पिछली पोस्ट में --
न तो मूढ़ था , न परिस्थितियां । लेकिन अवसर ही ऐसा था कि हम न कह ही नहीं सकते थे । इसलिए राम का नाम लेते हुए हम भी पहुँच ही गए ब्लोगर मिलन में ---
----- विवरण आज ही पोस्ट कर दिया है , क्योंकि क्या जाने कल अवसर मिले न मिले ।
ये पंक्तियाँ थीं पिछली पोस्ट में पहली और आखिरी ।
अब यह पूर्वाभास था या अंतर्मन की आवाज़ , या फिर चिकित्सीय दृष्टि । कहना मुश्किल है ।
लकिन अगले दिन गुडगाँव जाते हुए , रास्ते में ही भाई का फोन आया कि पिताजी नहीं रहे ।
लगा जैसे एक युग का अंत हो गया ।
पिताजी का १४ नवम्बर को दिन के ११-२५ बजे स्वर्गवास हो गया ।
गत वर्ष जन्मदिन के अवसर पर ।
वो जो कार्यरत रहते हुए , परिवार के उत्थान के लिए कार्य करते रहे । सेवा निवृत होकर समाज के लिए काम करते रहे ।
जिन्होंने अपने साहस और मज़बूत इरादों से न सिर्फ अपने गाँव में विकास कार्यों में अपना योगदान दिया , बल्कि शहर में भी एक मज़बूत स्तम्भ की तरह सामाजिक कार्यों को अपना सर्वस्व प्रदान किया ।
गाँव में १९६० में पक्की सड़क , १९८० में फिरनी ( बाई पास ) का रुका हुआ कार्य , १९९० में गाँव के लोगों की फंसी हुई ज़मीन को डीनोटिफाई कराना आदि ऐसे कार्य थे जिनमे उनका भरपूर योगदान रहा ।
शहर में सेवा निवृत होकर पहले १० साल मयूर विहार और सन २००० से गुडगाँव के सेक्टर २३ में रहकर वे समाज के लिए ही कार्य करते रहे ।
सभी तरह की सामाजिक संस्थाओं से जुड़े रहकर उन्होंने गुडगाँव के सबसे बड़े सेक्टर को विकसित करने में जी जान से कोशिश की ।
रोज सुबह शाम चार किलोमीटर में फैले सेक्टर का राउंड लेना , कहीं कोई समस्या नज़र आने पर तुरंत कार्यवाही करना , किसी के भी दुःख तकलीफ में आगे बढ़कर मदद करना , मजदूरों और छोटे छोटे दुकानदारों के हितों का ख्याल रखना , सुबह पार्क में सैर करते हुए एक एक व्यक्ति से मिलकर उसका हाल चाल पूछना ---ये ऐसे कार्य थे जिनकी वज़ह से उन्हें सेक्टर का एक एक व्यक्ति जानता और सम्मान करता है।
पिछली कई दिनों से सैकड़ों लोगों से मिलकर यही लगा कि वो सेक्टर की जान थे ।
उनके गाए भजन औरों के साथ हमें भी याद हैं ।
बड़े सुरीले स्वर में गाते थे --
सुनता ना कोई रे , यूँ रोवना फ़िज़ूल है
विपदा की मारी तेरे , ममता की भूल है ।
खाली पड़ा पिंज़रा हंसा , चला गया उड़ कर
जाये पीछे फिर कोई , आया नहीं मुड़कर ।
पांच तत्व जुड़कर सारी काया का स्थूल है ---
उन्होंने अपनी जिंदगी में साहस और हिम्मत का जो परिचय दिया , उससे यही लगता है कि उन्होंने जिंदगी एक शेर की तरह जी ।
रविवार २१-११-२०१० को १.०० बजे , इस दिवंगत आत्मा को श्रधांजलि देने के लिए परिवार ने प्रार्थना सभा का आयोजन किया है , निवास स्थान पर ।
और तद्पश्चात , उनकी इच्छानुसार भोजन का आयोजन किया है ।
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oh..... baap ke saaye ka hatna!vajrapaat hai.. aap unke padchinhon par chalen....
