ऐसे में दिल्ली के जाने माने कारडियोलौजिस्ट डॉ बी सी रॉय अवार्डी , पदमश्री डॉ के के अग्रवाल द्वारा प्रकाशित दैनिक ई-पत्रिका मेडीन्यूज डॉक्टर्स के लिए जानकारी का एक बड़ा अच्छा और सुगम श्रोत साबित हो रही है ।
प्रस्तुत हैं , यहीं से लिए गए कुछ स्वास्थ्य सम्बन्धी समाचार आपकी जानकारी के लिए :
* सन्डे हो या मंडे , रोज खाएं अंडे --
यह विज्ञापन तो आपने देखा सुना ही होगा । इसके मुताबिक रोज एक अंडा खाना सेहत के लिए अच्छा होता है । लेकिन एक शोध से पता चला है कि सप्ताह के सातों दिन रोज एक अंडा खाने से पुरुषों में ५५% और महिलाओं में ७७% डायबिटीज होने के सम्भावना बढ़ जाती है ।
वैसे तो अंडे की सफेदी में प्रोटीन होती है जिसे स्टेंडर्ड प्रोटीन माना जाता है । लेकिन अंडे के मध्य जो ज़र्दी होती है वास्तव में वह कॉलेस्ट्रोल युक्त वसा होती है ।
यदि साबुत अंडा खाया जाए तो यह वसा सुगर मेटाबोलिज्म को प्रभावित कर मधुमेह को जन्म दे सकता है ।
इसलिए यदि अंडे खाने भी हों तो सिर्फ सफेदी ही खाना चाहिए जिससे वसा रहित भरपूर प्रोटीन मिल सके ।
* खर्राटे --
सोते हुए बहुत से लोग खर्राटे लेते हैं । विदेशों में तो ये पति पत्नी के बीच तलाक का कारण भी बन जाते हैं । वैसे भी दूसरे व्यक्ति की नींद तो खराब करते ही हैं ।
यह पाया गया है कि खर्राटे लेने वाले व्यक्ति को हार्ट अटैक , या अकस्मात मृत्यु की सम्भावना ज्यादा होती है ।
खर्राटे अक्सर गले में टोंसिल , एडिनोइड , या साइनस ब्लॉक होने की वज़ह से होते हैं । मोटे व्यक्तियों में भी ज्यादा होते हैं ।
इनसे बचने के लिए वज़न कम करना चाहिए, सिग्रेट पीना छोड़ना चाहिए। सोते समय करवट लेकर सोना चाहिए ।
* कुत्ते के काटने पर --
सबसे पहला और सबसे ज़रूरी काम है --घाव को बहते पानी में धोना । साबुन लगाकर धोना और भी अच्छा है । ऐसा करने से ही रेबीज होने की सम्भावना ५०% कम हो जाती है ।
* सर्दियों के दिन और सुबह का समय --
हृदय रोगियों के लिए अक्सर घातक सिद्ध होते हैं । इन दिनों में बी पी हाई होने , स्ट्रोक , हार्ट अटैक और हृदयाघात से मृत्यु होने की सम्भावना बढ़ जती है । इसलिए हृदय रोगियों को सर्दियों में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए और अपने डॉक्टर से विमर्श कर दवा समय पर लेते रहना चाहिए । अक्सर सर्दियों में दवा की मात्रा बढ़ानी पड़ती है ।
* छाती में दर्द --
छाती के बायीं तरफ होने वाले दर्द को अक्सर एंजाइना यानि दिल का दर्द समझा जाता है । हालाँकि यह दर्द नौन कारडिअक यानि किसी और वज़ह से भी हो सकता है ।
छाती के नीचे बायीं ओर पेट में होने वाले दर्द को अक्सर एसिडिटी की वज़ह से माना जाता है । लेकिन कई बार यह दर्द एसिडिटी न होकर दिल का दर्द भी हो सकता है । यह विशेषकर इन्फीरियर वॉल इन्फार्क्शन में होता है ।
अफ़सोस तो यह है कि कई बार डॉक्टर्स भी इस दर्द को एसिडिटी समझ कर एंटएसिड्स प्रेस्क्राइब कर देते हैं ।
यह एक ब्लंडर है जो रोगी के लिए घातक हो सकता है ।
* हृदयाघात का रोगी और सेक्सुअल एक्टिविटी :
