दिल्ली में डेढ़ महीने की सर्दी के बाद कुछ दिनों से मौसम बदल सा गया है। हवा में ठंडक कम और उष्मा बढ़ने लगी है। नर्म सुहानी धूप खिली है। बसंत ऋतू अपने पूरे जोबन पर आ चुकी है। हवाओं में फूलों की भीनी भीनी खुशबू छा गई है। ऐसे में दिली वाले घर कहाँ बैठे रह सकते हैं।
दिल्ली में महरौली बदरपुर रोड पर साकेत के करीब बना है , गार्डन ऑफ़ फाइव सेंसिज। दिल्ली टूरिज्म ने यहाँ १९-२१ फरवरी तक गार्डन टूरिज्म फेस्टिवल का आयोजन किया था । क्योंकि यही एक पार्क है जो हमने अभी तक नहीं देखा था , इसलिए शनिवार को हम पहुँच गए इस फूलों के मेले में।
ढूढने में कुछ समय लगा। ऍम बी रोड से गार्डन तक की रोड कच्ची सी थी , मेट्रो का काम चल रहा था । पार्क के सामने भी उमड़ पड़ी भीड़ के लिए इतनी पार्किंग नहीं थी। इसलिए गाँव की कच्ची जमीन में पार्किंग बना रखी थी।
बड़ी बड़ी गाड़ियों वाले दिल्ली के रईसजादों की नाक भों सिकुड़ रही थी , क्योंकि अपने प्यारे देश की सोंधी मिटटी की टनों धूल गाड़ियों और साड़ियों से लिपटी जा रही थी।
लेकिन द्वार से प्रवेश करते ही सारी थकान और परेशानी उड़न छू हो गई।
कैसे --- आप भी देखिये ---
प्रवेश द्वार के अन्दर ।
फूलों से बनी हैंगिंग बास्केट ---
ये फूल इतने बड़े थे की इनकी रक्षा के लिए बड़ी बड़ी मूछों वाला गार्ड खड़ा करना पड़ा।
यह गमलों का समूह बहुत खूबसूरत दिख रहा था ।
यहाँ तो ढेरों ढेर बने हुए थे ।
पंक्ति में देखिये ।
ये गेंदे के फूल बहुत दिनों बाद दिखाई दिए । और इनमे खुशबू भी थी।
इस फ्लोरल अरेजमेंट में क्या दिख रहा है , ये तो आपको पता चल ही गया होगा।
ये बोनसई , कितना बड़ा --कितना छोटा ।
एक पुष्प ऐसा भी ।
मेले में घूमता नज़र आया ---चार्ली चैपलिन ---राजू चैपलिन , एक आर्टिस्ट।
और ये राजस्थानी डांसर्स , लोगों को दखते ही ठुमके लगाना शुरू कर देते थे।
स्टेज पर रंगारंग कार्यक्रम ---ये मयूर नृत्य वास्तव में बड़ा मनभावन था ।
अंत में , ये हरियाणवी लोक नृत्य ---मेरा दामण सिला दे हो , ओ नन्दी के बीरा ---इस लोक गीत के साथ --सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहा।
गार्डन ऑफ़ फाइव सेंसिज की एक और छवि देखने के लिए --विजिट कीजिये --चित्रकथा पर।
नोट : कभी फूलों को देखिये , देखते रहिये ---एक मेडिटेशन सा होने लगता है।
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शानदार तस्वीरें...आनन्द आ गया!!
ReplyDeleteअद्भुत !अविश्वसनीय!ओह जब मैं दिल्ली आ रहा हूँ तब तक वह ख़त्म हो गया
ReplyDeleteअत्यन्त खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य...बढ़िया प्रस्तुति..डॉ. साहब बहुत बहुत धन्यवाद हम तो घर बैठे ही गार्डेन घूम लिए...
