दिल्ली का निगम बोध घाट। शायद ही कोई दिल्लीवासी हो जिसने इसका नाम न सुना हो या कम से कम एक बार जीते जी जीवन में यहाँ न आया हो।
जी हाँ, निगम बोध शमशान भूमि, कश्मीरी गेट के सामने , रिंग रोड पर यमुना के पश्चिमी किनारे पर बना है।
मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही आप एक ऐसे वातावरण में पहुँच जाते हैं, जहाँ पहुंचते ही आपके चेहरे के भाव स्वत: ही बदल जाते हैं। मन में उमड़ते घुमड़ते विचारों का ताँता एक बारगी ठप सा हो जाता है।
कुछ पलों के लिए मस्तिष्क शून्य हो जाता है।
यहाँ का माहौल ही कुछ ऐसा है।
एक तरफ़ वातावरण में लाउड स्पीकर पर गूंजते भजन, शब्द और धार्मिक गीत आपके विचलित मन को शांत करने का काम करते हैं, वहीं वायु में फैली लकड़ियों और मानव मृत शरीर के हाड -मांस के जलने की मिश्रित गंध , आपको आभास दिलाती हुई की संसार में सब मिथ्या है। जीवन की यही सच्चाई है की एक दिन हम सबको इसी गंध का हिस्सा बन जाना है।
यहाँ से बाहर ये गंध आपको कहीं नही मिलेगी। यही तो विशेषता है इस जगह की --क्योंकि यही अन्तिम पड़ाव है।
बाहरी संसार में रहते हुए हम ये कभी सोच भी नही पाते की इस संसार में कुछ भी स्थायी नही है, सब कुछ नश्वर है।
फ़िर किस बात का झगडा, किस बात की लड़ाई।
क्या तेरा है, क्या मेरा है।
सब यहीं तो रह जाना है।
फ़िर भी हम रेगिस्तान के मृग की तरह अंधाधुंध दौड़ते रहते हैं, एक अनजानी पिपाषा में।
आज फ़िर उस द्वार जाना हुआ ,
आज फ़िर इक दोस्त रवाना हुआ।
नोट : यह पोस्ट लिखी गई है , पंजाब केसरी के वरिष्ठ पत्रकार , श्री कैलाश भारद्वाज की स्मृति में , जिनका २७ नवम्बर को असामयिक निधन हो गया। आज उनकी रस्म- पगड़ी थी।
कैलाश जी एक लंबे अरसे से बीमार थे , और हमारे यहाँ ही इलाज़ करा रहे थे। अस्पताल से जब छुट्टी हुई , तो मुझसे मिलकर गए और विशेष रूप से धन्यवाद कर के गए , उनका पूरा ध्यान रखने के लिए । लेकिन वही हमारी अन्तिम मुलाकात थी।
इश्वर से प्रार्थना है की उन्हें अपने चरणों में जगह प्रदान करे और शोक संतप्त परिवार को इस क्षति को सहन करने की शक्ति दे।
Wednesday, December 9, 2009
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डा० स्वर्गीय कैलाश भारद्वाज को मेरी भी श्रदांजली !
ReplyDeleteआपको इस बात की बधाई कि आप अपने इस ब्लॉग को रिकवर कर पाने में सक्षम रहे !
स्वर्गीय कैलाश भारद्वाज को विनम्र श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ ... ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें
ReplyDeleteलेकिन वहाँ ले आकर तो फिर से ..... में लग जाते हैं।
ReplyDeleteपंजाब केसरी के वरिष्ठ पत्रकार , स्व. कैलाश भारद्वाज को
ReplyDeleteश्रद्धाञ्जलि!
स्व. कैलाश भारद्वाज को श्रद्धाञ्जलि!
ReplyDeleteपंजाब केसरी के वरिष्ठ पत्रकार , स्व. कैलाश भारद्वाज को
ReplyDeleteश्रद्धाञ्जलि!
परमात्मा कैलाश जी की आत्मा को शांति दे और उनके करीबियों को दुख सहने का संबल...
ReplyDeleteवैसे यही सबसे बड़ा सच है...
संसार की हर शह का इतना ही फ़साना है
इक धुंध से आना है, इक धुंध में जाना है...
जय हिंद...
पंजाब केसरी के वरिष्ठ पत्रकार , स्व. कैलाश भारद्वाज को
ReplyDeleteश्रद्धाञ्जलि!
पोस्ट सन्मार्ग दिखा रही है. डाकटर साहब , आपको बधाई !
पंजाब केसरी के वरिष्ठ पत्रकार , स्व. कैलाश भारद्वाज को
ReplyDeleteश्रद्धाञ्जलि! ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें
शुक्रिया सुलभ जी, पूरी पोस्ट पढने का।
ReplyDeleteशाश्त्री जी आपकी बात सही है। काफी लोग तो ऐसे हैं, जो वहां भी अन्दर कुछ और, बाहर कुछ और होते हैं।
Ek antim saty yaad diya aapne..mere raungte khade ho gaye..
ReplyDeletehttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
स्वर्गीय कैलाश भारद्वाज जी को हमारी भी विनम्र श्रद्धाँजली। धन्यवाद्
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया।
ReplyDeleteआदमी यदि इस सत्य को याद रखे तो शायद कभी बुरे कर्म करने का साहस ही न कर सके।
सच,
ReplyDeleteजीवन की आखिरी सच्चाई
अब कुछ नहीं रहेगा फकत याद के सिवा
ये आखिरी सफर है ज़रा साथ दीजिये
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
सच कहा डाक्टर साहब आपने...अंतिम पड़ाव पर जो भी दिवंगत को विदा करने आते हैं, दुखी होते हैं और संसार के क्षणिक होने के भाव से भर जाते हैं लेकिन इसे दरअसल शमशान वैराग्य कहा जाता है क्यूँ की शमशान से बाहर निकलते ही वो दुनिया जिसके नश्वर होने का भाव उन में अभी जगा था पल में ओझल हो जाता है और वो फिर वहीँ पहुँच जाते हैं जहाँ से आये थे...ऐसा ही होता है और ऐसा ही होता रहेगा क्यूँ की अगर ऐसा ना हो तो शायद ये दुनिया बहुत उदासी से भर जाएगी...
ReplyDeleteमेरा एक शेर है, जिसे मैं तो कम से कम हमेशा गुनगुनाता रहता हूँ:
जब तलक जीना है 'नीरज' मुस्कुराते ही रहो
क्या पता हिस्से में अब कितनी बची है ज़िन्दगी
नीरज
आपने बिल्कुल सही कहा है, नीरज जी।
ReplyDeleteमैं भी बस इतना ही कहना चाहता हूँ की यदि आदमी इस सच्चाई को याद रखे और बुरे कर्मों से बचता रहे , तो इंसानियत की अच्छी सेवा होगी। बाकी तो --दी शो हैज टू गो ओन।
सच,
ReplyDeleteजीवन की आखिरी सच्चाई
अब कुछ नहीं रहेगा फकत याद के सिवा
ये आखिरी सफर है ज़रा साथ दीजिये
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ReplyDeleteब्लोग चर्चा मुन्नभाई की
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डॉ टी एस दरालजी
डा० स्वर्गीय कैलाश भारद्वाज को श्रदांजली !
महावीर बी. सेमलानी "भारती"
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यह पढने के लिऎ यहा चटका लगाऎ
भाई वो बोल रयेला है…अरे सत्यानाशी ताऊ..मैने तेरा क्या बिगाडा था
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
सब कुछ यहीं रह जाना है...सब कुछ नश्वर है...
ReplyDeleteकाश!...ये बात सभी समझ जाएँ