कौन्सियस ही रहे . अब एम् पी बनकर थोडा सुधार हुआ है . हालाँकि , अब कुछ वर्षों से मोबाइल कैमरे आने से युवा पीढ़ी के लोग सहज रूप से फोटो खिंचवाते हैं , जबकि पुरानी पीढ़ी के लोग अभी भी कैमरे के सामने तनावग्रस्त हो जाते हैं .
जब हमने पहली बार फोटो खिंचवाया :
प्राथमिक शिक्षा गाँव से पूरी कर छठी कक्षा में जब दिल्ली शहर आया , तब कक्षा का सामूहिक फोटो खींचा जाना था . निश्चित दिन और समय पर समस्त कक्षा एक स्थान पर एकत्त्रित हो गई . सबको पंक्तियों में खड़ा कर दिया गया . फोटोग्राफर ने सबको साँस लेकर रोकने के लिए कहा जैसे एक्स रे खींचते समय कहा जाता है . वह हमारा प्रथम अवसर था फोटो खिंचवाने का . हमने एक लम्बा साँस लिया और रोक लिया . सावधान की मुद्रा में साँस रोक कर खड़े रहे . लेकिन फोटोग्राफर ने फोटो उतारने में देर लगा दी . इसलिए वह साँस बेकार गया . एक बार फिर यह प्रक्रिया दोहराई गई. इस बार ठान लिया था , साँस को टूटने नहीं देंगे . गाल फूलकर गुब्बारे की तरह हो गए , लेकिन हमने फूंक निकलने नहीं दी . लेकिन यह वार भी खाली गया . आखिर तीसरी बार सफलता मिली और हमें बताया गया , फोटो हो गया .
लेकिन अफ़सोस , वह फोटो आज तक नहीं मिला है .
जब हमने पहली बार फोटो खींचा :
हमारे हाथ कैमरा पहली बार तब आया जब हमारे ताऊ जी फ़ौज से रिटायर हुए और उन्हें एक आग्फा क्लिक थ्री कैमरा गिफ्ट में मिला . गर्मियों की छुट्टियों में किसी तरह एक फिल्म रोल का इंतज़ाम किया गया . खानदान के सारे भाई बहन नहा धोकर तैयार हो गए फोटो खिंचवाने के लिए . हम सबसे बड़े थे . इसलिए कैमरा हमारे ही हाथ में आया . कैमरे में रील डाली और हम तैयार हो गए फोटो उतारने के लिए . लेकिन यह क्या , फोटो खिंची ही नहीं . सोचा , शायद रील ठीक से फिट नहीं हुई . इसलिए दोबारा ठीक से डालने का विचार बनाया . विज्ञानं के छात्र होने के नाते यह जानते थे , रील को रौशनी में एक्सपोज नहीं करते . इसलिए घर की बैठक के सारे खिड़की दरवाजे बंद कर हमने बड़े ध्यान से कैमरा खोला , रील बाहर निकाली और फिर संभाल कर दोबारा डाल दी .
फिर शुरू हुआ , फोटो सेशन , हमारी जिंदगी की पहली फोटोग्राफी .
हिसाब लगाकर सबके फोटो खींचे गए . कैमरे से रील निकालकर रख दी गई . छुट्टियाँ ख़त्म होने पर जब शहर आए और रील को धुलवाया तो पाया , हम तो लुट चुके थे . फिल्म बिल्कुल साफ़ थी , एकदम स्पॉटलेस .
आज जब बच्चों को , युवाओं को डिजिटल कैमरे या मोबाईल कैमरे से फोटो खींचते देखता हूँ तो यही लगता है -- ज़माना कितना बदल गया है . हम अक्सर बच्चों को डांटते थे जब वो फोटो खींचने की जिद करते थे , यह कह कर -- एक फोटो खराब हो जाएगी . अब न फोटो ख़राब होती है , न रील पर खर्च करना पड़ता है . यहाँ तक की प्रिंट बनाने की भी ज़रुरत नहीं होती . पेन ड्राईव में डाला और लगा दिया कंप्यूटर या सीधे टी वी में . जिसे चाहा पोस्ट कर दिया ई मेल से , फेसबुक में या ब्लॉग पर .
