दो दिन की कॉन्फेरेन्स में देश विदेश से आए करीब २५० डेलिगेट्स ने भाग लिया जिनमे तकरीबन १०० ला के छात्र भी थे । विभिन्न देशों में चिकित्सा क्षेत्र में होती लापरवाही के मामलों में कानून व्यवस्था और सजा पर खुल कर बात हुई । यहाँ भी जब से चिकित्सक सी पी ए एक्ट के दायरे में आए हैं , तब से डॉक्टरों में एक दहशत सी फ़ैल गई है । कॉन्फेरेन्स में इस बात पर जोर दिया गया कि यदि आप अपनी जगह सही हैं तो डरने की कोई बात नहीं ।
अधिकतर डॉक्टर्स पत्नी समेत आए थे । इसलिए गोवा घूमने के लिए दो दिन अतिरिक्त रुकने का कार्यक्रम था । दुर्भाग्यवश हमें श्रीमती जी का एन वक्त पर टिकट रद्द कराना पड़ा ।
लेकिन हमने इसे वनवास न समझ , अपने पिछले अनुभवों का भरपूर उपयोग करते हुए , एक टूरिस्ट गाइड का काम संभाल लिया और अपने साथी डॉक्टर्स के लिए घूमने का इंतजाम कर दिया ।
कभी कभी मैं सोचता हूँ यदि मैं डॉक्टर न होता तो या तो फोटोग्राफर होता या टूरिस्ट गाइड ।
आइये आपको भी घुमाते हैं --गोवा मुफ्त में ।
पहला पड़ाव था --फोर्ट अगुआडा।
मांडवी नदी के किनारे , एक पहाड़ी पर बना यह किला , १६१२ में पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया था । वे यहाँ से समुद्र के रास्ते नदी से होकर आने वाले दुश्मनों के ज़हाज़ों पर नज़र रखते थे ।
यहाँ एक लाईट हाउस भी है । सुना है अब यह फोर्ट सेन्ट्रल जेल है । हालाँकि हमें तो कोई कैदी नज़र नहीं आया ।
फोर्ट से एक दृश्य--दूर मांडवी नदी दिखाई देती हुई ।
हमारा अगला पड़ाव था --ओल्ड गोवा की चर्च।
से कैथेड्रल चर्च और म्यूजियम
ओल्ड चर्च--बासिलिका ऑफ़ बोम जीसस
यह चर्च सोलहवीं सदी में बनी थी । यहाँ सेंट फ्रांसिस जेवियर का मम्मीफाइड पार्थिव शरीर एक चांदी के ताबूत में रखा गया है । इसे हर दस साल में जनता के दर्शन के लिए रखा जाता है । पिछली बार हमने दिसंबर १९९४ में देखा था ।
अब २०१४ में दोबारा देख सकते हैं ।
चर्च के अन्दर
यहाँ से हम पहुंचे , पणजी से तीन किलोमीटर दूर-डोना पावला --जहाँ मांडवी नदी अरब सागर में समा जाती है ।
कहते हैं यहाँ एक छोटी सी पहाड़ी से एक अंग्रेज़ युवती ने अपने प्रेमी के लिए समुद्र में कूदकर अपनी जान दे दी थी । आज यहाँ उसका स्मारक बना है ।
डोना पावला
डोना पावला से एक दृश्य
सामने अरब सागर से आती हुई शीतल पवन में हमारे सर पर बचे आठ बालों में से चार ऐसे नाच कूद कर रहे थे जैसे समुद्र में उठती लहरें किनारे से टकराकर अठखेलियाँ करती हैं ।
पृष्ठ भूमि में मांडवी नदी पणजी के किनारे किनारे ।
पहले दिन का अंतिम पड़ाव था --सन सेट क्रूज़ ।
पणजी शहर में मांडवी नदी पर शाम को ६ बजे से ७ बजे तक फेरी के अपर डेक पर संगीत के साथ नाचते गाते , सैलानी सूर्यास्त का निर्मल आनंद लेते हैं ।