ReplyDeleteफूलों के इन ढेरों को
ReplyDeleteहंसी के ढेरों में बदलना होगा
रंगों को बदलना होगा
होली के रंगों में
रंग वे जो मन को रंग जाएं
तन को तनिक न नुकसान पहुंचाएं।
पर आप अकेले अकेले हो आए
हमें तो फोन पर बतला देते
हम भी इनमें शामिल हो जाते।
पर यहां पर दर्शनाने के लिए
आभारी हैं
स्नेह प्रदर्शन के लिए
फूल प्रदर्शन का यह दर्शन
मन हमारा हो गया प्रसन्न।
डा. साहिब, (आँखों के माध्यम से) दिल बाग़ बाग़ हो गया! धन्यवाद!
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति !
ReplyDeleteबहुत ही जोरदार फोटों हैं सभी..धन्यवाद।
ReplyDeleteडॉक्टर साहब,
ReplyDeleteसोच रहा हूं दराल की दिल्ली नाम से सीरियल बनाया जाए...कैसा रहेगा...
जय हिंद...
क्या सर इतनी देर से डाली ये पोस्ट मुझे भी जाना था. जाने के पहले पूछना तो था एक बार हम भी लद लेते. गाड़ी और साडी दोनों को कुछ धूल और कुछ फूल का लुत्फ़ उठा लेने देते. खैर कोई बात नहीं आप ने देखा, आपकी आँखों से हमने भी देखा अच्छा लगा.
ReplyDeleteएक पुष्प ऐसा भी जो लिखा है उसका नाम ( comman name) " बोटल ब्रुश " है क्योंकि वो बोटल साफ़ करने वाले ब्रुश की तरह दीखता है
yahan aakar wahan jaane ka man ho utha itni lubhavni jagah holi ke rang jaise isi bagiya me bikhar gaye ho ,delhi walon ne to bharpur aanand liya is khoobsurati ka .bahut pyari post ,hum to dekh khush ho gaye .
ReplyDeleteसभी चित्र मनमोहक हैं!
ReplyDeleteयह गार्डन वाकई बहुत खूबसूरत है सभी चित्र बहुत बढ़िया लिए हैं
ReplyDeleteवाह बहुत खूबसूरत नज़ारा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
डाक्टर साहब क्या रंग निखारे हैं फूलों के अपने .... हर चित्र में फूलों के रंगों ने बहुत आकर्षित किया ... अच्छा लगा गार्डेन ऑफ फाइव सेंसेज़ का सफ़र आपके साथ ....
ReplyDeleteइन तस्वीरों में तो स्वयं ऋतुराज विराजमान हो गये ,वाह.
ReplyDelete...बेहद... बेहद... बेहद खूबसूरत ...प्रभावशाली व प्रसंशनीय प्रस्तुति, आभार!!!!
ReplyDeleteअरे खुशदीप भाई, देर किस बात की । स्क्रिप्ट तो लगभग तैयार है । बस मुहूर्त शॉट लीजिये और शुरू कर दीजिये प्रोडक्शन। लेकिन गेम्स से पहले कम्प्लीट कर लेना ।
ReplyDeleteरचना जी , कोशिश तो की थी सन्डे को सुबह पोस्ट करने की, लेकिन शनिवार शाम और रविवार को मेडिकल कोंफेरेंस में व्यस्त रहने की वज़ह से पोस्ट नहीं कर पाया। खैर सैर तो कर ही ली न आपने भी।
और हाँ , देखिये ना आपने हमारी जानकारी भी बढ़ा दी, बोटल ब्रश नाम बताकर । आभार जी।
वाह डाक्टर साहब वाह...करीब सात साल पहले जब दिल्ली रहता था तब ये गार्डन देखा था लेकिन ये इतना खूबसूरत बन के निकलेगा इसका अंदाज़ा नहीं था...आप के चित्रों के माध्यम से हमने भी इसे देख लिया और आनंद लिया इसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया...
ReplyDeleteनीरज
रंग बिरंगे फूलों की तस्वीरों को देखकर मन भर गया! काश मैं अभी दिल्ली में होती तो ज़रूर देखती! पर कोई बात नहीं क्यूंकि आपने इतनी सुन्दरता से प्रस्तुत किया है और तस्वीरों के तो क्या कहने! सारे फूल बेहद ख़ूबसूरत है ! शानदार फोटोग्राफी !
