दूध न सिर्फ एक संतुलित आहार है , बल्कि ३-४ महीने तक के बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार भी है । दूध का अधिकांश भाग पानी होता है लेकिन इसमें ७-७.५ % वसा और ९ % एस एन ऍफ़ होता है । एस एन ऍफ़ यानि नॉन फैट सोलिड्स ।
नॉन फैट सोलिड्स :
दूध में वसा के अतिरिक्त जो अन्य पदार्थ होते हैं वे हैं --लैक्टोज (52%), प्रोटीन (36%), मिनरल्स (10%) और विटामिन्स (1.7%)।
वसा से सर्वाधिक , ९ केल्रिज प्रति ग्राम ऊर्जा मिलती है जबकि प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से ४ केल्रिज प्रति ग्राम ऊर्जा मिलती है ।
इनके अतिरिक्त मां के दूध में रोग निरोधक पदार्थ ( इम्यूनोग्लोबुलिंस ) भी होते हैं जो बच्चे को कई तरह के रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं ।
दूध में सबसे ज्यादा काम का मिनरल होता है --कैल्सियम जो हड्डियों को मज़बूत बनाता है । इसीलिए डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को दूध अवश्य पीना चाहिए ।
जहाँ गाँव में दूध एक ही किस्म का मिलता है -गाय या भैंस का दूध ,वहीँ शहरों में दूध अनेक प्रकार के मिलते हैं ।
फुल क्रीम मिल्क : इसमें वसा की मात्रा लगभग ६ - ७.५ % होती है ।
टोंड मिल्क : इसमें फैट ३ % होता है ।
डबल टोंड मिल्क : इसमें फैट कंटेंट बस १.५ % ही होता है ।
लेकिन सभी प्रकार के दूध में एस एन ऍफ़ ९ % ही होता है । दूध की गुणवत्ता दूध में एस एन ऍफ़ की मात्रा से ही मांपी जाती है ।
एक हैरानी की बात यह है कि विकसित देशों में जहाँ फुल क्रीम दूध सस्ता और टोंड दूध महंगा मिलता है , वहीँ हमारे देश में फुल क्रीम महंगा , टोंड उससे सस्ता और डबल टोंड सबसे सस्ता मिलता है ।
कुपोषण वहां भी होता है , और यहाँ भी । क्योंकि वहां ज़रुरत से ज्यादा खाने को मिलता है , यहाँ ज़रुरत से कम ।
कौन सा दूध बढ़िया है ?
शहरों में जहाँ जीवन शैली बहुत निष्क्रिय होती है , दूध में ज्यादा वसा से मिलने वाली अतिरिक्त ऊर्जा मोटापे को जन्म देती है । इसलिए ज़रूरी है कि दूध में वसा की मात्रा कम से कम हो ।
इसलिए शहरी लोगों को डबल टोंड दूध ही पीना चाहिए । इसमें एस एन ऍफ़ की मात्रा ९ % होने से बाकि सभी पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में मिलते हैं । और सस्ता भी है ।
यानि बचत की बचत और सेहत भी रहे दुरुस्त ।
दूध की कुछ विशेषताएं :
* दूध का सफ़ेद रंग इसमें पाई जाने वाली प्रोटीन --केसीन और कैल्सियम फोस्फेट के मिश्रण की वज़ह से होता है .
* केसीन हीट रेजिस्टेंट होती है , यानि दूध को गर्म करने से खराब नहीं होती .
* गाय के दूध में हल्का पीलापन इसमें मौजूद कैरोटीन की वज़ह से होता है .
* कुछ लोगों को दूध हज्म नहीं होता यानि दूध पीने से पेट में गैस या दस्त लग जाते हैं . यह लैक्टोज का पाचन न होने की वज़ह से होता है . ऐसी हालत में दूध की बजाय दही खानी चाहिए . दही में दूध के सभी गुण पाए जाते हैं और लैक्टो बैसिलाई लैक्टोज को लैक्टिक एसिड में परिवर्तित कर देते हैं जिससे दही का स्वाद भी खट्टा लगता है .