एक तरफ स्टेज जहाँ नृत्य चलता रहता है , दूसरी तरफ --बियर बार -और बीच में सैकड़ों कुर्सियां --जिन पर बैठकर नृत्य , संगीत और प्रकृति का अनोखा मिलन देख कर मन आत्म विभोर हो जाता है ।
सन सेट क्रूज़ --पंजिम ( मांडवी नदी पर )
अगले दिन पूरा दिन नोर्थ गोवा के टूर के लिए रखा था ।
नोर्थ गोवा में सबसे पहले प्रस्थान किया मयेम लेक के लिए । पणजी से ३५ किलोमीटर दूर , गोवा के देहात में हरे भरे गावों से होकर यहाँ तक का सफ़र अपने आप में एक स्वर्गिक अनुभव है ।
मयेम लेक
सुन्दर , सौम्य और शांत झील के दृश्य देखकर यहीं बस जाने को जी चाहेगा ।
गोवा में एक लाइन में कई बीच हैं जहाँ आजकल विदेशी सैलानियों का ज़मावड़ा लगा रहता है ।
वैगाटोर बीच: मेरी पसंदीदा बीच ।
बायीं ओर --फिरंगी बीच
दायीं ओर --देशी बीच --घरेलु पर्यटकों के लिए। ज्यादातर लोकल टूरिस्ट यहीं होकर आगे निकल जाते हैं ।
बेशक बला की खूबसूरती है , इस बीच में ।
अब यदि आप गोवा आयें और समुद्र में नहाकर , नमकीन न हो जाएँ तो क्या बात हुई । तो लो भाई हम सब भी कूद पड़े पानी में ।
क्या यहाँ आप एक औड मेन आउट ढूंढ सकते हैं ?
अंजुना बीच--एक रेड हॉट बीच ।
इसके बारे में विस्तार से अगली पोस्ट में पढ़िए ।
बाघा बीच--यहाँ रात के बारह बजे भी रेत में बेंचों पर बैठ कर खाना पीना चलता रहता है ।
लेकिन हमने यहाँ दिन में बोट में बैठकर समुद्र की सैर की , डरते डरते क्योंकि उस वक्त समुद्र बड़ा रफ था ।
कोंडोलिम बीच--यह हमारे होटल से पैदल की दूरी पर थी । लेकिन यहाँ रात में जाने से मना किया गया था ।
साउथ गोवा:
वापसी वाले दिन सुबह ही एयरपोर्ट के लिए निकल लिए । रास्ते में स्पाइस गार्डन पड़ा । यहाँ पहाड़ों में हरी भरी वादियों के बीच अनेक बगीचे हैं जहाँ मसाले उगाये जाते हैं । हल्दी , काली मिर्च , धनिया , इलाइची , काजू , किशमिस आदि के बगान हैं । यहाँ ४०० रूपये का टिकेट लेना पड़ता है जिसमे आपको लंच भी कराया जाता है ।
क्या आप जानते हैं --सबसे महंगा मसाला कौन सा है ?
स्पाइस गार्डन
अंत में हम पहुंचे मंगेश जी मंदिर जिसे लता मंगेशकर के पिता श्री दीनानाथ मंगेशकर ने बनवाया था ।
मंगेश जी टेम्पल
और इस तरह पूरा हुआ , गोवा का सफ़र ।
नोट : भाई अरविन्द मिश्रा जी की फरमाइश पर गोवा की तस्वीरों को बिना सेंसर किये छापा गया है ।
अगली पोस्ट में --एक दिन फिरंगियों के बीच --देखना न भूलें ।
विशेष नोट : गोवा में ५ से ८ मार्च तक गोवा कार्निवल चल रहा है । जाना चाहेंगे ?
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वाह! स्वाद आ गया.
ReplyDeleteवाह निश्चय ही अच्छे फ़ोटोग्राफ़र भी हैं ही.
