बरसों बाद २००७ में दिल्ली हंसोड़ दंगल में कविराज अशोक चक्रधर का सामना हुआ, ज़ज़ के रूप में । इत्तेफाक।
फिर २००८ में फिर एक बार अशोक जी के ही प्रोग्राम ---नव कवियों की कुश्ती ---के दंगल में उतर कर कुश्ती जीतने का इत्तेफाक।
एक जनवरी २००९ में मैंने अपना ब्लॉग बनाया । इत्तेफाक देखिये , यह भी श्री अशोक चक्रधर जी के आह्वान पर ।
अशोक जी द्वारा आयोजित जयजयवंती मासिक काव्य गोष्ठी में श्री अविनाश वाचस्पति जी का ब्लॉग पाठ किया जा रहा था । अशोक जी ने सभी से हिंदी ब्लॉग बनाने का अनुरोध किया , और हमने भी साहस कर एक ब्लॉग बना डाला।
क्या इतने सारे इत्तेफाक होना भी एक इत्तेफाक था ?
पता नहीं , पर यह पोस्ट समर्पित है , अशोक चक्रधर जी को , जिनके इत्तेफाक से मिले मार्गदर्शन में हम आज यहाँ तक पहुंचे हैं।
आइये आपको अपने कुछ संस्मरण सुनाते हैं ।
द्रश्य I
एक दिन मेरे पास एक फोन आया ---हम दिल्ली आज तक से बोल रहे हैं। क्या आपने हमारे प्रोग्राम में ऑडिशन दिया था ?
मैंने डरते डरते कहा --हाँ, भई दिया तो था । कोई गलती हुई क्या?
नहीं नहीं , हमने तो ये बताने के लिए फोन किया है की आपको फाइनल्स के लिए सलेक्ट कर लिया गया है।
मैंने कहा --कमाल है , सीधे फाइनल्स में ! अच्छा फाइनल्स का ऑडिशन अलग से होगा?
वो बोला --नहीं सर आप समझे नहीं । आपको ऑडिशन के लिए नहीं , ऑडियंस के लिए सलेक्ट किया गया है ।
मैंने कहा , अरे भाई तो ये कहो न की फ्री में तालियाँ बजाने के लिए बुला रहे हो।
खैर, पहले हमने दूसरों के लिए तालियाँ बजाई ,फिर अगली बार दूसरों ने हमारे लिए बजाई।
द्रश्य II :
शूटिंग के लिए स्टूडियो में --किसी तरह भागते दोड़ते स्टूडियो पहुंचे --जाते ही किसी ने पकड़ लिया ---सर आप मेकप कराना चाहेंगे ?
मैंने कहा --भाई आज तक तो किया नहीं , लेकिन अगर आपको चेहरे में कोई दिफेक्ट्स नज़र आ रहे हों तो
ले चलो। खैर एक छोटे से कमरे में ---इधर उधर दो तीन ब्रश --और हो गया मेकप।
बाद में हमने देखा हमसे ज्यादा मेकप तो ऑडियंस ने कर रखा था ।
स्टूडियो में :
पहला सवाल : सर आपका नाम ?
डॉ टी एस दराल ।
सर ये दराल तो हमने सुना नहीं , टी एस से क्या बनता है , यही बता दीजिये ।
मैंने कहा भाई, अगर जानना इतना ही ज़रूरी है तो आप इण्डिया गेट जाइए , अमर ज़वान ज्योति पर फूल मालाएं चढ़ाइये , और इण्डिया गेट के दक्षिण में खड़े होकर दीवार पर लिखे शहीदों के नाम पढ़िए । दायें किनारे की ओर सबसे नीचे हमारा नाम लिखा है , आपको पता चल जायेगा।
सुनते सुनते उसका सांस फूल गया , और बोला --सर मुझे नहीं पता था इतनी मेहनत करनी पड़ेगी , छोडिये हम टी एस दराल से ही काम चला लेते हैं।
इण्डिया गेट
दूसरा सवाल : सर आपका निवास स्थान कहाँ है ?
