यदि मनुष्य की बात की जाये तो मनुष्य चुम्बन का कई तरह से प्रयोग करता है ।
* एक मां का संतान के प्रति ममता और स्नेह । मां हर हाल में अपने बच्चे को चूम सकती है ।
* कुछ देशों में यह आदर और सम्मान का प्रतीक माना जाता है । हालाँकि इस चुम्बन में खाली गाल से गाल मिलाते हैं ।
* प्यार और रोमांस का प्रतीक --प्रेमी-प्रेमिका और पति पत्नी के बीच चुम्बन । यह अक्सर होठों पर होता है । ज़ाहिर है , इसमें सलाईवा ( लार ) का आदान प्रदान होता है ।
अब यदि किसी के मूंह से बदबू आ रही हो तो सारा प्यार उड़न छू हो सकता है ।
किसी भी मनुष्य के मूंह से बदबू आने के कारण हो सकते हैं :
* नियमित रूप से दन्त मंजन या ब्रश न करना । शहर में अक्सर लोग खाने के बाद कुल्ला भी नहीं करते क्योंकि यह अभद्र माना जाता है । इसीलिए शहर में भी बहुत से लोगों के मूंह से बदबू आ रही होती है ।
* दांतों में कीड़ा --डेंटल केरीज। इससे भी मूंह से बदबू आ सकती है ।
* अनियंत्रित मधुमेह तथा अन्य असाध्य रोग ।
* विशेष किस्म के खाद्य पदार्थ जैसे लहसुन , प्याज़ , मूली आदि भी अपना प्रभाव छोड़ते हैं ।
उपरोक्त परिस्थितियों में न सिर्फ मूंह से आने वाली बदबू प्यार की दुश्मन बन सकती है बल्कि व्यक्ति विशेष को सार्वजनिक तौर पर भी उपहास और उपेक्षा का पात्र बना सकती है ।
लेकिन कहते हैं --प्यार करने वाले कभी डरते नहीं । वे इन्सान तो क्या कुत्तों को भी प्यार करने में नहीं हिचकते ।
अब ज़रा इस सुंदरी को ही देखिये :
माना कुत्ता एक स्वामिभक्त , वफ़ादार , भरोसेमंद और प्यारा सा पालतू प्राणी है । लेकिन क्या इस तरह कुत्ते से प्यार करना सही है ?
कुत्ते से मूंह चटवाने से पहले इतना जान लीजिये --कुत्ते से आपको कई बीमारियाँ लग सकती हैं , जिन्हें जूनोटिक डिसिजिज कहा जाता है , यानि जानवरों से मनुष्य को लगने वाले रोग ।
दिल्ली के लोदी गार्डन में पिकनिक मनाने आए ये मां बेटा /बेटी , भले ही जोरबाग में रहने वाले किसी फोरेन डिप्लोमेट के डार्लिंग हों , लेकिन ये अपने लम्बे बालों में घास से कितने कीटाणु या पेरासाईट लेकर गए होंगे , यह कहा नहीं जा सकता ।
और जब इनका मालिक प्यार से इनसे गले मिलेगा या चूमा चाटी करेगा , तो उसका भी संक्रमित होना तय है ।
जी हाँ , कुत्ते की लार में रेबीज के वायरस होते हैं ।
बालों में वोर्म्स के अंडे और टिक्स हो सकते हैं ।
पेशाब से लेपटोस्पाइरोसिस का संक्रमण हो सकता है ।
क्या यह जानकर भी आप अपने कुत्ते के साथ खाना खाना , सोना या चूमकर प्यार करना चाहेंगे ?
