Friday, October 15, 2010
राष्ट्र मंडल खेलों ने देश को बनाया फिर से --सोने की चिड़िया --
देश में सदी की सबसे बड़ी और अविस्मरणीय घटना --राष्ट्र मंडल खेलों का कल समापन हो गया । ग्यारह दिनों तक चले इन खेलों के सफल आयोजन से निश्चित ही देश की प्रतिष्ठा में चार चाँद लगे हैं ।
समापन समारोह का एक दृश्य ।
लेज़र शो ।
यह कोई पेंटिंग नहीं , बल्कि तिरंगे में रंगे स्कूली छात्र हैं मार्च पास्ट करते हुए ।
आइये देखते हैं , इन खेलों से हमने क्या पाया ---
दिल्ली को मिले :
साफ़ सुथरी चौड़ी सड़कें।
बाईस नए फ्लाईओवर।
साठ नए फुट ओवरब्रिज।
हज़ारो की संख्या में आधुनिक किस्म की एनर्जी सेविंग स्ट्रीट लाइट्स ।
विश्व का सबसे बड़ा बस डिपो जिसमे १००० बसें पार्क की जा सकती हैं ।
इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा जो विश्व का आठवां सबसे बड़ा हवाई अड्डा है ।
मेट्रो ट्रेन्स का ज़ाल , जिससे सफ़र बहुत आसान हो गया है ।
वातानुकूलित लो फ्लोर बसें , जिनमे सफ़र करना आरामदायक है ।
देश को मिला :
आत्म विश्वास , सम्मान और प्रतिष्ठा में चार चाँद ।
राष्ट्र मंडल खेलों में पदक तालिका में दूसरा स्थान ।
कीर्तिमान स्थापित करते हुए ३८ गोल्ड मेडल्स ( कुल १०१)।
हमें मिला :
घर से अस्पताल तक की दूरी १० किलोमीटर से कम होकर ८ किलोमीटर और समय आधे घंटे से कम होकर १५ मिनट्स ।
देशवासियों ने देखा :
अद्भुत नज़ारा --समापन समारोह का ।
अब यदि आप इसे न देख पाए हों तो निराश मत होइए । इस मामले में हम आपके साथ हैं । क्योंकि आप ही की तरह हम भी यह भव्य समारोह देखने से वंचित रह गए ।
फिर भी हमें गर्व है कि हम राष्ट्र मंडल खेलों का बिना किसी अड़चन के सफल आयोजन कर सके ।
नोट : सभी चित्र साभार अपने नियमित समाचार पत्र --हिन्दुस्तान टाइम्स से ।
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शुभारंभ और समापन समारोह तो नहीं,मगर मैंने छह मैचों के फाइनल अलग-अलग स्टेडियम में देखे। पहली बार महसूस हुआ कि टीवी चाहे जितने क्लोज-अप से शॉट दिखाए,मगर खुली आंखों से सब कुछ अपने सामने घटते देखना अविस्मरणीय अनुभव था। इन खेलों को देखने के बाद,मेरा तो टीवी से मोहभंग हो गया समझिए। खासकर वह क्षण,जब 4x400 मीटर रिले में महिलाओं ने स्वर्ण जीता,जीवन भर याद रहेगा।
ReplyDeleteआप लोग भाग्यशाली हैं जिन्हें स्टेडियम जाकर साक्षात गेम्स देखे, हमने तो टीवी पर ही देखे। जितना भी सम्भव हुआ सारे ही देखे। उद्घाटन भी देखा और समापन भी। बहुत ही आनन्द आया और अपने देश पर गर्व भी हुआ। आपकी रपट से नवीन जानकारी मिली इसके लिए आभार।
ReplyDeletefully agreed with you
ReplyDeleteगर्व की बात है
ReplyDeleteआयोजन बहुत बड़ा था और अंततोगत्वा अत्यंत सफल था.
