क्या आप जानते हैं , आजकल मनुष्य की औसत आयु क्या है ?
यानि लाइफ एक्स्पेकटेंसी एट बर्थ ।
सत्तर साल --महिलाओं में ७० से ज़रा ज्यादा , पुरुषों में ७० से ज़रा कम ।
लेकिन क्या आप ८० साल की उम्र तक जीना चाहेंगे ?
अस्सी इसलिए कि ८० के होने पर सरकारी सेवा-निवृत लोगों को सरकार २० % अतिरिक्त पेंशन देगी ।
आइये आपको बताते हैं ८० साल तक जीने का फंडा ---
यदि आप निम्नलिखित को ८० तक या उससे कम रखते हैं तो आपकी ८० साल तक जीने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है :
* पल्स रेट यानि नाड़ी की गति ।
* डायसटलिक बी पी यानि नीचे वाला बी पी ।
* कमर का नाप --सेंटीमीटर में ।
* फास्टिंग ब्लड शुगर ।
* एल डी एल कोलेस्ट्रोल ।
ऐसा कैसे करें ?
** बी पी कम रखने के लिए नमक का सेवन कम करें । यानि सिर्फ दाल और सब्जी में सामान्य मात्रा में नमक लें । दही , सलाद , चाट या किसी और चीज़ में नमक न डालें ।
** शुगर कम रखने के लिए --शुगर का सेवन कम करें ।
** एल डी एल कोलेस्ट्रोल को कम रखने के लिए --घी का इस्तेमाल बंद करें या कम करें ।
** कमर को कम करने के लिए --निष्क्रियता को कम करें । एक्टिविटी बढ़ाएं ।
** पल्स रेट कम करने के लिए --तनाव को कम करें । योग और मेडिटेशन करें ।
अंत में --इन सबको कम करने के लिए एक महीने में कम से कम ८० किलोमीटर पैदल चलें--- ब्रिस्क वॉक ।
है ना बढ़िया फंडा --बचत की बचत --और सेहत की सेहत ।
नोट : ८० का फंडा --साभार सौजन्य से , डॉ के के अग्रवाल --चेयरमेन हार्ट केयर फाउनदेशन ऑफ़ इण्डिया ।
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... bahut badhiyaa ... anukarneey ... shaandaar post !!!
ReplyDeleteज्ञान वर्धक व सचेत करती पोस्ट के लिए आभार। क्या भाग्य है कि अपने ब्लॉग मित्रों में इतने अच्छे-अच्छे डाक्टर हैं!... शुगर को छोड़कर अपना तो सब हाई है।
ReplyDelete...इन सब चीजों मे सबसे बड़ा खतरा लापरवाही होती है और कवि से ज्यादा लापरवाह कौन हो सकता है..! दुनियां की परेशानी के बारे में सोचता है तो तनाव मुक्त कैसे हो ?..इससे एक बात सिद्ध हो रही है कि कवियों, साहित्यकारों, विचारकों, दार्शनिकों की औसत उम्र कम होती होगी!
aaj ke vyast jeewan me log swasthya ke prti laprwah hote ja rahe hai.....achha aalekh....
ReplyDeleteडा० साहब, बहुत बेहतरीन लेख, जीवन के मेंटिनेंस के उम्दा औजार बताये ! लेकिन जहां तक अपना सवाल है एक शेर मारना चाहुगा ; :)
ReplyDeleteहमने तो तय कर लिया और न बोझ बनकर रहेंगे धरा पर,
पाँव एक्सीलेटर पर है, और स्पीडोमीटर की सुई १२० के ऊपर !!
वाह ये फंडा सही है
ReplyDeleteइसे हमसे शेयर करके के लिए धन्यवाद आपका :)
इस सन्डे इतिहास की यात्रा करते हैं :
वो कहते नहीं तो क्या हुआ ....आइये उन्हें सम्मान देने का एक बेहद छोटा सा प्रयास करते हैं
बहुत सही और आसान उपाय बताये आपने, पर जितने आसान लगते हैं उतने आसान हैं नही. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत बढिया दराल साहिब आपने तो जीने की उमीद बढा दी है 3 मे से एक दुरुस्त नही बस भागना शुरू करते हैं। धन्यवाद। ये न हो कि 81 वां साल लगते ही चलते बने फिर सरकार से पेंशन कैसे लेंगे जिसके लिये इतने पापड बेलने हैं। हा हा हा।
ReplyDeleteअच्छी ज़िंदगी का मूलमंत्र दे दिया डॉक्टर साहब...
ReplyDeleteलेकिन अमल में लाने के लिए कल से शुरू करेंगे वाला कल क्यों नहीं आता...
