Tuesday, March 13, 2012
होली के आफ्टर इफेक्ट्स ---
इत्तेफाक ही रहा कि होली के मौसम में कवियों की तरह हम भी बहुत व्यस्त रहे । कई मित्रों से होली पर शुभकामनाओं का आदान प्रदान भी न हो सका । आशा करता हूँ कि नाराज़ नहीं होंगे । ये रहे हमारी व्यस्ताओं के साक्षात नमूने :
१) ३ मार्च :
अस्पताल में बाल रोग विभाग द्वारा स्नातकोत्तर चिकित्सा छात्रों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था । ३ मार्च को इसका उद्घाटन हुआ । उद्घाटन समारोह में अस्पताल के सभी उच्च प्रशासनिक अधिकारीगण उपस्थित थे ।
दीप प्रज्वलन करते हुए सभी अधिकारीगण ।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए हमने भी एक सन्देश छात्रों तक पहुंचा ही दिया । हमने कहा कि इस ट्रेनिंग के बाद आप परीक्षा पास करने में तो अवश्य सक्षम हो जायेंगे । लेकिन एक अच्छा डॉक्टर बनने से पहले एक अच्छा इन्सान बनना चाहिए । तभी आप एक अच्छे डॉक्टर बन पाएंगे । हमारे एक प्रोफ़ेसर कहा करते थे कि एक डॉक्टर में तीन गुण होने चाहिए --१) availability २) affability ३) ability .
२) ४ मार्च :
रविवार को दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन द्वारा एक हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । इस का संचालन भी हमें ही करना था । लेकिन एन वक्त पर कुछ असमंजस्य की स्थिति उत्पन्न हो गई ।
हास्य कवि सम्मेलन से पहले डी एम ऐ के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट ( बाएं ), प्रेजिडेंट ( दायें ) और एक कवयित्री साहिबा के साथ गंभीर वार्तालाप करते हुए ।
खैर , हमने सभी मेहमान कवियों का स्वागत करते हुए और सभी औपचारिकतायें निभाते हुए कार्यक्रम का शुभारम्भ किया ।
फिर श्रोताओं के साथ बैठकर कवियों को सुना ।
इस बीच कवयित्री साहिबा ने हमें भी आमंत्रित किया कविता सुनाने के लिए । बेशक रंग तो खूब जमा ।
अंत में सब कवियों को शॉल भेंटकर सम्मानित किया गया । कवियों में प्रमुख थे --जानी मानी कवयित्री डॉ सरोजिनी प्रीतम और वयोवृद्ध ग़ज़लकार एवम व्यंगकार डॉ शेर जंग गर्ग ।
और इस तरह सभी विवादों से बचते हुए हमने इस हास्य कवि सम्मेलन को सफल बनाया ।
३) ६ मार्च :
आर्य समाज मंदिर में एक कवि सम्मेलन का आयोजन था । एक परिचित बुजुर्ग कवि को मंच संचालन करना था । हमें भी आमंत्रित कर लिया गया । बाद में पता चला जितने कवि बाहर से बुलाए गए थे उनसे ज्यादा आर्य समाज के सदस्य लोगों में से कविता सुनाने को आतुर थे । उस पर ग़ज़ब यह कि संचालक महोदय को लगा कि पता नहीं बाद में अवसर मिले या न मिले , इसलिए पहले स्वयं ही सुना डाला जाए । खैर किसी तरह कार्यक्रम निपट गया । शायद यह उनका पहला अवसर था । इसलिए कोई फोटो भी उपलब्ध नहीं हो सका । दरअसल, फोटोग्राफर था ही नहीं ।
४) ७ मार्च :
अस्पताल में कार्य समाप्त करने के बाद घर के लिए प्रस्थान करने से पहले हमने एक छोटा सा होली मिलन रखा जिसमे सभी उच्च अधिकारियों समेत प्रशासनिक स्टाफ भी शामिल हुआ ।
गुलाल से चेहरे रंगने के बाद एक अलग ही नज़ारा नज़र आ रहा था ।
लोगों की फरमाइश थी कि कविता सुनाई जाए लेकिन एम एस साहब ने ही इतना लम्बा भाषण दे दिया कि फिर कुछ और सुनने की शक्ति ही नहीं बची ।
५ ) ८ मार्च :
होली वाले दिन पूर्वी दिल्ली के डॉक्टर्स संस्था के भवन में एकत्रित होकर होली खेलते हैं । खाना , पीना , हँसना , हँसाना --सब चलता है । इस बार बाहर से हास्य कलाकार बुलाए गए थे । जमकर हँसना हँसाना हुआ ।
नादान पत्नी :
एक व्यक्ति होली खेल कर घर आया
आते ही घर का दरवाज़ा खटखटाया ।
अन्दर से पत्नी की आवाज़ आई
मैंने पहचाना नहीं , तुम कौन हो भाई ?
