एक बार फिर दीवाली पास आ गई है । वातावरण में पर्व का उत्साह दिखाई दे रहा है । लेकिन साथ ही जगह जगह पुलिस के बैरिकेड इस बात का अहसास दिला रहे हैं कि पांच साल पहले जो हादसा हुआ था दीवाली पर , वह फिर न हो जाए । उधर दिल्ली की मुख्य मंत्री महोदया ने फिर दिल्ली वालों से अपील की है कि दीवाली बिना पटाखों के मनाएं, ताकि इससे होने वाले शोर और प्रदूषण से बचा जा सके ।
इस अवसर पर लिखी एक रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
रावण वध कर विजयी भव , जब श्री राम अयोध्या आए थे ,
अधर्म पर धर्म की जीत पर, तब सबने घी के दीप जलाये थे ।
दीवाली का पर्व अब हो गया है धुआं धुआं ,
खोये का स्वाद भी खो गया है जाने कहाँ ,
नहीं लगती अब पटाखों की आवाज़ मधुर
जब से धमाकों में घुली है, चीख पुकार यहाँ ।
अब बदल गया है पर्व ये , दीवाली का पावन ,
तब कण कण में थे राम , अब जन जन में है रावण ।
और कौन हैं ये रावण ?
काम, क्रोध, मद , लोभ, में डूबी गहन आबादी ,
महंगाई , प्रदूषण और भ्रष्टाचार की बर्बादी ,
मासूमों का खून बहाते आतंकवादी ,
धर्म , प्रान्त और जात पात पर विष पिलाते अवसरवादी ।
पावन मात्रभूमि को जिसने किया कुरूप ,
यही हैं वो आज के रावण के दस रूप ।
किन्तु रावण भी हम हैं , और हमीं हैं राम ,
जो अंतररावण को मारे , वही कहलाए श्री राम ।
आइये आज यह संकल्प लें कि हम इस वर्ष भी दीवाली बिना पटाखों के मनाएंगे ताकि अपना शहर ध्वनि और वायु प्रदूषण से बचा रहे ।
ताकि अस्थमा और दिल के रोगी सकून से रह सकें और पूर्णतया स्वस्थ लोग भी स्वस्थ रह सकें ।
आप सब को दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें ।
Wednesday, November 3, 2010
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किन्तु रावण भी हम हैं , और हमीं हैं राम ,
ReplyDeleteजो अंतररावण को मारे , वही कहलाए श्री राम ।
सत्य वचन
बहुत ही बढ़िया ,रचना है...
आपकी इस अपील में शामिल हैं हम भी..
आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं
आदरणीय दराल साहब,
ReplyDeleteधनतेरस की शुभकामनाएं आपको
"शुभ दीपावली"
और अब आपकी इस रचना की बात
पूरा सच आसानी से बयान कर दिया आपने बेहद सहजता और सरलता से [आज ये ऐसी दूसरी रचना है जिसमें इतनी आसानी से सच को शब्दों में बुना पाया है|पहली रचना दिगंबर नासवा जी की थी]
रही पटाखों की बात
हम पूरा प्रयास करेंगे की सभी को ये बात समझा सकें
हर तरह के सन्दर्भ [धार्मिक, अध्यात्मिक, वैज्ञानिक] इस बारे में तैयार कर लिए है
आपसे सहमत हूँ !
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार में सभी को धनतेरस और दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !
नहीं लगती अब पटाखों की आवाज़ मधुर
ReplyDeleteजब से धमाकों में घुली है, चीख पुकार यहाँ ।
बहुत सही लिखा है ...पूरी रचना अच्छा सन्देश देती हुई ...
दीपावली की शुभकामनायें
बहुत सुंदर और आशावादी... अबस रोशनी की यह रवायत चलती रहे
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !
ReplyDeleteआइये आज यह संकल्प लें कि हम इस वर्ष भी दीवाली बिना पटाखों के मनाएंगे ताकि अपना शहर ध्वनि और वायु प्रदूषण से बचा रहे ।
ReplyDeleteताकि अस्थमा और दिल के रोगी सकून से रह सकें और पूर्णतया स्वस्थ लोग भी स्वस्थ रह सकें ।
आप सब को दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें ।
बहुत प्रासंगिक और ग्राह्य संदेश...।
संकल्प ले लिया भैया!
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना!
सार्थक... प्रासंगिक संकल्प की बात.....
ReplyDeleteआपको भी दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
बहुत सही!!
ReplyDeleteसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
हर कोई अंतर्मन में झांके, वहीं राम मिलेंगे और वहीं रावण...ज़रूरत बस अपने राम को हमेशा जगाए रखने की है, रावण का स्वयं ही वध होता रहेगा...
ReplyDeleteदीपावली की बहुत बहुत बधाई...
सीनियर दराल सर के जल्दी स्वस्थ होने की कामना...
जय हिंद...
रावण के यह दस रुप ही मनुष्य के दुख का कारण बनते हैं जो इन पर विजय पा लेता है वह कालजयी हो जाता है और इतिहास में दर्ज हो कर अमर हो जाता है।
ReplyDeleteसुंदर कविता है भाई साहब
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
ढेर सारी बधाई।
बढ़िया रचना ! अपना रावन कोई नहीं देखना चाहता !
ReplyDeleteशुभकामनायें
अच्छे और बुरे...दोनों तरह के व्यक्तित्व हमारे अंदर ही होते हैं...ये तो हमारे विवेक पर निर्भर करता है कि वो किसे बाहर आ...उभरने का मौक़ा देता है...
