सारे टी वी चैनल सारे दिन थ्री इडियट्स दिखाते रहे। जी नहीं, आमिर खान वाली फिल्म नहीं, मैं बात कर रहा हूँ दिल्ली के कोटला मैदान की पिच के क्युरेतर्स की, जिन्हें टी वी वाले थ्री इडियट्स कहकर कोसते रहे। अब भई, गलती ही इतनी भारी थी, सारे देश की नाक कटवा दी। उनको उनकी किये की सजा तो मिलनी ही चाहिए।
खैर, मैच तो न देख सके , बट दी शो हैज टू गो ओन. इसलिए हमने प्रोग्राम बनाया, फिल्म थ्री इडियट्स देखने का।
जब मैं ऍम बी बी एस के फाइनल इयर में था, तब हमारे कॉलिज में दिल्ली आई आई टी के एक प्रोफ़ेसर गुहा ने कॉलिज में एडमिशन लिया था , ऍम बी बी एस करने के लिए। शायद ये देश का पहला केस था जब एक इंजिनियर-- डॉक्टर बन कर बाहर निकला। और आज से करीब २० साल पहले उन्होंने दिल्ली के
ए आई आई ऍम एस में देश का पहला बायो-इंजीनियरिंग विभाग खोला।
थ्री इडियट्स देखकर यही लगा की एक हिंदी फिल्म में पहली बार बायोइंजीनियरिंग नॉलेज का प्रयोग किया गया है।
आरम्भ से ही ये फिल्म इतनी मजाकिया है की हँसते हँसते पेट में बल पड़ गए। हँसते हँसते आखों में आंसू भी आ गए।
औए एक बार जो आने शुरू हुए तो आते गए, आते गए। रुकने का नाम ही नहीं।
बाद में पता चला की जो एंटी सन लोशन हमने चेहरे पर लगा रखा था, वो शुरू में आए हंसी के आंसुओं में भीगकर हमारी आँखों में घुस गया था, और इरिटेट कर रहा था । नतीजा, बिन बात के आंसू बहे जा रहे थे।
खैर , फिल्म में बहुत इंटेलिजेंट कॉमेडी है। डायरेक्टर ने इंजीनियरिंग और मेडिकल छात्रों पर अच्छा व्यंग भी कसा है। कुछ बातें तो वास्तव में काबिले-गौर हैं। जैसे ---
सक्सेस नहीं --एक्सीलेंस।
ट्रेंड नहीं --- एजुकेताड
डिग्री नहीं ---हुनर होना चाहिए।
फिल्म में सभी का अभिनय गज़ब का है। विशेष तैर पर आमिर खान और बोमन ईरानी का।
करीना कपूर को देखकर तो यही लगा की जब वी मेट के बाद , उसको फिल्मो में शादी का मंडप छोड़कर भागने की मास्टरी हो गयी है।
इस फिल्म में कुछ नयापन है। ये आज की युवा पीढ़ी को बहुत पसंद आएगी।
पहली बार एक हिंदी फिल्म में डिलीवरी का सीन कुछ ऐसे दिखाया गया है की अमेरिका या कनाडा के लेबर रूम्स की याद आ जाती है, जहाँ डिलीवरी के वक्त हसबेंड को लेबर रूम में बुलाया जाता है और वो पूरी डिलीवरी की वीडियो बनाकर बाद में सब मित्रों और सम्बन्धियों को दिखाते हैं।
जी हाँ , ये सच है।
और इसी सच का कुछ हिस्सा इस फिल्म में भी देखने को मिला, अलबत्ता अलग रूप में।
डिलीवरी वाली सिकुएंस वैसे तो काफी हिलेरियस बन पड़ी है, लेकिन वास्तविक सच्चाई से थोडा दूर है। खासकर वो सीन जब पैदा होने के बाद बेबी रोता नहीं है, और आमिर खान उसे गोद में लेकर हिला रहा है। यहाँ डायरेक्टर थोडा मार खा गया।
खैर, ओवर ऑल --आल इज वैल, आल इज वैल।
इस फिल्म को नोट सो यंग लोगों को भी देखना चाहिए। कम से कम ये सोचने के लिए तो मजबूर होंगे की ४४ साल का आमिर खान, इस फिल्म में २२ साल का युवक कैसे दिख रहा है।
आखिर उसने कौन सी गोली खाई इसके लिए।
हमें भी मिले तो हम दो खा लें , फिर नतीजा चाहे जो भी हो।
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"४४ साल का आमिर खान, इस फिल्म में २२ साल का युवक कैसे दिख रहा है।
ReplyDeleteआखिर उसने कौन सी गोली खाई इसके लिए।
हमें भी मिले तो हम दो खा लें , फिर नतीजा चाहे जो भी हो। "
हा-हा-हा... ये भी खूब रही डा० साहब !
जी...मैं भी सोच रहा हूँ थ्री इडियट्स देखने के लिए..... बहुत अच्छा लगा.... यह लेख...
