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Tuesday, May 31, 2011

धूम्रपान--पहले सिग्रेट हम फूंकते हैं , फिर सिग्रेट हमें फूंक जाती है ।

आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस है । सरकारी कार्यालयों में प्रति वर्ष मई के आखिरी सप्ताह को धूम्रपान विरोधी सप्ताह मनाया जाता है । इस सप्ताह में हमारे अस्पताल में विशेष दस्ते का गठन किया जाता है , जो अस्पताल में धूम्रपान करते पाए गए लोगों का चालान काट कर जुर्माना करता है और धूम्रपान के प्रति जनता को जागरूक करता है ।

ऐसे ही कई दौरों पर हमने जो दृश्य देखे और लोगों को धूम्रपान करने के जो बहाने बनाते सुना , वह प्रस्तुत है , इस पूर्वप्रकाशित रचना में ।


अस्पताल के प्रांगण में
ओ पी डी के आँगन में
जेठ की धूप में जले
पेड़ तले,
कुछ लोग आराम कर रहे थे ।
करना मना है ,
फिर भी मजे से
धूम्रपान कर रहे थे ।

एक बूढ़े संग बैठा उसका ज़वान बेटा था
बूढा बेंच पर बेचैन सा लेटा था ।

साँस भले ही धोंकनी सी चल रही थी
मूंह में फिर भी बीड़ी जल रही थी ।

बेटा भी बार बार पान थूक रहा था
बैठा बैठा वो भी सिग्रेट फूंक रहा था ।

एक बूढा तो बैठा बैठा भी हांफ रहा था
और हाँफते हाँफते भी अपनी बुढिया को डांट रहा था ।

डांटते डांटते जैसे ही उसको खांसी आई
उसने भी जेब से निकाल, तुरंत बीड़ी सुलगाई।

मैंने पहले बूढ़े से कहा बाबा ,
अस्पताल में बीड़ी पी रहे हो ,चालान कट जायेगा
वो बोला बेटा , गर बीड़ी नहीं पी
तो मेरा तो दम ही घुट जायेगा ।

डॉ ने कहा है -
सुबह शाम पार्क की सैर किया करो
खड़े होकर लम्बी लम्बी साँस लिया करो ।

लम्बे लम्बे कश लेकर वही काम कर रहा हूँ ।
खड़ा खड़ा थक गया था , लेटकर आराम कर रहा हूँ ।

मैंने बेटे से कहा --भाई तुम तो युवा शक्ति के चीते हो
फिर भला सिग्रेट क्यों पीते हो ?

वो बोला बाबा की बीमारी से डर रहा हूँ
सिग्रेट पीकर टेंशन कम कर रहा हूँ ।

मैंने कहा भैये -
टेंशन के चक्कर में मत पालो हाईपरटेंशन
वरना समय से पहले ही मिल जाएगी फैमिली पेंशन ।


एक बोला मुझे तो बीड़ी बिलकुल भी नहीं भाती है
पर क्या करूँ इसके बिना टॉयलेट ही नहीं आती है ।

दूसरा बोला सर
मैं तो तभी पीता हूँ जब पेट मे बात खास हो जाती हैं
एक दो सिगरेट पी लेता हूँ,  तो गैस पास हो जाती है ।

एक युवक हवा में धुएं के छल्ले बना रहा था
पता चला वो लड़का होने की ख़ुशी में ख़ुशी मना रहा था ।


कुछ लोग ग़म में पीते हैं , कुछ पीकर ख़ुशी मनाते हैं ।
लेकिन अपनी और परिवार की जिंदगी दांव पर लगाते हैं

ये धूम्रपान की आदत , आसानी से कहाँ छूट पाती है
पहले सिग्रेट हम फूँकते हैं , फिर सिग्रेट हमे फूंक जाती है ! 

धूम्रपान से होने वाली हानि के बारे में चाहें तो यहाँ पढ़ सकते हैं । Link

38 comments:

  1. Useful and informative post---thanks.

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  2. ये धूम्रपान की आदत , आसानी से कहाँ छूट पाती है
    पहले सिग्रेट हम फूंकते हैं , फिर सिग्रेट हमें फूंक जाती है ।

    बिलकुल सही बात कही है सर,आपने.

    सादर

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  3. आद. डा. दराल जी,
    हास्य और व्यंग्य की बेमिसाल कविता है यह ! कविता में व्याप्त प्रवाह और सन्देश की जितनी भी तारीफ़ की जाय कम है !
    साधुवाद !

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  4. वाकई पीने वाले क्या क्या बहाने बना जाते हैं
    इस ध्रूमपान के चक्कर में फेफड़े अपने जलाते हैं.

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  5. कटाक्ष के साथ इस व्यसन से दूर रहने की डॉ दराल की ख़ास स्टाईल की सलाह ..मान गए बाबा !

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  6. आप का आदेश !
    प्यार भरा प्रभावकारी ,सन्देश ...

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  7. बहुत बुरी बीमारी है !
    न खुद जिए न पडोसी को जीने दे ! शुभकामनायें आपको ...खुदा बीडी बाजों से बचा कर रखे :-)

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  8. वाह .. डाक्टर साहब ... आज तो आपकी पोस्ट का महत्व और भी बॅड जाता है ... आपने कवितामय कर दिया आज का दिन ....