मैंने कहा , भैया शुद्ध हिंदी में पूछ रहे हो तो सुनो---मेरा निवास स्थान है ---पप्गिप एक्सटेंशन।
सर ये कैसा नाम है, ये तो हमने कभी सुना ही नहीं।
मैंने कहा, भैया सुना तो मैंने भी नहीं, बस पढ़ा ही है ।
जी समझा नहीं , क्या मतलब ?
मैंने कहा --अरे भाई , ये इंग्लिश के शोर्ट फॉर्म का हिंदी अनुवाद है , जो ऍम टी एन एल के टेलीफोन बिल पर लिखा रहता है,---- पप्गिप एक्सटेंशन डी एल आई ९२ ।
वो बेचारा इतना कन्फ्यूज्ड हुआ , उसने आगे कुछ पूछा ही नहीं।
अब आपके लिए दो सवाल छोड़ रहे हैं।
पहला : हमारा पूरा नाम ?
दूसरा : निवास स्थान आपको बताना है। यानि पप्गिप से क्या बनता है ?
हिंट इसी पोस्ट में है।
दोनों सवालों का सही ज़वाब देने वाले को हमारी तरफ से एक कॉकटेल / मॉकटेल डिनर अपने ऑफिसर्स क्लब में ।
तब तक --शुभकामनायें।
तब तक --शुभकामनायें।
काका के तो हम भी दीवाने रह चुके हैं ........ डाक्टर साहब ...... आपके संस्मरण पढ़ कर मज़ा आ गया .... आडीशन के लिए नही आडीयेन्स के लिए ... भाई ये खूब रही ......
ReplyDeleteआपकी पहेली तो सर से निकल रही है। अब आपका पूरा नाम और पता बता ही दीजिए। बहुत ही बढ़िया पोस्ट रही।
ReplyDeleteTelephone Exchange तो IP extension होना चाहिये
ReplyDeleteमगर नाम की Full form का पका नहीं शायद T.S. की full form तीरथ सिंह हो ,Guess लगाने में जेब से
क्या जा रहा है :)
सुन्दर संस्मरण!
ReplyDeleteवहाँ पर तो अंग्रेजी के टी अक्षर से सिर्फ "तारीफ सिंह" (Tafif Singh) ही नजर आ पाया।
निवास स्थान शायद आई.पी. एक्सटेंशन्स दिल्ली ९२ लगता है।
तेजेंद्र सिंह भी हो सकता है , पिछली वाली पोस्ट के अंत में यह जोड़ना भूल गया कि इसके विपरीत तुक्का अगर सही भिड गया तो पार्टी पक्की ! :)
ReplyDeleteबहुत कठिन पहेली है .. दिल्ली में होती तो जाकर देख ही आती !!
ReplyDeleteyh bhee badhiya rha.
ReplyDeleteअब इंडिया गेट देखना पड़ेगा, बता तो देंगे ही बस एक बार घूम आने दीजिए...
ReplyDeleteतेरे संग
ReplyDeleteजमे रंग
पीएं भंग
होवें दंग
करें जंग
नये ढंग
तेरे साथ
सभी हाथ
खेले रंग
...."ब्लागिंग" भी एक "इत्तेफ़ाक" है जो हम सब को जोड रहा है, इत्तेफ़ाक का सफ़रनामा जारी रहे, हल-पल कुछ अच्छा होते रहे!!!
ReplyDeleteजी के अवधिया जी के समर्थन में खड़ा हो जाता हूँ और कॉकटेल उनसे ही शेयर कर लूँगा. :) तौरिफ सिंग जी.
ReplyDeleteबकिया तो गज़ब इत्तेफाक है कि इत्तेफाक पर इत्तेफाक है.
पहली बात तो ये साफ़ कीजिए, ऑ़डिशन के लिए बुला रहे हैं या ऑ़डिएंस बनने के लिए...
ReplyDeleteवैसे डॉक्टर साहब आप का सेंस ऑफ ह्यूमर ही नहीं आईक्यू भी गज़ब का है...न देगा कोई बरमूडा एंगल जैसे इन सवालों का जवाब...और न ही आपको ऑफिसर्स क्लब में टीचर महाराज को किसी के साथ शेयर करना पड़ेगा..
मान गए जी...अब तारीफ़ जनाब को खुद तारीफ़ की क्या ज़रूरत...
जय हिंद...