लेकिन एक बात देख कर थोडा दुःख सा होता है -- बहुत कम लोग फोटो सही तरीके से खींचते हैं . यदि फोटो खींचते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो कैमरा कैसा भी हो , परिणाम बढ़िया ही आयेंगे .
कैसे खिंचवायें फोटो :
अच्छा फोटो खिंचवाने के लिए भी थोड़ा अभ्यास की ज़रुरत है . पहली बात -- कैमरे को देखकर अनदेखा कर देना चाहिए . यदि आपकी आँखें झपक जाती हों तो आप कैमरे की तरफ देखिये ही नहीं . चेहरे पर मुस्कान बनाये रखने की आदत डालिए . यह आदत आपके दैनिक जीवन में भी बहुत काम आएगी . सावधान की मुद्रा में मत खड़े होइए . ज़रा सोचिये , जब स्कूल में पी टी करते समय कभी सही से सावधान मुद्रा में खड़े नहीं हुए तो अब क्यों . यदि आपको मुस्कान बिखेरने में शर्म आती हो या कंजूसी महसूस होती हो तो फोटो खींचने से पहले एक बार-- चीज़-- बोलिए -- आपके चेहरे पर फोटो में स्वत : मुस्कान आ जाएगी . पोश्चर भी रिलेक्स्ड होना चाहिए . हाव भाव जितने स्वाभाविक होंगे , फोटो उतनी ही अच्छी आएगी .
बाकि तो फोटो खींचने वाले पर भी निर्भर करता है -- वह आपको हीरो बना देता है यां विलेन .
नोट : यदि यह लेख पढ़कर आपके आत्म विश्वास में वृद्धि हुई हो तो अगला लेख पढना मत भूलियेगा .
अगली पोस्ट में -- कैसे बने अच्छे फोटोग्राफर, इसी पर विचार करेंगे .
एक खूब महसूसे मगर अनछुए विषय पर एक अच्छी श्रृंखला की शुरुआत एक चतुर चितेरे की कीबोर्ड से !
ReplyDeleteहमने क्लिक थर्ड से शुरू किया था यह सफ़र ---
अरविन्द जी , चतुर का अर्थ शायद चालाक होता है . और चितेरे का पता नहीं . :)
Deleteहर बात सच्ची...और पते की.....
ReplyDeleteअपन को शुरू से फोटो खिचवाने का शौक था.....सो सीख गए कि कैसे फोटो अच्छी आये....
मगर अब जब फोटो अच्छी आती है तो सब कहते हैं...
यार तेरी फोटो तो हमेशा अच्छी आती है????? (याने सिर्फ फोटो अच्छी...)
:-(
सादर
अनु
अनु जी , हमने भी आपकी फोटो ही देखी है जो बहुत मनभावन मुस्कान के साथ बहुत सुन्दर लगती है .:)
Deleteचलो हम तो बिना सीखे ही अच्छी फोटो खिंचवा लेते हैं अब और भी अच्छी हो जायेगी!
ReplyDeleteमैंने भी अपने परिवार की कुछ फोटो, साठ के दशक में शायद, क्लिक थ्री कैमरे से ही खींची थी...
ReplyDeleteएक सज्जन की फोटो हमेशा खराब आती थी तो उसकी पत्नी ने पूछा कि क्या वो चीज़ नहीं कहते थे?
उन्होंने उत्तर दिया कि क्या चीज़ कहना होता है? वो तो हमेशा माउस कहते थे!!!
जैसे हैं वैसी ही तो आएगी फोटो .... इस लेख से शायद कुछ सीख कर अच्छी फोटो खिंचवा सकें :)
ReplyDeleteसंगीता जी , फोटोग्राफर के साथ ताल मेल ज़रूरी है . :)
Deleteबढ़िया पोस्ट। इससे कुछ सीखने को मिलेगा।
ReplyDeleteआप सही कह रहे हैं, बचपन में हमें भी फोटो खिचवाना नहीं आता था। बड़ा गन्दा सा मुँह बन जाता था लेकिन अब तो परफेक्ट हो गए हैं। शकल कैसी भी हो, लेकिन फोटो अच्छी आ ही जाती है।
ReplyDeleteबहुत सही समय पर आपकी यह सलाह आई है.अभी जल्द ही एक कैमरा मैं भी लाया हूँ,आपकी सलाह से फोटो खींचने और खिंचवाने में मदद मिलेगी .अगली मुलाक़ात में यह कैमरा भी आपको दिखाऊंगा !