* पैसच्युराईजेशन से दूध संक्रमण रहित रहता है . इसके लिए दूध को ७२ डिग्री सेन्टीग्रेड तक गर्म कर एकदम ४ डिग्री तक ठंडा किया जाता है .
*इस तरह पैकेट बंद पैसच्युराइज्द दूध स्वास्थ्य के लिए भी उत्तम होता है और सुरक्षित भी . जबकि खुले दूध में सभी तरह की मिलावट और गंदगी मिली होने की सम्भावना रहती है .
अक्सर बच्चे दूध पीने में आना कानी करते हैं . अब यह आप पर निर्भर करता है की आप किस तरह बच्चों को दूध पीने के लिए राज़ी करते हैं .
नोट : अगली पोस्ट में पढ़िए --दूध से आम के आम , और गुठलियों के दाम ।
आज का लेख वीरु जी के लेख की तरह जानकारी से परिपूर्ण है, ऐसी कई जानकारी भी प्राप्त हुई जिनके बारे में पहले नहीं ज्ञान था।
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
ReplyDeleteजानकारी ही जानकारी एक डाक्टर का कर्तव्य निभा दिया आपने ,आभार
ReplyDeleteडाक्टर साहब बेहतरीन तरीके से सरल भाषा में दूध पर संपूर्ण जानकारी के लिए बधाई.
ReplyDeleteदूध दूध दूध.., पियो ग्लास फुल...
ReplyDeleteदूध की खूबियों की इंगित करते हुए सही सन्देश वैज्ञानिक तथ्यों के साथ.
इस सुंदर पोस्ट के लिए आभार.
स्वास्थ्यप्रद जानकारी भरी इस पोस्ट के लिये आभार, डॉ. साहब!
ReplyDeleteबहुत ज्ञानवर्धन हुआ सर! आपकी इस पोस्ट से।
ReplyDeleteसादर
कल 12/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
डॉ. बड़े काम की जानकारी मिली इस उम्र में भी .. आभार !
ReplyDeleteलगे हाथ मेरी एक समस्या का और निदान करें ...
मेरे को आजकल टांगों में "cramps" बहुत पड़ते है..
जिसकी दर्द असहनीय होती है ...इसके बारे कुछ बताएं |
शुक्रगुजार हूँगा !
अशोक सलूजा !
daral keep it up it is nice u r diverting ur energy towards constructive work
ReplyDeletedr arneja
अरनेजा , ब्लोगिंग में स्वागत है । हिंदी में लिखने के लिए गूगल ट्रांसलिट्रेशन डाउनलोड कर सकते हैं ।
ReplyDeleteब्लोगिंग में टाइम पास के साथ साथ कुछ काम की बातें भी की जा सकती हैं । और मनोरंजन की भी ।
यह अभिव्यक्ति का भी बढ़िया माध्यम है भाई ।
लाभदायक विश्लेषण का उपयोग किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteडॉक्टर साहिब, धन्यवाद लाभदायक जानकारी के लिए!... दूसरी ओर किन्तु मीडिया द्वारा दूध में यूरिया, डिटर्जेंट आदि मिलाते हुए भी कभी कभी देखने को मिलता है... उन सब के असर के बारे में भी कुछ विचार कृपया रखें... धन्यवाद!
ReplyDeleteजे सी जी , मिलावट के बारे में तो मिडिया समय समय पर दिखाता रहता है । ज़ाहिर है , इनका असर तो स्वास्थ्य पर खराब ही पड़ेगा । लेकिन सवाल यह है मिलावटी दूध से कैसे बचा जाये ।
ReplyDeleteपहले तो इसकी पहचान ज़रूरी है कि मिलावटी है या नहीं ।
दूसरा असली दूध कहाँ से मिलेगा ।
वैसे यह इस बात पर बहुत निर्भर करता है कि पैकेजिंग कहाँ हुई है ।
बहुत सी बातें हैं विचार करने के लिए ।
एक तो यही कि जहाँ पहले गर्मियों में दूध की कमी हो जाती थी और खोया आदि पर बैन लग जाता था, अब जबकि आबादी कई गुना बढ़ चुकी है लेकिन दूध / दूध से बने पदार्थों की कोई कमी नहीं होती --क्यों और कैसे ?