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ReplyDelete...आज बड़े दुःखद समाचार मिल रहे हैं उन ब्लॉगों से जिनका मैं फालोवर हूँ...अभी भाई दीपक ने खबर दी ...आदरणीय महावीर जी नहीं रहे..
ReplyDeleteदूसरी पोस्ट आपकी आई...अब तो मैं आज कम्प्यूटर बंद ही कर दुंगा.
..पिता जब तक रहते हैं यूँ लगता है कि हम अभी बच्चे हैं..पिता जी के जाते ही सबकुछ अचानक से बदल जाता है। जिम्मेदारी पूरी अपने ही कंधों पर आ गई सी लगती है।
..ईश्वर आपको इस महान कष्ट को सहने की शक्ति दे ...श्व0 पिताजी की आत्मा को शांति प्रदान करे.
दराल साहब जो आया है वो जायेगा ये तो विधि का विधान है पर इस आने जाने के बीच जो अपनी छाप छोड़ जाए वो व्यक्ति ही महान हैं. आपके पिता ने अपने कर्मों से महानता की ऊँचाइयों को छुआ है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें.
ReplyDeleteबहुत दुखदाई समाचार. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. आपको व आपके परिवार को यह शोक सहन करने की शक्ति दें. शायद ईश्वर को अच्छे की आवश्यकता ज्यादा रहती है.
ReplyDeleteश्रद्धेय बाबूजी को विनम्र श्रद्धांजलि और उन की कर्मशीलता को नमन !
ReplyDeleteओह .. आपके पिताजी की आत्मा को शान्ति और आपको दुःख सहने की क्षमता मिले ....वैसे जिस तरह की ज़िंदगी उन्होंने जी है उसके लिए उनको और उनके हौसले को नमन ...
ReplyDeleteदराल साहब,
ReplyDeleteआपके पिताजी ने सार्थक जीवन जिया है। ईश्वर से प्रार्थना, उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। शोक की इस घड़ी में आपके परिवार के साथ हम सबकी संवेदना है।
बेहद दुखदायी समाचार है , ईश्वर आपके पूरे परिवार को दुःख सहन करने की शक्ति दे !
ReplyDeleteसादर
दुःख और इस विषाद की इस घड़ी में हम सब प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत को परम शान्ति प्राप्त हो........
ReplyDeleteपिताजी का साया पुत्र के सर से उठ जाना एक ऐसा शून्य है जिसे कोई भी विकल्प भर नहीं सकता ...परन्तु हम जैसे कमज़ोर जीव सिवाय परमात्मा की मर्ज़ी को स्वीकार करने के और कर भी क्या सकते हैं ...
विनम्र श्रद्धांजलि !
विनम्र श्रद्धांजलि ...
ReplyDeleteईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें, आपके पूरे परिवार को दुःख सहन करने की शक्ति दे !
ReplyDeleteपिताजी को मेरी और से विनम्र श्रद्धांजलि.
ReplyDelete.
ReplyDeleteश्रद्धेय बाबूजी को विनम्र श्रद्धांजलि और उन की कर्मशीलता को नमन !
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विनम्र श्रद्धांजलि !
ReplyDelete... विनम्र श्रद्धांजलि !!!
ReplyDeleteदराल जी हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteबाबूजी को विनम्र श्रद्धांजलि ... कर्मवीर को सादर नमन...
ReplyDeleteएक आदर्श और प्रेरणात्मक जीवन के धनी व्यक्ति ---जिनका जन्मदिन हमने आज मनाया --- शीर्षक से, आपके द्वारा प्रस्तुत पोस्ट के माध्यम से, आपने अपने पिता श्री राज सिंह दराल का उनके ७९ वें जन्मदिन, १२ दिसम्बर २००९ को मनाये जाने का समाचार पेश किया था और अब १४ नवम्बर को उनके निधन का,,,एक आदर्श जीवन व्यतीत कर और अपने नाम को सार्थक कर...भगवान् दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें!