पति गुर्राया , अरे बंद करो ये टें टें
भई दरवाज़ा खोलो , ये तो मैं हूँ मैं ।
पत्नी बोली , हाय राम यदि आप खड़े हैं यहाँ
तो वो कौन है जो बैठा चाय पी रहा है वहां ।
पति बोला ,
अब ये डुप्लीकेट पति कहाँ से आ गया ।
पत्नी बोली ,
पता नहीं , पर बैठा बैठा दस गुज्जियाँ खा गया ।
अच्छा हुआ मैं सही वक्त पर चला आया
वर्ना ज़ालिम जाने क्या जुल्म कर जाता ।
पत्नी बोली हाँ जी ,
यदि आप थोड़ी देर और ना आते --
तो वो सारे गुलाबजामुन भी खा जाता ।
और इस तरह ख़त्म हुआ यह होली का सीजन । अब फिर वही अस्पताल , वही मरीज़ , वही मर्ज़ जो गर्मियां शुरू होने के साथ ही बढ़ने लगते हैं। प्राइवेट डॉक्टर्स के लिए भले ही यह कमाई का सीजन होता हो , हमारे लिए तो अत्यधिक काम का समय होता है ।
नोट : हमारे देश में होली के बाद सावन के आने तक कोई त्यौहार नहीं होता । तीज़ से पर्वों का सिलसिला फिर से शुरू हो जाता है । शायद इसका सम्बन्ध तपती गर्मी से रहा होगा ।
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23 मार्च से प्रारम्भ संवत 2069 आप सब को मंगलमय हो। उसी दिन राम प्रसाद 'बिस्मिल'आदि का शहीदी दिवस भी है और डॉ लोहिया का जन्म दिवस भी।
ReplyDeleteवाह डॉक्टर साहब....आपने तो बड़ी जोरों से मनाई होली..
ReplyDeletevery lively attitude...
:-)
regards.
अच्छा हुआ कि 'उस' पति ने पहले नाश्ते का प्रोग्राम रखा नहीं तो हाय राम ! कितना अनर्थ हो जाता !
ReplyDeleteअच्छा होली-मिलन रहा आपका !
chitron ko dekhkar aur vivran padhkar hi lag raha hai ki kafi vyastta ke baad bhi aapka holi milan bahut achcha raha.
ReplyDeleteहोली पूर्व राग रंग मिला उत्तर होली प्रभाव नदारद रहे .अच्छी कसाव दार रिपोर्ताज आपका .बधाई मुखियाई की इतने उत्सव निपटाने की अध्यक्षी निभाने की .
ReplyDeleteवाह बड़ा बढ़िया होली सप्ताह मनाया आपने तो.
ReplyDeleteDr.Daral ji
ReplyDeleteNmaskar !
bahut hi badhiya raha holi milan
बढ़िया होली मिलन और ...हास्य कवी सम्मलेन भी ...!!
ReplyDeleteपूर्ण पोस्ट ..!
सारे गुलाबजामुन या फिर ? कुछ संख्या गणित का मला तो नहीं है ?:)
ReplyDeleteबाकी आप भी गजबे व्यस्त रहते हैं :) आपका काव्य कर्म तो चल पड़ा है -बधाई!इमरजेंसी में आपका इस्तेमाल हो सकता है :)
सारे गुलाबजामुन या फिर ? कुछ संख्या गणित का मामला तो नहीं है ?:)
ReplyDeleteबाकी आप भी गजबे व्यस्त रहते हैं :) आपका काव्य कर्म तो चल पड़ा है -बधाई!इमरजेंसी में आपका इस्तेमाल हो सकता है :)
इमरजेंसी ही क्यों पंडित जी । कहिये कब बुला रहे हैं !
Deleteहोली के सभी कार्यक्रम की सफलता पर आपको अनेक बधाई!
ReplyDelete'नादान पत्नी', होली के रंग के कारण, अजनबी को पहचान नहीं पायी...
और दूसरी ओर, एक अन्य सज्जन एक कवि सम्मलेन में पत्नी को कुर्सी में बिठा खुद बाज़ार चले गए... और जब लौट उसे लेजाने के लिए आये तो पत्नी को जहां छोड़ा था वहाँ उसे न पा एक श्रीमती जी से उसके बारे में पूछा तो पता चला वो ही उस की पत्नी थी! और वो उसे नहीं पहचाने क्यूंकि उस बीच बारिश होने से उन का मेक-अप धुल गया था...:)
JCMar 13, 2012 08:38 AM
ReplyDeleteहोली के सभी कार्यक्रम की सफलता पर आपको अनेक बधाई!
'नादान पत्नी', होली के रंग के कारण, अजनबी को पहचान नहीं पायी...
