१२ दिसंबर , साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत का जन्मदिन ---क्रिकेट के सुपरस्टार युवराज़ सिंह का जन्मदिन भी यही --और देखिये युवराज़ ने क्या तोहफा दिया देश को अपने जन्मदिन पर, टी- २० में शानदार जीत दिलाकर।
लेकिन हमारे लिए सुपरस्टार रहे वो , जिनका इसी दिन हमने ७९ वां जन्मदिन मनाया, श्री राज़ सिंह ।
जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ अपने पिताश्री श्री आर एस दराल जी की, जिनका जन्मदिन हमने मनाया,----
पहली बार केक काटकर।
दराल जूनियर -दराल सीनियर को विश करते हुए।
ज़रा सादगी तो देखिये ---पहली बार केक काटकर जन्मदिन मनाया---घर के सभी बच्चों के बीच , साथ में एक मित्र ।
आइये , उनके जीवन के कुछ दिलचस्प पन्ने आपको पढ़ाते हैं ---
जन्म : दिल्ली के एक गाँव में । दो भाइयों में छोटे। हमारे दादाजी के सारे गुण उनमे भी।
प्रारंभिक शिक्षा : गाँव से ५ किलोमीटर दूर गोरमेंट हाई स्कूल बहादुरगढ़ में दसवी तक।
सर्दी, गर्मी या बरसात, रोज़ सुबह कुँए पर नहाकर , गाय के ताज़ा दूध और मक्खन के साथ नाश्ता कर , पैदल चलकर स्कूल जाना , उनका नियम था।
अपनी रोबस्ट पर्सनालिटी की वज़ह से सदा क्लास में मोनिटर रहे।
कॉलिज : दसवीं पास कर , दिल्ली के सुप्रसिद्ध --हिंदू कॉलिज में प्रेप में अड्मिशन --तद्पश्चात इको ओनर्स --१९५४ में किया। होस्टल में रहते थे लेकिन हर शनिवार , साइकल से ३० किलोमीटर दूर गाँव एक घंटे में पहुँच जाते थे।
पहले दिन जब गाँव के नत्थू नाइ से पट्ठे बनवाकर ( कटिंग कराकर ) कॉलिज पहुंचे, तो सीनियर्स ने खूब मजाक उड़ाया। दो दिन तक तो झेलते रहे, लेकिन तीसरे दिन किसी ने फब्ती कसी, बन्दे के दोनों साइड लड़कियां थी और होठों में सिगरेट दबाकर जैसे ही उसने कहा --ओये चोधरी , तेरे पट्ठे ! बस सबर का बाँध टूट गया --अन्दर का एंग्री यंग मेन जाग गया --घुमाकर एक तमाचा जो लगाया, तो बंदा सीढियों से लुढ़कता हुआ नीचे जाकर टिका।
उस दिन से ज़नाब कॉलेज के दादा बन गए --ऐसे दादा जिन्होंने हमेशा न्याय का साथ दिया और अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई।
उनके लंबे कद और सुडौल शरीर, और स्पष्टवादिता ---जो अनुवांशिक था ---की वज़ह से वे सदैव अग्रणी रहे ।
यह उनके व्यक्तित्व का ही प्रभाव था की, उनके तद्कालीन इंग्लिश के प्रोफ़ेसर डॉ सरूप सिंह --जो बाद में दिल्ली
यूनिवर्सिटी के उपकुलपति , यू पी एस सी के मेंबर और पोंडिचेरी और गुजरात के राज्यपाल रहे --ने उन्हें एक साल अपने बंगले पर मेहमान बना कर रखा।
शौक : गाने का शौक , उसपर मधुर आवाज़। हम तो आज भी उनके गाये गए भजन और हरयाणवी गीत सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
ये उनके विनोदी स्वभाव का ही असर है , और उन्ही से सुनकर जो हरयाणवी जोक्स मैंने टी वी पर सुनाये की हम भी लाफ्टर चेम्पियन बन गए।
सेवा काल : १९५४ में ग्रेजुएशन करने के बाद दिल्ली के आई सी एम् आर में सेवारत रहे और करीब ३५ साल निष्ठां से सरकार की नौकरी करने के बाद १९८९ में सेवा-निवृत हुए।