ReplyDeleteबढ़िया...सीख देती रचना
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआज के रावण की सटीक पहचान बताई है आपने ....दीवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबिलकुल सही लिखा है.....
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
दिवाली का सन्देश शायद प्राचीन हिन्दुओं के सांकेतिक शब्दों में "तमसो मा ज्योतिर्गमय,,,आदि" समझा जा सकता है...यानि दीपावली को संकेत समझ ज्ञान के उजाले से अज्ञान के अँधेरे को दूर कर, अंततोगत्वा, निराकार ब्रह्म (अमृत, शिव) तक पहुंचना,,, त्रेता के पुरुषोत्तम राम समान सीता के साथ विवाह कर,,,जिनके माथे को हर अवस्था में ठंडा रखने के लिए सांकेतिक चाँद और गंगा है, उस अमृत गंगाधर शिव का धनुष तोड़, यानि पृथ्वी पर मानव रूप में सत्य-असत्य की माया को भेद,,, न कि रावण समान 'ज्ञानी', अथवा पढ़ा-लिखा, बन किन्तु माया में उलझे रह जीवन व्यतीत कर (त्रिशंकु समान 'न इधर के न उधर के')...
ReplyDeleteदीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteसुन्दर संदेश देती सार्थक रचना के लिये हार्दिक बधाई।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteआज रावण तो हमारे चारो ओर खडे हे, अगर इन्हे मारना हे तो सब से पहले हमे राम बनाना होगा, बहुत सुंदर आरती, धन्यवाद
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं
दीवाली पर दराल जी ओर परिवार को हार्दिक शुभकामनायें !!
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश । आजकल हम पर्व केवल अपने मनोरंजन के लिये ही मनाते हैं पर्व की मूल भावना से तो कोसों दूर है। आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteप्रदूषण मुक्त दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteसमयानुकूल सार्थक पोस्ट!
ReplyDeleteदीपावली के इस शुभ बेला में माता महालक्ष्मी आप पर कृपा करें और आपके सुख-समृद्धि-धन-धान्य-मान-सम्मान में वृद्धि प्रदान करें!
हम बदलेंगे युग बदलेगा!
ReplyDeleteआपको समस्त परिवार सहित
ReplyDeleteदीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभ-कामनाएं
धन्यवाद
संजय कुमार चौरसिया
आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
ReplyDeleteमैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें ।
ReplyDelete... shubh diwaali !
ReplyDeleteदीपावली की असीम-अनन्त शुभकामनायें.
ReplyDeleteअनुभव और ज्ञान जो बांटे,वह सही मायनों में स्वयं प्रकाशित है। शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteइस दीपावली के शुभ अवसर पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाये
ReplyDeleteबच्चे सवाल कर रहे हैं कि आपलोगों ने सब कर लिया और हमारी बारी आई तो रोक-टोक, उन्हें तो कुछ न कुछ समझा लिया, खुद को क्या समझाउं.
ReplyDeleteराहुल सिंह जी , यही कि जो गलती हम करते आये हैं , अपने बच्चों को नहीं करने देंगे ।
ReplyDeleteवैसे आजकल बच्चे काफी समझदार हो गए हैं और वो मात पिता को समझाते हैं ।
काम, क्रोध, मद , लोभ, में डूबी गहन आबादी ,
ReplyDeleteमहंगाई , प्रदूषण और भ्रष्टाचार की बर्बादी ,
मासूमों का खून बहाते आतंकवादी ,
धर्म , प्रान्त और जात पात पर विष पिलाते अवसरवादी ।
अभी अभी जितेन्द्र जौहर जी के ब्लॉग पे कुछ ऐसी ही रचना पढ़कर आई ....हमें अपने अन्दर के कलुष को मिटाना चाहिए ...और कलुष kya है ..? .काम, क्रोध, मद , लोभ यही न ....?
आपकी post hamesha ek swasth soch deti है ....
शुक्रिया दराल जी .....!!
शुक्रिया हरकीरत जी ।
ReplyDeleteआज सही सोच की ही कमी है ।
इत्तेफाक से जब तक आपकी टिप्पणी आती है , तब तक मेरी एक और पोस्ट तैयार हो चुकी होती है ।
अब अगली पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देना मत भूलियेगा । और अग्रिम आभार ।
दराल जी,सही लिखा है.बधाई!
ReplyDeleteदीवाली का पर्व अब हो गया है धुआं धुआं ,
खोये का स्वाद भी खो गया है जाने कहाँ ,
नहीं लगती अब पटाखों की आवाज़ मधुर
जब से धमाकों में घुली है, चीख पुकार यहाँ ।
आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट मनोरंजक और ज्ञानवर्धक दोनों होती है..हर एक पोस्ट में आप कुछ ना कुछ जानकारी भरी, मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी बातों को प्रस्तुत करते है....आज भी बेहद उम्दा विचार लिए आपकी पोस्ट ..सार्थक ब्लॉगिंग के लिए बहुत बहुत बधाई..
ReplyDeleteDr.Saheb,
ReplyDeleteAapki kavita aur vyakt vichaar sabke palan karne ke liye they;lekin shayad adhiktar logon ne sirf taareef hee ki hogi palan nahee hi kiya hoga.Hamne to keval 31 aahutiyon ka vishesh havan kiya,patakha to KROORTA kadyotak hai,hamare yahan koyee nahi istemal karta hai.
Jagrookta bhare lekh ke liye DHANYWAD.
जो अंतर रावण को मारे , वही कहलाये श्रीराम ...
ReplyDeleteसुन्दर !