मर्ज़ी आपकी ।
वैसे तो प्यार करने के लिए दुनिया में मनुष्यों की कमी नहीं है । और प्यार करने लायक भी बहुत हैं । लेकिन यदि पालतू प्राणियों से भी प्यार किया जाए तो इन बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है :
और ये हैं :
* रेबीज जो १०० % घातक बीमारी है . इसका रोगी पानी नहीं मांगता ।
* वोर्म्स इन्फेस्टेशन -- जैसे हुक्वोर्म , राउंड वोर्म , टेप वोर्म ।
हुक्वोर्म से खून की कमी हो जाती है ।
राउंड वोर्म से पेट में दर्द रहता है ।
टेप वोर्म से Hydatid disease और सिस्टीसर्कोसिस होता है ।
* टिक बोर्न रोग ।
आप कह सकते हैं कि आप तो अपने कुत्ते को हमेशा साफ सुथरा , और नहला धुलाकर रखते हैं ।
लेकिन अब ज़रा यहाँ देखिये :
आप कह सकते हैं कि आप तो अपने कुत्ते को हमेशा साफ सुथरा , और नहला धुलाकर रखते हैं ।
लेकिन अब ज़रा यहाँ देखिये :
दिल्ली के लोदी गार्डन में पिकनिक मनाने आए ये मां बेटा /बेटी , भले ही जोरबाग में रहने वाले किसी फोरेन डिप्लोमेट के डार्लिंग हों , लेकिन ये अपने लम्बे बालों में घास से कितने कीटाणु या पेरासाईट लेकर गए होंगे , यह कहा नहीं जा सकता ।
और जब इनका मालिक प्यार से इनसे गले मिलेगा या चूमा चाटी करेगा , तो उसका भी संक्रमित होना तय है ।
जी हाँ , कुत्ते की लार में रेबीज के वायरस होते हैं ।
बालों में वोर्म्स के अंडे और टिक्स हो सकते हैं ।
पेशाब से लेपटोस्पाइरोसिस का संक्रमण हो सकता है ।
क्या यह जानकर भी आप अपने कुत्ते के साथ खाना खाना , सोना या चूमकर प्यार करना चाहेंगे ?
मर्ज़ी आपकी ।
ye sawdhaniya to bartni hi chahiye...pata nahi log kese paltu kutte ke sath baith kar khana khate..sote...uthte baithte hai...
ReplyDeleteआपने अपना फर्ज तो अदा कर दिया अब कोई व्यक्ति को चूमे या कुत्ते को, उस पर छोड़ दीजिये .....!~
ReplyDelete.
ReplyDeleteगैलो गिंडक गुलाम , बुचकार्'यां बाथै पड़ै ।
कूट्यां देवै काम , रीस न करजे राजिया ॥
प्रियवर दराल भाईजी
नमस्कार !
उपरोक्त राजस्थानी सोरठे का आशय सर्वविदित है कि मूर्ख , श्वान और नौकर (सरकारी भी) से कोई काम कराना हो तो इनकी पिटाई करो तब ही बात बनेगी । लाड़ लडाने से ये उल्टे गले पड़ते हैं … । कवि 'किरपाराम' कहता है कि इसमें बुरा मानने की बात नहीं ।
आपने इतना समझा दिया लेकिन …
जिस सुंदरी का आपने फोटो लगाया है उसे भगवान ने रूप ही दिया था … दिमाग दिया ही नहीं था :)
एक और सार्थक पोस्ट के लिए बधाई !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
डॉक्टर साहिब, आप भी डरालो... अब तो सभी ओर से डरावने समाचार ही मिलते हैं...
ReplyDeleteकई वर्ष पूर्व एक विदेशी डॉक्टर का लेख पढ़ा था, कि यदि आप जहां बैठते हैं और यदि वहाँ की धूल को माईक्रोस्कोप से देखें तो संभवतः उस में आप खतरनाक जीवाश्म को देखें... जिस कारण आश्चर्यजनक यह नहीं है कि आप बीमार पड़ते हो, आश्चर्य यह है की आप कैसे जी रहे हो??? :)
एक सार्थक और चेतावनी देता सुंदर लेख ....
ReplyDeleteआभार !
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete१-मुंह से दुर्गन्ध(ketoacidosis ) का एक कारण शरीर के ग्लायिकोजेन भण्डार का भी कम होना है .मतलब दुबले/पतले होने के चक्कर में कार्बोहाईड्रेट को बिलकुल तिलांजलि न दे दें !
