दिल दा मामला है , दिल दा मामला है
कुछ ते करो जतन ,
तौबा खुदा दे वास्ते, कुछ ते करो जतन ----
दिल दा मामला है ,
दिल ---दा ------है।
युवा दिलों की धड़कन , गुरदास मान द्वारा गाया ये रोमांटिक गाना हम बरसों से सुनते आ रहे हैं।
लेकिन आज हम दिल के उस चैंबर की बात नहीं कर रहे, जिसमे रोमांस रहता है। बल्कि उस चैंबर की बात करेंगे जिससे सांस चलती रहती है, जिंदगी चलती रहती है।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं लेफ्ट वेंट्रिकल की, दिल का वो चैंबर जो सारे शरीर को रक्त प्रवाह द्वारा शक्ति प्रदान करता है। लेकिन ज़रा सोचिये यदि शक्ति दाता ही शक्ति विहीन हो जाये तो क्या होगा।
तो हार्ट अटैक होगा यानि हृदयाघात ।
वही हार्ट अटैक जिसके बारे में कुछ दिन पहले डॉ अरविन्द मिश्रा ने लिखा था ---
आइये देखते हैं , हार्ट अटैक होता क्यों है ---
पूरे शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाले को भी ऊर्जा की ज़रुरत होती है। और हार्ट को यह ऊर्जा मिलती है रक्त प्रवाह से , जो मिलता है दो धमनियों द्वारा जिन्हें कहते हैं ---कोरोनरी आर्टरीज।
लेफ्ट कोरोनरी आर्टरी जो हृदय के सामने और बाएं हिस्से यानि लेफ्ट वेंट्रिकल को रक्त सप्लाई करती है और राईट कोरोनरी जो दायें वेंट्रिकल को।
अब यदि इन आर्टरीज में कहीं रुकावट आ जाये तो हृदय के उस हिस्से में रक्त संचार बंद हो जाता है और हृदय की मांस पेशियाँ दम तोड़ देती हैं यानि वो हिस्सा बेकार हो जाता है। इसी को हार्ट अटैक कहते हैं।
हार्ट अटैक का मुख्य कारण लेफ्ट कोरोनरी आर्टरी में रुकावट होना है, जिससे लेफ्ट वेंट्रिकल का एक हिस्सा काम करना बंद कर देता है।
क्यों होती है रुकावट :
हमारे रक्त में मौजूद वसा जो कोलेस्ट्रोल के रूप में होता है , धीरे धीरे हृदय की धमनियों में जमता रहता है। यूँ तो कोलेस्ट्रोल शरीर की कई गति विधियों के लिए आवश्यक है, लेकिन इसकी अत्यधिक मात्रा हानिकारक होती है।
कोलेस्ट्रोल का धमनियों में जमना --पलौक कहलाता है।
जब यह पलौक धमनी को इतना बंध कर देता है की मसल्स की ओक्सिजन डिमांड पूरी नहीं हो पाती तो मसल्स चीखना शुरू कर देती हैं यानि छाती में दर्द शुरू हो जाता है , जिसे एंजाइना कहते हैं।
अक्सर एंजाइना तब होता है जब हम कोई भारी काम करते हैं जैसे ---सीढियाँ चढ़ना, दौड़ना, साइकल चलाना आदि।
यदि धमनी में ७० % रुकावट हो तो भारी काम करने पर दर्द होता है। लेकिन ९० % रुकावट होने पर बिना भारी काम के दर्द होने होने लगता है। ऐसी स्थिति में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी ज़रूरी हो जाती है।
हार्ट अटैक के लक्षण :
सीने में दर्द, बायीं तरफ ,विशेषकर भारी काम करने पर। यह दर्द बाएं कंधे, बाजू या ज़बड़े में भी हो सकता है।
साथ में पसीना आना।
घबराहट और बेचैनी।
दिल में धड़कन महसूस होना।
ये सभी लक्षण हैं एंजाइना के। ऐसे में यदि धमनी में रुकावट १००% हो जाये तो हार्ट अटैक हो जाता है।
ऐसा कब हो सकता है :
अत्यधिक ठण्ड, तनाव, डर , अत्यधिक ख़ुशी या ग़म , इस तरह के हालातों में धमनी में अचानक स्पाज्म हो सकता है जिसकी वज़ह से पूर्ण रुकावट हो जाती है।