अशोक जी , सबसे पहले तो आप अपना ब्लड सुगर और सीरम कैल्सियम जाँच कराइए ।
ReplyDeleteलेकिन टांगों की वेसल्स की जाँच की भी ज़रुरत पड़ सकती है । इसके लिए वैस्कुलर सर्जन को कंसल्ट करना पड़ेगा जो कलर डोपलर करके पता लगाएगा कि कहीं रक्त के प्रवाह में कोई रूकावट तो नहीं ।
ऐसी जानकारी भी जरूरी है। और जब वह कोई डॉक्टर दे रहा हो तो महत्वपूर्ण हो जाती है।
ReplyDelete"* पैसच्युराईजेशन से दूध संक्रमण रहित रहता है . इसके लिए दूध को ७२ डिग्री सेन्टीग्रेड तक गर्म कर एकदम ४ डिग्री तक ठंडा किया जाता है . "
ReplyDeleteबेहतरीन जानकारी डा० शाब, उपरोक्त कोट के आधार पर कहूंगा कि इस प्रकार चूल्हे में तुरंत उबाला गया दूध तुरंत फ्रिज में रख देना भी उचित प्रक्रिया है !
जब हम बच्चे थे और सरकारी कालोनी में रह रहे थे, तो ग्वाला गाय घर पर ही लाते थे और दूध सामने ही दोहते थे... बाद में किसी को एक अन्य ग्वाले से यह कहते सुना था कि पानी कम से कम साफ़ मिलाना :)
ReplyDelete'सफ़ेद क्रान्ति' तो गुजरात से, आनंद से आई... लेकिन यह भी सत्य है कि हमारे देश में दिन प्रतिदिन जन संख्या का विस्फोट ही मुख्य कारण है अधिकतर सभी व्यवस्थाओं के बिगड़ जाने में... जो काम आप स्वयं करते हैं वो 'सही' प्रकार संभव है, किन्तु जहां कई व्यक्ति आवश्यक हो जाते हैं, सभी आपके समान हो पाना संभव नहीं होता है...आदि, आदि...
दूध की बात सुनते ही मेरे तो मुह में पानी आने लगता है :)
ReplyDeleteपता नहीं दूध के नाम पर हम अपने बच्चों को क्या पिला रहे हैं और चाय में भी हम क्या पी रहे हैं!!!!!
ReplyDeleteबिना फीस, इत्ती सारी मुफ्त सलाह ! हमारा डाक्टर कैसा हो दराल सर जैसा हो !
ReplyDeleteदूध दूध दूध पियो ग्लास भर दूध-एक डाक्टर से ऐसी पोस्टों की अपेक्षा हमेशा रहेगी ...स्वधर्म निर्वाह को अब तो बस आप ही समर्पित दिख रहे हो डाक्टर साहब !
ReplyDeleteदूध का मुरीद बचपन से हूँ,तब भैंस और गाय का पीते थे अब टोंड का !
ReplyDeleteपियो ग्लास-फुल दूध :-)
ज्ञानवर्धक चर्चा।
ReplyDeleteइस सुंदर और ज्ञानवर्धक पोस्ट के लिए आभार....
ReplyDeleteनज़फ़गढ़ के छोरे सहवाग की मां ऐसे ही कोई दूध की तारीफ़ करती थी...
ReplyDeleteवीरू ने टेस्ट और वनडे में भारत के लिए सबसे बड़ी पारियां खेल कर ये साबित भी कर दिया है...
कल से टोंड की जगह डबल टोंड दूध ही पिया जाएगा...
जय हिंद...
बहु उपयोगी पोस्ट आम और ख़ास के लिए .
ReplyDeletevery informative post...
ReplyDeleteloved the fact u inserted in b/w about milk.