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  9. वाह! पूरे डूब कर लिखे हैं। पढ़कर लगता है खूब घुले मिले हैं!
    ....हास्य के रस में व्यंग्य की जिलेबी छान कर परोस दी है आपने।

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  10. हम ने तो बीस साल पहले छोड दिया इस बिमारी को, अब तो पीने वाले को भी पास नही बेठने देते, बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद

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  11. .बातों बातों में सटीक सँदेश !
    मैं स्वयँ ही बाबा और रजनी के परवान चढ़ते प्यार के साइड एफ़ेक्ट में आकर आधा जबड़ा कुर्बान कर आया । :-(
    एक पहलू और भी... आपकी पोस्ट के बहकावे में आकर लोगों ने कहीं तम्बाकू से तौबा कर ली.. तो घटते राजस्व का क्या होगा... नशा-उन्मूलन के विज्ञापनों पर होने वाले व्यय में घपले कैसे होंगे... इतने बड़े एक्साइज़ अमले का क्या होगा.. जिन्हें अतिकतम वसूली का टारगेट दिया जाता है । क्या इन सब हानियों से राजकोष में लगने वले सेंध की पूर्ति सदाचार माफ़िया करेगा ? :-)

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  12. प्रसिद्ध कहावत तो है ही - Fire at one end and the fool at other :)

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  13. ये धूम्रपान की आदत , आसानी से कहाँ छूट पाती है
    पहले सिग्रेट हम फूंकते हैं , फिर सिग्रेट हमें फूंक जाती है ।

    बहुत ही सामयिक और जरूरी पोस्ट

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  14. सीख भरी सुन्दर रचना

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  15. ज्ञानचंद जी , अरविन्द जी , तारीफ के लिए शुक्रिया ।

    नासवा जी , पाण्डे जी , दरअसल ये हकीकत है जो बयाँ की है ।

    डॉ अमर कुमार जी , सही कहा । बीडी सिग्रेट के साथ , पान , गुटखा , सुपारी , तम्बाकू खाना आदि ऐसे व्यसन हैं जिनसे शिक्षित लोग भी बच नहीं पाते ।
    धूम्रपान हो या शराब --इसमें अधिकारियों का दोगलापन साफ नज़र आता है ।

    सही कहावत सुनाई है प्रशाद जी ।

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  16. अफसोस,कि कई चेन-स्मोकर बगैर किसी रोग के लंबा जीवन जीते हैं। प्रायः,नवयुवकों के लिए वही नज़ीर होते हैं।

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  17. केवल समझदार बच्चे दूसरों को देखकर आग से दूर रहते हैं। खुद आजमाकर जलना बाक़ियों की नियती है।

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  18. ये धूम्रपान की आदत , आसानी से कहाँ छूट पाती है
    पहले सिग्रेट हम फूंकते हैं , फिर सिग्रेट हमें फूंक जाती है ।


    सही कहा .....

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  19. bade acche madhyam se badee baat kah gaye aap ......
    palayan ka prateeek hee lekar chalte hai sigretbaaz apanee aadat ko .

    behatreen lekhan jo hasy vyang ka sangam hai.....
    Aabhar

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  20. ये धूम्रपान की आदत , आसानी से कहाँ छूट पाती है
    पहले सिग्रेट हम फूंकते हैं , फिर सिग्रेट हमें फूंक जाती है ।


    बात तो बिलकुल सही है, सभी जानते भी हैं, लेकिन मानते नहीं हैं. और जानने की कोई कीमत नहीं हुआ करती है, कीमत तो मानने की होती है. ध्रूमपान पर आपकी रचना बहुत ही बढ़िया लगी, बहुत बेहतरीन सन्देश दिया है आपने... साधुवाद!

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  21. धूम्रपान की आदत है तो बुरी पर...

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  22. सिगरेट पीने के फायदे...
    कभी आपके घर नहीं चोरी होगी...
    कभी कुत्ता नहीं काटेगा...
    सदा जवान रहेंगे...

    सोल्यूशन...
    रात भर खांसेंगे तो चोर घर में घुसने की हिम्मत कैसे दिखाएगा...
    हाथ में लाठी लेकर चलेंगे तो कुत्ता पास कहां से फटकेगा...
    बुढ़ापा छूएगा भी नहीं क्योंकि उसके आने से पहले ही राम नाम सत्य हो जाएगा...

    जय हिंद...

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  23. you never know with their wit which excuse they gonna use, coz these guys carry a bag of excuses with them !!

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  24. अनुकरणीय एवं प्रेरक कविता और उसके महाँ विचार स्तुत्य हैं.
    यदि पक्का संकल्प हो तो सिगरेट क्या कोई भी दुखदायी चीज आसानी से छोड़ी जा सकती है.जीवंत उदाहरण अपने चाचा डेंटल सर्जन डा.एन.आर.बी.माथुर सा:जो मथुरा में प्रेक्टिस करते हैं का देना चाहूँगा.पहले वह चेन स्मोकर थे.उनके किसी साथी ने कह दिया आप कभी सिगरेट नहीं छोड़ पाएंगे.छाछा ने उसी वक्त से सिगरेट छोड़ने का संकल्प लिया और फिर अब कभी नहीं लेते हैं.यह व्यक्ति पर है वह चाहे तो सब सकारात्मक कर सकता है.