मेहनत, ईमानदारी और निष्ठां तो जैसे उनमे कूट कूट कर भरी हुई थी।
इसी कारण सेवानिवृत होने के बाद ऑफिस ने उन्हें सलाहकार के रूप में ७ साल तक अनुबंधित रखा।
ये इनाम था उनकी अपने काम के प्रति निष्ठ्वान होने का।
एक विशेष बात ये रही की उन्होंने कभी डी टी सी के सिवाय किसी और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल नही किया , यानि न कभी साइकल रिक्शा , न ऑटोरिक्शा। ७-८ किलोमीटर तो यूँ ही पैदल नाप देते थे । आज भी ५-७ किलोमीटर की सैर रोजाना करते हैं।
शहर में रहते हुए भी उनका मन अपने गाँव की ओर हमेशा लगा रहा। इसी का नतीज़ा था की जब भी गाँव में कभी ज़रूरत होती थी तो उनको याद किया जाता था और वे यथासंभव अपना सहयोग देते रहे हैं।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री साहब सिंह वर्मा जी से उनके अच्छे सम्बन्ध रहे और गाँव के उद्धार के लिए कई कार्यों में उनका बड़ा सहयोग रहा।
कारगिल युद्ध के दौरान गाँव की ओर से सवा लाख रूपये का चेक , प्रधान मंत्री राहत कोष में , प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपाई को सौंपते हुए।
आज हमने ह्यूमेन जीनोम को क्लोन कर लिया है। लेकिन हमें तो विरासत में मिले इन जींस पर गर्व है।
उन्ही के बताये मार्ग पर चलकर आज हम अपनी जिंदगी से संतुष्ट हैं।
Sunday, December 13, 2009
एक आदर्श और प्रेरणात्मक जीवन के धनी व्यक्ति ---जिनका जन्मदिन हमने आज मनाया ---
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आदर्श जीवन,
जन्मदिन
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दराल सर,
ReplyDeleteपिताश्री को जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं...बस ऐसे ही जीवन का शतक पूरा करने के बाद भी केक काटते रहें...आपके सद्विचारों का आज एक राज़ तो खुल ही गया ये आदरणीय राजजी के जींस ही हैं जो आप में मानवता कूट-कूट कर भरी है...वरना आज तो कई डॉक्टर ऐसे है जिन्होंने अपनी पेशे की शपथ को भूलकर पैसे को ही ईमान बना लिया है...पिताश्री का कालेज में लंपट को हरियाणवी सबक देने वाला संस्मरण बड़ा मज़ेदार लगा...अब
यही इच्छा है कि किसी दिन सीनियर दराल जी से आशीर्वाद लूं...
जय हिंद...
हमारी ओर से भी इस शानदार व्यक्तित्व के मालिक को जन्मदिन की शुभकामनाएँ।
ReplyDeletedhnya ho daraal saaheb !
ReplyDeletedhnya hain aapke pitaashri aur dhnya hai aapka kul !
aise parivaar aur aise log hi samaaj me mahanta ki misaalen kaayam karte hain
padh kar bahut garv hua ..harsh hua
prabhu aapke pitaashri ko
chiraayu kare
deerghaayu kare
shataayu kare
aur ve sadaiv swasth va aanandit rahen
__mera shat shat naman !
पिता जी का सादर अभिनन्दन और जन्म दिवस पर बहुत बधाई.
ReplyDeleteआपका आभार पिता जी जैसे विशाल व्यक्तित्व से मिलवाने का.
सचमुच आपने यह पोस्ट लिख कर अपने पिता के जन्मदिवस को सार्थक बना दिया जैसे माता पिता होते है बच्चो में भी वही गुण आते है आपके पिता एक आदर्श वयक्तिव के मालिक है उन्हें सालगिरह मुबारक हो.....