ReplyDeleteस्वागत है . फिर तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर बन ही गए समझो !
Deleteबहुत सी बातें सिखा दीं आप ने।
ReplyDeleteआपकी यह पोस्ट तो बहुत ही यूनिक रही... मैं सही बताऊँ... तो मुझे फोटो खिंचवाने का बहुत शौक़ है.. लेकिन मैं बहुत ज़्यादा फोटो कॉन्शियस हूँ.. और इसी चक्कर में मेरी फोटो ख़राब आ जाती है.. आजकल मैंने फोटो खिंचवाना बंद किया हुआ है.. क्यूंकि मेरा वेट बहुत बढ़ गया है.. इसीलिए मैंने घर से निकलना भी कम कर दिया है.... और मेरी फोटो जब तक के अच्छी नहीं आती ,.... या मैं अच्छा नहीं लगता तब तक के फोटो नहीं खिंचवाता.. अभी आजकल टूर बहुत हो रहा है तो खाने पर कंट्रोल नहीं है.. इसीलिए फोटो खिंचवाना बंद है.. वैसे एक्सरसाइज़ तो बाहर भी करता हूँ.. लेकिन उससे कोई फायदा नहीं होता... अभी एक हफ्ता चारों टाइम सिर्फ चिकन ... और कोक पर ही गुज़ारा किया है.. एक बार में पूरा खड़ा मुर्गा रोस्ट करके खा जाता था.. होटल वाले भी सोचते कि अजीब राक्षस आ गया है.. लेकिन मैंने फोटो नहीं खिंचवाई.. क्यूंकि वेट मेरा आठ किलो बढ़ गया.. है.. अब वापस आ गया हूँ तो कम कर रहा हूँ.. अब जम कर फोटो खिंचवाऊंगा..
ReplyDeleteआपको बताऊँ जब मैं स्कूल में था तो सबसे दबंग किस्म का था.. क्यूंकि मैं एक साथ दो चार लड़कों को पीट देता था.. और टीचर्स से डरता नहीं था.. तो अपना दबदबा कायम था.... हमारे स्कूल में साल के अंत में जब ग्रुप फोटो सेशन होता था.. तो मैं फोटोग्राफर को बोलता था कि अगर मेरी फोटो अच्छी नहीं आई तो एक भी फोटो बिकने नहीं दूंगा.. और जब भी कोई बच्चा खराब फोटो खरीदता था तो उसे बहुत मारता था.. और मुझसे सबलोग डरते भी बहुत थे.. फोटोग्राफर यह बात जानता था.. . तो वो पहले निगेटिव से एक फोटो मुझे दिखाता था फ़िर बाक़ी प्रिंट बनवाता था.. मैं जब पास करता था तभी उसके सारे फोटो स्कूल में बिकते थे.. आज कई सालों बाद भी (साल नहीं बताऊंगा नहीं तो मेरी सही उम्र का अंदाज़ा लग जायेगा) यह दबदबा कायम है..
फोटो से मेरा पुराना नाता है.. मुझे खींचने का उतना शौक़ नहीं है जितना खिंचवाने का.. अब तो डिजिकैम हैं तो जब तक के अच्छी नहीं आती.. तब तक के खींचते ही रहते हैं.. आजकल तो वेट पुट ऑन की वजह से फोटो खिंचवाना बंद है.. इसीलिए घर से बंद कार में निकलता हूँ.. ताकि जब तक के वेट कम ना हो जाये कोई आस-पास का मुझे देख ना पायें....
वैसे आपके फोटो खीचने की टेक्नीक की मैं हमेशा तारीफ़ करता हूँ.... और आपसे टेक्निक पूछता भी रहता हूँ.. और बाक़ी जानकारी तो आपकी पोस्ट्स से मिल जाएगी.. बाक़ी पोस्ट बहुत अच्छी रही.. अब आगे का इंतज़ार है..