और दूसरी ओर, एक अन्य सज्जन एक कवि सम्मलेन में पत्नी को कुर्सी में बिठा खुद बाज़ार चले गए... और जब लौट उसे लेजाने के लिए आये तो पत्नी को जहां छोड़ा था वहाँ उसे न पा एक श्रीमती जी से उसके बारे में पूछा तो पता चला वो ही उस की पत्नी थी! और वो उसे नहीं पहचाने क्यूंकि उस बीच बारिश होने से उन का मेक-अप धुल गया था...:)
हा हा हा ! मेकप के पीछे तो बड़े राज़ छुपे रहते हैं । :)
Deleteअच्छी रही होली आपकी.....!!
ReplyDeleteसोने पर सुहागा...
हास्य कवि सम्मलेन ....
होली मिलन,कवि गोष्ठी,और गुलाब जामुन का
ReplyDeleteबच जाना मुबारक हो :-))))
शुभकामनाएँ!
होली की शुभकामनायें ..
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.in
बढ़िया रह होली सप्ताह ... चलिए गुलाबजामुन तो बच गए कम से कम ... अच्छी रिपोर्ट
ReplyDeleteवाह...वाह.....
ReplyDelete३ मार्च से ८ मार्च तक लगातार आप गुलाब जामुन खाते रहे ......
बहुत खूब ....
इन सरोजनी साहिबा को हमारा भी आदाब कहियेगा ...
अच्छा लिखती हैं .....
मंच पर कैसी थीं ये तो आप ही बता पायेंगे .....
हूँ तो इस बात सञ्चालन की तस्वीरें खिंचवा ही लीं .....:))
नादान पत्नी अच्छी लगी ....
जी सरोजिनी प्रीतम जी की हंसिकाएं तो ग़ज़ब होती हैं . कम शब्दों में जिंदगी की हकीकत हास्य के ज़रिये बयाँ कर देती हैं .
Deleteहालाँकि अब शायद उम्र का असर दिखने लगा है .
लेकिन गुलाब जामुन हमने कहाँ खाए ! :)
होलियाना दिनचर्या ...
ReplyDeleteसरोजिनी जी नजर आईं , इनकी चुटकियाँ खूब रंग जमाती हैं ...
बधाई एवं शुभकामनायें !
ये तो चकाचक हो गयी होली। बधाई!
ReplyDeleteडॉ सरोजिनी को पढ़ा हैं ...खूब लिखती हैं ...
ReplyDeleteवैसे डॉ. साहेब आप भी कम नहीं हैं ..किसी दिन आपका कवी सम्मलेन सुनने का मौका मिला तो गवाएगे नहीं ...:))))
पत्नी जी गुलाब जामुनो को ही रो रही थी ....और पति जी इस बात से खुश हो रहे थे की कुछ 'बड़ा नुक्सान' होने से बच गया हा हा हा हा हा
तभी तो नादान कहा दर्शी जी . :)
Deleteहा हा ... होली के आफ्टर इफेक्ट भी होली की तरह रंगदार और हास्य से भरपूर रहे आपके ...
ReplyDeleteचलिए आने वाले समय के लिए फुर्ती तो बरकरार रही ... हाँ वो बस गुलाबजामुन की ही बात कर रही हैं न ..या शब्द बदल दिए ... हा हा ...
अब यह तो वो जाने !
Deleteयह तो बहुत अच्छी बात हुई बढ़िया रहा आपका होली सप्ताह...शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत बढ़िया डा० साहब, जहां तक कबिता का सवाल है रंग के नकाब ने गुल खिला दिए .. हा-हा.. !
ReplyDeleteपत्नी बोली हाँ जी ,
ReplyDeleteयदि आप थोड़ी देर और ना आते --
तो वो सारे गुलाबजामुन भी खा जाता ।
...बहुत बढ़िया
यही तो हंसी ख़ुशी के दिन होते है और खाने-पीने हंसने हंसाने के..
डाक्टर साहब होली की बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteहम तो इस होली पर घर से निकले नहीं। पैर की चोट को आराम जो देना था। फिर भी रंगों से बच न सके।।
आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं द्विवेदी जी .
Deleteदराल साहब, सम्भल कर रहिए, रंग की आड़ में गैरों की घुसपैठ अच्छी नहीं है।
ReplyDeleteअजित जी ,
ReplyDeleteयह हमारी नहीं
बात है ज़माने की . :)
हाहाहाहा होली का रंग ही ऐसा होता है....कविता तो आपकी सर होली के रंग की तरह मस्त है
ReplyDeleteआपको ये मैं बड़े हर्ष के साथ सूचित कर रही हूँ की आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (३५) में शामिल की गई है आप आइये और अपने अनुपम विचारों से हमें अवगत करिए /आपका सहयोग हमेशा इस मंच को मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है
ReplyDeletehttp://hbfint.blogspot.in/2012/03/35-love-improves-immunity.html
कभी देखना चाहेंगे आपको कार्यक्रम संचालित करते हुए।
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