एक इश्किया ग़ज़ल , जो लिखनी तो बहुत पहले चाहिए थी , लेकिन लिखी आज है ।
आप जब से मन को छलने लगे ख्वाब तब से दिल में पलने लगे ।
डूब कर हुस्न में यूँ खोये रहे
साथ दोस्तों का भी खलने लगे ।
प्यार में तेरे यूँ नाकाम हैं
काम सारे कल पे टलने लगे ।
छोड़ कर दुनिया को तेरे लिये
आँख बंद कर हम तो चलने लगे ।
ग़ैर नज़र जो उठे उनकी तरफ
डाह से दिल अपना जलने लगे ।
लालची तो इतने ना थे कभी
नोट फिर क्यों पर्स में गलने लगे ।
प्यार में जो 'तारीफ' बने "तरु"
फूल पतझड़ में भी खिलने लगे ।
( तरु = लव टरी )
( चौधराइन को समर्पित , जिनका आज जन्मदिन है )।
बीस साल बाद एक बार फिर श्रीमती जी का जन्मदिन दशहरे के दिन आया है ।
नोट : ग़ज़ल को सीधी सादी, सरल भाषा में लिखा है । क्या करें , टेढ़ी मेढ़ी कठिन भाषा आती भी नहीं ।
बीस साल बाद एक बार फिर श्रीमती जी का जन्मदिन दशहरे के दिन आया है ।
नोट : ग़ज़ल को सीधी सादी, सरल भाषा में लिखा है । क्या करें , टेढ़ी मेढ़ी कठिन भाषा आती भी नहीं ।
आप जब से मन को छलने लगे
ReplyDeleteख्वाब तब से दिल में पलने लगे ।बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल....
भाभीजी को जन्मदिन की ढेरों बधाई।
ReplyDeleteआप की चौधराइन को जन्मदिन की बहुत-बहुत मुबारक ...
ReplyDeleteऔर आप सब को दशहरे की शुभकामनाएँ!
ग़ैर नज़र जो उठे उनकी तरफ
डाह से दिल अपना जलने लगे ।
इसे चौधराइन को समर्पित कर दें ......??
खुश रहें ,मुबारक हो !
सुंदर गजल के साथ भाभी जी जन्मदिन मनाने का तरीका बढिया रहा।
ReplyDeleteभाभी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
मैडम दराल को मेरी और से बहुत बढ़ाई और शुभकामनाएं ...
ReplyDeleteयह ग़ज़ल तो उन्ही को समर्पित है ही बिन कहे !
*बधाई और शुभकामनाएं ...
ReplyDeleteप्यार में तेरे यूँ नाकाम हैं
ReplyDeleteकाम सारे कल पे टलने लगे ।... waah , happy birthday to your love and happy dashahra
बीस साल बाद जन्म दिन दशहरे के दिन
ReplyDeleteलव ट्री से मुस्कान के फूल झरे अनगिन
शुभकामनाएँ लीजिए, ले लीजिए बधाई
बाबा की हो कृपा खुश रहें यूँ ही हर दिन
chaudhain ko janmdin ki aur aapko bees saal baad dashhare ki badhaai ! ghazal bhi dil se nikli hai isliye seedhi hai :-)
ReplyDelete*chaudharain
ReplyDeleteशुभ अवसर पर शानदार गजल ।
ReplyDeleteखुद को पत्नी का नाकाम आशिक मानना अच्छी बात है , क्योंकि कामयाब आशिक बनने के लिये आप और प्यार देने का प्रयास करेंगे।
इस प्रकार और प्यार बढ़ेगा ।
जन्मदिन की बधाई श्रीमती दराल को ।
अरे वाह! समूचे पिट्सबर्ग की ओर से भाभीजी को जन्मदिन की बधाई पहुँचे!
ReplyDeleteवाह. बहुत प्यारी गज़ल है.. बहुत बहुत बधाई..
ReplyDeleteभाभीजी को जन्मदिन की बधाई. गज़ल को तो खूबसूरत होना ही था आखिर कही किसके लिये है.
ReplyDeleteविजयादशमी की शुभकामनायें आपको और पूरे परिवार को.
आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।
ReplyDeleteदशहरा पर ही भाभीजी का जन्म दिन भी आप सब को मुबारक हो।
दोस्त लोग छूटने लगते अहिं किसी के प्यार में ... बहुत लाजवाब गज़ल है ... मज़ा आ गया ...
ReplyDeleteविजय दशमी की हार्दिक बधाई ...
आज के दिन यह सादी और प्यारी सी कविता उतरी है, मुबारक हो.
ReplyDeleteसीधा सरल लिखना ही तो मुश्किल है
ReplyDeletemeri taraf se bhi mam ko janmdin ki or aap sabko dashre ki subhkaamnayen.
ReplyDeletebahut khubsurat rachna
jai hind jai bharat
श्रीमती दराल को जन्मदिन की बधाई|
ReplyDeleteविजयादशमी की शुभकामनायें|
आप की चौधराइन को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteऔर गज़ल तो माशाल्लाह...
अब तक के सफर को जैसा भी देखा,जिया उन्होंने,उनकी मुस्कुराहट बयां कर रही है।
ReplyDeleteश्रीमती डॉक्टर तारीफ सिंह को दशहरे और जन्मदिन दोनों की बधाई और अनेक शुभ कामनाएं!...
ReplyDeleteऔर सभी अन्य पारिवारिक सदस्यों को भी दशहरे के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई.और शुंह कामनाएं...
(एक आदमी अपनी पत्नी को स्वयं बोलने में शर्माता था,,, जिस कारण वो ऑफिस पहुँच पत्र भेज दिया करता था!
आजकल तो ईमेल के माध्यम से भी बताया जा सकता है!)
आप की चौधराइन को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteविजयादशमी पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।
प्यार में तेरे यूँ नाकाम हैं
ReplyDeleteकाम सारे कल पे टलने लगे ।
बहुत खूब शेर और गज़ल
आप की चौधराइन को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई
हार्दिक बधाईयां और शुभकामनाएँ, भाभीजी के जन्मदिन के साथ ही दशहरे के शुभ पर्व की भी.
ReplyDeleteमाननिया भाभीजी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम
@ चोधराईन भाभी जी के लिये,
ReplyDeleteजरा चोधरी साहब का ख्याल रखियेगा, आजकल उल्टी सीधी गजल लिखने लगे हैं, कहीं बुढापे में इधर उधर नजर या पैर फ़िसल गया तो क्या होगा?:) जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
yatharth ke dharatal per pahle kiye gaye prayog ka parinaam hai yah..pyaar me aisa hi hota hai
ReplyDeletehappy b'day to ur wife !!
ReplyDeleteI must say shez very pretty :)
fantastic lines !!
विजयादशमी पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteसुन्दर गजल....जन्मदिन की ढेरों बधाई
ReplyDeleteआज भी दिल जवान है तो बीस साल बाद ही सही... प्रेम के इज़हार के लिए इट इज़ नेवर टू लेट :) भाभीजी को जन्मदिन की बधाई॥
ReplyDeleteआप सब की शुभकामनाओं के लिए दिल से आभार ।
ReplyDeleteराधारमण जी , इसी मुस्कान पर हम लट्टू हुए थे ।
सही कहा जे सी जी , आई लव यू कहना वास्तव में बड़ा मुश्किल होता है ।
@ ताऊ रामपुरिया said...
ReplyDeleteभई , पैर फिसलना तो चांस की बात है लेकिन नज़र --हम तो गीतानुसार सतरहवें अध्याय में बताये गए ब्रह्मचर्य का ही पालन कर रहे हैं । :)
डॉ मिश्र जी , अनुभवी तो आप भी कम नहीं होंगे --स्वयं ही सोचिये ।
@ ज्योति मिश्र --- yes she is .
सही कहा प्रसाद जी । दिल तो सदा ही ज़वान ही रहता है ।
आप सभी को दशहरे की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने! भाभी जी को जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें! आपने भाभी जी के जन्मदिन पर बहुत ही सुन्दर और अनमोल तोहफा दिया है !
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
त्यौहार का मजा द्विगुणित हो गया होगा, ढेरों बधाईयां आपके समस्त परिवार को।
ReplyDeleteदांपत्य जीवन सुखद और सुदीर्घ हो, हमें ऐसी गज़लें पढ़ने को मिलती रहें और आप इस मुस्कान पर लट्टू हुये रहें, होते रहें:)
प्यार में जो 'तारीफ' बने "तरु"
ReplyDeleteफूल पतझड़ में भी खिलने लगे ।
आप तो नज़दीक से नज़दीक तर आते गए ....अच्छी ग़ज़ल कही है मौजू .एक दम से .