आजकल हार्ट अटैक की सम्भावना युवाओं में भी बढ़ने लगी है । ऐसे में अक्सर एक सवाल पैदा होता है कि क्या हृदयाघात से पीड़ित होने के बाद सेक्सुअल एक्टिविटी बंद कर देनी चाहिए ।
जी नहीं , पूर्णतया ठीक होने के बाद सेक्स पर कोई पाबंधी नहीं होती । बल्कि नॉर्मल सेक्सुअल एक्टिविटी स्वास्थ्य के लिए इन लोगों में भी उतनी ही लाभकारी होती है जितनी स्वस्थ लोगों में ।
लेकिन एक बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए । हृदय रोगियों को वायग्रा जैसी दवाओं के सेवन से बचना चाहिए। इसके सेवन से फेटल हार्ट अटैक हो सकता है ।
वैसे भी वायग्रा सिर्फ उन्ही लोगों के लिए लाभदायक होती है जिन्हें किसी वज़ह से नपुंसकता हो गई है ।
वायग्रा को यौन शक्ति वर्धक दवा के रूप में लेना खतरनाक हो सकता है ।
नोट : स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई भी शिकायत होने पर अपने डॉक्टर से परामर्श करना न भूलें ।
आपका ब्लॉग मुझे हमेशा कहता है - ' मैं हूँ ना ' , आपकी सीख हमारे लिए ज़रूरी है .
ReplyDeleteसादर
बढ़िया और उपयोगी के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
ReplyDelete"जानकारी"
ReplyDeleteतो मेरे पास ही रह गयी ... ;-)
उपयोगी जानकारी।
ReplyDeleteजानकारी से परिपूर्ण आलेख ....
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी हैं.
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteबढ़िया टिप्स। आभार।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया एवं उपयोगी जानकारी है आभार
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी, डा० साहब ! आज के ही अखबार में एक खबर पढ़ रहा था कि एक नौ साल के बच्चे की हार्ट अटैक से मौत हो गई, इस दुनिया में सब कुछ आश्चर्यजनक हो रहा है और इसकी एक वजह है, गलत आहार !
ReplyDeleteसही कहा गोदियाल जी । आहार के साथ आचार व्यवहार भी नुकसान कर रहा है ।
Deleteएक अंग्रेजी की कहावत है, "एक के लिए भोज्य / दूसरे के लिए विष"!
Deleteऔर रहस्यमय प्राचीन हिन्दुओं के अनुसार केवल शिव (नीलकंठ) ही विष को गले में धारण कर सकते हैं, क्यूंकि उनकी अर्धांगिनी -हिमालय पुत्री पार्वती - 'सोमरस', अमृत, दायिनी है - केवल देवताओं को ही... :)
और, शिव को 'चंद्रशेखर' भी कहते हैं (तस्वीरों में चंद्रमा को उनके माथे पर 'माँ गंगा' के साथ दर्शाया जाता आ रहा है, अर्थात उनके ऊपर शक्ति-रुपी माँ, सती / पृथ्वी रुपी साकार गंगाधर शिव की अर्धांगिनी चंद्रमा अर्थात माँ दुर्गा की कृपा है!
किन्तु आज तो 'गंगा भी मैली हो गयी है', और क्षीरसागर मंथन के आरम्भ में विष ही उत्पन्न हुआ था (घोर कलियुग में...?:)
जानकारी हमारे रोज़मर्रा की ज़िन्दगी के लिए काफी लाभकारी है ..धन्यवाद..
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.com
स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई भी शिकायत होने पर अपने डॉक्टर से परामर्श करना न भूलें ....उंह्ह हम काहे लें ..हमारे पहचान के आउर पडोस के भी एक ठो डाग्दर साहब बिलागर हैं ..बस धल्ल लेंगे उनको ही
ReplyDeleteWaaaah... Kaam ki Jaankaariyan...
ReplyDeletethanks for vital informations..