दूध हमारी ज़िंदगी की बुनियाद है।
ReplyDeleteदूध पर कहावतें भी हैं।
छठी का दूध याद दिला देना,
मां का दूध पिया हो तो सामने आ
दूध का दूध पानी का पानी कर देना वग़ैरह वग़ैरह
आपने अच्छी जानकारी दी है।
ब्लॉगर्स मीट वीकली की 21 वीं महफ़िल में भी तशरीफ़ लायें
क्योंकि वहां है आपके लिए कुछ ख़ास पसंदीदा लेख
आपके स्टार ब्लॉगर्स के ।
ब्लॉगर्स मीट वीकली (21) Save Girl Child
बहुत अच्छी जानकारी देती पोस्ट ... डबल टोंड में सभी गुन शामिल होते हैं सिवाय फैट के ..यह जानकारी उपयोगी है .. आभार
ReplyDeleteI Love Milk :) Gyanvardhak Jaankari..Thanku Sir:
ReplyDeleteWelcome To My Blog :)
आजकल एक विज्ञापन में पूछा जा रहा है कि कैल्शियम के लिए बच्चे को दूध तो देती हो,मगर उसे दूध का कैल्शियम मिलता भी है या नहीं? अगर सुनिश्चित करना हो,तो बॉर्नविटा पिलाओ।
ReplyDeleteक्या कारण है कि अन्य सभी प्राणी अपनी मां का दूध पीकर ही मनुष्य से अधिक हट्टे-कट्ठे,कैल्शियमयुक्त और ऊर्जावान बने रहते हैं? कैल्शियम के सहज उपलब्ध और अधिक सस्ते विकल्पों की भी चर्चा कीजिए।
दूध बहुत लाभकारी है. सुनते ही आये हैं आज डिटेल में जानकारी मिली.
ReplyDeleteहम भी ९% वाला ढूढ़ ही लेते हैं.
गोदियाल जी , शहर में मिलने वाला दूध पहले ही पस्चुराइज्द होता है ।
ReplyDeleteसही कहा प्रसाद जी , मिलावट की सम्भावना तो रहती है ।
बढ़िया रहेगा खुशदीप । ट्रिपल टोंड पियोगे तो और भी अच्छा रहेगा ।
राधारमण जी , अन्य प्राणियों को मां का ताज़ा और शुद्ध दूध मिलता है । इंसानों में भी बच्चे के लिए मां का दूध सर्वोत्तम रहता है । बाकि तो सब मार्केटिंग स्ट्रेटिजी है ।
वैसे तो यह भी कहा जाता है कि आदमी ही एक ऐसा पशु है जो जन्म के बाद कुछ माह अपनी माँ का दूध तो पीता ही है, किन्तु फिर सारी उम्र गौ/ (भैंस) माता का दूध भी पीता चला जाता है,,, यद्यपि मैंने सुना था कि मोहनदास करमचंद गांधी बकरी का दूध पीते थे, और ऊंटों का दूध भी कहीं कहीं पिया जाता है... अफगानिस्तान में स्कूल के दिनों में कुछ फुटबौल खेलने गए थे तो उन्होंने बताया कि वहाँ उन्हें गधी के दूध का मक्खन भी खाने पर दिया गया था जिसे वे चाव से मुंह में डाल तो लिए किन्तु बदबू के कारण खा न सके और बर्बाद कर दिया - जिस कारण उनके मेजबान को बहुत दुःख हुआ था क्यूंकि उसे वहाँ डेलिकेसी माना जाता था :)
ReplyDeleteमुझे निजी तौर पर दुःख हुआ था जब कुछ वर्ष पहले मैंने सुबह सुबह एक दिन एक ग्वाले को एक गाय के मरे बछड़े की खाल में भूसे से भर उसे छुपा के दिखा गाय को दोहते देखा... और आश्चर्य हुआ जब एक दिन मैं कार्यालय जाने के लिए सड़क के किनारे खडा था तो एक गाय मेरे पास आ रुक गयी तो मैंने उसको सहलाना, थपथपाना शुरू कर दिया, और कुछ देर बाद मेरी चार्टर्ड बस के आ जाने पर एक सहयात्री और मित्र ने कहा "Love at first sight"!
