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Thursday, March 3, 2011

गोवा में द्वि-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा सम्मेलन --एक रिपोर्ट....

गत सप्ताह गोवा में मेडिकल नेग्लिजेंस पर एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फेरेन्स में शामिल होने का अवसर मिला ।
प्रस्तुत है इसकी एक छायाकृत रिपोर्ट :



दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल के अंतर्राजीय प्रस्थान टर्मिनल में प्रवेश करते ही एक नज़ारा ।



डिपारचर लाउंज में सजावट की एक झलक ।



प्रस्थान द्वार की जाते हुए --



प्रस्थान के लिए विभिन्न द्वार बनाये गए हैंइलेक्ट्रोनिक साईनेजिज से बहुत सहूलियत रही



इस दौड़ती हुई पट्टी को क्या कहते हैं ? भारत में पहली बार सिर्फ यहाँ पर ही दिखेगी



गोवा एयरपोर्ट पर उतरने से पहले



सड़कें भी बड़ी सुन्दर दिखाई दीं



होटल रिविरा --जहाँ कॉन्फेरेन्स रखी गई थी



कॉन्फेरेन्स हॉल में देश विदेश से आए डॉक्टर्स अपना अपना अनुभव --आदान प्रदान करते हुए




होटल के पीछे लॉन में रात के समापन भोज़ की तैयारी



अंत में लॉन में डी जे की धुनों पर थिरकते देशी विदेशी मेहमानों ने खाने पीने का लुत्फ़ उठाते हुए कॉन्फेरेन्स के समापन होने का जश्न मनाया ।

और इस तरह यह द्वि-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा सम्मेलन सम्पूर्ण हुआ ।

नोट : सभी चित्र मोबाईल कैमरे सेअगली पोस्ट में आपको ले चलेंगे --गोवा की सैर पर, सचित्र वर्णन के साथ


33 comments:

  1. अद्भुत नजारा -आप तो एक कुशल चितेरें हैं हीं -ब्लागजगत के फोटोग्राफी विशारद -टर्मिनल तीन के क्या कहने -हमतो पहले ही किस्सा बयाँ कर चुके हैं -चलती सड़क के शुरू और अंत में लिखा तो है -ट्रेवेलेटर ..
    हाँ गोवा के चित्र सेंसर नहीं होने चाहियें

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  2. खूबसूरत और चित्रमय रिपोर्ट के लिए धन्यवाद.

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  3. चित्रमयी प्रस्तुति.

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  4. डिपारचर लाउंज की सजावट पर यूपी का तो असर नहीं.

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  5. वाह! थिरकते लोग, मतलब फ़ुल इनज्वाय।

    आभार

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  6. अच्छे फोटो हैं, देखकर लगता है सम्मलेन बढ़िया रहा होगा... और वोह हाथी महाराज वाली फोटो देखकर तो हम परेशान हो गए थे... :-) लगा बेचारे को करंट लग रहा है... :-)

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  7. वाह भाई जी वाह...

    घर बैठे गोवा घुमा दिया....
    चित्र भी चलचित्र जैसे हैं...
    आप जैसा मोबाईल मुझे भी लेना पड़ेगा....

    हा..हा..हा..
    साधुवाद

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  8. अच्छा लगा तस्वीरों से जान कर...

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  9. सभी चित्र सम्मलेन के प्रति उत्साह और उसकी सफलता की जानकारी देते हैं.

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  10. तस्वीरें देख कर आनन्द आ गया। धन्यवाद।

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  11. बढ़िया चित्र! 'मूविंग वॉक वे' कहते हैं उन पट्टियों को...

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  12. फोटो फीचर से सजी रपट बहुत बढ़िया रही!
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  13. WoW,बहुत प्यारा चित्रण , वैसे आपने भी हवाई उद्घोषक की बात नहीं मानी और विमान के उतरते हुए अपना कैमरा खुला रखा :) वैसे गोवा एअरपोर्ट (रनवे ) बहुत छोटा सा लगता है दिल्ली के मुकाबले ! खैर जगह की कमी है इसलिए कुछ कर भी नहीं सकते !

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  14. बहुत सुंदर चित्र अब अगली रिपोर्टिंग की प्रतिक्षा है.

    रामराम.

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  15. तस्वीरें देख कर मन में आया - " आ अब लौट चलें "
    आभार इतनी सुन्दर तस्वीरों का.

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  16. ek safal sammelan par badhaai sir.. sundar pics.

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  17. अच्छी तस्वीरें !