ReplyDeleteचिकित्सा में शोध से अधिक मल्टिनेशनल के डिक्टाट चलता है । इसीलिए एक दिन कहेंगे काफ़ी पीजिए, दुसरे दिन कहेंगे चाय मुफ़ीद होती है:)
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - थिस इज़ बेटर देन ओरिजिनल जी... - ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteइतना डराईयेगा तो कोई भला जियेगा कैसे ? ये काम तो इंश्योरेंस कंपनियों को ही शोभा देता है :)
ReplyDeleteअली सा , बहुत पहले टी वी में एक एड आता था --अबे भंकू कहाँ जा रियो हो? --बच्चे को पोलिया का टीका लगवाने .
Deleteबच्चा तो ठीक है , फिर टीका क्यों लगवाते हो .--- ताकि आगे भी ठीक रहे . :)
बहुत ही उपयोगी जानकारी दी है आपने ।आभार
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteआवश्यक एवं मनन योग्य जानकारी दी आपने ...ऐसे लेख कई बार जान बचाने में लाभदायक रहते हैं !
ReplyDeleteआभार आपका !
एक ही पोस्ट में इतनी सारी टिप्स...यानि हर ब्लागर का दो हज़ार रुपए का फ़ायदा...
ReplyDelete
जय हिंद...
उपयोगी जानकारी।
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी डाक्टर साहब ... आज तो सभी नुस्खे और सभी बातें आम आदमी से जुडी हैं ...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया इस जानकारी के लिए ...
मैं जब खर्राटे के इलाज़ के लिए एक वरिष्ठ डाक्टर के पास पहुंचा तो उन्होंने एक अन्य डाक्टर के सुझाव के अनुसार स्लीप एप्निया इंडेक्स टेस्ट करने से यह कहकर इनकार कर दिया कि खर्राटा लेना तब तक कोई रोग नहीं है जब तक इससे आपकी नींद अचानक न खुल जाती हो। मैंने कहा कि मैं तो घोड़े बेच कर सोता रहता हूं,मगर बीवी-बच्चे ठीक से सो नहीं पाते। डाक्टर ने जवाब दिया कि यह बीवी-बच्चे की समस्या है,आपकी नहीं!
ReplyDeleteहा हा हा ! पर उनकी समस्या अपनी समस्या है ।
Deleteखर्राटा यदि समस्या है तो देश/ संसार में असंख्य समस्याएं हैं, जो समय के साथ साथ बढती ही जा रही हैं... और जिनका निदान अभी संभव नहीं हो पाया है और आज अज्ञानता वश, काल की तथाकथित उलटी चाल के कारण 'कोलावारी डी' पर समय पहुँच गया है :)...
Deleteवैसे हमारे ज्ञानी पूर्वज निद्रावस्था को अर्ध-मृत अवस्था कह गए, और आदमी कई प्रकार की जंगली जानवरों की भी आवाजें निकालता है - सोते-जागते!... खर्राटे भी उनमें से एक है, जिनके विभिन्न प्रकार होते हैं ...और जो आदमी की उत्पति के दौरान बिल्ली के परिवार का एक सदस्य, कुछेक के शायर और कुछ के शेर भी होने को भी संभवतः दर्शाता है ('सास भी कभी बहु थी' समान :)
upyogi jankari..aabhar
ReplyDeleteशानदार |
ReplyDeletevaah..
jeevan rakshak tips..
ReplyDeletethanx
स्वास्थ्य-सम्बन्धी जानकारी अच्छी लगी। अंडा चाहे सफ़ेद हो या पीला - अपनी दूर की नमस्ते!
ReplyDeleteडॉ के के अग्रवाल को मेरा भी धन्यवाद.
ReplyDeleteऔर आप तक पहुँचाने के लिए हमारा ?
Deleteबहुत उपयोगी लाजबाब प्रस्तुती .
ReplyDeleteMY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
बुरा फंसा देते हैं आप डॉक्टर साहब.हर प्वाइंट का जवाब दीजिए।
ReplyDelete1-ये शोध तो बहुत ही मुश्लकल में डाल देते हैं। कभी कुछ कहते हैं कभी कुछ कहते हैं.....ठीक वैसे ही जैसे प्रेमिका किस बात के लिए हां बोल दे किस बात के लिए न बोल दो ..वो बिन जाने कब।..