नवीन जानकारी के लिए आभार।
ReplyDeleteTotally agree with you.
ReplyDeleteDr sahab aapke prashn peepal ke ped ko le kafee uthapatak maine bhee kee.
ANSWER.COM PAR aapko jaroorat se jyada hee information mil jaegee .....
कामन वैल्थ गेम्ज़ के कुशल संचालन और दिल्ली में हुए विकास कार्यों को देख कर खुशी महसूस होती है लेकिन अब ज़रा इसके आयोजनकर्ताओं की भ्रष्टाचार के मामले में क्लास भी लगे तो कुछ और बढ़िया बात बने
ReplyDeleteराजीव जी , शुरुआत हो चुकी है । अभी अभी टी वी पर यही दिखाया जा रहा था ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई। मेरा भारत महान। जय हिन्द।
ReplyDeleteडा. साहिब, धन्यवाद! दिल्ली से दूर मुंबई में होने और तीन वर्षीय बच्चे के घर में होने से टीवी कनेक्शन ही कटवा दिया है पिछले वर्ष से (यद्यपि कई मौके पर लगता है ठीक नहीं किया) बेटी-दामाद ने,,, जिस कारण आदत पड़ गयी है पिछले ४ माह से केवल समाचारपत्र और ब्लॉग आदि द्वारा समाचार प्राप्त होने के...
ReplyDeleteप्रसन्नता हुई कि जैसा मीडिया ने वातावरण बना दिया था वैसा नहीं हुआ और भ्रस्टाचार के बावजूद 'भारत' आगे ही रहा है (और शायद हमारे पूर्वज सही थे जिन्होंने पहले ही कहा हुआ है कि माया के कारण काल सतयुग से घोर कलियुग की ओर ही जाता दीखता है - फिर से सतयुग तक पहुँचने के लिए, अथवा ब्रह्मा की रात्रि के आरंभ होने के लिए!) ...
घोटाले एक अलग समस्या है...बाकि सभी इस बात के कायल हो गए की दिल्ली ने अपना वादा बखूबी निभाया....
ReplyDeleteवाह जो कुछ मिला दिल्ली को मिला । हमारे घर के पास तो जो सड़क है वह और ज़्यादा खराब हो गई है उसपर पहले 15 मिनट लगते थे अब आधा घंटा लगता है ।
ReplyDeleteबहुत सारी नयी जानकारियों के साथ यह लेख संग्रहणीय बन पड़ा है । दिल्ली एअरपोर्ट विश्व का सबसे बड़ा एअरपोर्ट है यह जानकार सुखद आश्चर्य हुआ ! निस्संदेह इन खेलों की बदौलत दिल्ली में जैसे जान पड़ गयी हो ! यह शानदार मंज़र देख बहुत सारे विदेशियों को हमारे देश के बारे में अपनी पुरानी राय बदलने को मजबूर होना पड़ा होगा !
ReplyDeleteहमारे खिलाड़ियों की वर्षों से की जा रही जी तोड़ मेहनत बसूल हो गयी ...
आगे विभिन्न खेलों में हम एक नयी शक्ति बनकर उभरेंगे ! एक नया आत्मविश्वास कायम हुआ है !
सादर
आप शायद इस लेख का शीर्षक देना भूल गए हैं ...
ReplyDeleteजी सतीश जी , मिस हो गया था । शुक्रिया ।
ReplyDeleteदराल साहेब..
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी जानकारी..और सचमुच सब कुछ बहुत भव्य था...समापन समारोह भी...
बस एक दुविधा लगी है मुझे indira gandhi international airport विश्व का सबसे बड़ा एअरपोर्ट हो ही नहीं सकता....जब शिकागो airport, Denver International में एक टर्मिनल से दूसरे टर्मिनल जाने के लिए हम ट्रेन लेते हैं ...और King Khalid International airport ८९ square mile में स्थित है तो फिर IGIA कैसे सबसे बड़ा हो सकता है...?
