भले ही ब्लोगर्स आपस में मिल न पाते हों, लेकिन एक दूसरे के लेख, कवितायें और विचार पढ़कर काफी हद तक एक दूसरे के व्यक्तित्व के बारे में जान जाते हैं।
अगर विचारों और पसंद में समानताएं दिखें , तो अपने आप एक रिश्ता सा कायम हो जाता है।
ऐसे ही एक मित्र हैं, मुमुक्ष की रचनाएँ वाले श्री चंदर मोहन गुप्ता जी ,जो करीब दो साल से नियमित रूप से लिख रहे हैं।
मुझे ब्लॉग पर एक साल होने वाला है, और गुप्ता जी उन ब्लोगर्स में से एक हैं जो सबसे पहले मेरे ब्लॉग पर आए , फ़िर नियमित रूप से अपना योगदान देते रहे हैं।
गुप्ता जी ने उस वक्त भी मेरा उत्साह बढाया जब में किसी कारणवश हतोत्साहित महसूस कर रहा था।
लेकिन आज मैं हैरान हूँ। थोड़ा परेशान भी हूँ। क्योंकि हर सोमवार को नियमित रूप से लिखने वाले श्री गुप्ता जी ने अचानक लिखना बंध कर दिया।
पिछले डेढ़ महीने से न तो मैंने उनकी कही टिपण्णी देखी, न ही उन्होंने कोई पोस्ट लिखी।
उनकी लास्ट पोस्ट ३१ ओक्टूबर को छपी थी।
आख़िर ऐसी क्या वज़ह हुई की गुप्ता जी ने अचानक लिखना छोड़ दिया।
उनका कोई इ-मेल या कोंटेक्ट नंबर न होने से पता भी नही चल रहा।
मैं अनुरोध करता हूँ , राजस्थान के ब्लोगर बंधुओं से, विशेषकर जयपुर में रहने वाले ब्लोगर्स से , की वो पता लगाकर बताएं की गुप्ता जी आजकल कहाँ है, और लिख क्यों नही रहे हैं।
एक ब्लोगर मित्र की अनुपस्थिति का खलना स्वाभाविक है।
गुप्ता जी का न लिखना चिंता की बात है। आपकी आत्मीयता देखकर अच्छा लगा कि ब्लॉग जगत में ऐसे रिश्ते भी बन रहे हैं।
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छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?
दराल जी, हम तो कुछ भी मदद नहीं कर सकते इस मामले में आपकी। आशा है कि जयपुर या राजस्थान का कोई न कोई मित्र अवश्य ही आपकी मदद करेगा।
ReplyDeleteआपकी चिंता से आपके संवेदनशीलता का पता चलता है , वर्ना कितने लोग हैं जो किसी की अनुपस्थिती को नोटिस करते हैं । मैं भी चाहुंगा कि गुप्ता जी लिखना शुरू करें ।
ReplyDeleteसच कहा आपने जिन्हें हम अपना करीबी समझते हैं बहुत ज्यादा दिन उनकी अनुपस्तिथि हमें बेचैन कर देती है. चिंता न करें वो कहीं व्यस्त हो गए होंगें. हमारे दुसरे ब्लोगर बंधू जल्दी ही उन्हें खोज निकालेंगे
ReplyDeleteआपकी चिन्ता जायज़ है. पिछले कई दिनों से मै भी इस उधेड-बुन में थी.आज ही मेल करके देखती हूं. मैने सोचा था, कि शायद मेरे ब्लॉग पर नही आ पाये होंगे, गुप्ता जी. लेकिन यहां आपकी चिन्ता ने तो भरपूर चिन्ता में डाल दिया.
ReplyDeleteआप उनके अन्तिम लेख पर टिप्पणी के रूप में उनसे उनका हालचाल पूछ सकते हैं।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
डाक्टर साब आपके विचारो से सहमत हूँ . अगर कोई ब्लागर एक लम्बे अंतराल तक ब्लागजगत में नहीं दिखते है तो स्वाभाविक है चिंता तो जरुर होती है क्योकि जिसे हम काफी समय तक पढ़ते है तो काफी हद तक उसके व्यक्तित्व और कृतित्व से परिचित हो जाते है ......
ReplyDeleteडाक्टर साहब गुप्ता जी मेरे परिचित हैं..और जयपुर के निवासी हैं...उनका मोबाइल नंबर 09351155162 और इ-मेल एड्रेस है cm.guptad68@rediffmail.com ...वो ठीक और प्रसन्न हैं, क्यूँ की कल ही उनकी टिपण्णी विजय सप्पत्ति जी के ब्लॉग पर आयी है. मैं उनसे बात कर के आप से संपर्क करने को कहता हूँ.
ReplyDeleteनीरज
बिलकुल सही बात पकड़ी है आपने डा० साहब, अक्सर वे बहुत सक्रीय रहते और अचानक काफी दिनों से पूरी तरह गायब, चिंता लाजमी है ! जहां तक इ-मेल एड्रेस की बात है तो वह उन ब्लोगर मित्रो के पास भी उपलब्ध होगा जिन्होंने ब्लॉग पर इ-मेल आई डी का प्रावधान रखा है, जैसे श्री संजय बैगाणी !
