गोवा यात्रा की अंतिम कड़ी में , आज प्रस्तुत हैं कुछ तस्वीरें --कुछ कहती हुई ।
लौट आई है इन पर , फिर से नई जवानियाँ ---
सागर किनारे , दिल ये पुकारे , तू जो नहीं तो मेरा , कोई नहीं है ---
दिल का सूना साज़ , तराना ढूंढेगा , मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढेगा --- ( डोना पावला )
ये जो मोहब्बत है , ये उनका है काम -- अरे महबूब का जो , लेते हुए नाम ,मर जाएँ , मिट जाएँ ---
हाए रे हाए , ये तेरे हाथ में मेरा हाथ , रहे दिन रात , तो फिर क्या बात ---
कहीं दूर जब दिन ढल जाए , साँझ की दुल्हन बदन चुराए ---
किसका है ये तुमको इंतजार , मैं हूँ ना ---
दो बेचारे , बिना सहारे ---
आजा शाम होने आई ---
सूरज हुआ , मध्यम मध्यम ---
नोट : इसके साथ ही यह प्रकरण पूरा हुआ । कुछ अन्य तस्वीरें --चित्रकथा --पर उपलब्ध रहेंगी ।
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सुंदर मनभावन चित्र!
ReplyDeleteAti sundar.
ReplyDelete---------
क्या व्यर्थ जा रहें हैं तारीफ में लिखे कमेंट?
बहुत खूबसूरत चित्र और सटीक टिप्पणियाँ ..
ReplyDeleteअद्भुत ..आपका प्रकृति प्रेम उजागर होता है इन चित्रों से ..यूँ ही आप आनद लेते रहें इस प्रकृति का और हमें भी उसकी जानकारी देते रहें ..आपका आभार
ReplyDeleteध्यानातीत करती चित्र वीथिका -गीतिका!
ReplyDeleteअब चित्र वीथिका पर भी आँख सेंकने जाता हूँ -
बहुत सुन्दर चित्र डाक्टर साहब ,(एक चित्र अपनी पसंद का तो विशेष पसंद आया :) ) काफी समय हुआ गए, पर वहाँ का एअरपोर्ट बहुत गंदा है ! अगर समय की ख़ास दिक्कत न हो तो गोवा में "बीच " इलाके के अलावा सह्याद्री हिल साइड ( यह महाराष्ट्रा के बोर्डर की तरफ पड़ता है ) भी शांत और रमणीय स्थल है, मगर ग्रुप में जाना ही वहाँ उचित है !
ReplyDeleteवाह डाक्टर साहब हमेशा जवान रहना तो कोई आपसे सीखे। इस पोस्ट को पढ़कर, चित्रों को देखकर तो बस यही कहने का मन हो रहा है...
ReplyDeleteतेरे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे।
..किसने कहा है याद नहीं आ रहा पर बड़े काम का शेर है।
बहुत खूबसूरत चित्र....
ReplyDelete२ गिलास और बियर पड़ी है फिर भी दो बेचारे ???
तस्वीरों की गहराई सागर से भी गहरी हैं !
ReplyDeleteडॉ दाराल , बस इतना ही कहूँगी , मुझे भी फोटोग्राफी सिखा दीजिये। Impressed हूँ आपके इस हुनर से।
ReplyDeleteधन्यवाद द्विवेदी जी , रजनीश जी , संगीता जी , केवल राम जी ।
ReplyDeleteअरविन्द जी , कोई हिंदी शब्कोष बताएं । आपकी टिप्पणियां भी हमारे लिए तो एक हिंदी का टेस्ट हो जाती हैं । :)
गोदियाल जी , दूधसागर फाल्स जाने का वक्त ही नहीं निकल पता । इसके लिए पूरा दिन चाहिए । फिर ग्रुप का फिट होना भी ज़रूरी है । बस इसीलिए इस बार भी छोड़ना पड़ा।
पाण्डे जी , ज़वान तो उतना ही होते हैं जितना आप खुद को सोचते हैं । बस मस्त रहिये , फिर देखिये कैसा लगता है ।
रजनीश जी --२ गिलास और बियर पड़ी है फिर भी दो बेचारे ??? इसीलिए तो बेचारे :)।
ज्ञानचंद जी , गहराई नापने के लिए शुक्रिया ।
दिव्या जी , गिर गिर कर ही सवार होते हैं । किसी पोस्ट में यह भी ।
वाह सारे ही चित्र लाजवाब हैं यानि आप एक मंजे हुये फ़ोटोग्राफ़र भी हैं?
ReplyDeleteरामराम.
वाह.
ReplyDeleteकाव्यमयी चित्र प्रस्तुती बहुत सुन्दर रही.घर बैठे मुफ्त की सैर हो गयी.
ReplyDeleteसुंदर चित्र। अच्छा हुआ इधर सुनामी का फिरा नहीं रहा :)
ReplyDelete@दो बेचारे ???