वैसे तो यह भी कहा जाता है कि आदमी ही एक ऐसा पशु है जो जन्म के बाद कुछ माह अपनी माँ का दूध तो पीता ही है, किन्तु फिर सारी उम्र गौ/ (भैंस) माता का दूध भी पीता चला जाता है,,, यद्यपि मैंने सुना था कि मोहनदास करमचंद गांधी बकरी का दूध पीते थे, और ऊंटों का दूध भी कहीं कहीं पिया जाता है... अफगानिस्तान में स्कूल के दिनों में कुछ फुटबौल खेलने गए थे तो उन्होंने बताया कि वहाँ उन्हें गधी के दूध का मक्खन भी खाने पर दिया गया था जिसे वे चाव से मुंह में डाल तो लिए किन्तु बदबू के कारण खा न सके और बर्बाद कर दिया - जिस कारण उनके मेजबान को बहुत दुःख हुआ था क्यूंकि उसे वहाँ डेलिकेसी माना जाता था :)
ReplyDeleteमुझे निजी तौर पर दुःख हुआ था जब कुछ वर्ष पहले मैंने सुबह सुबह एक दिन एक ग्वाले को एक गाय के मरे बछड़े की खाल में भूसे से भर उसे छुपा के दिखा गाय को दोहते देखा... और आश्चर्य हुआ जब एक दिन मैं कार्यालय जाने के लिए सड़क के किनारे खडा था तो एक गाय मेरे पास आ रुक गयी तो मैंने उसको सहलाना, थपथपाना शुरू कर दिया, और कुछ देर बाद मेरी चार्टर्ड बस के आ जाने पर एक सहयात्री और मित्र ने कहा "Love at first sight"!
JC said...
ReplyDeleteवैसे तो यह भी कहा जाता है कि आदमी ही एक ऐसा पशु है जो जन्म के बाद कुछ माह अपनी माँ का दूध तो पीता ही है, किन्तु फिर सारी उम्र गौ/ (भैंस) माता का दूध भी पीता चला जाता है,,, यद्यपि मैंने सुना था कि मोहनदास करमचंद गांधी बकरी का दूध पीते थे, और ऊंटों का दूध भी कहीं कहीं पिया जाता है... अफगानिस्तान में स्कूल के दिनों में कुछ फुटबौल खेलने गए थे तो उन्होंने बताया कि वहाँ उन्हें गधी के दूध का मक्खन भी खाने पर दिया गया था जिसे वे चाव से मुंह में डाल तो लिए किन्तु बदबू के कारण खा न सके और बर्बाद कर दिया - जिस कारण उनके मेजबान को बहुत दुःख हुआ था क्यूंकि उसे वहाँ डेलिकेसी माना जाता था :)
मुझे निजी तौर पर दुःख हुआ था जब कुछ वर्ष पहले मैंने सुबह सुबह एक दिन एक ग्वाले को एक गाय के मरे बछड़े की खाल में भूसे से भर उसे छुपा के दिखा गाय को दोहते देखा... और आश्चर्य हुआ जब एक दिन मैं कार्यालय जाने के लिए सड़क के किनारे खडा था तो एक गाय मेरे पास आ रुक गयी तो मैंने उसको सहलाना, थपथपाना शुरू कर दिया, और कुछ देर बाद मेरी चार्टर्ड बस के आ जाने पर एक सहयात्री और मित्र ने कहा "Love at first sight"!
December 12, 2011 9:49 PM
जानकारी से भरपूर बहुत सुन्दर और ज्ञानवर्धक पोस्ट रहा! ऑस्ट्रेलिया का दूध बहुत ही बढ़िया है इसलिए मैं रोज़ एक गिलास दूध पीती हूँ!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
कहते हैं कि कुछ पशुओं की 'छठी' ज्ञानेन्द्रिय उच्च स्तर पर होती है, और कुछ विशेषता प्रत्येक प्राणी की होती है,,, जैसे कई प्राणी (मंडूक, यानि मैंढक जैसे) भूचाल आने से पहले ही बाहर खुले में आ एकत्रित हो जाते हैं, आदि आदि...