महफूज़ भाई , यदि वेट बढ़ गया है तो घर से बाहर ज्यादा निकलना चाहिए . निष्क्रियता से तो और बढ़ जायेगा . फोटो आपके जितने अच्छे आते हैं, इससे ज्यादा अच्छे आयेंगे तो तहलका मच जायेगा . :)
Deleteएक पाठ तो सीख गए कि खुश रहो, हँसते रहो, मुस्कान चेहरे से फैलाते रहो और आप बन जायेंगे बढ़िया फोटोग्राफी सबजेक्ट. अगले पाठ का इन्तेज़ार करते हैं और मुस्कराते रहने की कोशिश करते हैं तब तक.
ReplyDeleteरचना जी , इतना सीख कर तो एक बढ़िया इन्सान भी बन जायेंगे . :)
Deleteचीज का अनुप्रयोग वाकई कमाल का लगा .बधिया लेख. आप की पोस्टों की एक खासियत होती है कि कभी बोर नहीं करती . हमेषा आप कुछ नया सब्जेक्ट लाते है , धन्यवाद
ReplyDeleteचलिए इसी बहाने फोटो खीचना और खिचवाना सिखा दिया,,,,आभार
ReplyDeleteRECENT POST...: दोहे,,,,
बहुत से मुस्खे बता दिये आपने अच्छी फोटो खिचवाने के ... और खींचने के भी ...
ReplyDeleteमज़ा आ गया इस पोस्ट पे ...
हम सहज ही रहने की कोशिश करते हैं..
ReplyDeleteरविवारीय महाबुलेटिन में 101 पोस्ट लिंक्स को सहेज़ कर यात्रा पर निकल चुकी है , एक ये पोस्ट आपकी भी है , मकसद सिर्फ़ इतना है कि पाठकों तक आपकी पोस्टों का सूत्र पहुंचाया जाए ,आप देख सकते हैं कि हमारा प्रयास कैसा रहा , और हां अन्य मित्रों की पोस्टों का लिंक्स भी प्रतीक्षा में है आपकी , टिप्पणी को क्लिक करके आप बुलेटिन पर पहुंच सकते हैं । शुक्रिया और शुभकामनाएं
ReplyDeleteफोटो खिंचवाने का अच्छा ज्ञान मिला। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद ।
ReplyDeleteतभी मैं कहूं कि मेरे फोटो अच्छे क्यों नहीं आते !
ReplyDeleteकिसने कहा , अली सा !
Deleteफ़ोटोग्राफ़ी एक कला है। इसे ढंग से सीखा जाए तो पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है।
ReplyDeleteरोजमर्रा का काम चलाने के लिए तो थोडा सा ज्ञान ही काफी है .
Deleteअब ज़रूर ख्याल रहेगा.... :)
ReplyDeleteहाय हाय फ़्लैश चमकते ही आंखें बंद होना तो अपनी भी कमज़ोरी है सर । अब आगे से ध्यान रखेंगे इस बात का जरूर । मुझे तो अगली कडी की प्रतीक्षा है
ReplyDeleteबड़ी प्यारी श्रंखला शुरू कि है आपने ...
ReplyDeleteबधाई और आभार !
बहुत ही बढ़िया और अलग पोस्ट है ये ... आपने सही कहा, फोटो खिंचवाते समय रिलाक्स रहना चाहिए ...
ReplyDeleteमेरा पहला कैमरा प्रिमिअर कंपनी का था .... दूसरा याशिका ... तीसरा ओलिम्पस .... और अब चौथे Canon का है .... आजकल फोटोग्राफी का जूनून सवार है ... खूब फोटोग्राफी कर रहा हूँ ... फेसबुक पर भी डाल रहा हूँ ... और फ्लिकर पर भी ... नीचे दोनों का लिंक दे रहा हूँ ... समय मिले तो ज़रूर देखिएगा ...
https://www.facebook.com/pages/Ignited-Images/280782798605232
http://www.flickr.com/photos/indraneel1973/
वाह भट्टाचार्जी ! आनंद आ गया आपके फोटोग्राफ्स देख कर . क्लोजप्स बहुत बढ़िया हैं और प्रकृति की तस्वीरें अत्यंत सुनदर . बिल्कुल प्रोफेशनल . कृपया ब्लॉग पर भी डालियेगा .
Deleteहम तो अक्सर मोबाइल से खींचते हैं या फिर छोटे से सोनी डिजिटल कैमरे से .
aabhar...bariya bataya.....mai v photo khichbane me sahaj nahi rahta
ReplyDeleteफोटोग्राफी का शौक तो मुझे भी है ......इस लिय ये पाठ सीखने के लिए
ReplyDeleteअच्छा रहा और आगे की पोस्ट का इंतज़ार भी रहेगा ...जिन्दगी में हरदम
नया सीखने को मिलता है !
