२० मार्च को जब सारा हिन्दुस्तान होली मना रहा था । तब अमेरिका अपना राष्ट्रीय एड्स जागरूकता दिवस मना रहा था ।
यूनिसेफ के २००८ के आंकड़ों के अनुसार, विश्व में ३.३४ करोड़ मनुष्य ऐसे हैं जो एच आई वी पोजिटिव हैं ।
इनमे से २१ लाख १५ वर्ष की आयु से कम हैं ।
भारत में हालाँकि एच आई वी पोजिटिव लोगों का अनुपात कुल आबादी का ०.३४ % मात्र है । लेकिन विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश होने के नाते , कुल रोगियों की संख्या में विश्व में तीसरे स्थान पर है ।
एड्स / एच ई वी का संक्रमण ८५ % रोगियों में यौन संबंधों द्वारा होता है ।
५ % में यह माता पिता से बच्चों को होता है ।
ज़ाहिर है --पति पत्नी के संबंधों में भी खतरा हो सकता है , यदि दोनों में से एक भी एच आई वी पोजिटिव है ।
अब ज़रा सोचिये --यदि किसी युवक या युवती की शादी होने जा रही है और वह एच ई वी पोजिटिव है ।
ऐसे में क्या उसे अपने होने वाले जीवन साथी को बता देना चाहिए या नहीं ?
भारतीय दंड संहिता की धारा २६९ और २७० के तहत --
"कोई भी व्यक्ति जान बूझकर या गैर कानूनी तौर पर या लापरवाही से ऐसी जान लेवा बीमारी के प्रति लापरवाही बरतता है , जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जिंदगी को खतरा उत्त्पन्न हो सकता है , तो उसे कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं ।"
अर्थात शादी से पहले एच आई वी पोजिटिव व्यक्ति यदि अपने होने वाले जीवन साथी को नहीं बताता , तो वह कानूनी तौर पर मुज़रिम हो सकता है , तथा उसे सज़ा हो सकती है ।
एक चिकित्सक की दृष्टि से यह आवश्यक है कि संक्रमण को रोकने के लिए शादी से पहले एच आई वी पोजिटिव व्यक्ति को अपने होने वाले जीवन साथी को वास्तविकता से अवगत करा देना चाहिए ।
लेकिन अब एक अहम् सवाल पैदा होता है --
क्या शादी से पहले लड़के और लड़की को अपना एच आई वी टेस्ट कराना चाहिए ?
क्या यह हमारे समाज में मान्य होगा ?
एक आम नागरिक के नाते , आपका क्या कहना है --कृपया अवश्य बताइए ।
नोट : देश में केन्द्रीय सरकार की ओर से नेशनल एड्स कंट्रोल ओर्गनाइजेशन ( NACO) और दिल्ली सरकार की ओर से देल्ही स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी (DSACS) एड्स के संक्रमण को रोकने की दिशा में कार्यरत है । इनकी ओर से सभी बड़े अस्पतालों में एड्स स्वैच्छिक परामर्श और जाँच केंद्र ( VCTC) खोले गए हैं जहाँ एड्स से सम्बंधित निशुल्क जाँच , परामर्श और उपचार की व्यवस्था की गई है ।
Thursday, March 31, 2011
क्या शादी से पहले लड़के और लड़की को अपना एच आई वी टेस्ट कराना चाहिए ?
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एच आई वी,
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क्यों नही ?
ReplyDeletebahut zarurai hai
ReplyDeletepar smaaj izajat nahi dega
भयानक समस्या ...मुश्किल निदान !!
ReplyDeleteआम नागरिक के नाते
ReplyDeleteलड़के और लड़की को अपना एच आई वी टेस्ट कराना चाहिए
आजकल जन्मपत्री मिलाना गौड़ है और जानलेवा संक्रमित बीमारियों की जांच मुख्य है. लेकिन ये जांच करवाने के लिए आग्रह करना भी इतना सहज रूप में समाज में स्वीकार्य नहीं है, बल्कि इसकी चर्चा करना ही दुष्कार्य है. अच्छा विषय उठाया आपने.
ReplyDeleteकेवल एड्स ही क्यों ? डाकटर साहब आप एक पूरी लिस्ट लगाईये जो जांच विवाहपूर्व जरुरी है -अब आर एच फैक्टर ही ले लीजिये न !