सवाल-शोध ऐसा कब तक करते रहेंगे.क्या जब तक प्रेमिकाएं हैं तब तक?
2-पिताजी दिल के मरीज थे 1982 से यानि जब आठ साल का था...तब से पता था कि पीली वाली जर्दी दिल के रोगियो के लिए नुकसानदेह होती है....और बाहर वाला सफेद हिस्सा प्रोटिन से युक्त। फिर संडे मंडे का विज्ञापन आया..रोज खाने लगा अंडा मंगलवार को छोड़कर।
सवाल-अब इस शोध में नया क्या है?
3-हाल में पढ़ा था कि रोज अंडा यानि हर्निया की बीमारी को न्यौता या नपुसंकता को न्यौता। सवाल-क्या ठीक है।
4-एक राय----आपका फर्ज बनता है कि ब्लॉगर क्लिनीक खोल लें। सभी ब्लॉगर दिल्ली प्रवास में और दिल्ली वाले महीने में दो बार आपके क्लिनीक पर (वैसे इमरजैंसी में जब मर्जी) नियमित रुप से डोज लेने आएं..हंसी के गुल्लों का और बतियाने का। वो भी बिना फीस के।
सवाल-कितने दिन में क्लिनीक खोल रहे हैं?
1) शादी कर डालिए --सारी शोध ख़त्म हो जाएँगी । :)
Delete२) यही की ज़र्दी निकाल कर खाइए ।
३) कहने वाले तो यह भी कहते रहे कि पोलिओ की ड्रोप्स से बच्चे नपुंसक हो जायेंगे । फिर भी पोलिओ को ख़त्म कर ही डाला हमने ।
४) क्लिनिक चलते हुए ३ साल हो चुके । पता मांगने पर दिया जायेगा । :)
मुफ्त में इतनी जानकारी ......???
ReplyDeleteहमारी तरह से आपको 'हीर-राँझा' अवार्ड .....फ्री में .....:))
हार्ट अटैक .....??
डॉ साहब आज कल दिल की धड़कने बड़ी बेतरतीब रहती हैं ...
सोते सोते अचानक बढ जाती हैं ....कहीं....?????
अरे .....नहीं नहीं इश्क विश्क का चक्कर नहीं है ये ....:))
वैसे जैसी मौत अभी देखी हैं उससे तो अच्छा है हार्ट अटैक ही हो जाये ....:))
उनको देख जो दिल धड़का , धड़कता गया धड़कता गया
Deleteई सी जी किया तो मियां , दिल के बीमार निकले ।
मुश्किल ही यही है कि धड़के तो मुश्किल , न धड़के तो मुश्किल !
न जाने क्या स्वयं ह्रदय विहीन - 'बनाने वाले', स्वयं अनंत - के मन में आया कि, एक संदिग्ध वस्तु समान हर अस्थायी माटी के पुतले के भीतर एक दिल रख दिया, टिक टिक करते हुए टाइम बम समान जो कब न जाने तार के काट दिए जाने समान एक दिन अपने आप ठप हो जाता है :)
Deleteजे सी साहब दिल तो है दिल क्या किये ......
Deleteअभी कुछ दिन पहले मेरी मौसी के १८ वर्षीय बेटे को हार्ट अटैक हो गया
जवान ऊँचा लम्बा गबरू .....
डॉ भी अचंभित थे ..............
हरकीरत जी, दुःख हुआ सुनकर...
