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Thursday, July 19, 2012

चलो किसी रोते हुए को हंसाया जाए ---


यह पोस्ट कल प्रकाशित होनी थी . लेकिन अकस्मात काका -- राजेश खन्ना की मृत्यु का दुखद समाचार पढ़कर , उनके सम्मान में इसे स्थगित कर दिया था .

इस रविवार से हास्य का हमारा पसंदीदा कार्यक्रम आरंभ हुआ .हालाँकि इसे घर में बस हम ही देखते हैं . लेकिनपहले दिन मिमिकरी आर्टिस्ट ही नज़र आए. हालाँकि कल प्रसारित एपिसोड में हमारे ही एक युवा कवि मित्र दिल्ली के चिराग जैन ने हमारी ही स्टाइल में जोक्स सुनाकर खूब दिल बहलाया .

हास्य कवि वो कवि होते हैं जो पूर्ण रूप से न तो कविता करते हैं , न हास्य कलाकारों जैसी ड्रामेबाजी . बल्कि हास्य और कविता की मिली जुली प्रस्तुति करते हैं . अब पहले जैसे हास्य कवि तो नहीं रहे जैसे काका हाथरसी , हुल्लड़ मुरादाबादी , शैल चतुर्वेदी और ॐ प्रकाश आदित्य जी , जो महज़ अपनी हास्य कविताओं से खूब हंसाते थे , गुदगुदाते थे. आजकल के हास्य कवि चुटकलेबाज़ी का सहारा लेकर पहले हंसाते हैं , फिर कविता सुनाते हैं . उस पर कोई हँसे तो हंस ले वर्ना चुटकलों ने अपना काम तो कर ही दिया था .

वैसे कविता द्वारा हँसाना बड़ा मुश्किल और गंभीर काम है .

पिछली पोस्ट में आपने दूसरे कवियों की रचनाओं पर आधारित हास्य का मज़ा लिया . अब लीजिये , स्वरचित रचनाओं का आनंद . टिप्पणियों में कई मित्रों की शंका का समाधान करते हुए इतना बता देते हैं -- हमारे छात्र हमें बहुत पसंद करते हैं क्योंकि उनका इस तरह का मनोरंजन सिर्फ हम ही करते हैं . यहाँ यह भी जान लीजिये -- इस मामले में हम काका हाथरसी के अनुयायी हैं .

एक कविता जो होली पर लिखी थी , आप पढ़ भी चुके होंगे . लेकिन अब हमारी आवाज़ में :




और अंत में -- पब्लिक डिमांड पर दोबारा एंट्री हुई -- एक और कविता के साथ -- नव वर्ष की शुभकामनायें .



क्योंकि हम प्रोफेशनल कवि नहीं हैं , इसलिए मंच पर आने का अवसर तो कम ही मिलता है . लेकिन जब भी मिलता है , कोशिश यही रहती है -- लोगों को हंसाया जाए . क्योंकि हमारा मानना है -- जो लोग हँसते हैं , वे अपना तनाव हटाते हैं, और जो लोग हंसाते हैं वे दूसरों के तनाव भगाते हैं .


आओ आज इक काम किया जाए
चलो किसी रोते हुए को हंसाया जाए !


59 comments:

  1. सर हमने टिप्पणी की और आपने पोस्ट ही एडिट कर दी.....
    चलिए दोबारा कहते हैं....

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  2. बहुत बढ़िया...
    आपकी फेन फोलोइंग देख ईर्ष्या न हो जाए लोगों को...
    इतनी दाद और तालियाँ आम तौर पर कवियों को कहाँ नसीब होती हैं..
    बहुत खूब...
    सादर
    अनु

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    1. अनु जी , दोबारा पोस्ट करने में दिक्कत हो रही थी . इसलिए कांट छांट कर लगाई है .
      फैन फोलोइंग -- कहीं आजकल कवि भी तो मैच फिक्सिंग नहीं कर लेते ! :)

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    2. इलज़ाम तो लगें है आप पर भी.......
      :-)
      वैसे ये सब निशानी है फेमस होने की.