ReplyDeleteपरमात्मा पिताजी की आत्मा को मोक्ष प्रदान करे
ReplyDeleteमौन श्रद्धांजली
बहुत दुखद समाचार है। उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धाँजली। भगवान परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति दे।
ReplyDeleteअपने लिए जिए तो क्या जिए,
ReplyDeleteतू जी ऐ दिल ज़माने के लिए...
सीनियर दराल सर ने इस जज़्बे को ताउम्र ज़िंदादिली के साथ जिया...आपको संस्कारों की सौगात दी...आप किन हालात से गुज़र रहे होंगे, मैं अच्छी तरह समझ सकता हूं...एक हफ्ते के अंदर ही मेरे और आपके सिर से पिता का साया उठना विचित्र संयोग है...परमपिता से प्रार्थना है कि दिवंगत विभूति को अपने चरणों में स्थान दे...
जय हिंद...
विनम्र श्रद्धांजलि |
ReplyDeleteडा .सा ;,
ReplyDeleteबेहद दुःख हुआ यह जन कर कि १४ .११ .२०१० को आपके पिताजी ने यह संसार छोड़ दिया .
हम परम -पिता परमात्मा से उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं .
और आप लोगों से अनुरोध है कि धैर्य बनाये रखें ,इस दुःख की घड़ी में हम सब आपके साथ हैं .
बहुत दुख हुआ यह जानकर आपने उनके व्यक्तितत्व के बारे में पहले जानकारी दी थी, इन पलों में सभी ब्लॉगर आपके साथ है। उन्हें मेरी श्रद्धांजलि ।
ReplyDeleteदुखद समाचार डा० साहब , क्या करे दुनिया का दस्तूर है ! दिवंगत आत्मा को मेरी भावभीनी श्रद्धांजली !
ReplyDeletemeree bhavbheenee vinamr shrudhhanjalee sweekare............
ReplyDeletesaantvana ke shavd dhunde se nahee mil rahe hai.............ise ghadee me hum sabhee aapke sath hai..
अच्छा लगा पिता की यादों को सुनाना. आप के पिता एक नेक इंसान थे, समाज के लिए समर्पित.
ReplyDeleteबहुत दुखदाई समाचार. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. आपको व आपके परिवार को यह शोक सहन करने की शक्ति दें.
ReplyDeleteईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें और आप को यह आघात सहने की शक्ति॥
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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दिवंगत को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि...
...
दिवंगत आत्मा को श्रध्दांजली । पिता को खोना यानि सर पर छत्र के उड जाने जैसा है । आपके दुख में सहभागी हैं .
ReplyDeleteदिवंगत आत्मा को श्रध्दांजली
ReplyDeleteदराल सर,
ReplyDeleteकल ही खुशदीप जी कि पोस्ट से इस दुखद समाचार का पता लगा। पिता के साये में किसी भी उम्र का बच्चा हो, बच्चा ही होता है। वैसे सर, शेर दिल अब जीने वाले कितने होते हैं। आपकी पोस्ट में वो फ्रख़ दिख रहा है जो एक बेटे को होता है अपने पिता पर। भगवान दिवंगत आत्मा को शांति देंगे, और अपने पास रखेंगे। मैं यही दुआ करता हूं। सबका ख्याल रखना, समाज का ध्यान रखना आजकल कौन करता है। नि:संदेह इतनी उज्जवल आत्मा को भगवान अपने पास ही शांति औऱ सुख से रखता है। बहुत पहले एक कहानी पढ़ी थी। एक व्यक्ति एक फरिश्ते से मिलता है। वो देखता है कि एक लिस्ट फरिश्ते के पास है, जिसमें उसकी पूजा करने वालों का नाम है, पर उसमें उसका नाम नहीं होता। वो निराश हो जाता है। अगले दिन फिर एक लिस्ट फरिश्ते के पास देखता है। पता चलता है उसमें उनके नाम हैं जिनसे ईश्वर प्यार करता है। वो सोचता है कि मैं पूजा ही नहीं करता तो ईश्वर मेरे से प्यार क्यों करेंगे। फिऱ भी फरिश्ते से अपने नाम के बारे में पूछता है। फरिश्ता कहता है कि हे भले मानस इस लिस्ट में सबसे पहला नाम तो तेरा ही है। मुझे विश्वास है कि इस लिस्ट में आपके पिता का नाम भी उपरी पंक्तियों में है।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. आपको व आपके परिवार को यह शोक सहन करने की शक्ति दें
ReplyDeleteआदरणीय डॉ. टी. एस. दराल साहब
ReplyDeleteआपके पिताश्री के देहावसान के बारे में पढ़ कर आंखें भर आईं …
विनम्र श्रद्धांजलि !