ReplyDeleteआप का यह लेख पढ कर तो हम भी देखने की सोचने लगे है,,..बढ़िया लेख लिखा....धन्यवाद।
ReplyDeleteडा. साहिब ~ अपने समय में 'पागल' समझे जाने वाले प्रसिद्द यूनानी दार्शनिक सुकरात ने कहा था कि ३० साल की उम्र तक पहुँचते हर आदमी या तो डॉक्टर होता है या फिर मूर्ख ही रहता है :) मीराबाई भी राजस्थान (मेवाड़) में 'पागल' ही कहलाई गयी अपने समय में...
ReplyDeleteउपरोक्त को जान तसल्ली होती है हर 'पागल' को :)
आज वैज्ञानिक जानता है कि मानव मस्तिष्क एक कंप्यूटर ही है - मांस और रक्त से बना, लोहे से नहीं - जिससे हम खेलते हैं आजकल कुछ वर्षों से इस 'कलयुग' या लोहे से बनी मशीनों के युग में...
उपरोक्त के सन्दर्भ में, अब कोई 'थ्री इडियट्स' कहे तो मुझे '३' यानी ॐ दिखाई/ सुनाई पड़ता है, यानि साकार रूप में 'त्रेयाम्बकेश्वर' अथवा ब्रह्मा-विष्णु-महेश जो आधुनिक मानव को शून्य अथवा 'इडियट्स' ही समझ में आते हैं...और 'योगिराज' कृष्ण कहते हैं आदमी अज्ञानतावश ही गलतियां करता है...और योगी ही केवल जान पाए कि कैसे मानव शरीर भी हाड-मांस का बना एक पुतला है - एक मानव रचित कठपुतली समान जो धागों के खींचतान से स्टेज (धरती) पर मन बहलाती है दर्शाकों का (या शायद एक ही विशेष दर्शक का जो अमृत है, किन्तु निराकार ;)...
रॉबर्ट ब्राउनिंग ने कहा था "God is in the heaven/ And all's well with the world"
ReplyDeleteआ गई हैं सर्दियाँ सुस्ताइए।
ReplyDeleteबैठकर के धूप में मस्ताइए।।
आने वाला साल आपको मंगलमय हो!
ज़रूर देखेंगे और इसी वीकेंड पर जब इतनी तारीफ हो रही है तो कैसे बच सकते है ..बढ़िया चर्चा..धन्यवाद!!!
ReplyDeleteआपकी अनुशंसा है, जरुर देखेंगे..मगर नॉट सो यंग वाली कटेगरी में नहीं..
ReplyDelete---
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
समीर जी ~ आप कनाडा में रह रहे हैं और हिंदी प्रेमी हैं - थोडा विरोधाभास सा प्रतीत होता है...
ReplyDeleteमेरी हिंदी, या हिन्दुस्तानी बोलने वाली लड़की, और दक्षिण भारतीय, स्कूल तक हिंदी पढ़ा-लिखा चेन्नई में पला दामाद, की नज़र दिल्ली में रहते - विवाहोपरांत खास तौर पर - अमेरिका की ओर मुड गयी थी. वे पहले सोल, दक्षिण कोरिया चले गए. वहां उनकी लड़की का जन्म हुआ, और उसकी खातिर भाषा के कारण उन्हें टोरोंटो, कनाडा जाना पड़ा. और फिर वो अब अमेरिका में लगभग तीन वर्ष से रह रहे हैं क्यूंकि कनाडा में रहते उन्हें वहां की इकोनोमी को अमेरिका पर ही निर्भर पाया...और अमेरिका में भी रहते उनकी दृष्टि में हर हिन्दुस्तानी अपना हिंदुस्तान अपने पीठ/ सर पर रख जी रहा है. यानि अब उन्हें आवश्यकता महसूस होती है की उनका मूल देश बहुत बढ़िया था - जहाँ तक आध्यात्मिक विषय का सम्बन्ध है, परन्तु जहाँ तक भौतिक सुविधा का प्रश्न है, अमेरिका सर्वोत्तम है...
ये सब फिल्म के डायरेक्टर राजकुमार हिरानी का कमाल है...ये बंदा कभी खुद मेडिकल कॉलेज में एंट्रेस टेस्ट के लिए तैयारी करता था...खुद का दाखिला नहीं हुआ लेकिन सारे अच्छे यार-दोस्त मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेजों में पहुंच गए...हिरानी का उनके साथ उठना-बैठना जारी रहा...बस वहीं से मिले फंडों को हिरानी अपनी फिल्मों में उतार रहे हैं...
ReplyDeleteजय हिंद...
> जीनिअस डिरेक्टर हैं राजकुमार हिरानी. आपने सुझाव दिया है तो जरुर देखेंगे.
ReplyDelete> कोटला वाला मुद्दा को छोड़ियेगा नहीं. जाने क्या होगा कॉमन वेल्थ में...
> नव वर्ष मंगलमय हो.
जरूर देखेंगे आपको नये साल की अग्रिम बधाई दो दिन नेत से दूर रहन पडेगा धन्यवाद्
ReplyDeleteDR. SAHAB AAMIR KHAN NE JO GOLEE KHAYEE HAI ,USE DR. TIWAREE SE PA SAKTE HAIN .
ReplyDeleteACHHEE SAMIXA .
बहुत ही बढ़िया फिल्म है थ्री इडियट्स...मैंने दो बार देखी है
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