हंसती हैं
तो
खिल उठते हैं
खुशबू लिए
३२ किस्म के फूल।
वो
मुस्कराती हैं
तो
झनझना उठते हैं
दिल की
वीणा के तार ।
थिरकने लगते हैं
लबों पर
हजारों हसीन तराने ।
वो
उदास होती है
तो
उठता है
दर्द सीने में
ज्यों
सिकुड़ गई हों
नसें
दिल की दीवारों में ।

ये हैं वो , जिनका आज जन्मदिन है ।
बहुत संदर रचना।
ReplyDeleteएक कवि क्या देगा पत्नी को जन्मदिन पर ,कविता के सिवा ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ,जन्मदिन की शुभकामनायें मेरे तरफ से भी ।
अरे!..वाह...
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई...
जन्मदिन की भी और कविता की भी ... :-)
"बार बार ये दिन आये/ बार बार ये दिल गाये/ तुम जियो हजारों साल/ साल के दिन हों पचास हजार!"
ReplyDeleteडॉक्टर साहिब, फिल्मों में हर मौके के गीत मिल जाते हैं,,,
एक डॉक्टर कवि, अथवा उसकी पत्नी को उसकी भाषा में किसी एक फिल्म (शायद राम और श्याम?) का उपरोक्त गीत यहाँ प्रस्तुत किया जा सकता है मेरी ओर से :)
(धन्यवाद! इस से याद आया कि आज ही मेरे बड़े दामाद का भी जन्मदिन है!)
बहुत-बहुत बधाई...
ReplyDeleteजन्मदिन की भी और कविता की भी
बहुत बढ़िया तोहफा दिया है आपने अपने दोस्त के लिए इस खूबसूरत मौके पर !
ReplyDeleteऐसे में रसगुल्ला खिला देते तो मज़ा आ जाता ! हम भी ३२ फूल लेकर पंहुचते :-)
हार्दिक शुभकामनायें आप दोनों के लिए !
जन्मदिन की ढेरों बधाइयां एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteइतनी सुन्दर कविता के साथ सुन्दर सी तस्वीर बहुत जंच रही है
सही कहा अजय कुमार जी । कवि बेचारा --!
ReplyDeleteजे सी जी , आपको भी मुबारक हो , दामाद जी का जन्मदिन ।
आदरणीय डॉ. दराल साहब !
ReplyDelete~*~ आदरणीया भाभी जी के जन्मदिवस पर ~*~
~*~ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !! ~*~
कवि हूं , अच्छी कविता की ता'रीफ़ किये बिना रहा नहीं जाता …
वो हंसती हैं तो
खिल उठते हैं
खुशबू लिए ३२ किस्म के फूल।
वो मुस्कराती हैं तो
झनझना उठते हैं
दिल की वीणा के तार ।
थिरकने लगते हैं
लबों पर हजारों हसीन तराने …
हरकीरत जी यहां पहुंचें , उससे पहले उनका अंदाज़ चुरा कर कह देता हूं ओये होए !!
:) :)
आपसे प्रेरणाएं ले'कर लौट रहा हूं , जीवन को निरंतर जोश से जीने की !
बहुत बहुत शुभकामनाएं
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत खूब राजेन्द्र जी । जीवन में सकारात्मक सोच बनाये रखना अत्यंत आवश्यक है ।
ReplyDeleteअच्छा हुआ,आपने यह जिक्र नहीं किया कि वे जब गुस्साती हैं तो क्या होता है। सुखद स्मृतियां जीवन में मिठास घोलती हैं। हम न चाहें,तब भी प्रतिकूल परिस्थितियों का साबका पड़ता ही है। इसलिए,जितना संभव हो,मधुर स्मृतियों को संजोना ही ठीक। आपके भीतर जो हास्य है,उसके मूल को उन्होंने ही सींचा होगा।
ReplyDeleteहमारी तरफ़ से चोधराईन कॊ जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई ओर शुभकामनाये,चोधरी साहब को भी बधाई जी राम राम, चित्र बहुत सुंदर लगा
ReplyDeleteबहुत बढ़िया , यह 32 किस्म के फूल मगर डॉक्टर को ही दिखाई दे सकते हैं ।
ReplyDeleteअरे हाँ मेरी ओर से भी बधाई कह दीजियेगा ।
ReplyDelete... बधाई व शुभकामनाएं !