ReplyDeleteतो क्या यह संभव है कि उसने मेरे भीतर विद्यमान कृष्ण को, गोपाल को, मुझसे अच्छा पहचान लिया था?
और, या कि मैं गौहाटी यानि गाय का बाज़ार रिटर्न था (यह संसार भी झूटों का बाज़ार भी कहा जाता है)
और दूसरी ओर, गाय के पति, नंदी बैल को विशेषकर, शिव का वाहन माना जाता आ रहा है हमारे पूर्वजों द्वारा...
मेरे अन्दर का कवि उड़ान अधिक ऊंची लगाने लगता है - shareer का भोजन दूध है तो आत्मा का भोजन अर्थात शक्ति प्रदायिनी शेरा वाली, माँ गौरी है :)...
सही जानकारी ... उपयुक्त जानकारी ... अच्छा किया आपने दूध की विश्श्ताओं को गिनवा दिया ... कम से कम आज बच्चों को बताया तो जा सकता है दूच के फायदे ...
ReplyDeleteवैसे एक बात बचपन में सुनते थे की गाय का दूध ज्यादा अच्छा होता है वनिस्पत भैंस के ... वो क्यों होता है पता नहीं ... कभी इस पर भी प्रकाश डालें ...
नासवा जी , वैज्ञानिक तौर पर तो गाय का दूध भैंस के दूध से हर तरह से हल्का होता है . इसमें वसा , प्रोटीन तथा अन्य खनिज पदार्थ भैंस के दूध से कम ही होते हैं .
ReplyDeleteलेकिन गाय को धार्मिक तौर पर पूजनीय माना जाता है . गाय की प्रवृति भी भैंस जैसी हिंसक नहीं होती . एक गाँव में एक ही भैंसा रह सकता है जबकि सांड आपस में नहीं लड़ते .
पुरानी सोच अनुसार यह माना जाता है की गाय के दूध से बुद्धि उत्पन्न होती है , सद्विचार उत्पन्न होते हैं , सात्विक प्रवृति उत्पन्न होती है .
इसीलिए गाय के दूध को अच्छा माना जाता है .
अच्छी जानकारी सुंदर पोस्ट..बधाई ....
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट में
सब कुछ जनता जान गई ,इनके कर्म उजागर है
चुल्लु भर जनता के हिस्से,इनके हिस्से सागर है,
छल का सूरज डूब रहा है, नई रौशनी आयेगी
अंधियारे बाटें थे तुमने, जनता सबक सिखायेगी,
आपका स्वागत है
________________
भैंसा 'संहारकर्ता शिव', अर्थात धर्मराज यमराज, का वाहन माना जाता आ रहा है...शिव आरम्भ में अर्धनारीश्वर रूप - शरीर से शिव और शक्ति के योग के रूप में अकेले थे ऐसी 'हिन्दू' मान्यता है, जबकि पश्चिम में क्रिस्तान मान्यता में एडम को भी आरम्भ में अकेला दर्शाया जाता है... सती की मृत्योपरांत सती ने पार्वती का साकार रूप धारण कर शिव से विवाह कर लिया, जबकि इस के प्रतिबिम्ब समान एडम की ही हड्डी से ईव की रचना कर दी भगवान् ने (सती के प्रतिरूप समान, क्यूंकि मानव को भगवान् का प्रतिबिम्ब माना गया?)...
ReplyDeleteहिन्दू मान्यता, कि मानव नवग्रहों के सार से बना है, 'वैज्ञानिक' दृष्टिकोण देकने के लिए, पृष्ठभूमि जानने हेतु मुड कर देखें तो अपने को 'हम' गर्व से कहते पाते हैं कि 'भारत' ने संसार को शून्य दिया, अर्थात योगियों ने वैदिक काल में जाना कि 'सनातन धर्म' कि मान्यतानुसार सृष्टि का अजन्मा और अनंत कर्ता निराकार है, और वो शून्य काल और स्थान से सम्बंधित है...