आभार!
सही कहा अशोक जी . सीखने की कोई उम्र नहीं होती . हम भी अभी सीख ही रहे हैं .
Deleteसही कहा है आपने, फ़ोटो खिंचवाना भी एक कला है. इस बीच, समय वास्तव में ही इतना बदल गया है कि 'कोडक' को दिवालिया होने की घोषणा करनी पड़ी
ReplyDeletehttp://www.telegraph.co.uk/finance/newsbysector/industry/9024382/Kodak-files-for-Chapter-11-bankruptcy-protection.html
डिजिटल फोटोग्राफी ने सबकी दुकाने बंद करा दी .
Deleteसचमुच फोटो खीचना और खिचवाना दोनों ही एक कला है . किन्तु कुछ चहरे फोटोजेनिक होते हैं .
ReplyDeleteसभी एंगल से खुबसूरत नज़र आते हैं .
दुरुस्त फोटो से झलकता है आदमी का आत्म विश्वास .निश्चिंतता .
ReplyDeleteJCJuly 10, 2012 7:21 AM
ReplyDeleteडॉक्टर साहिब, कैमरा और बाहरी सुन्दरता पर ज्ञान वर्धन के लिए धन्यवाद!
थोड़ी सी गहराई में जा देखें तो वीनस (शुक्र ग्रह) को वर्तमान में (बाहरी) सुन्दरता की देवी माना जाता है...
और सभी जानते हैं कि आँखें तो प्रकृति में व्याप्त सुन्दरता को आदि काल से देखती आ रहीं हैं!
किन्तु पशु जगत में शीर्ष पर प्रतीत होते मानव के दिल में ही (जैसा वर्तमान में इतिहासकारों के माध्यम से पता चलता है) बाहरी सुन्दरता को कैद करने हेतु बाहरी टूल अर्थात कैमरें का निर्माण हाल ही में किया गया है... जो पिन होल से आरभ कर, कुछ सदियों के दौरान उत्पत्ति करता चला आ रहा है और साधारण चित्र ही नहीं अपितु चल-चित्र के क्षेत्र में भी तीव्र गति से प्रगति पर है...
और, ऐसे भी संकेत मिलते हैं कि वे भारतीय प्राचीन सिद्ध पुरुष ही थे जिन्होंने नित्य प्रति बदलती प्रकृति को गौण मान भीतरी सुन्दरता को प्राथमिकता दे "सत्यम शिवम सुन्दरम" कह अधिक जोर दिया और 'तीसरी आँख' को सुप्त अवस्था में मानव ही नहीं अपितु 'निम्न श्रेणी' के पशु के भीतर भी पाया जिस के माध्यम से वे स्वप्न देखते आते हैं... ...
जिसके भीतर अभिनय-कला जिस मात्रा में होती है,वह उतना ही अच्छा फोटो खिंचवा सकता है। एक अभिनेता पचासों तरीके से कुर्सी पर बैठता है और हर तरीक़ा एक नया स्टाइल होता है।
ReplyDeleteआम आदमी अपने शरीर के प्रति कॉन्शस होता ही नहीं है। इसलिए,जब फोटो खिंचवाने का मौक़ा आता है,तो वह देखता है कि दूसरे का पॉश्चर कैसा है! रही बात हंसने की,तो वह फोटो खींचने की संभावना मात्र से शुरू कर देना चाहिए क्योंकि कई फोटोग्राफर तो "रेडी" बोलते ही नहीं!
JCJuly 10, 2012 12:55 PM
ReplyDeleteपरमहंस योगानंद द्वारा लिखी पुस्तक (Autobiography of a Yogi) में एक सन्दर्भ आता है जिसमें एक चेले ने अपने प्रिय गुरु की तस्वीर लेनी चाही क्यूंकि उन की कोई फोटो कहीं भी उपलब्ध नहीं थी... गुरु ने उस की प्रार्थना स्वीकार कर ली और वो प्रसन्न हो कुर्सी बगीचे में लगा उनकी तस्वीर खींचा...
