यह पोस्ट कल प्रकाशित होनी थी . लेकिन अकस्मात काका -- राजेश खन्ना की मृत्यु का दुखद समाचार पढ़कर , उनके सम्मान में इसे स्थगित कर दिया था .
हास्य कवि वो कवि होते हैं जो पूर्ण रूप से न तो कविता करते हैं , न हास्य कलाकारों जैसी ड्रामेबाजी . बल्कि हास्य और कविता की मिली जुली प्रस्तुति करते हैं . अब पहले जैसे हास्य कवि तो नहीं रहे जैसे काका हाथरसी , हुल्लड़ मुरादाबादी , शैल चतुर्वेदी और ॐ प्रकाश आदित्य जी , जो महज़ अपनी हास्य कविताओं से खूब हंसाते थे , गुदगुदाते थे. आजकल के हास्य कवि चुटकलेबाज़ी का सहारा लेकर पहले हंसाते हैं , फिर कविता सुनाते हैं . उस पर कोई हँसे तो हंस ले वर्ना चुटकलों ने अपना काम तो कर ही दिया था .
वैसे कविता द्वारा हँसाना बड़ा मुश्किल और गंभीर काम है .
पिछली पोस्ट में आपने दूसरे कवियों की रचनाओं पर आधारित हास्य का मज़ा लिया . अब लीजिये , स्वरचित रचनाओं का आनंद . टिप्पणियों में कई मित्रों की शंका का समाधान करते हुए इतना बता देते हैं -- हमारे छात्र हमें बहुत पसंद करते हैं क्योंकि उनका इस तरह का मनोरंजन सिर्फ हम ही करते हैं . यहाँ यह भी जान लीजिये -- इस मामले में हम काका हाथरसी के अनुयायी हैं .
एक कविता जो होली पर लिखी थी , आप पढ़ भी चुके होंगे . लेकिन अब हमारी आवाज़ में :
और अंत में -- पब्लिक डिमांड पर दोबारा एंट्री हुई -- एक और कविता के साथ -- नव वर्ष की शुभकामनायें .
क्योंकि हम प्रोफेशनल कवि नहीं हैं , इसलिए मंच पर आने का अवसर तो कम ही मिलता है . लेकिन जब भी मिलता है , कोशिश यही रहती है -- लोगों को हंसाया जाए . क्योंकि हमारा मानना है -- जो लोग हँसते हैं , वे अपना तनाव हटाते हैं, और जो लोग हंसाते हैं वे दूसरों के तनाव भगाते हैं .
आओ आज इक काम किया जाए
चलो किसी रोते हुए को हंसाया जाए !
सर हमने टिप्पणी की और आपने पोस्ट ही एडिट कर दी.....
ReplyDeleteचलिए दोबारा कहते हैं....
बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteआपकी फेन फोलोइंग देख ईर्ष्या न हो जाए लोगों को...
इतनी दाद और तालियाँ आम तौर पर कवियों को कहाँ नसीब होती हैं..
बहुत खूब...
सादर
अनु
अनु जी , दोबारा पोस्ट करने में दिक्कत हो रही थी . इसलिए कांट छांट कर लगाई है .
Deleteफैन फोलोइंग -- कहीं आजकल कवि भी तो मैच फिक्सिंग नहीं कर लेते ! :)
इलज़ाम तो लगें है आप पर भी.......
Delete:-)
वैसे ये सब निशानी है फेमस होने की.
सादर
दफ्तर के कम्प्यूटर की सेटिंग एनआईसी वालों ने ऐसी कर रखी है कि वीडियो लिंक खोलने पर लिखा आता हैः
ReplyDeletejuniper web filtering has blocked this site. इसी कारण पिछली पोस्ट भी नहीं देख पाया। घर पर ही देखना होगा।
कुमार राधारमण जी आपने भी खूब हंसाया, धन्यवाद :)
Deleteराधारमण जी , हमने ब्लॉगर्स को हंसाने के लिए यह पोस्ट डाली है . दफ्तर वालों के लिए नहीं . घर पर ही सुनियेगा . :)
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ReplyDeleteहा-हा-हा ..... वो तो खैर मनाइए आप कि पढोसी भी टुन्न था होली पर वरना तो 2G , 3G वालों को तो जमानत भी मिल गई, इस 5G घोटाले में तो आपको जमानत भी नहीं मिलती ! :)
ReplyDeleteगोदियाल जी , राधारमण जी को मना करते करते आपने खुद दफ्तर में सुन ली . :)
Deleteकिसी को सुनाया तो नहीं !
डा० साहब, मैंने , मेरे बॉस ने उसकी सेकेट्री ने और सेकेट्री की एक सहेली ने सूना, शायद मेरे बगल वाले केबिन वाले ने भी सुन लिया हो, बाकी मेरा यकीन मानिए मैंने किसी को नहीं सुनाया ! :)
Deleteसब मुफ्त में सुन लिए ! यानि आगे से ऐसी पोस्ट दिन में लगानी ही नहीं चाहिए . :)
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ReplyDeleteबहुत बढ़िया जनाब।
ReplyDeleteआप तो डॉ साहब २-२ पुण्य कमा रहे हैं.एक डाक्टरी से सेवा करते हैं दूसरा लोगों को हंसा कर तनाव कम करते हैं.