Bahut badhiya joradar gajal . bhabhiji ko janamadin par badhai or apko avam apke parijanon ko dashahara parv ke avasar par hardik shubhakamanayen or badhai...
ReplyDeleteभाभीजी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteगज़ल बेहतरीन बनी है.
डूब कर हुस्न में यूँ खोये रहे
ReplyDeleteसाथ दोस्तों का भी खलने लगे ।
वाह वाह .....मोहोब्बत का एक और सच शायद यही है जो लोग बहुत कम ही लिखा करते है। मेरी और से भी भाभी जी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें .....
वाह दाराल साहब इतना खूबसूरत दिल तभी भाभी जी इतनी प्रफुल्लित है , भाभी जी को जन्म दी की बधाई एवं आपको खूबसूरत गजल के लिए बधाई , आपकी जोड़ी प्यार से लवरेज रहे यही शुभकामनाये है
ReplyDelete'बीस साल बाद एक बार फिर', ऐसा तो शायद अट्ठारह बरस पर होता है(गजल नहीं, तिथि-संयोग). शुभकामनाएं.
ReplyDeleteअमृत - अजन्मा और अनंत - शिव के मस्तक पर इंदु यानि चन्द्रमा के चक्रानुसार तिथि का निर्धारण किया और चाँद को सांकेतिक भाषा में जिसने उच्चतम स्थान दिया, वो 'हिन्दू' कहलाया जाने लगा जब ज्ञान की चरम सीमा में 'भारत' कभी था ... और सांकेतिक भाषा में ही योगेश्वर, 'गंगाधर' और 'चंद्रशेखर' आदि आदि शिव को शक्ति समान अमृत, साकार रूप में भी पृथ्वी से ही उत्पन्न और पृथ्वी के ही गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में अवस्थित चन्द्रमा, अर्थात एक ही पृथ्वी-चन्द्र की जोड़ी को, 'द्वैतवाद' के जनक समान जाना गया...
ReplyDeleteसर्वगुण संपन्न शिव और पार्वती, सती का ही कालान्तर में स्वरुप, के विवाह की कथा के माध्यम से यह वैज्ञानिक तथ्य हमारे ज्ञानी-ध्यानी पूर्वज सत्य, 'सत्यम शिवम् सुन्दरम' को जान, अर्थात मानव शरीर को भी शिव का ही प्रतिरूप जान, द्वैतवाद के कारण संख्या में दो प्रतीत होते दोनों, पति-पत्नी, को वास्तव में शक्ति रुपी आत्माओं का मिलन जाना... और दोनों में शरीर रुपी मिटटी को अज्ञानता का कारण, अर्थात कुछ भाग्यशाली जोड़ों को छोड़, अधिकतर जोड़ियों में मिस-मैच का कारण...:)
पुनश्च - कई 'हिन्दू' मान्यताओं में से एक मान्यतानुसार, दशहरे का दिन सांकेतिक भाषा में अर्धनारीश्वर शिव के कंधे से उनकी प्रथम अर्धांगिनी सती के शरीर के अंतिम भाग के गिरने और उनकी 'बुरी दशा' के हरण के रूप में मनाया जाता है...
ReplyDeleteगंगाधर शिव के त्रेता के प्रतिरूप, (जिसका लक्ष्य मानसरोवर से निकली गंगा समान सुसुम्ना नाडी, अर्थात स्नायु तंत्र की मुख्य नाडी द्वारा मन पर नियंत्रण अपना लक्ष्य मान), लक्षमण के बुराई पर विजय पा अयोध्या लौटने का दिन भी यह माना जाता है...
राहुल सिंह जी , हमने तो अंदाज़े से लिखा था । वैसे आपने भी शायद ही लिखा है ।
ReplyDeleteप्यार में जो 'तारीफ' बने "तरु"
ReplyDeleteफूल पतझड़ में भी खिलने लगे ।
फूल खिलते रहें .. भाभी जी को देर से जन्म दिन की बधाई
देर से ही सही , शुक्रिया वर्मा जी ।
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