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  18. तस्वीरें बहुत सुन्दर आई हैं...अब आपकी नज़रों से गोवा देखने का इंतज़ार

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  19. हा हा हा !आपकी बात याद रखेंगे ।
    वैसे आपकी गूढ़ हिंदी तो कभी कभी हमें भी समझ नहीं आती ।

    हाथी की फोटो का औचित्य तो हमें भी समझ नहीं आया ।

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  20. पूरा गोवा देख लिया ! आभार सर!!

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  21. गोदियाल जी , विमान में सवार यात्रियों का रवैया वैसा ही होता है जैसा फेरे लेते समय ज्यादातर वर वधु का । पंडित क्या बोल रहा है , कोई सुनता ही नहीं । :)

    वैसे फोन से रेडियंस निकलने की वज़ह से दखलअंदाजी हो सकती है , कैमरे से नहीं ।

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  22. अरे सतीश जी , अभी तो शुरुआत भी नहीं हुई ।
    अब फास्ट फॉरवर्ड में दिखायेंगे ।

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  23. बहुत सुंदर चित्र, ओर बहुत बढिया विवरण अब जल्दी से गोवा घुमा दे, साथ मे यह भी बताये कि दिल्ली से गोवा का किराया कितना लगा हवाई जहाज से ओर कितना समय लगा,ओर दिस्मबर मे वहां का मोसम केसा होता हे, बस अगली बार गोवा या राजस्थान ही घुमना हे,
    धन्यवाद इस सुंदर लेख के लिये

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  24. तस्वीरें बोलती हैं... प्रमाण मिला :)

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  25. वाह! वाह ! डॉ. साहेब,आखिर आप भी फोटू ग्राफर बन ही गए --क्या लाजबाब चित्र लाए हे --
    गोवा इतने पास होने के बावजूद भी कभी जा न सकी--अब आपके साथ ही सैर करेगे...

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  26. खोजने से पता चलता है कि 'जम्बो' नाम था एक बड़े अफ़्रीकी ऐतिहासिक हाथी का,, जिसके नाम पर बोईंग ७४७ हवाई जहाज को यह नाम दिया गया...

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  27. भव्य नजारा। सुंदर तश्वीर।...वाह!

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  28. भाटिया जी , गोवा घूमने के लिए सर्दियों का मौसम सबसे बढ़िया है । यहाँ सर्दी नहीं पड़ती । दिल्ली से रिटर्न एयर फेयर ८००० -१०,००० रूपये है । फ्लाईट मुंबई होकर जाती है ।

    दर्शन जी , अभी तो और भी हैं । बस देखते रहिये ।
    जे सी जी , एक हाथी का नाम मैमथ भी था ।

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  29. वो तो केवल एअरपोर्ट में हाथी की उपस्थिति और हवाई जहाज पर एक तुक्का था ! साबुन के चूरे के साथ एक स्टील की चम्मच मुफ्त जैसा !
    एक पायलट से पूछा तो उसने कहा कि शायद बैंगकॉक के मोडल पर विदेशी पर्यटकों के सूचनार्थ डिपार्चर लुंज को ऐसे सजाया गया है कि उनको एक झलक मिले भारत में क्या क्या देखने को मिलेगा !

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  30. दौड़ती पट्टी का नाम ट्रैवलेटर है शायद...

    हाथी को भारत की पहचान माना जाता है...लेकिन ये ज़ज़ीरों में क्यों जकड़ा है...क्या सिम्बोलिक फोटो है...भारत की हालत भी इस हाथी जैसी ही है...

    जय हिंद...

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  31. पहले एलीवेटर , फिर एस्केलेटर , अब ट्रेवेलेटर --यकीनन भारत तरक्की पर है ।

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  32. प्राचीन भारत में तो कहते हैं कि पहुंचे हुए जोगी एक जगह से दूसरी जगह, भले ही वो कितनी दूर क्यूँ न हो, (ब्रह्माण्ड में कहीं भी?), पलक झपकते ही पहुँच जाते थे!!! कम से कम सोच कर ही हम आज आनंद उठा सकते हैं अपने पूर्वजों की पहुँच का !

    जहाँ तक हाथी के जंजीर में जैसे जकडे होने का प्रश्न है, शायद यह इशारा हो जोगियों के अनुसार शरीर में ही उपलब्ध सम्पूर्ण सूचना के एक बड़े भाग के मूलाधार में बंद रहने का जैसे मगरमच्छ के मुंह में पकडे हाथी की टांग को !

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