ReplyDeleteमेरे पूरे परिवार की तरफ से हार्दिक शुभकामनायें, उनसे मिलने वाले आर्शीवचन आपके माध्यम से हमें प्राप्त होते रहें
ReplyDeleteपिताजी के जन्म दिन की ढेरो शुभकामनाये, दराल साहब ! बहुत कम लोग ऐसे खुशनसीब होते है !
ReplyDeleteपिताश्री.... को जन्मदिन कि बहुत बहुत शुभकामनाएं.... पिताजी.... मेरा नमन व चरणस्पर्श.....
ReplyDeleteआपका बहुत -बहुत आभार पिता जी जैसे विशाल व्यक्तित्व से मिलवाने का.....
पिताजी के जन्म दिन की ढेरों बधाई ......... आप भाग्यवान है जो ऐसे पिता का साया मिला जिन्होने अपने जीवन के प्रवाह से आपको सीखने का मौका दिया ....... कोरे उपदेश नही दिए ........... प्रणाम है हमारा भी उन्हे ......
ReplyDeleteईश्वर उन्हें शतायु बनाएं॥
ReplyDeleteधन्य हैं आप ऐसे पिता को पाकर . जन्म दिवस की शुभकामनाएं
ReplyDeleteहमारी ओर से अपके पिता जी को जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई। उनकी जीवनी के बारे मे पढ कर बहुत खुशी हुयी भगवान उनको लम्बी आयू दे। आज भी दुनिया मे बहुत अच्छे लोग हैं ये आपके पिता जी के बारे मे जान कर कहा जा सकता है उन्हों ने आपको भी इतने अच्छे संस्कार दिये हैं। धन्य हैं ऐसे माँ बाप । शुभकामनायें। हाँ हमारी मिठई उधार रही जब दिल्ली आयेंगे तो जरूर खायेंगे।
ReplyDeleteअपने पिताजी को मेरा प्रणाम कहेंगे .. उन्हे जन्मदिन की बहुत बधाई !!
ReplyDeleteसर जी आने में थोड़ी देर हो गयी, पिता जी को मेरी तरफ से जन्म दिन की शुभ कामनाएं
ReplyDeleteपिताश्री श्री आर एस दराल जी को जन्मदिन की बहुत बधाई!
ReplyDeleteऔर आपका शुक्रिया जो आपने इस विशाल व्यक्तित्व के स्वामी से परिचय कराया.
मुझे अपने ८२ वर्षीय दादा जी याद आ रहे हैं.
सभो ब्लोगर साथियों को शुभकामनाओं के लिए दिल से धन्यवाद।
ReplyDeleteहम कितने भी बड़े क्यों न हो जाएँ, उम्र में या ओहदे में , मात-पिता के लिए हमेशा बच्चे ही रहेंगे।
वाह दराल साहब महान विभूति से मिलकर आनंद आ गया जन्म दिन की ढेरों बधाइयां !! मेरा प्रणाम जरुर कहिएगा!!
ReplyDeleteगदगद हूँ ऐसे नेक पुरुष का परिचय पा ........धन्य हैं आप जिसने ऐसे परिवार में जन्म लिया और ऐसे सदगुणी पिता का स्नेह पाया ....
ReplyDeleteमेरी ढेरों शुभकामनाएं हैं उनके लिए ......!!
बहुत शुभकामनायें !
ReplyDeleteआप सही कहते हैं माँ बाप के सामने हम सदा बच्चे ही रह्ते हैं। आप के पिता अपने विशाल व्यक्तित्व के कारण वे एक प्रेरक इंसान भी हैं । आप के पिता जी को जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई।देर से आने के लिए क्षमा करें।
ReplyDeleteदराल सीनीयर आदरणीय पिताजी का हम सभी पर आशीर्वाद बना रहे यह कामना ।
ReplyDeletePitashri ko Pranmya shubhkamnaen...
ReplyDeleteआपके पिताजी और मेरे पिताजी में काफी समानताएं हैं...आज मुझे उनके अपने पिता होने पर गर्व महसूस होता है
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