ReplyDeleteagar var paksh yaa vadhu paksh is ki maang kartaa haen yaa kisi bhi test ki maang rakhta haen to avshya karaana chahiyae
ReplyDeleteबिल्कुल सही सलाह...
ReplyDeleteकुंडली मिलाने से भी ज़्यादा ज़रूरी है ये...
डॉक्टर साहब, मैंने स्कूल में ये भी पढ़ा था कि शादी से पहले लड़के-लड़की के ब्लग ग्रुप का भी मिलान करना चाहिए...क्योंकि एक-आध मैच ऐसा भी होता है जिसमें दंपति के पहली नहीं, लेकिन दूसरी या और आगे की संतान को जरूर ख़तरा हो सकता है...उस पर भी प्रकाश डालिएगा...क्योंकि ब्ल़ड ग्रुप को शादी से पहले शायद देश में कोई ही गंभीरता से लेता होगा...
जय हिंद...
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ReplyDeleteवैवाहिक संदर्भ में नैतिक रुप से तो यह आवश्यक लगता है किन्तु सामाजिक रुप से मान-सम्मान के प्रश्न के रुप में झगडे का कारण भी बनता दिखता है ।
ReplyDeleteऐसी कोई मांग करते ही रिश्ता टूट जायेगा, इसे वर या वधु के चरित्र पर दाग की तरह देखा जायेगा और अपमान करने की श्रेणी में रख दिया जायेगा | जरुरी तो है किन्तु ये संभव नहीं है हमारे समाज में |
ReplyDeleteजीवन बहुत कठिन होता जा रहा है समय के साथ जैसे जैसे जीवन-शैली में द्रुत गति से बदलाव आते जा रहे हैं और हर क्षेत्र में नए नए मानदंड स्थापित करने की आवश्यकता महसूस होती जा रही है जिन्हें सही और आवश्यक मानते हुए भी अपनाने में समय लग जाता है जिसमें एक बड़ा कारण है जनसख्या में उत्तरोत्तर बढ़ोत्तरी और दूसरी ओर प्राचीन काल से चली आ रही अनेक हर क्षेत्र की विभिन्न मान्यताएं... ...
ReplyDelete"अर्थात शादी से पहले एच आई वी पोजिटिव व्यक्ति यदि अपने होने वाले जीवन साथी को नहीं बताता , तो वह कानूनी तौर पर मुज़रिम हो सकता है , तथा उसे सज़ा हो सकती है ।"
ReplyDeleteडा० साहब, वह एच आई वी पोजेटिव व्यक्ति (स्त्री अथवा पुरुष ) जो जानबूझकर अथवा अनजाने में अपने जीवन साथी से यह छुपाता है तो शादी के बाद असलियत पता चलने पर भी इस दंड अधिनियम के कोई ख़ास मायने नहीं रह जाते ! मैं समझता हूँ की जब हम लोग योन संबंधों के मामले में वेस्ट्रन कल्चर को अपनाने के इतने इच्छुक रहते है तो हमें एचाईवी टेस्ट करवाने से भी कोई हिचक नहीं होनी चाहिए ! उलटे, यह तो वैवाहिक जीवन को और भी खुशहाल और भरोसेमंद बनाएगा !
डॉ. साहेब ,आपकी बात सौलाह आने सच है पर शादी से पहले कोन माँ -बाप लड़का लड़की का hiv टेस्ट करवाएगा नेतिकता के कारण ठीक है पर सामजिक मूल्यों के रहते ये सम्भव नही हो सकता ;हमारे समाज में बदनामी का डर इतना बैठ गया हे की चाह कर भी कोई इसे अपनाएगा नही --किसी कारन यदि Hiv पाजिटिव हुआ तो लोग दूसरो को बताना भी पसंद नही करते ?
ReplyDeleteजब कुंडली मिला सकते हैं, आजकल ब्लड ग्रुप पूछते हैं, तो यह क्यों नहीं??
ReplyDeleteबिल्कुल करा सकते हैं..
ReplyDeletejaroor hona chaahiye..
ReplyDeleteबदनामी किस बात की ....?
ReplyDeleteजहाँ समाज के हर पहलू में बदलाव आ रहा है ....