गोवा व पांडेचेरी मेरी सबसे पसंदीदा जगहों में से एक हैं.
अरे!
ReplyDeleteआपने तो कैंमरे के साथ
न केवल स्वयं प्रकृतिक नजारों का लुफ्त उठाया
बल्कि हमें भी गोवा के सुरम्य दृश्यों का आनन्द दिला दिया!
आप एक बेहतरीन फोटोग्राफर भी हैं , इसमें कोई शक नहीं । सुन्दर चित्रों के साथ गोवा की सैर कराने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। मज़ा आ गया ।
ReplyDeleteबहुत पुरानी याद ताजा हुई....
ReplyDeleteखूबसूरत गोवा ....दुबारा जाने की अच्छा हो गयी है !
ReplyDeleteआपने तो मुफ्त रखा है, लेकिन मुफ्त हमें भाता नहीं, सो यहां एक अदद ''धन्यवाद'' की फीस ग्रहण करने का कष्ट करें.
ReplyDeleteआपने सच कहा....आप एक बढ़िया टूरिस्ट गाइड और फोतोगाफर है ...आपकी क्रिया शीलता साफ़ दिखाई देती है !गोवा की इतनी बढ़िया सैर शायद वहां जा के भी ना हो पाती...शुक्रिया ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर तस्वीरें !
ReplyDeleteछा गए डॉ.साहेब पिंक शर्ट में ! २-४ बाल उड़ते हुए अभी तक दिखाई दे रहे हे .....
ReplyDeleteसचमुच आप कमाल के फोटोग्राफर हे इतना जिवंत चित्रण ---बधाई स्वीकार करे----अगली पोस्ट का इन्तजार रहेगा ---
आपके माध्यम से पुरानी यादें ताजा हो गयी।
ReplyDeleteमैं तो क्रुज का आनंद ले रहा हूँ आँखे बंद करके।:)
धन्यवाद डॉ साहब,आपनें तो गोवा को सचित्र प्रस्तुत कर दिया.
ReplyDeleteवाह ,अद्भुत ,स्वार्गिक ,विहंगम ,नयानाभिराम .....क्षण क्षण और चित्र दर चित्र जिया पुराने अहसासों को !किन शब्दों में शुक्रिया व्यक्त करूं ? निःशब्द हूँ !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर तस्वीरें है !
ReplyDeleteखूबसुरत गोआ की नयनाभिराम दृश्यावली हेतु आभार..
ReplyDeleteएक सैर यह भी आपके सौजन्य से पूरी हुई ।
वाकई गोवा की प्राकृतिक खूबसूरती का कोई जवाब नहीं है |
ReplyDeleteधन्यवाद गोवा के बीचो आदि की आनंद दायक सैर कराने के लिए! अच्छी जानकारी प्राप्त हुई !
ReplyDeleteसुभानाल्लाह ......!!
ReplyDeleteदेख देख जलन सी हो रही है ......
कुढ़न हो रही है नसीब पर ......
कुछ हलकी हलकी यादें हैं इस शहर से ....
कोई खूबसूरत सी झील थी ..
न झील का नाम याद है ...न होटल का ..
आपके लिखे नामों में से भी पकड़ नहीं पाई .....
आठ बालों में से चार बालों ने ब्लास से छाई उदासी में मुस्कराहट ला दी .....
बधाई आपको ......!!
@ दर्शन कौर धनोए
ReplyDeleteदर्शन जी , पिंक कलर से तो हम दूर ही रहते हैं । यह शर्ट मैरून कलर की है ।
@ सुशील बाकलीवाल
सुशिल जी , सैर अभी पूरी नहीं हुई है । आगे आगे देखिये , होता है क्या --
@ हरकीरत ' हीर'
हीर जी , गए तो हम भी अकेले ही थे । लेकिन उदासी को पास नहीं फटकने दिया ।
शायद आप मयेम लेक की बात कर रही हैं । सच , बहुत खूबसूरत है । एक पोस्ट उस पर भी ।
अभी मेरा बेटा कॉलेज की तरफ से गोवा टूर पर गया था...उसकी तस्वीरों के साथ साथ ये तस्वीरें भी देख रही हूँ...ये सप्ताह तो बिलकुल गोवामय हो गया :)
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत तस्वीरें हैं.