      सादर

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  3. दफ्तर के कम्प्यूटर की सेटिंग एनआईसी वालों ने ऐसी कर रखी है कि वीडियो लिंक खोलने पर लिखा आता हैः
    juniper web filtering has blocked this site. इसी कारण पिछली पोस्ट भी नहीं देख पाया। घर पर ही देखना होगा।

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    1. कुमार राधारमण जी आपने भी खूब हंसाया, धन्यवाद :)

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    2. राधारमण जी , हमने ब्लॉगर्स को हंसाने के लिए यह पोस्ट डाली है . दफ्तर वालों के लिए नहीं . घर पर ही सुनियेगा . :)

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  4. हा-हा-हा ..... वो तो खैर मनाइए आप कि पढोसी भी टुन्न था होली पर वरना तो 2G , 3G वालों को तो जमानत भी मिल गई, इस 5G घोटाले में तो आपको जमानत भी नहीं मिलती ! :)

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    1. गोदियाल जी , राधारमण जी को मना करते करते आपने खुद दफ्तर में सुन ली . :)
      किसी को सुनाया तो नहीं !

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    2. डा० साहब, मैंने , मेरे बॉस ने उसकी सेकेट्री ने और सेकेट्री की एक सहेली ने सूना, शायद मेरे बगल वाले केबिन वाले ने भी सुन लिया हो, बाकी मेरा यकीन मानिए मैंने किसी को नहीं सुनाया ! :)

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    3. सब मुफ्त में सुन लिए ! यानि आगे से ऐसी पोस्ट दिन में लगानी ही नहीं चाहिए . :)

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  5. आप तो डॉ साहब २-२ पुण्य कमा रहे हैं.एक डाक्टरी से सेवा करते हैं दूसरा लोगों को हंसा कर तनाव कम करते हैं.
    वाकई किसी को हंसाने से बढ़कर और कोई मुश्किल और अच्छा काम नहीं.

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  6. हँसने वाले हैं भले, उनकी हंसी अमूल ।
    टेंसन फ्री रहते सदा, खिलता जीवन फूल ।

    खिलता जीवन फूल, डाक्टर साहब कहते ।
    रविकर भला उसूल, लतीफे कहते रहते ।

    ऐसे सज्जन वृन्द, अन्य को रहें हंसाते ।
    हल्का रख माहौल, टेंसन सदा भगाते ।।

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    1. जीवन के व्यापार में , हँसना गए हैं भूल
      नाप तौल को छोड़ के , फेंक हंसीं के फूल !

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  7. वाह ... जबरदस्‍त प्रस्‍तुति ... आभार

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  8. घर से मस्जिद है बहुत दूर ,चलो यूं कर लें,

    किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए ,

    ब्लॉग पे दराल साहब के जाया जाए .
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    जिसने लास वेगास नहीं देखा
    जिसने लास वेगास नहीं देखा


    रविकर फैजाबादी
    नंगों के इस शहर में, नंगों का क्या काम ।

    बहु-रुपिया पॉकेट धरो, तभी जमेगी शाम ।

    तभी जमेगी शाम, जमी बहुरुपिया लाबी ।

    है शबाब निर्बंध, कबाबी विकट शराबी ।

    मन्त्र भूल निष्काम, काम-मय जग यह सारा ।
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

    चल रविकर उड़ चलें, घूम न मारामारा ।।

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  9. आप जैसे जिंदादिल डॉ से यही उम्मीद की जा सकती है ,सार्थक काम, बहुत मुश्किल है काम रोते हुए को हँसाना

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  10. अच्छी राह है ...आपकी साथ चला चल .....!

