इन्सान यदि काम ही काम करता रहे तो जीवन नीरस होने लगता है .यह बात डॉक्टर्स पर भी लागु होती है . इसीलिए अस्पताल के साथ जुड़े मेडिकल कॉलेज में हर वर्ष मार्च के महीने में एक फेस्टिवल मनाया जाता है . ३-४ दिन तक चलने वाले इस कल्चरल फेस्टिवल के अंतिम दिन एक विशेष कार्यक्रम रखा जाता है --टीचर्स कार्निवल . इस रंगारंग कार्यक्रम में कॉलेज और अस्पताल के शिक्षक और वरिष्ठ डॉक्टर्स मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं और दर्शक / श्रोता होते हैं छात्र . यह अपने आप में एक अद्भुत और निराला अनुभव होता है .
हम भी इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं . पहले बैठकर संगीत , नृत्य और नाटकों का मज़ा लेते हैं . यहाँ -- एम् एस और प्रिंसिपल के साथ .
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हॉल छात्रों और स्टाफ से खचाखच भरा होता है .
कार्यक्रम की शुरुआत में एक सुन्दर नवयौवना का मनमोहक नृत्य देखकर सब आत्म विभोर हो गए .
इन युवा डॉक्टर्स ने सुन्दर सालसा कर समां बांध दिया .
रेजिडेंट डॉक्टर्स द्वारा सामूहिक नृत्य .
बारी तो हमारी भी आई , हास्य कविता सुनाने की . यह गंभीर मुद्रा इस बात की सूचक है की हास्य उत्पन्न करना एक बेहद गंभीर मामला है . साथ ही , यह तूफ़ान आने से पहले की शांति दर्शा रही है .
अब हमने क्या सुनाया --यह तो राज़ ही रह जायेगा क्योंकि अभी तक मूवी क्लिप्स नहीं बन पाए हैं .
वाह .... रंगमंच का अपना ही आनंद है .... क्या सुनाया ? कविता पोस्ट कर दीजिये ... मूवी क्लिप्स बाद में देख लेंगे :):)
ReplyDeleteसंगीता जी , देखिये सब आप के साथ हमारे पीछे पड़ गए हैं . अज़ी क्लिप तो तब देखेंगे जब बन कर आएगी . पढने में वो बात कहाँ जो सुनने में आती है . :)
Deleteकोई बात नहीं जी, हम क्लिप्स का इन्तेज़ार करेंगे.
ReplyDeleteरंगारंग कार्यकर्म.
वाह डॉक्टर्स की ज़िंददिली देख कर आनंद आ गया ....!!अब आपकी कविता का इंतेज़ार करते हैं ...!!
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट!
ReplyDeleteशेअर करने के लिए आभार!
जिन्दगी वाकई में जिन्दादिली का ही नाम है!
समां बाँध दिया आपने तो. संगीता जी की बात मानिये, कविता पोस्ट कर दीजिए जब तक मूवी क्लिप्स आते हैं.
ReplyDeleteशिखा जी , हमारी कवितायेँ तो आप सब पढ़ चुकी हैं . बात तो स्टेज परफोर्मेंस की है . वैसे बच्चों को हँसाना बड़ा आसान होता है . :)
Deleteबढ़िया!
ReplyDeleteवाह सुन्दर चित्रमयी प्रस्तुति…………कविता तो लगा ही देते क्लिप्स हम बाद मे देख लेते।
ReplyDeleteFantastic, Dr. saab !
ReplyDelete@@ मूवी क्लिप्स नहीं बन पाए हैं .
ReplyDeleteकोई नहीं इन्तजार ही सही .....! बन जायेंगे तो बता दीजियेगा ...!
ठीक है , अभी नृत्य तस्वीरों का आनंद तो लीजिये भाई जी . :)
Deleteअद्भुत नजारा होगा. आपके कैमरे ने हमें दिखा दिया.
ReplyDeleteकविता तो पढ़वाना बनता ही है जो आपने पढ़ा
नाच गाने की झलकियाँ तो दिखा दी. अब तो कविता सुनानी बाकी रही.
ReplyDeleteकिसने कहा कि डॉक्टर सदा ही गम्भीर होते हैं, आज तो सबको मस्ती में देख ही लिया..
ReplyDeleteवाह यह भी खूब रही ... पर आपने क्या सुनाया यह भी जल्द बताइएगा !
ReplyDeleteआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है क्रोध की ऊर्जा का रूपांतरण - ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
डॉक्टर हमेशा गंभीर नहीं रहते , बल्कि वे तो अपनी सहज बातों से और व्यवहार से मरीज का आधा कष्ट वैसे ही काम कर देते हैं. आपके चित्रों ने मन मोह लिया है. वैसे साल के कुछ दिन ऐसे ही गुजार लेने से बैटरी चार्ज हो जाती है.
