आपने जगह जगह सड़क किनारे टेंट लगा देखा होगा , जिस पर लिखा होगा ----खानदानी सफाखाना ।   
या फिर --पहलवान --हड्डी जोड़ तोड़ इलाज ।
या बसों में दवा बेचते भिखारी जैसे लोग ।
और तो और , यदि आप मनाली जैसे हिल स्टेशन पर घूमने जाएँ तो झोला टांगे कोई चरसी सा दिखने वाला व्यक्ति आकर कहेगा --साब थोड़ी सी दूँ --एक बार इस्तेमाल कर के देखिये ! 
 इन्हें सड़क छाप डॉक्टर कह सकते हैं ।
आइये मिलते हैं , कुछ ऐसे ही सड़क छाप डॉक्टरों से : 
दृश्य १  :
करीब बीस साल पहले की बात है ।  मैं बस में बैठा चंडीगढ़ की ओर जा रहा था ।  अम्बाला के पास बस एक ढाबे पर रुकी तो चलने से पहले बस में एक ऐसा ही व्यक्ति घुस आया और लगा अपनी सुनाने ।
साहेबान , ज़रा ध्यान दीजिये --क्या आपके दांत में कीड़ा है --डॉक्टर की फीस देकर तंग आ चुके हैं --कोई फायदा नहीं हो रहा --घबराइए नहीं --हमारे पास इसका इलाज है ।
एक आदमी से बोला --क्या आपके दांत में कीड़ा लगा है ? 
आदमी बोला -जी हाँ ।
साहेबान देखिये , अभी आपके सामने इनके दांत का कीड़ा बाहर आता है एक मिनट में ।
उसके बाद उसने एक छोटी सी शीशी निकाली, उसमे से एक तिल्ली पर द्रव की एक बूँद लगाई और व्यक्ति के मूंह में लगा दिया ।  थोड़ी देर बाद उसने मूंह खोलने के लिए कहा और ये लो तिल्ली पर एक छोटा सा तिनका जैसा लगा था जिसे दिखाकर बोला --लीजिये साहेबान कीड़ा बाहर आ गया ।  न कोई ऑपरेशन , न कोई चीर फाड़ और कीड़ा बाहर ।
यदि आप के या आप के किसी रिश्तेदार के दांत में कीड़ा लगा हो तो एक शीशी ले जाइये --कीमत मात्र पांच रूपये ।
देखते ही देखते उसकी दस शीशियाँ बिक गई ।  पचास रूपये संभाल वह चुपचाप नीचे उतर कर गायब हो गया ।
दृश्य २ : 
एक छोटे से कस्बे में सड़क पर एक कोने में एक जगह लोगों की भीड़ लगी थी ।  गोल दायरे में खड़े लोगों के बीच एक मदारी सा व्यक्ति तमाशा दिखा रहा था ।  फर्क बस इतना था की उसके पास जमूरा नहीं था , बल्कि खुद ही तमाशा दिखाने में लगा था ।
पहले उसने एक कटोरी में पानी लिया ।  फिर उसमे थोडा लाल रंग मिला दिया ।  फिर बोला --
साहेबान , कद्रदान . मेहरबान --आपकी आँखें दुखनी आई हों तो आप डॉक्टर के पास जाते हैं ।  डॉक्टर अपनी फीस ले लेता है लेकिन आपको कोई आराम नहीं आता ।  आप निराश हो जाते हैं ।  फिर डॉक्टर बदलते हैं --फिर फीस . फिर कोई आराम नहीं ।
लेकिन निराश न होइये --हमारे पास ऐसा इलाज है जो आँख की हर लाली को मिटा देगा ।
इसके बाद उसने कटोरी के पानी में दो चार बूँद किसी द्रव की डाली --और ये लो , पानी का रंग साफ हो गया ।
साहेबान , कद्रदान . मेहरबान --एक बार तालियाँ हो जाएँ --हमारे इलाज की कोई काट नहीं --नकली साबित करने वाले को हज़ार रूपये का इनाम --और इस इलाज की कीमत --साहेबान कोई १०० रूपये नहीं --पचास भी नहीं --दस भी नहीं --ज़नाब इसकी कीमत है बस पांच रूपये --जी हाँ , सिर्फ पांच रूपये , पांच रूपये , पांच रूपये ।
देखते ही देखते उसकी बीस शीशियाँ बिक गई ।
उसके बाद उसने दूसरा तमाशा शुरू किया --
फिर एक कटोरी में पानी -- पानी में एक पाउडर सा डाला --थोड़ी देर में पानी जमकर जैली जैसा हो गया --एक युवक से कहा , इसे उल्टा करके देखो -- जितना मर्जी हिला लो , एक कतरा भी नहीं गिरेगा ---
हम बच्चे थे , कुछ समझ नहीं पाए ।
हम बच्चे थे , कुछ समझ नहीं पाए ।
लेकिन देखते ही देखते उसकी सारी शीशियाँ बिक गई ।
नोट : सड़क छाप डॉक्टर ही नहीं होते , मरीज़ भी होते हैं ।

 
 
 