बाक़ी बातें सही हो सकती हैं...बस मुझे इस बात से इत्तेफाक रखते हुए दुविधा हो रही है...ज़रा खुलासा करें...
मेरा भारत महान... जय हिंद
ReplyDeleteमुझे भी भारत पर गर्व हे, लेकिन ......बहुत सी बाते हे जिन से हम सहमत नही,आधे से ज्यादा स्टेडियम खाली रहे? खेल गांव का समान नही बिका?यह सडके क्या अगली बरसात सह लेगी?अगर खेल गांव का नाम रोशन किया तो उन गरीब ओर गांव के खिलाडियो ने जिन के हिस्से का भी यह नेता डकार गये, ओर उन खिलाडियो का यह देश अभारी हे,इन बच्चो को सलाम,अदा जी की बात से सहमत हे ,
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई, मेरा भारत महान।
ReplyDeleteजय हिन्द!
दिल्ली तो पहले से विकसित थी धीरे धीरे और विकसित हो जाती इसमे भी कोई दो राय नहीं है पर काश ये खेल वहा होते जहा विकाश कम हुआ है इसी बहाने वहा का विकाश तो हो जाता | राज भाटिया जी सही कहा रहे है इन स्टेडियम सड़को को अगली बरसात तक टिकने तो दीजिये | जहा तक मुझे पता है एयरपोर्ट एशिया में सबसे बड़ा है दुनिया में नहीं |
ReplyDelete... behatreen post ... gold-hi-gold ... samast desh vaasiyon ko badhaai-hi-badhaai ... samast safal khilaadiyon ko badhaai va shubhakaamanaayen !!!
ReplyDeleteअदा जी , भाटिया जी , आपने सही कहा । IGIA टर्मिनल III दुनिया का आठवाँ सबसे बड़ा एयरपोर्ट है । भूल सुधार के लिए आभार ।
ReplyDeleteलेकिन अगली बरसात तक सड़कें टिकी रहेंगी , हम तो यही उम्मीद करते हैं ।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्यवाही शुरू हो चुकी है । आज कलमाड़ी को पी एम् की पार्टी में नहीं बुलाया गया ।
वाकई, बहुत गर्व का विषय है. इस बार हमारी फ्लाईट भी टर्मिनल ३ पर आये..यही कामना है. :)
ReplyDeleteभाई साहब-कामनवेल्थ के खेल में कईयों ने सोने की चिड़ियाँ क्या हाथी खरीद लिए।
ReplyDeleteफ़िर भी जो सुविधाएं मिली वे स्वागतेय हैं।
शीर्षक से असहमत।
ReplyDeleteराष्ट्र मंडल खेलों ने दिल्ली को बनाया सोने की चिड़िया।
हमारे पास तो बिजली भी नहीं थी देखने के लिए...सड़क नहीं है चलने के लिए...कोई खेल का मैदान नहीं है हमारे बच्चों को खेलने के लिए...
...याद आ रहा है ...
एक संहशाह ने बना के हसीं ताजमहल
हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक।
बस एक आशा और करनी चाहिए कि अब ये जो बना है उसको यथावत रखा जाएगा, नहीं तो चीजें बिखर जल्दी जाती है
ReplyDeleteफोटो बढ़िया हैं और गर्व बहुत होता है जब देश आगे होता है !
वाह जो कुछ मिला दिल्ली को मिला । हमारे घर के पास तो जो सड़क है वह और ज़्यादा खराब हो गई है उसपर पहले 15 मिनट लगते थे अब आधा घंटा लगता है ।
ReplyDeleteशरद कोकस जी की बातों से सहमत होते हुए इसमें और इतना जोड़ना चाहूँगा की इस खेल ने जमीनी स्तर पर स्थिति को दिल्ली में भी बद से बदतर किया है हाँ हवाई स्तर पर दिखावटी कार्य जरूर किये हैं जिससे सिर्फ और सिर्फ बाजारवाद का भला होगा आम आदमी तो इस खेल के कुकृत्यों की मार अभी आने वाले वर्षों में बरी बेदर्दी से झेलेगा ....कुल मिलाकर इस आयोजन को रोटी,भूख और न्याय के लिए तरसती भारतीय जनता तथा पीने के साफ पानी को तरसती दिल्ली की जनता के टेक्स के पैसों की बेदर्दी से लूट की उपलब्धि के रूप में ज्यादा याद किया जायेगा .....