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  25. शिक्षामित्र जी , धूम्रपान का प्रभाव लम्बे समय के बाद पता चलता है । लेकिन फिर यह असाध्य रोग का रूप धारण कर चुका होता है । इसलिए इसे स्लो पोइजन भी कह सकते हैं ।

    शाहनवाज़ जी , सही कहा , मानने की कीमत होती है ।

    काजल कुमार जी , बुरी आदत मत पालो । छोड़ने में ही भलाई है ।

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  26. हा हा हा ! खुशदीप भी यह सोल्यूशन नहीं , सुलोचन है । :)

    सही कहा माथुर जी । बस एक बार ठान लो और इरादा पक्का हो तो पीछ छूट सकता है ।

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  27. बात बात में बहुत बड़ी बात कह दी आपने ।

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  28. मैंने '९१ में एक दिन अचानक छोड़ दी, और बाद में सोचता था क्यूँ धूम्रपान करते हैं अन्य व्यक्ति !
    जब में धूम्रपान करता था, तब एक बार मन में विचार आया कि हमारा सौर-मंडल लगभग साढ़े चार अरब वर्षों से शून्य में घूम रहा है, और न जाने कब तक ऐसे ही आवारा गर्दी करेगा !

    और इसके एक सदस्य पृथ्वी पर अनंत प्राणियों में केवल मानव को ही देखें तो वो कितना भी जोर लगा ले १०० +/- वर्ष ही जी पायेगा, यानि मानव जीवन क्षणिक ही है, और एक सिगरेट का जीवन काल, दस मिनट मान लीजिये, वो हमारी तुलना में और भी क्षण भंगुर है, दस मिनट में राख बन जाता है... कहीं यह किसी का संकेत तो नहीं, कि यदि मानव उसका प्रतिरूप है तो सिगरेट हमारा प्रतिरूप, यानि उसका भी ?

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  29. जे सी जी , यह अचानक ही छूटती है । आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमने 1९८४ में अपनी शादी वाले दिन छोड़ी थी ।

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  30. डॉक्टर साहिब, वैसे हर 'भली' या 'बुरी' आदत अधिकतर किसी दूसरे व्यक्ति को, रिश्तेदार अथवा मित्र को, करते देख लगती है - 'अच्छी' आदत किन्तु कठिन होती है नक़ल करना, और 'बुरी' आदत छोड़ना कठिन होता है :)

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  31. कुछ लोग ग़म में पीते हैं , कुछ पीकर ख़ुशी मनाते हैं ।
    कुछ लोग दम भर पीते हैं , फिर दमे से छटपटाते हैं ।

    बहुत सुन्दर
    व्यंग्य, नसीहत और जानकारी एकसाथ

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  32. ये धूम्रपान की आदत , आसानी से कहाँ छूट पाती है
    पहले सिग्रेट हम फूंकते हैं , फिर सिग्रेट हमें फूंक जाती है ।
    vaah!! kavita bahut sundar rach gayi hai.Badhai!!!

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  33. Daral saheb ji,
    पहले हम सिगरेट फूकते फिर सिगरेट हमें फूकती
    एक बार लग जाये तो यह आदत फिर कहाँ छूटती
    इसकी तलब तो कमाल की तलब साहेब देखी गयी
    खुदी को मिटा मिटा के दुनिया ये बेखुदी में झूमती
    yun hi man kiya to likh diya.apki rachna bahut hi asar dar lagi.

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  34. शुक्रिया प्रेम जी । आपका स्वागत है ।

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  35. कुछ लोग ग़म में पीते हैं , कुछ पीकर ख़ुशी मनाते हैं ।
    कुछ लोग दम भर पीते हैं , फिर दमे से छटपटाते हैं ।

    ये धूम्रपान की आदत , आसानी से कहाँ छूट पाती है
    पहले सिग्रेट हम फूंकते हैं , फिर सिग्रेट हमें फूंक जाती है ।
    बिल्कुल सटीक कहा है आपने! धुम्रपान करना सिर्फ़ बुरी आदत ही नहीं है बल्कि पैसे की बर्बादी भी है! लोग जान बुझकर इस बुरी आदत का शिकार हो जाते हैं और चाहने पर भी इससे बाहर नहीं आ पाते!

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  36. आपसे एकदम सहमत. सच तो ये है की किसी भी नशे की आदत में पहली बार अक्सर ये सोच जाता है की सिर्फ एक बार में क्या हर्ज़ है बस वो पहली बार ही गड़बड़ हो जाती है. एक बार की वो गलती बार बार उकसाती है.

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  37. will power के सिवा कुछ नहीं जो सिगरेट की आदत छुड़ा सके.....
    सार्थक पोस्ट
    सादर
    अनु

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