Deleteप्राचीन भारत में, पशु जगत में सर्वश्रेष्ठ कलाकृति, मानव, के जीवन और उस के उद्देश्य को समझने के लिए अनेक प्रयास किये जाते रहे हैं...उन्हीं में से ज्योतिष शास्त्र एक है (जो पंजाब में होशियारपुर में किसी समय चरम सीमा में पहुंचा माना जाता है) ... इस विद्या के मूल में खगोलशास्त्र का ज्ञान है, और योगियों/ सिद्धों आदि द्वारा मानव को नौ ग्रहों, सूर्य से शनि तक के सार से बना एक मॉडल समझा जाना है... और काल के अनुसार साधारणतया मॉडल की कार्य क्षमता सत युग से कलियुग तक १००% से लगभग शून्य तक घट जाना माना गया... और इस प्रकार प्रत्येक के उसके जन्म के समय, स्थान आदि से उसके भविष्य के बारे में अनुमान लगाना और संभावित दुर्घटनाओं आदि से बचने के उपाय भी सुझाए जाते रहे हैं...वे भी आपको अनेक मिल जायेंगे... और, कलिकाल के प्रभाव से तो आज कोई सही व्यक्ति या माध्यम मिल पाना कुछेक भाग्यशाली को ही संभव माना गया है... इस कारण अधिकतर कहते पाये जायेंगे कि वे ज्योतिष शास्त्र पर विश्वास नहीं करते :) और कई डॉक्टरों को भी आप नग आदि की अंगूठी / पेंडेंट आदि पहने देख सकते हैं :)...
हरकीरत जी , सच में आजकल हार्ट अटैक युवा उम्र में भी होने लगे हैं । इसके लिए जिम्मेदार है , बदलती जीवन शैली और खान पान ।
Deleteजे सी जी , ज्योतिष में विश्वास रखना व्यक्तिगत रूचि की बात है । कम से कम हम तो नहीं रखते ।
आधुनिक ज्ञान के आधार पर तारीफ जी आपने सही कहा कि हार्ट अटैक के लिए खान-पान और बदलती जीवन शैली है... यदि एक मिनट के लिए आप विश्वास करलें कि यह बदलाव भी एक ग्रैंड डिजाइन का ही अंश हो सकता है, तब आपको देखना और खोजना होगा अपने देश के भूत में, हिन्दुओं के इतिहास में ही नहीं अपितु उपलब्ध पुराणों आदि में भी - वो भी मानव के मसिश्क में प्राप्त विचारों के आधार पर ही लिखे गए होंगे, किन्तु संभव है कि वो सांकेतिक भाषा में हो और केवल मनोरंजक कहानियां लगती हों... क्यूंकि इतना तो आधुनिक खगोलशास्त्री भी मानते हैं कि काशी के 'ब्राह्मण' पहुंचे हुए रहे होंगे जिन्होंने, जैसे वर्तमान में उपलब्ध हैं, इलैक्ट्रोनिक कंप्यूटर उपलब्ध न होते हुए भी, (नाडी-शास्र और हस्तरेखा शास्त्र में भी वो दखल रखते थे, शायद विभिन्न ग्रहों के द्योतक, उँगलियों पर ही गिन कर) ग्रहों आदि के विषय में सही-सही अनुमान लगा पंचांग तैयार कर लिए, जो सदियों से चले आ रहे हैं...
Deleteमैं भी पहले ज्योतिषियों पर विश्वास नहीं करता था, किन्तु ज्योतिष शास्त्र पर शक नहीं करता था, क्यूंकि यह तो कोई आम आदमी भी कहता दिखाई देता है कि कैसे 'उस के बचपन का समय' बहुत अच्छा था, भले तब विदेशियों का राज रहा हो! किन्तु वर्तमान में कुछ भी सही नहीं है, या समय के साथ सही नहीं रह सकता, भले अब हमारा 'अपना राज' है - समस्याएं हर क्षेत्र में समय के साथ बिगड़ती जा रही है - सड़कें नहीं हैं/ शहर आदि में हैं भी तो उन पर गढ़ें हैं/ उन पर ट्रैफिक बढ़ता जा रहा है/ और उस के साथ साथ 'कोलावारी डी' / 'रोड रेज' भी... आदि आदि...:(...