ReplyDelete२-वफादारी चूमी जाती है कुत्ते नहीं :)
३-खतरें और सावधानियां दोनों नोट कर लिया है !
प्यार प्यार में बहुत पते की बातें बता गए आप.
ReplyDeleteहा हा हा ! राजेन्द्र जी , ऐसी सुंदरियाँ तो बहुत मिल जाएँगी । कुछ नाराज़ भी हो सकती हैं ।
ReplyDeleteसही कह रहे हैं जे सी जी । सबसे ज्यादा संक्रमण तो डॉक्टर्स के यंत्र तंत्र ( मेडिकल इक्किप्मेंट्स ) से होने का डर रहता है ।
अरविन्द जी , कीटोएसिडोसिस सामान्यतया डायबिटीज में होता है , कंट्रोल न होने पर । या फिर स्टार्वेशन में । डाइटिंग से नहीं । इसलिए मत डरो और जमकर डाइटिंग करो , पतला होने के लिए । :)
ReplyDeleteशीर्षक से लगा ... होगा विषय कुछ ऐसा - 'कहाँ सलीम का रुतबा कहाँ अनारकली ....' पर इसे कहते हैं रोचक विषय के अंतर्गत पूरा ज्ञान
ReplyDeleteहे भगवान..! जब कभी प्यार का मूड बने यह पोस्ट जेहन में न हो।
ReplyDeleteदेवेन्द्र पाण्डे जी --कभी क्यों ?
ReplyDeleteप्यार का मूढ़ तो हमेशा बना रहना चाहिए ।
लेकिन तैयारी के साथ । :)
जब भी मूड बनेगा यह पोस्ट रेड अलर्ट की तरह 'blink' करने लगेगी दिमाग में।
ReplyDeleteSaavdhani hati... Durghatna ghati... :-) :-)
ReplyDeleteडॉ साहब आज कल कुत्तों को ही प्यार मिलता है,आदमी तो केवल तिरस्कार के लिए है.
ReplyDeleteप्रेम का इज़हार चुंबन से होता है- भले ही वह जानवर हो या इंसान... उस पर जानवर और इंसान के प्रेम का इज़हार भी....:)
ReplyDeleteबढ़िया प्यार मुहोब्बत से भरी जानकारी वर्धक पोस्ट .....
ReplyDeleteसमय मिले तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
आपका स्वागत है
अत्यंत उपयोगी और उपयोगी जानकारी मिली, इन गूगल सुंदरी से तो भगवान बचाये.:)
ReplyDeleteरामराम
जानवर पालने का झंझट ही नहीं है , उसकी बजाय मुझे गली में घूमते बच्चों को खाना देना या उन्हें श्रम की महत्ता बताते हुए मोटिवेट करना ज्यादा अच्छा लगता है!
ReplyDeleteरोचक उपयोगी जानकारी !
प्यार करने में भी सावधानी ज़रूरी है ।
ReplyDeleteबातों-बातों में काफी कुछ बता दिया....
ReplyDeleteअत्यंत उपयोगी लेख
badhia jankari ...
ReplyDeleteसमझाना और मेडीकल एडवाईज देना आपका काम था...आपने बखूबी निभाया....एनिमल लवर हम भी हैं मगर एक सीमा तक ही बस!!
ReplyDelete@ डॉ. मनोज मिश्र जी, किसी ज्ञानी ने अंग्रेजी में कहा था, (उसका एक कमजोर हिंदी रूपांतर :), "एक भूखे और सूखे कुत्ते को सड़क से उठा के ला, खिला=पिला के मोटा करदें तो आपको एक जीवन पर्यंत का मित्र मिल जाएगा / और दूसरी ओर, किसी ऐसे ही आदमी के साथ ऐसा ही बर्ताव करें तो एक हमेशा के लिए दुश्मन मिल जाएगा"!
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी दी है आपने इस पोस्ट के माध्यम से!