किन्तु धुलाई करने पर केवल कुर्सी और फूल ही दिखे!!! यह सोच की रील ख़राब होगी उसने फिर नयी रील लगा खींची, किन्तु नतीज़ा वो ही निकला!!!...
तब वो गुरु से पूछा कि उस का रहस्य क्या था???
गुरु ने कहा कि वो अपने गुरु अर्थात उसकी आत्मा की तस्वीर खींचना चाहता था, जिसके लिए उन्होंने उसे दो मौके दे दिए थे!!! किन्तु, चेले का उदास चेहरा देख उन्होंने कहा कि वो उनके शरीर की तस्वीर चाहता था, गुरु की नहीं!!!
तीसरी बार चेला सफल हुवा उनके शरीर कि तस्वीर खींचने में, जो उस पुस्तक में भी प्रकाशित थी...
दिलचस्प प्रसंग.
Deleteकुछ लोगो की तस्वीरें देखकर उन्हें टोकने का मन करता है , आपने सही मार्गदर्शन किया !
ReplyDeleteपूरी रील खाली/ख़राब हो जाने का दंश हम भी कई बार भोग चुके , बहुत महँगी पड़ती थी फोटोग्राफी ...शुक्र है अब डीजी कैम है !
फोटोग्राफर ने सबको साँस लेकर रोकने के लिए कहा जैसे एक्स रे खींचते समय कहा जाता है . वह हमारा प्रथम अवसर था फोटो खिंचवाने का . हमने एक लम्बा साँस लिया और रोक लिया . सावधान की मुद्रा में साँस रोक कर खड़े रहे . हा हा ...मज़ेदार संस्मरण वैसे आपने जो नेक सलाह दी है वो ही सच है एक अच्छे फोटो के परिणाम का वैसे फोटो खींचना और खिचवाना वाकई दोनों ही एक महत्वपूर्ण बातें है कई बार फोटोग्राफी न आते हुए भी लोग बहुत अच्छे फोटो खींच लिया करते है और मेरे परिवार में शायद मैं उसे ही श्रेणी में आती हूँ ऐसा लोग कहते हैं :-)
ReplyDeleteशुक्रिया पल्लवी जी , संस्मरण पढने के लिए . अच्छा फोटो खींचने के लिए बस दिल से खींचना चाहिए .
Deleteबेहतरीन टिप्स दे दिए आपने इतिहास बता दिया फटोग्रेफ़ी में आए द्रुत बदलावों का .
ReplyDeleteऔर हम इस कला के कलाकार!! :) हाहा!!
ReplyDeleteकहते हैं...पोज़ देने के बदले अनजाने में खींची गयी फोटो ही ज्यादा अच्छी आती है...
ReplyDelete@ फोटो खिंचवाना भी एक कला है
ReplyDeleteआपकी तसवीरें देख हम तो पहले ही समझ गए थे कि ये कला हमें नहीं आती ....:))
@ गाल फूलकर गुब्बारे की तरह हो गए
हा...हा...हा....तब से अब तक फूले हुए हैं ....:))
@ यदि आपकी आँखें झपक जाती हों तो आप कैमरे की तरफ देखिये ही नहीं
लागतa है आपने मेरी तसवीरें देख ये पोस्ट लिखी है ....:))
निचे का सालसा नृत्य और आपकी मुस्कराहट भी देखे जा रही हूँ ......:))
ReplyDeleteजी , पोस्ट लिखने का विचार काफी देर से था . लेकिन इसे पढ़कर आप मुस्कराना शुरू कर दें तो पोस्ट सफल रहेगी . :)
Deleteजल्दी ही आपको अपनी आवाज़ भी सुनायेंगे .
एक कहावत है, "मियां जी रोते क्यूँ हो???", और उत्तर, "शकल ही ऐसी है!!!"...
ReplyDeleteहा हा हा !
Deletesir,ye post padkar khub hansi aayee dil ki sahi baat karate-2 new tip de diye aapaka aabhaar
ReplyDeleteअच्छा बुरा तो राम ही जाने,
ReplyDeleteपर हर फोटो अपनी कहानी बयाँ कर देता है.
फोटोग्राफी की एक डाक्टरी अंदाज में प्रस्तुति अच्छी लगी.
उपयोगी जानकरी के लिए आभार,डॉ.साहिब.