ReplyDeleteपोस्ट देख के सारी थकान उतर गई....
ReplyDeletevow........ it's beautiful
ReplyDeleteमेरा दामण सिला दे हो , ओ नन्दी के बीरा..... वाह आप ने तो गांव की याद दिला दी, बहुत सुंदर रागनी.
ReplyDeleteकाश !! गार्डन ऑफ़ फाइव सेंसिज का नाम हिन्दी मै रखा होता, बहुत सुंदर्लगी आप की यह पोस्ट ओर चित्र हम अभी तक यहां ही ऎसे बाग देखते थे, हालेंड का, स्विस के वार्डर पर ओर भी कई जगह, लेकिन भारत मै देख कर बहुत अच्छा लगा, बस नाम बुरा लगा
आप का धन्यवाद जब कभी अगली बार मोका मिला इस स्थानो पर जरुर घुमेगे
Daral Sir bahut sundar snaps utare aapne... maza aa gaya sare phool ek sath dekhkar(lekin wo bottle brush nahin hai.. bottle brush lambai leye hota hai.. aap uska chitra dekh sakte hain aur leaves match kara sakte hain is link par- http://images.google.co.uk/imgres?imgurl=http://image04.webshots.com/4/2/90/89/56729089MRBHFK_fs.jpg&imgrefurl=http://home-and-garden.webshots.com/photo/1056729089042358893MRBHFK&usg=__W9k9aE-kr886Gp_GqiGfJ3AHreM=&h=768&w=1024&sz=62&hl=en&start=6&sig2=JhLOeLn--VJKHkbAVOmWkw&itbs=1&tbnid=FZZQp7DmGhLu1M:&tbnh=113&tbnw=150&prev=/images%3Fq%3Dbottle%2Bbrush%2Bflower%26hl%3Den%26gbv%3D2%26tbs%3Disch:1&ei=776CS-TDI9X6-Qazr5DaBA )
ReplyDeleteuska naam red brush flower hai(link dekhiye- http://images.google.co.uk/imgres?imgurl=http://farm4.static.flickr.com/3423/3891285310_803704a4ac.jpg&imgrefurl=http://flickr.com/photos/ladymaggic/3891285310/&usg=__-7p97zP-PRHJpvlnwbMP4Ty80SU=&h=375&w=500&sz=218&hl=en&start=16&sig2=q8PUOIVT7MWhCqbEhiJ15g&itbs=1&tbnid=GJa62bnypc2_YM:&tbnh=98&tbnw=130&prev=/images%3Fq%3Dred%2Bbrush%2Blike%2Bflower%26hl%3Den%26gbv%3D2%26tbs%3Disch:1&ei=5sCCS8G-JNOa-Ab3rajRBA).. bas isliye kah raha hooon jisse ki aage kahin aap bhi kisi ko iska galat naam na batayen.. :)
Jai Hind
दीपक भाई, बात तो आपकी सही लग रही है।
ReplyDeleteदोनों भाई बहन से लगते हैं।
रंगीन छटा देख कर तबियत खुश हो गयी ! आपकी फोटोग्राफी हमारे बड़े काम आ रही है ! शुभकामनायें भाई जी
ReplyDeleteतबीयत हरी हो गई
ReplyDeletebahut badhiyaa post likhi hain aapne.
ReplyDeletedil khush ho gaya.
photography bahut badhiyaa kar lete hain aap.
waise meraa delhi aanaa-jaanaa bahut kam or bahut busy hotaa hain.
lekin ab-jab bhi, kabhi delhi aaungaa to yahaan bhi jaroor aaungaa.
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
Wah! Ye to nigahon ke liye festival ho gaya!
ReplyDeleteIs post ke bareme jaankaaree deneka bahut,bahut shukriya!
Mere design kiye/banaye chand gardens aur bonsai aapko nimn linkpe milenge...samay ho zaroor dekhen,mujhe khushi hogi:
http://baagwanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com
बढ़िया...चित्रमयी पोस्ट
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