ReplyDeleteडा० साहब, मुझे लगता है कि शायद सुन्दरी यह जतलाने का प्रयास कर रही है कि जहां तक प्यार करने का सवाल है, कुत्ते और इन्सान में कोई ख़ास फर्क नहीं है :)
ReplyDeleteआज कल फैशन हो गया है जी कुत्तों को मुंह लगाना .........:)
ReplyDeleteजैसे "सास भी कभी बहू थी" वैसे ही 'हिन्दू' मान्यतानुसार, "आदमी भी कभी कुत्ता था" (जब वो अपने मालिक का वफादार था :)
ReplyDeleteजे सी जी , मिश्र जी --बेशक कुत्ता एक वफादार नौकर/ साथी है इन्सान का . लेकिन इन्सान जिनको चूमता है , कुत्ता उनमे से किसी भी श्रेणी में नहीं आता . फिर क्यों ?
ReplyDeleteवैसे भी क्या किसी भी प्राणी को सिर्फ इसीलिए चूमना चाहिए की वो वफादार है ?
हा हा हा ! गोदियाल जी , फर्क तो बहुत है . हम पहले बता चुके हैं . कुत्ते के आगे इन्सान कुछ भी नहीं , गुणों के मामले में .
ललित भाई , बात को कहाँ से कहाँ ले गए ! :)
Bahut lajabab jankari ...dhanywaad ?
ReplyDeleteडॉक्टर तारीफ सिंह दराल जी, क्षमा प्रार्थी हूँ... एक गाना था, 'ओ! मिस्टर बैंजो, इशारा तो समझो...!"
ReplyDeleteउसी प्रकार आदमियों में भी लागू, 'नीति शास्त्र' को शेर राजा और उसके पशु दरबारी / प्रजा आदि के माध्यम से मनोरंजक कहानियों द्वारा पंडित विष्णु दत्त शर्मा की लिखी पुस्तक, 'पञ्च तंत्र,' आज भी लागू देखी जा सकती है ('हिन्दू' कह गए कि जो समय से प्रभावित नहीं होता, सत्य वही है)... मालिक और सेवक, भगवान् और आदमी के बीच का रिश्ता आदमी और कुत्ते के माध्यम से एक प्रतिबिम्ब समान देखा जा सकय है (जैसे सुन्दर नारी के चेहरे कि तुलना कवी आदि चन्द्रमा से करते हैं )...
जहां तक एक सुंदरी के कुत्ते को चुम्बन का दूरगामी प्रभाव जानना हो, तो एक डाक्टरों कि कमेटी बिठानी होगी...
मच्छर सभी को काटते हैं किन्तु कुछ ही लोगों को पहले मलेरिया, आज चिकन गुनिया आदि होते हम जान रहे हैं... अर्थात बिना किसी मल्टी मिलयन डौलर खर्च किये, आदि आदि, मच्छर ज्ञान कहाँ से पाता है??? (आप कहोगे यह प्राकृतिक है ? आज तो 'पश्चिमी वैज्ञानिक' भी मानने लगे हैं कि प्रकृति में एक 'ग्रैंड डिजाइन' के आधीन कार्य हो रहा है... आइन्स्टाइन ने युनिफायिड फील्ड कहा था)...
समझाना आपका काम था ..बहुत अच्छी जानकारी दी है ... सावधानी ज़रुरी है ..
ReplyDeleteशनिवार (१०-९-११) को आपकी कोई पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर है ...कृपया आमंत्रण स्वीकार करें ....और अपने अमूल्य विचार भी दें ..आभार.
ReplyDeleteचेतावनी देता सुंदर लेख ..
ReplyDeleteलेख की मूल भावना से सहमत
ReplyDeleteइस चित्र से जुड़ी बात पढ़ते हुए अगंभीर/ गंभीर दो बातें ज़हन में आईं
विवाह के वक्त
औरत के लिए पति GOD होता है
लेकिन शादी के बाद सब उल्टा हो जाता है
यहाँ तक कि शब्द भी उलट कर DOG हो जाते हैं :-)
जो किसी जानवर से प्यार नहीं कर सकता वह किसी इंसान से प्यार नहीं कर सकता
अब रही बात तरह-तरह के संक्रमण और बीमारियों की
तो यह सब एक इंसान दूसरे को चूम चाट काट कटवा ... ... ... कर भी पा सकता है
नहीं!?