तो यहाँ क्यों नहीं .....?
ये दोनों के सुरक्षित जीवन के लिए जरुरी है ....
ये विवाह का एक अनिवार्य अंग माना जाना चाहिए ...
इसे यूँ किया जा सकता है कि कानून इसे अनिवार्य अंग बना दे
जो युवा कोर्ट में विवाह करते हैं उन्हें ये सर्टिफिकेट दिखाना पड़े ...
आज अधिकतर माता-पिता कोर्ट मैरिज और अरेंज मैरिज दोनों करवाते हैं ....
जन्मकुंडली से अच्छा हो की मेडिकल टेस्ट कराया जाय दोनों का :)
ReplyDeleteसही सलाह...
ReplyDeleteकिन्तु हमारे समाज में ये संभव नहीं है
करा सकते हैं|
ReplyDeleteबहुत सही!
ReplyDeleteआज तो लगता है कि यह युग आ ही गया है!
कम से कम आज की तो ये जरूरत है…………हर हाल मे कराना चाहिये।
ReplyDeleteसर्वर डाउन होने से विचार विमर्श नहीं हो पाया ।
ReplyDeleteआप सबकी सहमति है कि टेस्ट कराना चाहिए । लेकिन मित्रों यह इतना आसान नहीं है । जहाँ बहुत देख भाल के बाद कोई मैच मिलता है , उस पर लेन देन की बात और अंत में कुंडली मिलाकर रिश्ता तय होता है । वहां एक और शर्त रख दी जाए तो शायद शादी तय होना ही मुश्किल हो जाए ।
लेकिन यह भी सच है की सांच को आंच नहीं । इसलिए यदि टेस्ट की बात सुनकर कोई एच आई वी पोजिटिव भागता है तो बेहतर ही है । कम से कम जिंदगी ख़राब होने से तो बच जाएगी ।
फिर भी , अभी यहाँ स्वीकार होने में समय लगेगा ।
अरविन्द जी , बहुत सी बीमारियाँ हैं जो वंशागत होती हैं । लेकिन यदि सब की जांच करनी शुरू कर दी तो शादियाँ होनी ही बंद हो जाएँगी । वैसे भी मेडिकली भी इसकी ज़रुरत नहीं है ।
ReplyDeleteखुशदीप जी , ब्लड ग्रुप से कोई खतरा नहीं होता ।
सही कहा गोदियाल जी । लेकिन जुर्म तो जुर्म है । उसकी सजा भी मिलनी चाहिए ।
अंशुमाला जी , दर्शन जी , बात तो सही है । लेकिन धोखा तो धोखा है ।
हरकीरत जी ने सही साहस का परिचय दिया है । मेरे ख्याल से यही होना चाहिए । वर्ना सोचिये बेचारे अजन्मे बच्चे का क्या कसूर है । उसे क्यों जन्म लेते ही इस भयंकर बीमारी का शिकार होना चाहिए ।
सही सलाह है...
ReplyDeleteऔर ऐसी जागरूकता आनी ही चाहिए......ये सब अनिवार्य होना चाहिए,अब
सब समाज की सक्रियता और सोच पर निर्भर करता है..वैसे तो बहुत ज़रूरी है...बढ़िया चर्चा के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteजागरूक होने में कोई बुराई नहीं है।
ReplyDeleteआदरणीय डॉ टी एस दराल जी
ReplyDeleteनमस्कार !
बहुत ज्ञानवर्द्धक पोस्ट है … आभार !
समय परिवर्तन के साथ जो स्थितियां सामने आ रहीं हैं , उनसे निबटने में उस विषय के विशेषज्ञ ही मदद करें तो अधिक सही होगा …
… और ,
क्रिकेट में भारत के विश्व विजेता बनने पर हार्दिक बधाई !
नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शुक्रिया जी , राजेन्द्र जी ।
ReplyDeleteवी आर द चैम्प्स ! सबको बहुत बहुत बधाई ।
ऐसी खतरनाक बीमारियों के लिए यह जागरूकता ज़रुरी है ...
ReplyDeletemujhe to lagta hai kundliya milana chod medical checkup report dekhana dikhana jyada behtar idea hai....
ReplyDeleteकोई हर्ज नही है ऐसी व्यवस्था लागू करने में ...
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