अर्थात वो एक बिंदु, 'नादबिन्दू', है... यानि मूल अपार शक्ति रुपी जीव ने, साकार ब्रह्माण्ड बनाने के लिए, 'ब्रह्मनाद' अर्थात ध्वनि ऊर्जा (ॐ) का उपयोग किया ... और, संख्या में अनंत, किन्तु अस्थायी साकार रूपों को भी जल-चक्र समान अनंत काल-चक्रों में डाल ब्रह्माण्ड के अनंत अंतरिक्ष के शून्य में अरबों वर्षों में बनते और फिर बिगड़ते चक्र समान प्रतीत होती अनंत गैलेक्सियों के रूप में चलते रहने के लिए छोड़ दिया...
जे सी जी , आपकी टिप्पणियां अभी भी स्पैम में ही जा रही हैं , जाने क्यों ।
ReplyDeleteडॉक्टर दराल जी, हो सकता है कि गूगल अंकल को मेरी लम्बी लम्बी टिप्पणीयां 'विदेशी भाषा' में होने से कुछ गड़बड़ लगती हों {:p)... पाबला जी शायद कुछ प्रकाश डाल सकें (?)...
ReplyDeleteबहुत ही विस्तार से और बढ़िया जानकारी मिली दूध के विषय में...आभार
ReplyDeleteऐसी जानकारी महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteरात को अच्छी नींद भी लाता है दूध दही का सेवन क्योंकि यह TRYPTOPHAN से युक्त है .यह एक आवश्यक अमीनो अम्ल भी है जो शरीर में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन के स्तर को भी बढाता है ..यह दोनों ही नींद प्रेरक हैं .
ReplyDeleteTHANKS FOR YR BLOG VISITS.
इस अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद वीरू जी ।
ReplyDeleteजल्दी ही एक और खाद्य पदार्थ पर चर्चा करेंगे ।
ReplyDeleteDoodh Peena hee nahin chahiye...
ReplyDeleteआम आदमी दूध की उपयोगिता को लेकर भले ही आश्वस्त हो पर आजकल चिकित्सा विशेषज्ञों में इस बारे में आम सहमति नहीं है। अब तक सिर्फ दूध की शुद्धता को लेकर ही सवाल उठते रहे हैं, पर अब तो दूध से होने वाले नुकसान भी चर्चा का विषय हैं। बेशक यह कहना मुश्किल है कि दूध हर उम्र, हर आदमी के लिए फायदेमंद ही होगा। दूध कितना पीया जाए, कौन सा पीया जाए, या पीया ही नहीं जाए इस बारे में मतभेद हैं। एक बहस इस बात पर भी है कि दूध शाकाहरी (वैज)खाद्यों में आता है या मासाहार (नॉनवैज)में। एक पश्चिमी अवधारणा के अनुसार लोग चार प्रकार के शाकाहारी होते हैं। पहले वे जो अण्डे और दूग्ध-उत्पाद खाते हैं लेकिन मास-मच्छी आदि नहीं खाते। (Lacto-ovo vegetarians) दूसरे वे हैं जो दूध-उत्पाद खाते हैं जिन्हें सनातन धर्मी शाकाहारी मानते हैं, यह लोग मास-मच्छी तथा अण्डे नहीं खाते। (Lacto vegetarians) तीसरे वे हैं जो वह लोग जो अण्डे तो खाते हैं मगर मास-मच्छी और दूध व उससे बने उत्पाद नहीं खाते। ( Ovo vegetarians) तथा चौथी श्रेणी में वे लोग आते हैं जो शुद्ध शाकाहारी होते हैं, यह लोग दूध तो क्या शहद भी नहीं खाते। (Vegetanism) इस अवधारणा के अनुसार हिन्दू जिस शाकाहार में विश्वास रखते हैं लेक्टो-वेज़ेटेरियनिज़्म (Lacto