ReplyDeleteवाकई किसी को हंसाने से बढ़कर और कोई मुश्किल और अच्छा काम नहीं.
जी शुक्रिया .
Deleteहँसने वाले हैं भले, उनकी हंसी अमूल ।
ReplyDeleteटेंसन फ्री रहते सदा, खिलता जीवन फूल ।
खिलता जीवन फूल, डाक्टर साहब कहते ।
रविकर भला उसूल, लतीफे कहते रहते ।
ऐसे सज्जन वृन्द, अन्य को रहें हंसाते ।
हल्का रख माहौल, टेंसन सदा भगाते ।।
बहुत खूब .
Deleteजीवन के व्यापार में , हँसना गए हैं भूल
Deleteनाप तौल को छोड़ के , फेंक हंसीं के फूल !
वाह ... जबरदस्त प्रस्तुति ... आभार
ReplyDeleteघर से मस्जिद है बहुत दूर ,चलो यूं कर लें,
ReplyDeleteकिसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए ,
ब्लॉग पे दराल साहब के जाया जाए .
कृपया यहाँ भी पधारें -
जिसने लास वेगास नहीं देखा
जिसने लास वेगास नहीं देखा
रविकर फैजाबादी
नंगों के इस शहर में, नंगों का क्या काम ।
बहु-रुपिया पॉकेट धरो, तभी जमेगी शाम ।
तभी जमेगी शाम, जमी बहुरुपिया लाबी ।
है शबाब निर्बंध, कबाबी विकट शराबी ।
मन्त्र भूल निष्काम, काम-मय जग यह सारा ।
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
चल रविकर उड़ चलें, घूम न मारामारा ।।
आप जैसे जिंदादिल डॉ से यही उम्मीद की जा सकती है ,सार्थक काम, बहुत मुश्किल है काम रोते हुए को हँसाना
ReplyDeleteअच्छी राह है ...आपकी साथ चला चल .....!
ReplyDeleteअनोखे कवि-सम्मलेन में आपको बढ़िया प्लेटफोर्म मिल गया.जब श्रोताओं की इतनी दाद मिले तो कौन न बहक जाए :-)
ReplyDeleteयहाँ बहका कौन है ? :)
Delete...कोने में खड़े कुछ लोग जिन्हें हम देख नहीं पा रहे हैं !
DeleteJCJuly 19, 2012 6:50 PM
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
आम तौर पर हर व्यक्ति की एक पहचान बन जाती है... जैसे कुछ ऐसे होते हैं जो मिलने पर कोई रोना ले बैठते हैं और कुछ जिनसे मिलते ही चेहरे पर मुस्कान आजाती है क्यूंकि वो कोई न कोई जोक सुनाने के लिए आतुर रहते हैं...
ऐसे ही हमारे एक नौजवान रिश्तेदार मुंबई में है जो मुलाक़ात होते ही कोई नया जोक सुना देते है!
बिलकुल सही कहा जे सी जी . हमारे एक मित्र हमारे पास हंसने के लिए ही आते थे . खुद तो हमेशा उदास , चिंता में लीनं रहते थे लेकिन हम से मिलकर ठहाके लगाते थे .
Deleteप्रस्तुति का लाज़वाब अंदाज। पहले में भरपूर हास्य दूसरे में तीखा व्यंग्य ..वाह!
ReplyDeleteमैंने देखा था पोस्ट लगते ही उतर गयी थी -मगर रुदन हास्य जीवन के दो अनिवार्य रंग हैं -कहीं सनीत की सांगत है तो कहीं शमशान की धू धू करती चिता ..यही जीवन है ...हास्य कवि का काम सचमुच बड़ा मुश्किल है ....आप अपने प्रवाह में हंसी बिखेर देते हैं ...हाँ आपके छात्र आम मेडिकल छात्रों की तरह ही ज्यादा लाउड और हुल्लड़बाज लगते हैं ........
ReplyDeleteअरविन्द जी , शायद इस उम्र में सभी छात्र ऐसे ही होते हैं .
Deleteजीवन के दो रंग मिले, एक गया तो दूजा आता..
ReplyDeleteआनंद आ गया भाई जी ..
ReplyDeleteआप तो कमाल के पंहुचे हुए संत ( बाबा जी ) हैं !
शुभकामनायें !
हँसते रहो, हँसाते रहो ,ये भी कला है,
ReplyDeleteटेन्सन फ्री रहो,दूसरों का होता भला है,,,,,
बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
ऐसे जिंदादिल डॉक्टर की ही जरूरत है समाज को..आधी बीमारी बिन दवाइयों के ही भाग जाए.
ReplyDeleteसही कहा है आपने कि हॅंसने हॅंसाने से बड़ा कुछ नहीं हो सकता
ReplyDeleteबहुत खूब !!