जय हिन्द
ReplyDeleteबढिया पोस्ट दी है जी आपने, अच्छी लगी।
अब यह विकासकार्य यूं ही निरन्तर रहे यही आशा है।
ओपनिंग, क्लोजिंग सेरेमनी या गेम्स जो लोग नहीं देख पाये, उनके लिये सीडियां आ गई हैं। खरीदें और अपने घर बैठकर मजे से देखें।
प्रणाम
दुर्गा नवमी एवम दशहरा पर्व की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
डा.साहिब, मस्तिष्क की कार्य प्रणाली विचित्र है...(इसको समझने में शायद आपको समय लगेगा), उदहारणतया आपने सुधार के पश्चात कहा, "IGIA टर्मिनल III दुनिया का आठवाँ सबसे बड़ा एयरपोर्ट है।..."
ReplyDeleteसंख्या '८' ('8'), और जैसा मैंने पहले भी कहा, आठ दिशाओं तक ही, बिना बाहरी उपकरण अथवा अंदरूनी शक्ति उजागर किये, आदि के साधारण व्यक्ति की पहुँच) से मेरे मस्तिष्क में विचार आया कि हिन्दू-मान्यतानुसार 'कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार हैं' (और आज गणित के विद्यार्थी जानते हैं कि अनंत को दर्शाने के लिए संख्या ८, यानि लेटे हुए ('8') का उपयोग किया जाता है अनादि काल से), और विष्णु 'अनंत नाग' पर क्षीरसागर के मध्य में (पश्चिम की ओर सर किये और पूर्व की ओर पैर किये) लेटे हैं माना जाता है - ग्राफिक यानि सांकेतिक भाषा में,,,
और 'महाभारत के युद्ध में' कृष्ण से सहायता मांगने दोनों, दुर्योधन और अर्जुन, सुबह-सवेरे दर्शाए गए हैं: अर्जुन उनके पैर की ओर, और दुर्योधन उनके सर की ओर,,,
और इस कारण पौराणिक कहानियों को 'लाइन के बीच पढने' के लिए ये कहना आवश्यक न होगा कि पृथ्वी से सूर्य पूर्व में उदय होता दिखता है,,,जबकि यह शायद सबको मालूम न हो कि शुक्र ग्रह में सूर्य पश्चिम दिशा में उदय होता दिखेगा! जिनके माध्यम से भी कोई अर्जुन को सूर्य से और दुर्योधन को शुक्र ग्रह से जोड़ सकता है...
और "विष्णु शिव हैं और शिव विष्णु हैं" से 'गंगाधर शिव' द्वारा पृथ्वी की ओर इशारा होना जाना जा सकता है,,,और 'शिव के हृदय में माँ काली, (जिसकी जिव्हा लाल दर्शाई जाती है), का वास है', उसको ज्वालामुखी की अग्नि-रुपी जिव्हा, अथवा धरा पर फैलते लाल लावा (जो हवा के संपर्क में आ काला हो जाता है) के स्रोत रूप में समझा जा सकता है (जिस शक्ति के कारण पश्चिम से पूर्व में सहस्त्रों किलो मीटर लम्बी हिमालय की श्रंखला फैली है, पृथ्वी के गर्भ से उपजने के पश्चात, और जिसके शक्ति पीठ पर हिन्दुओं ने मंदिर बनाये हैं सांकेतिक भाषा में)...इत्यादि, इत्यादि,,,
- JC
पुनश्च: 'भारत' को मूलरूप से 'सोने की चिड़िया' बनाने में हाथ 'पंचभूतों' अथवा 'पंचतत्वों' (मिटटी यानि पृथ्वी, अग्नि यानि सूर्य, वायु, जल और आकाश) का समझा जा सकता है,,, जिनके सहयोग के कारण ही जल-चक्र स्थापित हुआ, भारत के वर्षिक दक्षिण-पश्चिमी मौनसून के और हिमालय की उपस्थिति के कारण जो जम्बुद्वीप के गर्भ से पैदा हुआ 'काली' अथवा 'कृष्ण' की कृपा से!