संस्मरण तो शानदार रहे और आपने जिस ढंग से वर्णन किया उससे मज़ा भी आया लेकिन ये पहेली तो विकट खडी कर दी. जिन्होंने आपको रूबरू देखा नहीं वो कैसे टी. एस. का खुलासा कर सकते हैं. मुझे तो आपके साक्षात दर्शन प्राप्त हैं, मुझे इस पहेली का सही हल भी मालूम है लेकिन इनाम में जो आप प्रदान कर रहे हैं, उस से मैं वंचित हूँ. इनाम में आप्शन रखें और मुझसे सहीजानें.
ReplyDeleteसर्वत जी , इनाम की ऑप्शन तो दे रखी हैं --कॉकटेल , मॉकटेल , डिनर ---एक , दो या तीनों मिलाकर।
ReplyDeleteलेकिन दोनों ज़वाब अभी तक किसी ने नहीं दिया।
हाँ , अवधिया जी की मेहनत रंग लाई और एक ज़वाब सही है।
मेहनत तो गोदियाल जी ने भी बहुत की , लेकिन थोडा चूक गए।
समीर लाल जी ने भी गलती कर ही दी।
विनोद भाई , इण्डिया गेट जाने की ज़रुरत कहाँ है।
खुशदीप भाई ने तो आधा ज़वाब दे भी दिया और तारीफ भी कर दी।
लेकिन फिर भी पूरे इनाम जीतने के लिए अभी इंतज़ार है।
buraa naa maane to ek baat kahoon???? =
ReplyDeletezamaanaa or aajkal kaa trend setting (saanth-gaanth) kaa hain. main aapke aage ek offer rakh rahaa hoon, manjoor ho to jaroor bataaiyegaa.
offer hain =
aap mujhe jo bhi inaam denge usme aadhaa (50%) aapkaa. yaani apne 50-50 ke partner huye.ab chori se, chhupke se, binaa bhanak lage mujhe dono answers de diye.
hain naa shaandaar-jaandaar offer?? to manjoor.......
aakhir jamaanaa jo setting kaa hain.
ha haha hahaha haha ha
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com
वाह सोनी जी , ये तो वही बात हुई --अँधा बांटे रेवड़ी , अपनों अपनों को दे।
ReplyDeleteवाह! सचमुच गज़ब इत्तफ़ाक है!!
ReplyDeleteपढके बहुत मजा आया डॉक्टर तारीफ सिंह जी, पटपडगंज निवासी (?!)
ReplyDeleteप्रशन शूचक चिन्ह हटा दीजिये जे सी साहब, आपने १००% सही बताया है।
ReplyDeleteऔर आप ही इनाम के असली हकदार हैं।
वैसे अवधिया जी , गोदियाल जी, समीर लाल जी और खुशदीप जी के प्रयास भी काफी सफल रहे ।
इसलिए आप सब भी आमंतरित रहेंगे।
अब जब पार्टी करेंगे ही , तो बाकी दोस्तों को कैसे छोड़ा जा सकता है।
डा. दाराल साहिब, धन्यवाद्!
ReplyDeleteविद्यार्थियों के मनोरंजन हेतु अपने इंजीनियरिंग कॉलेज के दिनों में अनेक कवि, गायक, आदि बुलाये जाते थे, (अधिकतर फिल्मिस्तान की) फिल्में भी शनिवार को दिखाई जाती थीं...