इसके अलावा पलौक का टूटना, या कहीं से ब्लड क्लौट आकर वहां फंसने से भी अटैक हो सकता है।
आइये देखते हैं की इस आकस्मिक विपदा से कैसे बचा जाये ---ज़रा इस चित्र को देखिये :
यह फ्लो डायग्राम साभार प्रस्तुत किया है, प्रोफ़ेसर श्रीधर द्विवेदी जी ने , विभागाध्यक्ष --चिकित्सा विभाग एवम अध्यक्ष प्रिवेंटिव कार्डियोलोजी क्लिनिक, जी टी बी हॉस्पिटल, दिल्ली।
घ्यान रखिये की :
हार्ट अटैक आजकल २० से ३० साल की उम्र के युवकों को भी होने लगा है।
एथिरोस्क्लेरोसिस ( धमनियों में कोलेस्ट्रोल का जमना ) बचपन से ही शुरू हो जाता है। इसलिए बच्चों को भी जंक फूड्स से बचना चाहिए।
महिलाएं भी इससे प्रभावित हो सकती हैं।
अक्रिय जीवन शैली आदमी की दुश्मन और सक्रियता लाभकारी साबित होती है।
सात्विक जीवन दीर्घकालीन सुखमय जीवन की कुंजी है।
खुदा दे वास्ते न सही, अपने वास्ते और अपनों के वास्ते, भाई ज़रा दिल का ध्यान रखिये ।
यह लेख आपको कैसा लगा , बताइयेगा ज़रूर।
कुछ ते करो जतन ,
तौबा खुदा दे वास्ते, कुछ ते करो जतन ----
दिल दा मामला है ,
दिल ---दा ------है।
युवा दिलों की धड़कन , गुरदास मान द्वारा गाया ये रोमांटिक गाना हम बरसों से सुनते आ रहे हैं।
लेकिन आज हम दिल के उस चैंबर की बात नहीं कर रहे, जिसमे रोमांस रहता है। बल्कि उस चैंबर की बात करेंगे जिससे सांस चलती रहती है, जिंदगी चलती रहती है।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं लेफ्ट वेंट्रिकल की, दिल का वो चैंबर जो सारे शरीर को रक्त प्रवाह द्वारा शक्ति प्रदान करता है। लेकिन ज़रा सोचिये यदि शक्ति दाता ही शक्ति विहीन हो जाये तो क्या होगा।
तो हार्ट अटैक होगा यानि हृदयाघात ।
वही हार्ट अटैक जिसके बारे में कुछ दिन पहले डॉ अरविन्द मिश्रा ने लिखा था ---
वेटिंग लिस्ट वाले बैठे हैं ,तत्काल सेवा वाले चले जा रहे ....
आइये देखते हैं , हार्ट अटैक होता क्यों है ---
पूरे शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाले को भी ऊर्जा की ज़रुरत होती है। और हार्ट को यह ऊर्जा मिलती है रक्त प्रवाह से , जो मिलता है दो धमनियों द्वारा जिन्हें कहते हैं ---कोरोनरी आर्टरीज।
लेफ्ट कोरोनरी आर्टरी जो हृदय के सामने और बाएं हिस्से यानि लेफ्ट वेंट्रिकल को रक्त सप्लाई करती है और राईट कोरोनरी जो दायें वेंट्रिकल को।
अब यदि इन आर्टरीज में कहीं रुकावट आ जाये तो हृदय के उस हिस्से में रक्त संचार बंद हो जाता है और हृदय की मांस पेशियाँ दम तोड़ देती हैं यानि वो हिस्सा बेकार हो जाता है। इसी को हार्ट अटैक कहते हैं।
हार्ट अटैक का मुख्य कारण लेफ्ट कोरोनरी आर्टरी में रुकावट होना है, जिससे लेफ्ट वेंट्रिकल का एक हिस्सा काम करना बंद कर देता है।
क्यों होती है रुकावट :
हमारे रक्त में मौजूद वसा जो कोलेस्ट्रोल के रूप में होता है , धीरे धीरे हृदय की धमनियों में जमता रहता है। यूँ तो कोलेस्ट्रोल शरीर की कई गति विधियों के लिए आवश्यक है, लेकिन इसकी अत्यधिक मात्रा हानिकारक होती है।
कोलेस्ट्रोल का धमनियों में जमना --पलौक कहलाता है।