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  11. अनोखे कवि-सम्मलेन में आपको बढ़िया प्लेटफोर्म मिल गया.जब श्रोताओं की इतनी दाद मिले तो कौन न बहक जाए :-)

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    1. यहाँ बहका कौन है ? :)

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    2. ...कोने में खड़े कुछ लोग जिन्हें हम देख नहीं पा रहे हैं !

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  12. JCJuly 19, 2012 6:50 PM
    बहुत बढ़िया!
    आम तौर पर हर व्यक्ति की एक पहचान बन जाती है... जैसे कुछ ऐसे होते हैं जो मिलने पर कोई रोना ले बैठते हैं और कुछ जिनसे मिलते ही चेहरे पर मुस्कान आजाती है क्यूंकि वो कोई न कोई जोक सुनाने के लिए आतुर रहते हैं...
    ऐसे ही हमारे एक नौजवान रिश्तेदार मुंबई में है जो मुलाक़ात होते ही कोई नया जोक सुना देते है!

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    1. बिलकुल सही कहा जे सी जी . हमारे एक मित्र हमारे पास हंसने के लिए ही आते थे . खुद तो हमेशा उदास , चिंता में लीनं रहते थे लेकिन हम से मिलकर ठहाके लगाते थे .

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  13. प्रस्तुति का लाज़वाब अंदाज। पहले में भरपूर हास्य दूसरे में तीखा व्यंग्य ..वाह!

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  14. मैंने देखा था पोस्ट लगते ही उतर गयी थी -मगर रुदन हास्य जीवन के दो अनिवार्य रंग हैं -कहीं सनीत की सांगत है तो कहीं शमशान की धू धू करती चिता ..यही जीवन है ...हास्य कवि का काम सचमुच बड़ा मुश्किल है ....आप अपने प्रवाह में हंसी बिखेर देते हैं ...हाँ आपके छात्र आम मेडिकल छात्रों की तरह ही ज्यादा लाउड और हुल्लड़बाज लगते हैं ........

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    1. अरविन्द जी , शायद इस उम्र में सभी छात्र ऐसे ही होते हैं .

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  15. जीवन के दो रंग मिले, एक गया तो दूजा आता..

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  16. आनंद आ गया भाई जी ..
    आप तो कमाल के पंहुचे हुए संत ( बाबा जी ) हैं !
    शुभकामनायें !

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  17. हँसते रहो, हँसाते रहो ,ये भी कला है,
    टेन्सन फ्री रहो,दूसरों का होता भला है,,,,,

    बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
    RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....

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  18. ऐसे जिंदादिल डॉक्टर की ही जरूरत है समाज को..आधी बीमारी बिन दवाइयों के ही भाग जाए.

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  19. सही कहा है आपने कि हॅंसने हॅंसाने से बड़ा कुछ नहीं हो सकता

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  20. बहुत खूब !!

    रोते हुऎ को हसाना
    चुना है काम आपने
    गजब किया है
    हसने वाला कोई हो
    ऎसा हमें तो
    बहुत कम मिला है
    कुछ हंस रहे थे
    हम ने पूछा
    क्या चुटकुला सुना है
    बोले मुस्कुरा के
    जी नहीं हमको
    हंसाने वाला मिला है !!

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    1. हंसती है दुनिया , हंसाने वाला चाहिए
      मिलती हैं राहें , दिखाने वाला चाहिए ! :)

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  21. बड़ी रोचक कवितागीरी है। मजेदार! हंसाने वाला पवित्रात्मा होता है।

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  22. हमें तो लगता है कि हमारे पंजाबी भाई भी गज़ब इंसान होते हैं, एक आप हैं जो रोते हुओं को हंसाते रहते हैं और दूसरे सरदार मनमोहन सिंह जी है जो हंसते हुओं को रुलाने से कम पे राजी ही नहीं होते ! मतलब ये कि उन्हें, लोगों की खुशियां बर्दाश्त ही नहीं होतीं :)

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    1. अली सा , किसने कहा हम पंजाबी हैं ?
      या फिर आप भी मानते हैं सब उत्तर भारतीय पंजाबी ! :)