बहुत ही सुंदर चित्र ओर विवरण, अभी दो दिन पहले ही टी वी पर यहां गोवा बीच दिखाया, जहां इजराल के फ़ोजी (ट्रेनिंग के बाद) लोग आते हे ओर नशा करते हे, जिन के हालात बहुत बुरे दिखाये थे, ओर एक तरफ़ हमारी लचर पुलिस दिखाई जो सब देख कर भी अन्देखा कर रही थी.... जेसे यह लोग हमारे उपर एहसान कर रहे हो
ReplyDeleteमैंने देश के सारे कॉस्टल एरिया के प्रशासकों को सुझाव भेज दिया है...डॉक्टर साहब के इन चारों बालों में से एक-एक बाल लेकर समुद्र के किनारे गाढ़ दिए जाएं...भविष्य में कभी सुनामी आने का ख़तरा ही नहीं रहेगा...डर के समुद्र खुद-ब-खुद वापस हो जाया करेगा...
ReplyDeleteगोवा की जो आपने सैर कराई है वो शायद हम गोवा जाकर भी न कर सकें...वैसे पोस्ट में फैनी का ज़िक्र कहीं नहीं हुआ...
जय हिंद...
भाटिया जी , हमने तो ऐसा कहीं नहीं देखा । पहले के मुकाबले अब ज्यादा फोर्नर्स आते हैं । लेकिन दिन में ऐसा कुछ नहीं है । रात के अँधेरे में कहीं ज़रूर कुछ ड्रग्स वगैरह का धंधा चलता होगा । ओवर ऑल सब कुछ साफ सुथरा ही दिखा ।
ReplyDeleteखुशदीप भाई , होली तो अभी दूर है । क्या बात है !
फैनी का सिर्फ नाम ही है । वैसे यहाँ अल्कोहल कोल्ड ड्रिंक की तरह पी जाती है ।
इतने सारे खूबसूरत नज़ारे. मजा आ गया !!
ReplyDeleteबहुत ही मनमोहक चित्र हैं, लगता है दुबारा भी जाना पडेगा.
ReplyDeleteरामराम.
superb.. I'm pretty sure that you are third from left to right, in blue nicker standing tall like he-man. :)
ReplyDeleteमैं आपकी छायाकारिता का अनन्य प्रशंसक हूं। साहित्य और विज्ञान का अद्भुत सामंजस्य होता है उनमें।
ReplyDeleteसही पहचाना दीपक। लेकिन यह नहीं बताया कि इसमें औड क्या है ।
ReplyDeleteजीवंत प्रसारण जारी रहेगा यह और भी प्रसन्नता का विषय है. मुझे लगता है की सबसे महेंगा मसाला saffron होना चाहिए.
ReplyDeleteअरे वाह रचना जी । आपने बिल्कुल सही ज़वाब दिया । जी हाँ , प्रसारण जारी रहेगा ।
ReplyDeleteआपका केमरा सचमुच कमाल करता है डाक्टर साहब .... गोवा इतना खूबसूरत पहले तो न था ..
ReplyDeleteगोवा के बारे में यह प्रसिद्ध है कि कहीं से भी पत्थर फेंको, वह या तो गिरजा पर गिरेगा या शराबखाने पर :) सुंदर चित्र के लिए आभार॥
ReplyDeleteगोवा पहले घूमा हुआ है ..पर आपकी फोटोग्राफी कमाल की है ...आज आपकी नज़र से गोवा घूम लिया ...बहुत अच्छी रही यह यात्रा ...
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