बहुत उपयोगी और सार्थक पोस्ट...
ReplyDeleteहा हा हा ! पाबला जी , गोंड= डॉग , फिर तो विवाह न करना ही उचित है ।
ReplyDeleteवैसे भी कई लोगों की यही राय है । :)
लेकिन जानवरों से प्यार जितना मर्ज़ी करो । पर चूमा चाटी की क्या ज़रुरत है भाई ।
जो रोग जानवरों से होते हैं , वह निश्चित ही मनुष्यों से नहीं होते । कम से कम चूमने से तो नहीं ।
दर्पण में दांयाँ बाँयां दीखता है और बाँयां दांयाँ, कुत्ता इस प्रकार भगवान् का प्रतिबिम्ब है :)
ReplyDeleteअलावा इसके डॉ .भाई दराल साहब !कई घरों में दमे के मरीज़ होतें हैं और बाल छोडू झबरे भी .कुत्ते बिल्ली ,डेन- ड्राफ़ एक शक्तिशाली एलार्जन के तेहत आतें हैं .लेकिन साहब शौकीनी का अपना आलम है .मुख बॉस तो प्रेम की कैंची है .मुख प्रक्षालक सौंफ इलायची ताम्बूल का पत्ता लॉन्ग दाल चीनी को लोग लगभग भूल चुके हैं .
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट .ज्ञान विज्ञान का भण्डार .
मानव जीवन और इसकी मान्यताएं विचित्र है वीरू भाई जी, जुआ खेलना, परिवार का त्याग आदि बुरे हैं (?) किन्तु धर्मराज कहलाने वाले युधिस्टर जुआरियों के, मूर्खों के शीर्ष कहे जा सकते हैं... और भगवान् कहलाने वाले बुद्ध अपना गृहस्त का धर्म न निभा परिवार को त्याग कर महल / घर से निकल गए, और उनके अनुयायी "बुद्धम शरणम् गच्छामि / धम्मम शरणम गच्छामि /..." कहते फिरते हैं :)
ReplyDelete"भारत माता की जय"! (जिस में काशी में माँ पार्वती के पति शिव अर्धनारीश्वर का जन्म हुआ)!
"सत्यम शिवम सुन्दरम"!
पाबला जी की बात को मक्खन आगे बढ़ाते हुए...
ReplyDeleteनई नई शादी के बाद घर आता था तो पपी गुर्राता था और पत्नी प्यार से वेलकम करती थी...
कुछ साल बाद बस ये क्रम उलटा हो जाता है...
जय हिंद...
खुशदीप जी की बात को आगे बढाते, अब न तो पप्पी है न पत्नी... हम तो ज़ी टीवी आदि १० एक न्यूज़ चैनल देख स्वयं ही कभी गुर्राते हैं तो कभी वैलकम करते हैं :)
ReplyDeleteदराल साहिब,
ReplyDeleteपहले ही सौ मुसीबतें हैं प्यार करने वालों के सामने.
आप तो और डरा रहे हैं
लेख बहुत अच्छा है, विचारणीय है.....