रवीशजी के ब्लॉग में मैंने पहले ही एक स्थान पर लिखा है कैसे 'मधुशाला' से प्रसिद्धि प्राप्त हरिवंश राय बच्चन को लगा कि उनकी पूरे इंस्टिट्यूट (साइंस एंड इंजीनियरिंग) ने बेईज्ज़ती करदी, जबकि वो छात्र (जिसने आँ...आँ...आँ...आँ, सुर मिलाया था उनके साथ) 'कला' के क्षेत्र का था - और संभव है 'कलाकार' बन गया हो बाद में :)...'कवि सम्मलेन' गाली सम्मलेन में बदल गया उसके बाद...:) असली में सम्मलेन में उस बार राजस्थान के "बाल कवि बैरागी' को भी आमंत्रित किया गया था ('गोवा लेंगे' वाले गीत से प्रसिद्धि प्राप्त)...और उस शाम वो छा गए थे क्यूंकि विद्यार्थियों की प्रार्थना पर उन्होंने गीतों की एक के बाद एक झड़ी लगा दी थी...गालियों का दौर आरंभ करते हुए बच्चन जी गुस्सा हो कर बोले भी थे कि यह गीत सम्मलेन है अथवा कवि सम्मलेन :) इसमें आश्चर्य नहीं कि उनके सुपुत्र 'एंग्री यंग मैन' का रोल से आरंभ कर छा गए रजत पटल पर :)
डा. साहिब, हिंदी में अंग्रेजी से लघु रूपांतर पर याद आया: एक बार काका हाथरसी भी आये थे और हमारा, विशेषकर पढाई के भार से दुखी इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों का, मनोरंजन कर गए...उनकी एक कविता भी पढ़ी थी जिसमें उन्होंने दर्शाया था कि कैसे 'भैरों साह' को यदि आप अंग्रेजी में लघु रूप में "बी एस" कहें तो कोई तकलीफ नहीं उनको. किन्तु हिंदी में यदि लघु रूप में लिखें तो "भैंसा" आपत्तिजनक होगा ;)
महा-शिवरात्रि पर्व की बहुत बहुत बधाई .......
ReplyDeleteमहा शिवरात्रि पर सभी को बधाई!
ReplyDeleteहंगामा देख मन कहता है, काश! उनके सैनिकों सीख लेते 'हरे कृष्ण हरे राम' फिल्म के गाने, "देखो ओ दीवानों तुम ये काम न करो राम (शिव) का नाम बदनाम ना करो" से!
हिन्दू पुराणानुसार वैसे यह भी सही है कि वे - भूतनाथ और उनके मित्र भूत - सदैव बदनाम ही रहे हैं...'टू-इन-वन' अर्धनारीश्वर शिव का प्रलयंकारी 'तांडव नृत्य' भी - जो उन्होंने अपनी अर्धांगिनी सती की मृत्यु पर किया - प्रसिद्द है...किन्तु जन्म -मृत्यु-पुनर्जन्म की श्रंखला में वो उनका सती के नूतन रूप, पार्वती, के साथ पुनर्विवाह का बहाना मात्र ही था, द्वैतवाद और अनेकानेक वाद, आदि द्वारा माया रचने हेतु और संभवतः मानव बुद्धि की हर काल में परीक्षा के लिए :)
आम आदमी के लिए सब 'गोलमाल' है :)
क्या इत्तेफ़ाक़ है कि मैं कोई तुक्का नहीं लगा सकता :)
ReplyDeleteरोचक पोस्ट.
ReplyDeleteसभी कमेन्ट पढ़ डाले..कमेन्ट पर आपके जवाब भी लाजवाब हैं. मजा आ गया.
डाक्टर साहब आपकी पोस्ट पढ़ कर तो मज़ा आ गया और उससे ज्यादा तो टिपण्णी पढ़ कर,अफ़सोस तो इस बात का है की मैं आपकी प्रतियोगिता में भाग न ले सकी क्योंकि मैं पूना गयी हुयी थी इसी कारण तिप्प्प्नी करने में देर हो गयी
ReplyDeletebahut khoob...mazaa aya padh kar..
ReplyDeleteDr.Tareef Singh ji ...sachmuch naam ko saarthak karte hain aap...
aabhar..
देर से आया तो देखा कि ईनाम बंट चुके हैं। वरना मैं जीतता। यकीन ना हो तो यही पहेली दोबारा पूछ कर देख लीजिये। हा-हा-हा
ReplyDeleteयह भी इत्तफाक ही है:)
इत्तफाक से जो पहेली बनी है इसी तरह की पहेलियों से यह तारत्म्यता बनाये रखियेगा, चाहे ईनाम ना रखें। मजा आयेगा
प्रणाम स्वीकार करें
इस पोस्ट को भी पहले पढकर चुपचाप निकल गया था...पहेली का जवाब जो नहीं आता था :-(
ReplyDeleteअरविन्द मिश्र जी द्वारा जगाई उत्सुकता ने आपकी इस पोस्ट तक पहुंचा दिया. अच्छा लगा यहां आना.
ReplyDelete