ReplyDeleteयह पंक्तियां तो निश्चय ही दिल से निकली हुई लगती हैं. ढेरों शुभकामनाएं.
ReplyDeletecongrats.
ReplyDelete(kai baar, bahut baar try karne ke baad ye comment post kar paa rahaa hoon. kyonki mere dashboard par to ye kai din pehle hi aa gayaa thaa lekin aapkaa link khul nahi paa rahaa thaa.)
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
मिसेज डॉ दाराल को मेरी आदरभरी शुभकामनाएं और बधाईयाँ !
ReplyDeleteशुभकामनाएं और बधाईयाँ ! बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
ReplyDeleteमध्यकालीन भारत-धार्मिक सहनशीलता का काल (भाग-२), राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
क्या बात है, क्या बात है...चश्मेबद्दूर...फोटो पर काला टीका लगना चाहिए...
ReplyDeleteभाभी जी को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई...
आज तो आप दोनों को मेरठ जाकर ढल्लू के ढाबे की चाय पीनी बनती है...(कसम से फाइव स्टार से भी ज़्यादा मज़ा आएगा)...
जय हिंद...
डा. साहिब, धन्यवाद्! अपने न्यू जर्सी निवासी दामाद राम को हम चारों: छोटी बेटी और दामाद, उनका तीन वर्षीय सुपुत्र, और मैं , सब ने बारी बारी से उनके जन्मदिन पर बधाइयां दीं शाम को जब वहां सवेरा आरंभ हो चुका था...भाग्यवश बेटी, और वो कुछ दिन के अवकाश में घर को पेंट करने के चक्कर में घर में ही मिल गए...
ReplyDeleteहंसती हैं
ReplyDeleteतो
खिल उठते हैं
खुशबू लिए
३२ किस्म के फूल।
....आपका साथ जो है उन्हें..जन्म-दिन की बधाइयाँ.
__________________________
"शब्द-शिखर' पर जयंती पर दुर्गा भाभी का पुनीत स्मरण...
जन्मदिन पर बहुत सुन्दर तोहफा दिया आपने आज तो जरूर 32 तरह के फूल खिलेंगे। उन्हें जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें।
ReplyDeleteक्या बात है डा० साहब, अनोखे अंदाज में जन्मदिन की सुभकामनाए दी आपने ! हमारी तरफ से भी ढेरों कामनाये !
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत बधाई ....
ReplyDeleteकविता तो अच्छी है ही ...होगी ही ...!
बधाई डाक्टर साहब ... आपकी उनको जानम दिन की बहुत बहुत बधाई ...
ReplyDeleteलाजवाब तोहफा दिया है आपने आज उन्हे ...
बहुत-बहुत बधाई...
ReplyDeleteजन्मदिन की भी और कविता की भी.........बेहतरीन तोहफ़ा।
जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं ...बेहतरीन रचना .... क्षमा करेंगे देर से ब्लॉग पर आने के लिए... आभार
ReplyDeleteदराल साहब, सचमुच लाजवाब कर दिया आपने। बहुत बहुत बधाई जन्मदिन की और कविता की भी।
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई...
ReplyDeleteजन्मदिन की भी और कविता की भी
जन्मदिन की
ReplyDeleteबहुत-बहुत
बहुत-बहुत
बहुत-बहुत
बहुत-बहुत
..............बधाई
meri taraf se bhi unhein janmdin ki dher saari shubhkaamnayein....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग इस बार मेरी रचना ...
स्त्री
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteकभी-कभी लगता है कि किसी को इतना प्यार ही नहीं करना चाहिए कि उसके उदास होने पर सीने में दर्द हो..!