परमपिता परमात्मा उनकी आत्मा को शांति दें और आप सब परिवार जन को यह आघात सहने की सामर्थ्य और शक्ति !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
डॉ. टी. एस. दराल जी, मेरे परिवार की ओर से पिताजी को अश्रुमय विनम्र श्रद्धांजली ! ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और आपको परिवार सहित इस आकस्मिक दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे !
ReplyDeleteपहले खुशदीप जी के और अब आपके पिताजी की खबर ने विचलित कर दिया ....
ReplyDeleteआपका इतने दिनों तक न आना मुझे शंकित तो कर रहा था ....
पर इधर teen chaar दिनों से kampyutar itana dhima chahl rha है कि kuchh khul ही नहीं रहा .....
और ये देवेन्द्र जी किन mahaavir जी की baat कर रहे हैं .....?
ओह ....! सारी खबरें behad afsosjanak ......
mere shrdhasuman arpit हैं unhein .....
श्रद्धेय बाबूजी को विनम्र श्रद्धांजलि......
ReplyDeleteपिताजी को विनम्र श्रद्धांजलि। गोवा में हूं, दिल्ली आने पर मिलता हूं।
ReplyDeleteरोहित जी , बहुत प्रेरणात्मक प्रसंग सुनाया है आपने ।
ReplyDeleteहरकीरत जी , महावीर शर्मा जी अमेरिका में रहते थे । दीपक मशाल ने उनके निधन के बारे में सूचना दी थी ।
अभी पाबला जी भी कष्ट के दौर से गुजर रहे हैं ।
डाक्टर साहब, 21 तारीख को ही हमें भी रोहतक ब्लागर मिलन के दौरान यह पता चला ---इस परमपिता परमात्मा से यही प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में वासा दे। आप जी के प्रिय पिता जी के सामाजिक कल्याण संबंधी कार्यों के बारे में जानना एक सुखद अनुभव था। परमात्मा आप सब परिवार वालों को यह अपूरनीय क्षति सहने का बल बख्शे।
ReplyDeleteनमस्कार, डा्क्टर साहब।
sir , mujhe abhi hi pata chala hai
ReplyDeletebaabuji ko vinamr shrdanjali
vijay
मैं कह सकता हूं कि आपके पिता ने बहुत संतोष के साथ आखिरी सांसें ली होंगी। आपके कार्य-व्यवहार को देखकर भी उनके विषय में थोड़ा अनुमान लगाया जा सकता है। दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteपिता का साया उठना जीवन के कुछ कठिनतम अनुभवों में से एक है पर यह तो सत्य है ध्रुव है ..उन्होंने एक कर्मठ जीवन जिया .अब आपका कर्तव्य है की उनकी परम्परा को जीवंत रखें -श्रद्धांजलि !
ReplyDeleteदिवंगत को विनम्र श्रधांजलि!
ReplyDeleteइस दुःख की घड़ी में हम सब आपके साथ हैं !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