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    2. JCJuly 20, 2012 8:39 PM
      अली जी, मानव समाज तो किसी भी विषय पर तीन मुख्य भाग में बंट जाता है... इनमें दो विपरीत गुटों में एक कहा जा सकता है जो रोते हुवे को हंसाने का प्रयास करते हैं (डॉक्टर दराल जैसे, लाफ्टर चैलेन्ज वाले), और दूसरे जिन्हें किसी को हँसते देख बुरा लगता है, और वो उनको रुलाने के तरीके ढूंढते रहते हैं (जैसा वर्तमान में अर्थशास्त्री, मनमोहन हों या मोंटेक, आम आदमी को रुलाने के उपाय ढूँढने में व्यस्त दिखाई पड़ते हैं)...
      शायद बुद्ध भगवान् समान कहना सही होगा कि रुलाने वाले से हंसाने वाला बड़ा होता है!

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    3. दराल साहब,
      आप बंगालियों को देखें जो लखनऊ के कुर्ते को पंजाबी कहते हैं :) बस इसी तर्ज पर सारे उत्तर भारतीय पंजाबी :)


      जेसी जी,
      यही तो ! कहां अपने दराल साहब :) और कहां वे लोग :(

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    4. This comment has been removed by the author.

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    5. JCJuly 21, 2012 11:17 AM
      उत्तर भारत में दक्षिण भारती 'मद्रासी' कहलाता है! और असमियों के लिए सभी व्यापार से जुड़े 'बिहारी' कहलाते हैं!
      पंजाबी में कहें तो, "डॉक्टर दराल दा जवाब नहीं"...:)

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  23. आनंद ही आनंद
    हा हा हा:-)

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  24. वाकई...किसी को हँसाना बहुत ही मुश्किल काम है, जो दिखता बहुत आसान है मगर वास्तव में होता बहुत मुश्किल है। वो भी एक डॉ के लिए :)तो निश्चित ही बहुत मुश्किल होता होगा। मगर आपको तो इसमें भी महारत हंसिल है। :-)

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  25. बहुत मज़ेदार !लेकिन फिर क्या हुआ ?

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    1. फिर क्या हुआ ?
      जी यह तो हमने अगले साल बताने का वादा किया है .

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  26. वा...वा...वह....डॉ साहब आज सुनी आपकी आवाज़ .....कौन कहता है आप प्रोफेशनल कवि नहीं हैं...? आप तो बिलकुल प्रोफेशनल कवियों की तरह बोल रहे हैं ....पिछली बार सुन नहीं पाई थी सिर्फ कमेन्ट देख अंदाज़ा लगाया था .....
    पर आप में गज़ब का हुनर है ...यूँ मंचों पे इतने लोगों को हँसाना आसान नहीं ....
    बहुत बहुत बधाई आपको ....!!

    हाँ काका मेरे पसंदीदा कलाकार थे उनका जाना दुखद रहा ....!!

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  27. यूँ तो किसी को हँसाना ही मुश्किल कार्य है , कविताई में तो और भी मुश्किल !
    रश्मि ने सह कहा ऐसे खुशमिजाज डॉक्टर मरीजों की दवाईयों का खर्च आधा कर दें !

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    1. वाणी जी , हमारा तो इलाज़ भी मुफ्त है .

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  28. द्रुत टिपण्णी के लिए आपका शुक्रिया .

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  29. पोस्ट पढकर आनंद ही आनंद बर रहा है, बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  30. आओ आज इक काम किया जाए
    चलो किसी रोते हुए को हंसाया जाए!

    बहुत सुंदर. अब आपने एक नया अध्याय शुरू कर दिया है पढ़ने के वजाय सुनने का जो ज्यादा आसान है. बधाई और शुक्रिया लोगों को हसाने के लिये.

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    1. जी , कोशिश करते रहेंगे सुनाने की .

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