ReplyDeleteजी सही कहा . all work and no play , makes jack a dull boy .
Deleteप्रोग्राम जोरदार रहा ...
ReplyDeleteक्लिप का इंतज़ार रहेगा !
सभी संगीता आंटी की बात से सहमत है आप कविता पोस्ट कर ही दीजिये माना की सुनने का मज़ा पढ़ने मेन कम आयेगा मगर वो कहते है आ something इस better then nothing :)इसलिए पोस्ट कर ही दीजिये।
ReplyDeleteमैं सोच रहा हूँ कि मार्च के फैस्टिवल की याद अब जाकर सावन में क्यूँ आई?
ReplyDeleteकुछ भी हो मुझे इससे क्या! जब दिखी तभी मजा लेते हैं
आपने जीवंत देखा हम तश्वीरों में झांकते हैं
आपको डाक्टर कम कवि ही जानते हैं
अपनी बिरादरी का मानते हैं
आपने बताया वरना हम क्या जान पाते कि डाक्टर्स
क्या खूब मजा लेते हैं!:)
डॉक्टरों की आनन्दी वृत्ति देख कर बहुत अच्छा लगा .मरीज़ों के साथ रह कर मन कैसा हो जाता होगा उसके उपचार का काम इन्हीं के द्वारा.अब आपकी कविता का इन्तज़ार है!
ReplyDelete----सभी डाक्टर्स आनंदी प्रवृत्ति के एवं बहु-विधायी प्रकृति व बहुमुखी प्रतिभा के होते हैं....
ReplyDelete----मरीजों के साथ रह कर मन खराब कभी नहीं होता ..अपितु अपने कर्तव्य बोध से प्रसन्न ही होता है.....यह है ही जिंदादिली का प्रोफेशन ...
सही कहा डॉ गुप्ता .
Deleteयह पोस्ट डॉक्टर्स के इसी रूप को दर्शाती है .
भई डॉक्टर्स भी इंसान होते हैं. इनकी सर्विस का कोई समय नही. आधी रात को इमरजेंसी सर्विस भी देनी पडती है. आश्चर्य होता है कई बार क्या गहरी नींद में होने पर या फिल्म देखते समय उठाने पर इन्हें गुस्सा या झुंझलाहट नही होती? ऐसे सांस्क्रतिक कार्यक्रम एक ताजगी से भर देते हैं.प्रतिभाएं भी निखर के आती हैं. मेरी एक डॉक्टर दोस्त बहुत प्यारा गाती हैं.पिक्निक्स की बहुत शौक़ीन.ये सब ताजगी देते हैं जरूरी है. फोटोज अच्छे लगे. आपकी कविता सुनना चाहेंगे जी बिलकुल :)
ReplyDeleteजी ज़रूर . जल्दी ही लोड करता हूँ .
Deleteपता चला है आपकी तबियत ठीक नहीं . बस जल्दी से ठीक हो जाइये .
डॉक्टर्स की ज़िन्दगी भी बहुत तनाव-भरी होती है.ऐसे में इस तरह के कार्यक्रम दिल में नया जोश भर देते हैं.शुक्र है कि नई पीढ़ी इसमें रूचि रख रही है.
ReplyDelete...आपकी उपस्थिति ऐसे कार्यक्रम में अनिवार्य है !
जब सब इतना कह रहे है तो कविता पोस्ट कर ही दीजिये...रंगारंग कार्यकर्म रहा
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खूब मौज हो रही है।
सावधान सावधान सावधान सावधान रहिए
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ सावधान: एक खतरनाक सफ़र♥
♥ शुभकामनाएं ♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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डॉक्टर्स की ज़िंददिली देख कर आनंद आ गया.
ReplyDeleteइतना भी कम मजेदार नहीं.
ReplyDelete:)
Deleteहम तो पहले से ही मान बैठे हैं -सालसा एक नृत्य भी है मैंने तो एक खाद्य पदार्थ ही जाना था
ReplyDeleteसचित्र रंगारंग कार्यक्रम का मजा हमने भी ले लिया सच में डाक्टर्स पेशे में भी कमाल करते हैं और सांस्कृतिक कार्य्रक्रम में भी धमाल करते हैं बहुत अच्छा लगा देख कर आपकी कविता की क्लिपिंग का इन्तजार रहेगा
ReplyDeleteजी सही कहा . डॉक्टर्स की टेलेंट सब जगह काम आती है . हम तो लड़कियों के डांस देखकर हैरान थे .