ReplyDeleteइस सार्थक चर्चा के लिए हार्दिक बधाई।
मैं तो बिल्कुल नहीं, आगे से सावधान रहूँगा।
ReplyDeleteहा हा हा ! खुशदीप यानि कुछ साल बाद पप्पी भी औकात समझने लग जाता है ।
ReplyDeleteविशाल --डरा नहीं रहे हैं , मुसीबत से बचा रहे हैं ।
संदीप यानि अभी तक सावधान नहीं थे ! :)
तभी सयाने कह गए हैं कि आर्दश औऱ लोकव्यवहार का ज्ञान होना बहुत जरुरी है....यानि कुत्ता दरवाजे पर ही अच्छा लगता है क्योंकि उसका काम चौकीदारी है। जूते पैरे में ही अच्छे लगते हैं न कि सिर पर। जहां तक सुंदरी की बात है तो कुत्ते की किस्मत से कई लोगो को रश्क हो रहा है जी....ये तो समझने वाली बात है..वैसे भी शायद सुंदरी के इलाके में लड़को का """""घनत्व""""" कम होगा जी लड़कियों कि तुलना में ,,,
ReplyDeleteडॉक्टर साहब, आपका जवाब नहीं, जानकारी और रोचकता इतना सुंदर समुच्चय खोजने से भी नहीं मिलेगा।
ReplyDelete------
क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
फिर तो केकई पुत्र भरत बड़े नासमझ थे जो कौशल्या पुत्र और बड़े भाई राम की चरण पादुकाएं अयोध्या की राज गद्दी पर रख राज्य किये उनके और उनकी पत्नी सीता और लघु भ्राता सुमित्रा पुत्र लक्षमण के बनवास के दौरान!
ReplyDelete(यदि मोडल समझें तो शायद दशरथ मोडल हैं निराकार ब्रह्म के, अमृत 'शिव' के और उनकी तीन पत्नियां 'सती' के विभिन्न रूप, और उनके तीन पुत्र, राम / भरत / लक्ष्मण क्रमशः ब्रह्मा / विष्णु / महेश के, और कुत्ते को कहानियों में धर्मराज यमराज का रूप माना जाता है, और शिव को संहारकर्ता :)
मॉड लोगों को अकेलेपन का अहसास होते-होते इतनी देर हो चुकी होती है कि फिर कुत्तों का ही सहारा रह जाता है।
ReplyDeleteप्यार करने वाले कभी डरते नहीं जो डरते हैं वो प्यार करते नही.
ReplyDeleteअच्छी जानकारी दी आपने डॉक्टर साहब. अति सर्वत्र वर्जयेत,
boletobindas said...
ReplyDeleteहा हा हा ! रोहित जी , लड़की तो अंग्रेज़ है और वहां कहाँ लड़कों की कमी होती है ।
पाबला जी से असहमति है ...
ReplyDeleteऐसे कई उदाहरण मेरी आँखों के सामने हैं जहाँ जानवरों को प्यार करने वालों को इंसानों से खूब नफरत करते देखा है !
वाणी जी , कुमार राधारमण जी की बात भी सही लगती है .
ReplyDeleteवाणी जी से सहमति है
ReplyDeleteनिश्चित तौर पर ऐसे लोग होंगे और उन्होंने जानवरों के निश्छल प्रेम और इंसानों के छल-कपट का अनुभव लिया होगा
वैसे एक गड़बड़ पहले मुझसे हो चुकी :-)
ReplyDeleteजो लिंक यहाँ देनी थी वह अरविंद मिश्रा जी की पोस्ट पर छोड़ आया
वह लिंक यह थी
पाबला जी , यह भी दिलचस्प खबर रही .
ReplyDeleteसार्थक गंभीर जानकारियाँ....
ReplyDeleteबहुमूल्य प्रस्तुति...
बहुत ही सहजता से सार्थक व सटीक जानकारी दी है आपने इस आलेख में ... आभार ।
ReplyDeleteइस्लाम हमें घरों में शौक़िया कुत्ता पालने से रोकता है।
ReplyDeleteहां, हिफ़ाज़त की ग़र्ज़ से खेत खलिहान पर कुत्ता पाला जा सकता है और अगर हिफ़ाज़त की ग़र्ज़ से घर पर भी पाला जाए तो उसे रहने-सहने की जगहों से दूर रखा जाए।
कुछ काम कुत्ते से ऐसे भी ले लिए जाते हैं जो कि न ही बताएं जाएं तो ठीक है।
इसलिए घरों से कुत्ते दूर ही रहें तो बेहतर है।
आपकी पोस्ट ज्ञान देती है।
शुक्रिया !
सही कह रहे हैं अनवर जी । इतना प्यार भी सही नहीं ।
ReplyDelete