ReplyDeleteभाई साहब, दो नहीं तीन हैं जी :)
बहुत बढ़िया नजारे!
ReplyDeleteफोटोग्राफी भी बहुत बढ़िया है!
बहुत खूबसूरत चित्र और सटीक टिप्पणियाँ .
ReplyDeleteसुन्दर चित्रों की मनभावन प्रस्तुति...
ReplyDeleteइन सुन्दर चित्रो के साथ गीतो की यह पक्तियाँ लाजवाब हैं
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर चित्र, ओर दो बेचारे तो बहुत मासूम लगे.
ReplyDeleteवाह फोटो के साथ यात्रा संस्मरण .. दो बेचारो के साथ गोवा.. उम्दा..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र...उम्दा गीत टिप्पणियों में.
ReplyDeleteसागर किनारे , दिल ये पुकारे , तू जो नहीं तो मेरा , कोई नहीं है -...
ReplyDelete):):
बहुत खूबसूरत !
ReplyDeleteताऊ तारीफ कर रह्या सै के सवाल पूछ रह्या सै ?
ReplyDeleteधन्यवाद काजल जी , माथुर जी ।
प्रशाद जी , पहाड़ों में सुनामी नहीं आती ।
ललित भाई तीसरा तो घणा ए दूर था ।
शास्त्री जी ,सुनील जी , सुशील जी , शरद जी , समर जी -गानों का शौक बचपन से रहा है ।
आए हाए भाटिया जी , मार सुट्या ।
डॉ नूतन आपका स्वागत है ।
हीर जी , शुक्र है आप मुस्कराई तो सही ।
धन्यवाद वाणी जी ।
@ डाँ. दराल साहब
ReplyDeleteमैं तो तारीफ़ कर रहा था. प्रश्नवाचक इसलिये लगाया था क्योंकि विश्वास नही हो रहा था कि एक डाक्टर इतनी खूबसूरत फ़ोटो शूट कर सकता है. जो जनता को मनोरम लगे. कारण कि डाक्टर जो फ़ोटो खींचते हैं और जो फ़ोटॊ उन्हें समझ आती हैं वो जनता को "काला अक्षर ताऊ की भैंस" बराबर (एक्सरे, सोनोग्राफ़ी, सीटी स्केन) लगती है. वाकई आपकी खींची हुई सभी फ़ोटोज बेहतरीन हैं और उनमे से कई तो ताऊ ने मार भी ली हैं जो आगे कभी काम में लेगा.:)
रामराम.
हिंदी शब्दकोश के अलावा अगर चाहें तो यह भी तलाश लें कि जवानी और जमाना में नुक्ता होगा या नहीं.
ReplyDeleteहा हा हा ! रामपुरिया जी , वे फोटो तो सब डॉक्टरों को भी कहाँ समझ आती हैं । कभी कभी तो कहना पड़ता है कि भाई सीधा तो पकड लो ।
ReplyDeleteकॉपीराईट किसी पर भी नहीं है भाई , जितनी चाहे मार लो । बाकि-- चित्रकथा--( दूसरा ब्लॉग ) पर हैं ।
शुक्रिया राहुल जी , आपकी नुक्ताचीनी से भी कुछ तो सीखने को मिला । :)
ReplyDeleteगलती सुधार दी गई है ।
वैसे फोटो देखकर आनंद आया कि नहीं ?
यह तो दुनिया का आठवा आश्चर्य हो गया डॉ. साहेब !
ReplyDeleteउम्दा तस्वीरों के साथ -साथ मनपसंद गाने भी ! वाह ! क्या बात है--
" किसका है ये तुमको इन्तजार में हु न" ?
सबसे खूबसूरत चित्र और गीत --100% पास ! फोटूग्राफी में भी और गीतकारी में भी ? बधाई--- :)
खूबसूरत चित्र ....दो बेचारे ....हा हा हा !!!
ReplyDeleteदो खाली ग्लास..हाय हम क्यों न हुए...खैर मज़ाक एक तरफ़...
ReplyDeleteडॉक्टर साहब जापान में जो हुआ उसे देखकर यही सोच रहा था कि वहां भूकंप-सुनामी के ख़तरों को देखते हुए सभी लोगों को खास ट्रेनिंग मिली होती है...बच्चे-बच्चे को पता होता है कि आपदा आने पर किस तरह स्थिति से निपटना है...वहां का इन्फ्रास्ट्रक्चर इतना मजबूत है कि भूकंप का कम ही असर होता है...इसके बावजूद कुदरत ने रौद्र रूप धारण किया तो कैसी तस्वीर दुनिया के सामने आई...मौतों की संख्या कम से कम रही...अब यही आपदा खुदा न खास्ता कभी भारत के तटीय इलाकों में आए या भूकंप से मैदानी इलाके कांपने लगे तो स्थिति कैसी भयावह होगी...हमारे देश में डिसास्टर मैनेजमेंट ट्रेनिंग जैसी कोई व्यवस्था या सिस्टम मौजूद नहीं है...इस पर भी कुछ लिखें...