जब यह पलौक धमनी को इतना बंध कर देता है की मसल्स की ओक्सिजन डिमांड पूरी नहीं हो पाती तो मसल्स चीखना शुरू कर देती हैं यानि छाती में दर्द शुरू हो जाता है , जिसे एंजाइना कहते हैं।
अक्सर एंजाइना तब होता है जब हम कोई भारी काम करते हैं जैसे ---सीढियाँ चढ़ना, दौड़ना, साइकल चलाना आदि।
यदि धमनी में ७० % रुकावट हो तो भारी काम करने पर दर्द होता है। लेकिन ९० % रुकावट होने पर बिना भारी काम के दर्द होने होने लगता है। ऐसी स्थिति में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी ज़रूरी हो जाती है।
हार्ट अटैक के लक्षण :
सीने में दर्द, बायीं तरफ ,विशेषकर भारी काम करने पर। यह दर्द बाएं कंधे, बाजू या ज़बड़े में भी हो सकता है।
साथ में पसीना आना।
घबराहट और बेचैनी।
दिल में धड़कन महसूस होना।
ये सभी लक्षण हैं एंजाइना के। ऐसे में यदि धमनी में रुकावट १००% हो जाये तो हार्ट अटैक हो जाता है।
ऐसा कब हो सकता है :
अत्यधिक ठण्ड, तनाव, डर , अत्यधिक ख़ुशी या ग़म , इस तरह के हालातों में धमनी में अचानक स्पाज्म हो सकता है जिसकी वज़ह से पूर्ण रुकावट हो जाती है।
इसके अलावा पलौक का टूटना, या कहीं से ब्लड क्लौट आकर वहां फंसने से भी अटैक हो सकता है।
आइये देखते हैं की इस आकस्मिक विपदा से कैसे बचा जाये ---ज़रा इस चित्र को देखिये :
यह फ्लो डायग्राम साभार प्रस्तुत किया है, प्रोफ़ेसर श्रीधर द्विवेदी जी ने , विभागाध्यक्ष --चिकित्सा विभाग एवम अध्यक्ष प्रिवेंटिव कार्डियोलोजी क्लिनिक, जी टी बी हॉस्पिटल, दिल्ली।
घ्यान रखिये की :
हार्ट अटैक आजकल २० से ३० साल की उम्र के युवकों को भी होने लगा है।
एथिरोस्क्लेरोसिस ( धमनियों में कोलेस्ट्रोल का जमना ) बचपन से ही शुरू हो जाता है। इसलिए बच्चों को भी जंक फूड्स से बचना चाहिए।
महिलाएं भी इससे प्रभावित हो सकती हैं।
अक्रिय जीवन शैली आदमी की दुश्मन और सक्रियता लाभकारी साबित होती है।
सात्विक जीवन दीर्घकालीन सुखमय जीवन की कुंजी है।
खुदा दे वास्ते न सही, अपने वास्ते और अपनों के वास्ते, भाई ज़रा दिल का ध्यान रखिये ।
यह लेख आपको कैसा लगा , बताइयेगा ज़रूर।
इतनी टेढ़ी बात यूं चटकारे लेकर बता देने के लिए साधुवाद :-)
ReplyDeleteबहुत अच्छा और जानकारीप्रद लेख....
ReplyDeleteपता नही कब फ़ेल हो जाए
ReplyDeleteनसीन का हंसी खेल हो जाए
दिल दिखाया चीर के उनको
चलते चलते ही मेल हो जाए
पता नही कब फ़ेल हो जाए
ReplyDeleteनसीब का हंसी खेल हो जाए
दिल दिखाया चीर के उनको
चलते चलते ही मेल हो जाए
बहुत उपयोगी जानकारी है जी। आभार आपका!
ReplyDeleteसरल शब्दो में अच्छी जानकारी
ReplyDeleteदिल की जानकारी इतनी दिल्लगी के साथ .....वाह !!!!!!!
ReplyDeleteye dil ka maamla hai dillagi nahi hai..:):)
ReplyDeleteacchi baatein bataii aapne..
tabhi to hamne apna dil kisi ko aaj tak diya hi nahi...ha ha ha ha !!!
एक बार फिर से लिखना पड़ रहा है कि....
ReplyDeleteअफ़सोस हो रहा है कि मैं अब तक आपके ब्लॉग पर क्यों नहीं आया...
जागरूक करने वाला...जानकारी भरा बढ़िया आलेख