ReplyDeleteरोते हुऎ को हसाना
चुना है काम आपने
गजब किया है
हसने वाला कोई हो
ऎसा हमें तो
बहुत कम मिला है
कुछ हंस रहे थे
हम ने पूछा
क्या चुटकुला सुना है
बोले मुस्कुरा के
जी नहीं हमको
हंसाने वाला मिला है !!
हंसती है दुनिया , हंसाने वाला चाहिए
Deleteमिलती हैं राहें , दिखाने वाला चाहिए ! :)
बड़ी रोचक कवितागीरी है। मजेदार! हंसाने वाला पवित्रात्मा होता है।
ReplyDelete..और हँसनेवाला ??
Deleteआनंद आ गया
ReplyDeleteहमें तो लगता है कि हमारे पंजाबी भाई भी गज़ब इंसान होते हैं, एक आप हैं जो रोते हुओं को हंसाते रहते हैं और दूसरे सरदार मनमोहन सिंह जी है जो हंसते हुओं को रुलाने से कम पे राजी ही नहीं होते ! मतलब ये कि उन्हें, लोगों की खुशियां बर्दाश्त ही नहीं होतीं :)
ReplyDeleteअली सा , किसने कहा हम पंजाबी हैं ?
Deleteया फिर आप भी मानते हैं सब उत्तर भारतीय पंजाबी ! :)
JCJuly 20, 2012 8:39 PM
Deleteअली जी, मानव समाज तो किसी भी विषय पर तीन मुख्य भाग में बंट जाता है... इनमें दो विपरीत गुटों में एक कहा जा सकता है जो रोते हुवे को हंसाने का प्रयास करते हैं (डॉक्टर दराल जैसे, लाफ्टर चैलेन्ज वाले), और दूसरे जिन्हें किसी को हँसते देख बुरा लगता है, और वो उनको रुलाने के तरीके ढूंढते रहते हैं (जैसा वर्तमान में अर्थशास्त्री, मनमोहन हों या मोंटेक, आम आदमी को रुलाने के उपाय ढूँढने में व्यस्त दिखाई पड़ते हैं)...
शायद बुद्ध भगवान् समान कहना सही होगा कि रुलाने वाले से हंसाने वाला बड़ा होता है!
दराल साहब,
Deleteआप बंगालियों को देखें जो लखनऊ के कुर्ते को पंजाबी कहते हैं :) बस इसी तर्ज पर सारे उत्तर भारतीय पंजाबी :)
जेसी जी,
यही तो ! कहां अपने दराल साहब :) और कहां वे लोग :(
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DeleteJCJuly 21, 2012 11:17 AM
Deleteउत्तर भारत में दक्षिण भारती 'मद्रासी' कहलाता है! और असमियों के लिए सभी व्यापार से जुड़े 'बिहारी' कहलाते हैं!
पंजाबी में कहें तो, "डॉक्टर दराल दा जवाब नहीं"...:)
आनंद ही आनंद
ReplyDeleteहा हा हा:-)
वाकई...किसी को हँसाना बहुत ही मुश्किल काम है, जो दिखता बहुत आसान है मगर वास्तव में होता बहुत मुश्किल है। वो भी एक डॉ के लिए :)तो निश्चित ही बहुत मुश्किल होता होगा। मगर आपको तो इसमें भी महारत हंसिल है। :-)
ReplyDeleteबहुत मज़ेदार !लेकिन फिर क्या हुआ ?
ReplyDeleteफिर क्या हुआ ?
Deleteजी यह तो हमने अगले साल बताने का वादा किया है .
वा...वा...वह....डॉ साहब आज सुनी आपकी आवाज़ .....कौन कहता है आप प्रोफेशनल कवि नहीं हैं...? आप तो बिलकुल प्रोफेशनल कवियों की तरह बोल रहे हैं ....पिछली बार सुन नहीं पाई थी सिर्फ कमेन्ट देख अंदाज़ा लगाया था .....
ReplyDeleteपर आप में गज़ब का हुनर है ...यूँ मंचों पे इतने लोगों को हँसाना आसान नहीं ....
बहुत बहुत बधाई आपको ....!!
हाँ काका मेरे पसंदीदा कलाकार थे उनका जाना दुखद रहा ....!!
ओह ! तो यह बात थी ! :)
Deleteयूँ तो किसी को हँसाना ही मुश्किल कार्य है , कविताई में तो और भी मुश्किल !
ReplyDeleteरश्मि ने सह कहा ऐसे खुशमिजाज डॉक्टर मरीजों की दवाईयों का खर्च आधा कर दें !
वाणी जी , हमारा तो इलाज़ भी मुफ्त है .
Deleteद्रुत टिपण्णी के लिए आपका शुक्रिया .
ReplyDeleteपोस्ट पढकर आनंद ही आनंद बर रहा है, बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
आओ आज इक काम किया जाए
ReplyDeleteचलो किसी रोते हुए को हंसाया जाए!
बहुत सुंदर. अब आपने एक नया अध्याय शुरू कर दिया है पढ़ने के वजाय सुनने का जो ज्यादा आसान है. बधाई और शुक्रिया लोगों को हसाने के लिये.
जी , कोशिश करते रहेंगे सुनाने की .
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