ReplyDeleteसही कहा आपने, भाटिया जी भी नहीं दिखाई दे रहे हैं
ReplyDeleteइस बारे में हमने भी एक बार सोचा था। दरअसल इस चिन्ता या जानकारी के लिये ये हो सकता है कि सारे ब्लॉगर मिलकर एक मानक कोड सूची बनायें। और जब विशेष परिस्थितयां जैसे *व्यस्तता या @समयाभाव, #बीमारी, >>यात्रा आदि जो भी कारण हों ....तो ब्लॉगर अपनी आखिरी पोस्ट पर इन गिने चुने कारणों का कोड या चिन्ह छोड़ जाये।
ReplyDeleteमेरे जैसे ब्लॉगर मृत्यु संकेत प्राप्त होने की दशा में लाल रंग का X चिन्ह छोड़ सकते हैं।
इस व्यवस्था से स्थिति स्पष्ट रह सकती है।
http://rajey.blogspot.com/
डा. दराल जी, नमस्कार! आपने गुप्ताजी के बारे में लिखा तो मुझे लगा कि मैं कुछ लिख डालूँ नहीं तो हो सकता है आप मेरे बारे में भी लिख सकते हैं गुमशुदा की लिस्ट में शामिल कर :) बीच में कंप्यूटर खराब हो गया था और कुछ समय लग गया दुबारा चालू करने में...आपके पिताजी के बारे में पढ़ बहुत अच्छा लगा. हिन्दू कॉलेज से मेरी दूसरी लड़की ने बोटनी होनोर्स किया था, फिर मोलीकुलर बाईलोजी में 'ऍम ए' कर बोर हो बैंक में नौकरी आरंभ कर दी :)
ReplyDeleteचलिये, नीरज भाई के कमेंट से राहत लगी.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद, नीरज जी।
ReplyDeleteआपने एक मुश्किल आसान कर दी।
अब यदि गुप्ता जी ,फोन नहीं भी करेंगे तो हम कर लेंगे।
सचमुच राहत तो मिली।
ReplyDeleteएक आदत सी बन जाती है, लिखना और पढना।
जे सी साहब, कोम्प्यूटर तो मेरा भी कल से काफी तंग कर रहा था।
अब जाकर ठीक हुआ है।
लगता है ये कंप्यूटर ही ब्लोगर्स का सबसे बड़ा सौतिया है।
Kitnee aatmeeytase bhari post hai...Gupataji zaroor sakushal honge aisi dua karti hun!
ReplyDeleteOh! Neeraj ji ka comment padha! Bada achha laga!
ReplyDeleteटेंशन दूर हो गयी नीरज की बदौलत उन्हें भी धन्यवाद
ReplyDeleteनीरज भाई ने समाधान खोजा खोज ही दिया दराल साहब।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
नियमितता में व्यवधान खलने लगता है। जिसे हम अक्सर पढ़ते हैं उस का न होना बिलकुल ऐसा लगता है जैसे अपना कोई नहीं मिल रहा है। यह लक्षण हिन्दी ब्लागरी के लिए अच्छा लक्षण है।
ReplyDeleteयही है अपना ब्लॉगर परिवार प्रेम..किसी का लिखना कुछ दिन से बंद होना और सभी को इस बात की कमी खलने लगती है..
ReplyDeleteबस यही बना रहे.....ब्लॉगिंग जिंदाबाद..
एक ब्लॉगर मित्र की अनुपस्थिति का खलना स्वाभाविक है।
ReplyDeleteआपकी चिन्ता वाजिब है।
कितना ख्याल रखते हैं आप नित्रों का!
चिंतित तो मैं भी हूँ.....
ReplyDeletenice post !
ReplyDeleteचलिए शुक्र है कि आखिर जिन्हें ढूंढ रहे थे वे मिल गए ..डा. साहब आपका स्नेह देख कर अभिभूत हो गए
ReplyDeleteदराल सर,
ReplyDeleteयही है ब्ल़ॉ़गिंग का सबसे सशक्त पहलू...आपने एक आवाज़ दी और नीरज जी ने त्वरित समाधान पेश कर दिया...इस तरह का इंटर-एक्टिव माध्यम मुझे और कोई नज़र नहीं आता...
वैसे टीचर के मुरीदों को बहाना चाहिए होता है...दोस्त न मिले तो भी...और मिल जाए फिर तो डबल...
जय हिंद...
करीब महीने दिन पहले मैंने गुप्ता जी को ईमेल किया था.
ReplyDeleteशायद कहीं व्यस्त रहे थे.
आपने एक अच्छी शुरुआत करी है ........... ब्लॉगिंग को परिवार मानने की परंपरा को बल मिलेगा .........
ReplyDeleteitne shubhchintakon ko dekh man prasanna ho jata hai. asha hai ki apki chitna door ho.
ReplyDeleteniraj ji ne aapko jaankaari de di he.., vese aapki yah drashti aour blogers ke liye chinta vakai bahut nek aour imaandaar paathak hone ki aour sanket deti he. hona bhi yahi chahiye, anytha ham sab ek kese rah sakte he..bhartiya hone ka yahi aanand he jnhaa kisi ke liye koi chintit rahkar khojbin kar leta he../
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा कि सब एक दूसरे का कितना ध्यान रखते हैं कई दिन से भाटिया जी भी नज़र नहीं आ रहे दो तीन बार कमेन्ट छोड कर आयी हूँ। आज मैल करती हूँ। धन्यवाद्
ReplyDeleteआप की इस एक विशेषता को जाना कि आप साथी व्लॉगरों को कितना चाहते हैं । आपकी चिंता का निवारण तो नीरज जी ने कर दिया ।
ReplyDeleteयही तो ब्लॉग्गिंग की विशेषता है कि हमें अपने साथियों को पढ़ने की और उनके कमेन्ट प्राप्त करने की एक आदत सी हो जाती है...
ReplyDeleteएक भी चक्र टूट गया तो समझो ब्लॉग्गिंग रथ का पहिया टूट गया