DeleteCharcha -Manch par ki tippani
ReplyDeleteजीवन में कितना सुने, देखें दर्द अथाह |
इक डाक्टर की सदा ही, बड़ी कठिन है राह |
बड़ी कठिन है राह, मर्ज से रहते लड़ते |
दवा मरीज की दाह, ताप में समय रगड़ते |
हक है मित्र दराल, लूटिये हंसी ख़ुशी दिल |
करूँ थैंक्स टू आल, बढ़े न ज्यादा यह बिल ||
जी शुक्रिया .हमारे साथ हँसते रहिये , बिल कभी दिल नहीं तोड़ेगा . :)
Deleteवाह रविकर जी,तुस्सी कमाल कित्ता !
Deleteबढिया कार्यक्रम है।
ReplyDeleteबड़ी सुन्दर तस्वीरें हैं..रंगारंग कार्यक्रम की
ReplyDeleteaise prograame kayi dinon tak dil-o-dimag ko fresh air dete rahte hain. aise programmes aap jaise field wale logon ke liye bahut anivaary hain.
ReplyDeletepadh kar hi aanand aaya....agar vahan hote to kitna maja aata soch kar hi khush ho rahe hain.
वाह ये मस्ती देखकर याद आ रहा है कि जाने कितने दिन हो गए जब इस तरह की मस्ती की हो...क्या करें लोगो की व्यवस्ता औऱ दूसरों शहरों में दोस्तों का पलायन कर जाना इस तरह की मस्ती हल्ले की काफी याद दिलाता है....जबरदस्त फोटोग्राफस सर ..
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ReplyDeleteडॉक्टर साहिब, यह मानव मन भी विचित्र प्रतीत होता है... किन्तु यदि मस्तिष्क रुपी कंप्यूटर पर आते विचारों का सार देखें तो उनकी प्रकृति मुख्यतः तीन श्रेणी में बंटती दिखाई देती हैं :- सुखदायी, दुखदायी और निर्गुण (न्यूट्रल)...
Deleteऔर आजकल यह माना जाता है कि मस्तिष्क में यदि देर तक दुखदायी सोच आये (डिप्रेशन हो) तो वो व्यक्ति के लिए हानिकारक होता है... इस लिए सहन शक्ति बढाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है (भले ही वो डॉक्टर हो अथवा मजदूर), सुखदायी (मनोरंजक) और न्यूट्रल विचारों को भी मन में लाने का प्रयास करना... और कह सकते हैं, जैसे कहावत भी है, "पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं", हर व्यक्ति का मानसिक रुझान लगभग निश्चित रहता है... किन्तु यह काल पर भी निर्भर रहता है कि कब कोई डाकू भी महर्षि बन जाए!!!... आदि आदि...
जे सी जी , आपसे अक्षरश : सहमत हूँ . हालाँकि न्यूट्रल विचारों का मतलब है , हम विरक्ति की ओर जा रहे हैं जो एक समय के बाद आना स्वाभाविक भी है .
DeleteJCJuly 07, 2012 12:23 PM
Deleteतभी तो कहते हैं "ये बाल धूप में सफ़ेद नहीं हुवे"!
यह प्राकृतिक है कि समय समय पर भले-बुरे अनुभव करते करते एक तपस्या सी हो जाती है, और ऐसे अनुभवी व्यक्ति का दिल मजबूत हो जाता है, उस कि सहन शक्ति बढ़ जाती है...
सही कहा .
Deleteलगातार काम के बीच मनोरंजन के ये पल फिर से तरोताजा कर देते हैं ...
ReplyDeleteअच्छी तस्वीरें !
वाह डॉ साहब !मेडीफेस्ट की बात ही निराली होती है .ये कार्यक्रम पब्लिक के लिए भी ओपन हों तो नजदीकी और लोकप्रियता बढे डॉ लोगों की .
ReplyDeleteआपकी कवितायें पढने में बहुत मजा आता है लेकिन आज आपकी परफार्मेंस सुनने में जो मजा आया, बता नहीं सकता।
ReplyDeleteबहुत छोटी वीडियो क्लिप मिली और उसमें जितना श्रोताओं का शोर था, उतना ही मेरा मन भी उत्साह से चीखने का करने लगा।
पूरे वीडियो के लिंक्स का इंतजार है
प्रणाम
कमाल है भाई . अभी तो मैंने डाली भी नहीं , आपने कहाँ सुन ली !
ReplyDeleteतस्वीरें जब इतनी सुन्दर लग रही हैं तो निश्चित ही क्लिप्स तो जोरदार होंगी.इंतज़ार रहेगा.
ReplyDeleteइंतजार ख़त्म ही हुआ समझिये .
Delete