आज से नारा देते हैं-
हेल्दी इंडिया, वेल्दी इंडिया
जय हिंद...
डा. साहिब, अत्यंत लाभदायक पोस्ट के लिए धन्यवाद्!
ReplyDeleteडा. अग्रवाल की सलाह "...एक महीने में कम से कम ८० किलोमीटर पैदल चलें--- ब्रिस्क वॉक" से याद आया कि एक ऐसी ही सलाह, ४ किलोमीटर रोज़ चलने की, एक व्यक्ति को मुटापा कम करने हेतु दी गयी तो १५ दिन बाद उसका फ़ोन डॉक्टर को मिला कि उसको बहुत लाभ हो रहा था - किन्तु उसको कितने दिन तक ऐसे ही चलते रहना होगा, क्यूंकि वो (दिल्ली से) मेरठ पहुँच चुका था ?
पाण्डेय जी , सही कह रहे हैं । इनमे ब्लोगर्स को भी जोड़ दीजिये ।
ReplyDeleteगोदियाल जी , ऐसी भी क्या नाराज़गी है --जिंदगी से ।
रामपुरिया जी , सही कहा --करना मुश्किल होता है । तभी तो अभी लाइफ एक्स्पेक्तेंसी ७० ही है ।
हा हा हा ! निर्मला जी --पेंशन तो बस बोनस है । फंडा तो सार्थक जीवन के लिए है ।
ठीक है खुशदीप --आज से ही शुरू किया जाये ।
हा हा हा ! जे सी जी --इसीलिए लोग पार्क में गोल गोल घूमते हैं ।
डा. साहिब, कहते हैं 'बात से बात निकलती है', इस लिए 'पार्क में गोल गोल घूमने' से अपने घर के निकट के पार्क में इंदौर से आये शालिग्राम के साथ घूमते उनका कथन याद आया कि "उन्हें तेल पेरते बैलों की जोड़ी की याद आती है"!
ReplyDeleteसोने की खदान जैसा लेख ,आभार ।
ReplyDeleteअग्रवाल जी की बातें तो अच्छी हैं पर सरकार को पक्का पता है कि न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी इसलिए 20% का क्या है...
ReplyDeleteन नमक न मीठा ....फिर ज्यादा जियें क्यों ? :):)
ReplyDeleteसेहतमंद लेख
जे सी जी , सही है --
ReplyDeleteवहां काम पर जाते हैं , पैदल चलकर
यहाँ पैदल चलना भी एक काम है ।
काजल कुमार जी , सरकार से टक्कर लेना का यह अच्छा तरीका है । और सरकार बुरा भी नहीं मानेगी ।
संगीता जी , आखिरी फंडा सबसे बढ़िया है । जो भी मन करे खाओ , लेकिन केल्रिज खर्च कर सब हिसाब बराबर कर डालो ।
बढ़िया जानकारी देने का शुक्रिया धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत सुंदर, ओर हम यह सब करते है जी, लेकिन ९० तक क्या हम तो १०० तक जीना चाहेगे, लेकिन जिन्दगी से दो शर्त लगा कर, एक तो हमारे साथ हमारी बीबी रहे अंत तक, दुसरा अंत तक किसी का सहारा ना लेना पडे, किसी पर बोझ ना बने, वेसे जाने को चाहे कल चल बसे कोई गिला नही, मस्त है, जेसे खुशी खुशी जीते है मरेगे भी युही हंसते हंसते
ReplyDeleteसरकार २० % अतिरिक्त पेंशन देगी । .....
ReplyDeleteपर करेंगे क्या? न मुंह में दांत, न पेट में आंत :)
है ना बढ़िया फंडा --बचत की बचत --और सेहत की सेहत ।
ReplyDeleteअब इतनी बचत करवा रहे हो तो २०% पेंशन बढ़वा कर करेंगे क्या...सब तो पहले से ही बंद करवा रहे हैं ?
और जब मन को इतना मार लेंगे तो सेहत क्या ख़ाक रह जायेगी...बिचारी सूख सूख कर वैसे ही काँटा हो जायेगी.
:):)
बढ़िया जानकारी भरा आलेख...शुक्रिया
ReplyDeleteभाटिया जी , आपकी दोनों शर्तें सही हैं ।
ReplyDeleteप्रशाद जी और अनामिका जी , बात तो आपकी भी सही है ।
लेकिन न जाने क्यों , ये बात पैसे के लालची लोगों को समझ नहीं आती । बस अपना घर भरने में लगे हैं ।
सरकारी लोगों के लिए तो ठीक है बाकी क्या करें। एक ही विचार मन में रखना चाहिए जब तक जिये किसी पर निर्भर न हों । जिये तो शान से और मरे भी शान से ।
ReplyDeleteधन्यवाद डॉक्टर साहब । हम तो यह सब कबसे करते चले आ रहे हैं । मिलते हैं 80 वीं वर्षगाँठ पर ।
ReplyDeleteअच्छी सलाह ...उपयोगी पोस्ट ...
ReplyDeleteशारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी कुछ टिप्स दीजिये कभी ..
आभार ...!
शुभकामनायें !
ReplyDeleteहम तो आपको फालो करेंगे ...
बढ़िया जानकारी भरा आलेख...शुक्रिया
ReplyDeleteइच्छामृत्यु का वरण बिरले ही कर पाते हैं। आम आदमी की जिजीविषा कभी ख़त्म नहीं होती। बस,इतनी कामना है कि जितना भी जिएं,स्वस्थ रहकर जिएं। बेशक,आपके टिप्स इसमें सहायक होंगे।
ReplyDeleteबहुत ही ज्ञानवर्द्धक पोस्ट....बहतु सारे लाभदायक टिप्स के साथ.
ReplyDeleteअस्सी साल तक ना भी जियें पर जितने दिन जियें....पूरे उत्साह और निरोग शरीर के साथ जियें यही कोशिश होनी चाहिए.
इतना कुछ !!!!!!! आभार !
ReplyDeleteबहुत अच्छा और लाभदायक लिखा हैं आपने.
ReplyDeleteइन सबसे व्यक्ति अस्सी ही क्यों बल्कि शतक या सौ साल तक भी जी सकता हैं वो भी निरोगी काया के साठ.
बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार आपका.
लोगो की उम्र बढाने का निश्चित तौर पर आपको पुण्य मिलेगा.
आप पुण्य के भागी हैं और इस पुण्य स्वरुप ईश्वर आपको सौ साल जीने का वरदान देगा.
बहुत-बहुत-बहुत धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
सर
ReplyDeleteआपकी बात तो लाक टके की है। सेहत के लिए खाएंगे भी दबा के। पर ये पता कैसे चलेगा कि जितना खाया है उतनी कैलोरी भी खर्च कर दी है हमने। पता चले कि कुछ ज्यादा ही खर्च हो गई है। आखिर क्या उपाय है इसे जांचने का, सच्ची बताइगा मुझे।
sahi baat....
ReplyDeleteये 80 का फण्डा समझ आ गया लेकिन 80 कुछ ज्यादा लग रहे हैं। लेकिन ब्लाग जगत के सहारे कट ही जाएंगे। हा हा हा हा।
ReplyDeleteक्यूंकि डा. साहिब ने स्वयं एक पोस्ट में गीता का सार समझाने का प्रयास किया था, मैं यहाँ केवल इतना ही कहूँगा कि उसी गीता में कहा गया है कि पृथ्वी पर मानव जीवन का उद्देश्य केवल निराकार भगवान् को और उसके भौतिक रूपों को ही जानना है,,, और हमारी पौराणिक कहानियाँ प्रहलाद, ध्रुव आदि पात्रों के माध्यम से संकेत करती हैं कि यह जानने के लिए, यानी लक्ष्य प्राप्ति के लिए, आवश्यक नहीं ८० या १०० साल जीना (और इस ९९ के चक्कर में सही लक्ष्य को नज़रंदाज़ कर देना!)...हाँ 'नर सेवा/ नारायण सेवा' अवश्य जाना हमारे ज्ञानी पूर्वजों ने...
ReplyDeleteहूँ...अच्छी जानकारी मिली. अभी से फालो करती हूँ...
ReplyDelete________________
'पाखी की दुनिया' में अंडमान के टेस्टी-टेस्टी केले .
itani achhi v swasthy-purn jaankaari dene ke liye
ReplyDeletedil se dhanyvaad.
poonam
maaf kijiye sir...yeh jeena bhi koi jeena hai...
ReplyDelete70 kyun 60 saal hi jiyo lekin jiyo aise jaise lage ki zindagi bitayi hai....
yun jawani mein budhape ka jeewan kyun bhala ???
डियर सुमन , जीवन में अनुशासनहीनता सबसे बड़ी कमी होती है । अभी से ध्यान रखोगे तभी ५० -६० तक पहुँच पाओगे ।
ReplyDeleteitni jankari parak post ke liye aabhar.... bas aj se kuch badlav lane ki koshish shuru....
ReplyDeleteनवरात्रों में स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों का पालन करना आसान होता है । शुभकामनायें ।
ReplyDeleteएल डी एल कोलेस्ट्रोल ही थोडा ज्यादा है कोशिश जारी रहती है खाने में घी तेल का कम प्रयोग और कुछ सैर.
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