जय हिंद...
सूरज हुआ मध्यम, चाँद छुपने लगा.
ReplyDeleteयह संगीतमय चित्रावली बहुत उम्दा रही. अपने तो गोवा का कोना कोना सुंदर चित्रों से दिखा दिया. अगली बार कहाँ जा रहे हैं?
):):
ReplyDeleteदो, चार और नौ सबसे अच्छी लगीं .....
दो बेचारों की चाबी किधर है .....?
फिल्म समारोहों के अलावा,गोवा गलत कारणों से ही चर्चा में रहता है। मगर आपकी तस्वीरें कुछ और बयां कर रही हैं।
ReplyDeleteगोवा के मनोहारी सजीव चित्र
ReplyDeleteऔर उस पर
आपकी ओर से लिखे गए वाक्य
लगने लगा
कि
पढने वाले भी आप ही के साथ वहीं घूम रहे हैं
वाह डॉ साहब .... कमाल !!
"हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है"...
ReplyDeleteमेरा भारत महान है! किन्तु इंडिया परेशान है क्यूंकि ९९% आज बेइमान है (कलियुग में?!)!
भारत ने संसार को शून्य दिया गर्व से कहते हैं हम,,,किन्तु शून्य से घबड़ाता है आज इंडिया! (डा साहिब ने 'गीता' का सार भी पढाया था!)
क्या यह (पूर्व) में 'उगते सूरज की भूमि' का नसीब अथवा प्रकृति है कि (डूबते सूरज की दिशा वाले देश) के अणु बम यहीं गिरे और अब (डूबते सूरज के समय?) रेडिएशन का खतरा फिर पलट के यहीं है,,,चेर्नोबिल के खतरे की घंटी के बाद भी!
जय हिंद!
१०० % पास ! शुक्रिया दर्शन जी ।
ReplyDeleteहमारे देश में डिसास्टर मैनेजमेंट ट्रेनिंग जैसी कोई व्यवस्था या सिस्टम मौजूद नहीं है...
ऐसा भी नहीं है खुशदीप भाई । १९९९ में हम भी कोल्कता में यह ट्रेनिंग करके आए थे । यह अलग बात है कि हमारी तैयारी में कमी रह सकती है ।
अगली बार --रचना जी दिल्ली में ही क्यों नहीं । देखते रहिये ।
हीर जी , लास्ट फोटो सबसे बेहतरीन है । सूरज समुद्र में डूब रहा है या उग रहा है , लहरों में प्रतिबिम्ब देखकर पता ही नहीं चलता ।
राधारमण जी , कुछ तो लोग कहेंगे ही । लेकिन ऐसा वैसा कुछ नहीं है जो कहीं और नहीं है ।
धन्यवाद दानिश जी ।
जे सी जी , इंसान प्रकृति के आगे बौना हो जाता है । और क्या कहें ।
आपका कैमरा सच में बोलता है डाक्टर साहब ... कहीं पॉल न कॉल दे घर में .... बच के रहना ...
ReplyDeleteदेर से पहुंचा लेकिन दरुस्त पहुंचा.
ReplyDeleteजितनी खूब तसवीरें उतने खूबसूरत गीत.
दराल साहिब ,आपकी फोटोग्राफी का जवाब नहीं.
जिंदादिली का भी नहीं.
पिछली पोस्ट में कोल्ड ड्रिंक बीयर की बोतल जैसा लगा.
पीने वाले सब जानते हैं.
सलाम .
नासवा जी , यह पॉल कौन है ? बचकर रहना पड़ेगा ।
ReplyDelete@ sagebob said...
गोवा में बियर भी कोल्ड ड्रिंक ही होती है ।
हिन्दू मान्यता के अनुसार, हमारे औसतन १२ घंटे की तुलना में, ब्रह्मा का एक दिन हमारे चार अरब वर्ष से भी अधिक लम्बा होता है, और उसके उपरांत उतनी ही लम्बी उसकी रात भी छा जाती है, यानि उसका भी सूरज, (हमारे वाला ही?) अंततोगत्वा एक दिन ढल जाता है,,,आराम करता है,,, और शायद तब पृथ्वी पर हिमयुग छा जाता है! किन्तु माया के कारण (उगता और डूबता सूरज एक सा लगने के कारण?) यह नहीं पता चलता कब ब्रह्मा का दिन समाप्त होगा, यद्यपि हम, आधुनिक बुद्धिजीवी, उसके हमारे जीवन में हर एक दिन के उगने और डूबने का सही हिसाब पहले से ही लगा पाते हैं!
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