ऐसे ही कई दौरों पर हमने जो दृश्य देखे और लोगों को धूम्रपान करने के जो बहाने बनाते सुना , वह प्रस्तुत है , इस पूर्वप्रकाशित रचना में ।
अस्पताल के प्रांगण में
ओ पी डी के आँगन में
जेठ की धूप में जले
पेड़ तले,
कुछ लोग आराम कर रहे थे ।
करना मना है ,
फिर भी मजे से
धूम्रपान कर रहे थे ।
एक बूढ़े संग बैठा उसका ज़वान बेटा था
बूढा बेंच पर बेचैन सा लेटा था ।
साँस भले ही धोंकनी सी चल रही थी
मूंह में फिर भी बीड़ी जल रही थी ।
बेटा भी बार बार पान थूक रहा था
बैठा बैठा वो भी सिग्रेट फूंक रहा था ।
एक बूढा तो बैठा बैठा भी हांफ रहा था
और हाँफते हाँफते भी अपनी बुढिया को डांट रहा था ।
डांटते डांटते जैसे ही उसको खांसी आई
उसने भी जेब से निकाल, तुरंत बीड़ी सुलगाई।
मैंने पहले बूढ़े से कहा बाबा ,
अस्पताल में बीड़ी पी रहे हो ,चालान कट जायेगा
वो बोला बेटा , गर बीड़ी नहीं पी
तो मेरा तो दम ही घुट जायेगा ।
डॉ ने कहा है -
सुबह शाम पार्क की सैर किया करो
खड़े होकर लम्बी लम्बी साँस लिया करो ।
लम्बे लम्बे कश लेकर वही काम कर रहा हूँ ।
खड़ा खड़ा थक गया था , लेटकर आराम कर रहा हूँ ।
मैंने बेटे से कहा --भाई तुम तो युवा शक्ति के चीते हो
फिर भला सिग्रेट क्यों पीते हो ?
वो बोला बाबा की बीमारी से डर रहा हूँ
सिग्रेट पीकर टेंशन कम कर रहा हूँ ।
मैंने कहा भैये -
टेंशन के चक्कर में मत पालो हाईपरटेंशन
वरना समय से पहले ही मिल जाएगी फैमिली पेंशन ।
एक बोला मुझे तो बीड़ी बिलकुल भी नहीं भाती है
पर क्या करूँ इसके बिना टॉयलेट ही नहीं आती है ।
दूसरा बोला सर
मैं तो तभी पीता हूँ जब पेट मे बात खास हो जाती हैं
एक दो सिगरेट पी लेता हूँ, तो गैस पास हो जाती है ।
एक युवक हवा में धुएं के छल्ले बना रहा था
पता चला वो लड़का होने की ख़ुशी में ख़ुशी मना रहा था ।
कुछ लोग ग़म में पीते हैं , कुछ पीकर ख़ुशी मनाते हैं ।
लेकिन अपनी और परिवार की जिंदगी दांव पर लगाते हैं।
ये धूम्रपान की आदत , आसानी से कहाँ छूट पाती है
पहले सिग्रेट हम फूँकते हैं , फिर सिग्रेट हमे फूंक जाती है !
धूम्रपान से होने वाली हानि के बारे में चाहें तो यहाँ पढ़ सकते हैं ।