ReplyDeleteकिसी भी घटना को देखने समझने को परखने के दो दृष्टिकोण होते हैं ...तो यदि देखना ही है तो फ़िर सकारात्मक क्यों नहीं ..?? हां ये जरूर है कि ऐसा करते हुए वास्तविकता को भी पूरी तरह झुठलाया नहीं जा सकता है । भविष्य में क्या होगा ये तो ये तो देखने वाली बात है , आज वर्तमान में जो भी उपलब्धि है ..उस पर निश्चय ही गर्व किया जाना चाहिए । और एक आम आदमी आम आदमी ....की बेशक हम माला जपते रहें ...मगर सच यही है और सबसे बडा दुर्भाग्य यही है...कि पूरे दृश्य में एक आम आदमी कहीं नहीं है
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख आभार
ReplyDeleteहमारा भी ब्लॉग पड़े और मार्गदर्शन करे
http://blondmedia.blogspot.com/2010/10/blog-post_16.
एक बार....अपने देश की गरीबी...कमियाँ..भ्रष्टाचार..आदि, भुला कर...खुश हो लेते हैं.
ReplyDeleteप्रदर्शन सचमुच बहुत शानदार था.
मेरा भारत महान बढिया पोस्ट है हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं.
ReplyDeleteपाण्डे जी , बेशक दिल्ली सोने की तरह चमक रही है । लेकिन शीर्षक के पीछे यह तथ्य है --भारत ने इतने (३८) गोल्ड मेडल राष्ट्र मंडल खेलों में पहली बार जीते हैं । अब इसके लिए तो सबको गर्व होना ही चाहिए ।
ReplyDeleteजहाँ तक अन्य क्षेत्रों के विकास का सवाल है , उसके लिए पहल तो वहां की सरकार को ही करनी पड़ेगी ।
यहाँ भी खेलों की सफलता का सेहरा दिल्ली की सी एम् साहिबा को ही बंधा है ।
महंगाई और भ्रष्टाचार को खेलों से जोड़ना अन्याय होगा । ये तो हमेशा से रहे हैं और निकट भविष्य में निज़ात पाने की सम्भावना भी कम ही है ।
कम से कम यमुना पार का कुछ तो उद्धार हुआ. आशा है इसी तरह के आयोजन आगे भी होते रहेंगे ताकि इन्हीं के बहाने कुछ शहरों का कायाकल्प होता रहे..
ReplyDeleteआत्म विश्वास प्रतिष्ठा में चांद और मिला सम्मान
ReplyDeleteराष्ट्र मंडल खेलों में पदक तालिका में दूसरा स्थान
ये तो कविता बन गई श्री मान
क्यों न इस दशहरे पर अपने अन्दर के अहंकार को ख़त्म करने का संकल्प लिया जाये ।
ReplyDeleteआप सब को शुभकामनायें ।
waiting for other international games.
ReplyDeletei am looking bright future of india, after cwg games.
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
liked it.
ReplyDeletethanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
Humane to tv par udghatan aur samapan dekha. Bahut achcha laga ke desh ke khiladiyon ne Bharat ka tiranga faharata rakha ooncha rakha. Khel badhiya tareeke se sampann hue. Isme unginat logon kee mehanat hai unko salam.
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