अरे वाह...गज़ब...आप तो कवि हो गए...कवि भी उच्च कोटि के...शब्द और भाव दोनों अद्भुत हैं और क्यूँ न हों जिनके दिल में प्यार बसता है उनका हर शब्द कविता हो जाता है..ये प्यार बरसों बरस यूँ ही बना रहे...आमीन...भाभी को जनम दिन की ढेरों शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनीरज
जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDelete...आपको और आपके परिवार को नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ
आप सभी मित्रों का तहे दिल से शुक्रिया ।
ReplyDeleteजिंदगी प्यार के सहारे ही चलती है ।
दरल जी ,
ReplyDeleteकोई इतनी प्यारी रचना अपने जीवन साथी को उसके जन्म दिन पर दे । इस बढ़कर जीवन साथी को ख़ुशी कोई और हो ही नहीं सकती । सोचिये दिल कितना बेचैन रहा होगा अपनी बात कहने के लिए तब जाके अपने प्यार के उदगार रचना का रूप ले सके । मैं तो यही कहूँगा की आप रोज़ नए नए तरीके निकालें अपने प्यार को जताने के लिए । और वो भी।
बधाई!!
ओये होए ......!!
ReplyDeleteहमें तो जलन सी होने लगी ......
काश कोई हम पर भी इतनी खूबसूरत नज़्म लिखता ......
बल्ले.....भाभी जी तो बड़ी स्मार्ट हैं .....
उनका भी ब्लॉग स्लोग बनवाइए .....
भाभी जी जन्मदिन मुबारक आपको .....
अब आप भी आ ही जाइये इस मैदान में ......!!
और इस खूबसूरत दिल से लिखी कविता पर आपको भी बधाई .....!!
जन्मदिन का शानदार तोहफा....
ReplyDeleteसभी दोस्तों का पुन : आभार । ख़ुशी में साथ दिया , तो ग़म में भी अपेक्षित है ।
ReplyDeleteजिस तरह दिन के बाद रात आती है , उसी तरह ख़ुशी के बाद ग़म का दौर भी आता है ।
इसी वास्ते शायद अब कुछ दिनों के लिए ब्लोगिंग से दूर रहना पड़ेगा ।
डॉ.साहब जन्मदिन के बारे में देर से पता चला...क्षमा चाहता हूँ...जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ....
ReplyDeleteजन्मदिन और कविता की बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteदेर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ कुछ व्यस्त रही इन दिनों
हमारे पिताजी कहते थे कि जीवन में ख़ुशी हो या गम नित्य (pleasant & unpleasant) कर्म तो करने ही पड़ते हैं...अच्छा है यदि दोनों को आदमी एक ही अंदाज़ (same spirit) से करे...प्रार्थना है कि भगवान् आपको शक्ति प्रदान करें...
ReplyDeleteबस खुद को तैयार कर रहे हैं जे सी जी ।
ReplyDeleteपीपल ही एक ऐसा वृक्ष है, जो चौबीसों घंटे ऑक्सीजन देता है | पीपल का वृक्ष हमारी आस्था का प्रतीक और पूजनीय है। क्योंकि इसके जड़ से लेकर पत्र तक में अनेक औषधीय गुण हैं, इसीलिए हमारे पूर्वज-ऋषियों ने उन गुणों को पहचान कर आम लोगों को समझाने के लिए शायद उन्हीं की भाषा में कहा था "इन वृक्षों में देवताओं का वास है। इसिलये भारतीय संस्कृति में पीपल देववृक्ष कहा गया है | स्कन्द पुराण में वर्णित है कि अश्वत्थ (पीपल) के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं।
ReplyDeleteइसके सात्विक प्रभाव के स्पर्श से अन्त: चेतना पुलकित और प्रफुल्लित होती है। पीपल भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत:मूर्तिमान स्वरूप है। गीता में भी भगवान कृष्ण कहते हैं- समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ | आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। पीपल के वृक्ष के नीचे मंत्र, जप और ध्यान तथा सभी प्रकार के संस्कारों को शुभ माना गया है। श्रीमद्भागवत् में वर्णित है कि द्वापरयुगमें परमधाम जाने से पूर्व योगेश्वर श्रीकृष्ण इस दिव्य पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान में लीन हुए।
मेरे विचार से पीपल के अत्यधिक महत्त्व के कुछ कारण शास्त्र सम्मत है, कुछ विज्ञान के द्वारा प्रमाणित है और कुछ अन्धविश्वास या अल्पज्ञान की परिधि में आते है.