vegetarians) के अंतरगत आता है। हिन्दू शहद, दूध और दूध से बने पदार्थों का सेवन करते हैं इसलिए इन्हें शुद्ध शाकाहारी नहीं माना जाता। क्या दूध मांसाहार है? यह अलग बहस का विषय है कुछ लोग इसे धर्म नहीं बल्कि भाषा की समस्या मानते हैं। जैसे कि वेजेटेरियन को हिन्दी में शाकाहारी कहते हैं यह सही है, लेकिन नॉनवेज को हिन्दी में मांसाहार कहते हैं यह गलत है। नॉनवेज का अर्थ मांसाहार नहीं बल्कि अशाकाहार है, इस हिसाब से दूध शुद्ध शाकाहार नहीं है। अँग्रेजी के हिसाब से तो हर वह वस्तु जो वनस्पति/शाक नहीं है नॉनवेज है, मांसाहार है, क्योंकि वह मां के खून और मांस से निर्मित होता है।
अब इससे एक कदम आगे की बात करें, ओशो कहते हैं- दूध असल में अत्यंत कामोत्तेजक आहार है और मनुष्य को छोड़कर पृथ्वी पर कोई पशु कामवासना से इतना भरा हुआ नहीं है। क्योंकि मनुष्य के अलावा अन्य कोई भी प्राणी या पशु बचपन के कु छ समय के बाद दूध नहीं पीता। किसी पशु को जरूरत भी नहीं है क्योंकि शरीर में दूध का काम पूरा हो जाता है। सभी पशु अपनी मां का दूध पीते है, लेकिन दूसरों की माओं का दूध सिर्फ आदमी पीता है और वह भी आदमी की माताओं का नहीं जानवरों की माओं का। बच्चा एक उम्र तक दूध पीये, यह नैसर्गिक है। इसके बाद प्राकृतिक रूप से मां के दूध आना बंद हो जाता है। जब तक मां के स्तन से बच्चे को दूध मिल सके, बस तब तक ठीक है, उसके बाद दूध की आवश्यकता नैसर्गिक नहीं है। बच्चे का शरीर बन गया, निर्माण हो गया—दूध की जरूरत थी, हड्डी, खून और मांस बनाने के लिए—ढ़ांचा पूरा हो गया, अब सामान्य भोजन काफी है। अब भी अगर दूध दिया जाता है तो यह सार दूध कामवासना का निर्माण करता है। मनुष्य फिर भी सारी उम्र दूध पीता है वह भी पशुओं का, जो निश्चित ही पशुओं के लिए ही उपयुक्त था।
आदमी का आहार क्या है? यह अभी तक ठीक से तय नहीं हो पाया है, लेकिन वैज्ञानिक जांच के हिसाब से आदमी का आहार शाकाहार ही हो सकता है। क्योंकि शाकाहारी पशुओं के पेट में जितना बड़ी आंत की जरूरत होती है, उतनी बड़ी आंत आदमी के भीतर है। मांसाहारी जानवरों की आंत छोटी और मोटी होती है, जैसे शेर की। चूंकि मांस पचा हुआ आहार है, उसे बड़ी आंत की जरूरत नहीं है। शेर चौबीस घंटे में एक बार भोजन करता है जबकि शाकाहारी बंदर दिन भर चबाता रहता है। उसकी आंत बहुत लंबी है और उसे दिनभर भोजन चाहिए। इसलिए तो कहा जाता है कि आदमी को एक बार ही ज्यादा मात्रा में खाने की बजाएं, दिन में कई बार थोड़ा-थोडा करके खाना चाहिए। दूध तो दरअसल पशु आहार है, और इसका सेवन अप्राकृतिक है। सादा दूध ही पचाना भारी था तिस पर मनुष्य ने दूध को मलाई, खोये और घी में बदल कर अपने लिए और भी मुश्किलें खड़ी करली हैं। अब भी आप वयस्क मानव के रूप में दूध पीना जारी रखते हैं तो फैसला आपका।