खाने के बारे में जानकारी के विषय में यह लिंक देखा जा सकता है -
Deletehttp://www.hindustantimes.com/Brunch/Brunch-Stories/Why-too-much-of-health-food-is-bad/Article1-806603.aspx#.Ty-cMcTn5n4.mailto
Daral sahab apka yh blog behad upyogi hai.......apki hr prvishti sangrhneey hai ...blog lekhan ke prati apka samrpan nishchy hi manavmatr ke liye mahan klyankari hai....apki es kalyankari bhavana ka naman karta hoon .han ak jankari ap se jaroor chahiye ....KYA SUGAR KE ROGI KA SEX PRBHAVIT HOTA HAI ...?..KYA SUGAR KA ROGI SEX KI SAMANY AWASTH KAYAM RAKH SAKATA HAI ....ES SE BACHANE KE LIYE KAUN SI DAWAYEN UPYOGI HAIN AUR KHANPAN ME KISKA UPYOG KARANA CHAHIYE...? AGALE POST ME VISHWAS HAI MUJHE MERE PRASHNON KA JABAB JAROOR MILEGA ....
ReplyDeleteत्रिपाठी जी , डायबिटीज के रोगियों में नपुंसकता होने की सम्भावना रहती है . इसे इरेक्टाइल डिसफंक्शन कहते हैं . लम्बे अरसे तक सुगर रहने से लिंग की नसों में माइक्रो एन्जिओपेथि होने से रक्त का प्रवाह कम हो जाता है . इस दशा में इरेक्शन पूरा नहीं होता या सस्टेन नहीं रह पाता .
Deleteइससे बचने के लिए सुगर का पूर्ण नियंत्रण ज़रूरी है . यदि सुगर कंट्रोल में रहेगी तो आप स्वस्थ रह सकते हैं .
फिर भी ऐसे रोगियों को वायग्रा जैसी दवा से लाभ हो सकता है . यह दवा इरेक्टाइल डिसफंक्शन में ही सबसे ज्यादा उपयोगी रहती है . लेकिन डॉक्टर की देख रेख में ही लेनी चाहिए . हृदय रोगियों को विशेष सावधानी की ज़रुरत रहती है .
MERE BLOG PR APKA SWAGAT HAI.
ReplyDeleteहमारी बीमारी की एक भी दवा नहीं इसमें !
ReplyDeleteयूँ के जब तक यह पता न हो कि बीमारी है क्या , तब तक दवा क्या बताएं । :)
Deleteपुनश्च -
ReplyDeleteमैंने फेसबुक में निम्नलिखित टिप्पणी दी थी, अपने अनुभव और खोज के आधार पर...
जय हिन्दू
जय इंदु -
धरती माता के माथे पर बिंदु -
ब्रह्माण्ड के केंद्र में नादबिन्दू :)... ...
लोहे और (विष के द्योतक) नीले रंग को शनि ग्रह से, और मानव शरीर में (धरा पर प्रकाश और शक्ति, श्वेत रश्मियों के स्रोत सूर्य के पुत्र) शनि के सार को स्नायु तंत्र से सम्बंधित जाना हमारे ज्ञानी-ध्यानी पूर्वजों ने (जो अन्य आठ ग्रहों के सार से बने सम्पूर्ण शरीर में व्याप्त है, और मस्तिष्क से सभी अंगों को प्रसारित होते आदेश, और उनसे समबन्धित सूचना आदि ग्रहण करते, विभिन्न प्रकार के संचार का माध्यम है)... और शनि ग्रह को पश्चिम दिशा का राजा भी जाना गया! जबकि गंगाधर शिव अर्थात पृथ्वी पर, कैलाश पर्वत के शिखर पर बैठे, शिव के मस्तक में गंगा जल क स्रोत चंद्रमा को दर्शा पहेली सुलझा गए हिन्दू, किन्तु वर्तमान में कलिकाल के प्रभव से हिन्दू ही उसी प्रकार भटक रहे हैं जैसे कस्तूरी मृग सुगंध के स्रोत को अपने भीतर ही होते हुए भी इधर उधर भटकता फिरता है :)...
bahut hi umda likhte hai aap.saarthk jaankari di aap ne...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विमर्श चल रहा है जानकारी भी ला ज़वाब हाँ विज्ञान में अंतिम कुछ भी नहीं है .अध्ययन अध्ययन औरअध्ययन ..नतीजे परस्पर विरोधी हमारा काम जानकारी बांटना नित नै .बस .
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी।
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