बचपन में गणतंत्र दिवस की परेड देखने के लिए हम मूंह अँधेरे उठ जाते थे और ६-७ किलोमीटर पैदल चलकर राजपथ पहुँचते थे । बाद में ऑफिसर बन गए तो सरकार की ओर से विशिष्ठ अतिथि वाले पास मिलने लगे । लेकिन पिछले ३-४ साल से न जाने क्यों पास मिलने बंद हो गए । इसलिए इस बार भी घर बैठकर ही टी वी पर परेड देखनी पड़ी । हालाँकि हमारी कामवाली बाई ज़रूर पास का जुगाड़ कर परेड राजपथ पर ही देख कर आई ।
दिल्ली शहर में जुगाड़ एक अद्भुत कला है ।
हर वर्ष २६ जनवरी से २९ जनवरी को बीटिंग रिट्रीट के दिन तक सारे सरकारी भवनों को बिजली से रौशन किया जाता है । पहले सारे भवनों को सजाया जाता था लेकिन अब बिजली की बचत करने के लिए केवल राष्ट्रपति भवन , नॉर्थ ब्लॉक , साउथ ब्लॉक और संसद भवन को ही सजाया जाता है ।
शाम होते ही सारा राष्ट्रपति भवन कॉम्प्लेक्स और राजपथ जगमगाने लगता है ।
शाम होते ही हम भी पहुँच गए राजपथ पर यह मनोरम नज़ारा देखने के लिए ।
यदि आप दिल्ली नहीं आ सकते तो देखिये ये तस्वीरें और मज़ा लीजिये अपने देश की राजधानी का ।
लाइट्स देखने के लिए हज़ारों की संख्या में दिल्ली वाले पहुंचे हुए थे । लेकिन एक अलग बात यह थी कि पहले की अपेक्षा अधिकांश लोग देखने से ज्यादा फोटो उतारने में लगे थे , हमारी तरह ।
साउथ ब्लॉक --दूर से । चाँद भी मानो यह छटा देखने को निकल आया था ।
नॉर्थ ब्लॉक ।
यह भी साउथ ब्लॉक ।
ज़रा पास से ।
राष्ट्रपति भवन की ओर से राजपथ का नज़ारा --दूर इण्डिया गेट दिखाई दे रहा है जिसे तिरंगे की तरह रौशनी से सजाया गया था ।
राष्ट्रपति भवन के प्रांगण का प्रवेश द्वार ।
द्वार से अन्दर का नज़ारा ।
सारा साउथ ब्लॉक ।
सारा नॉर्थ ब्लॉक ।
साउथ ब्लॉक के सामने फव्वारा --रिफ्लेक्शन ।
यह स्तंभ न्यूजीलेंड से मंगाया गया है ।
संसद भवन ।
विजय चौक के पास फव्वारा । साथ में खुराफाती बच्चे ।
एक दृश्य यह भी --कैमरे के अलग मोड में ।
नोट : कुल मिलाकर सारा दृश्य एक स्वपन लोक जैसा दिखता है । एक बार देखिएगा ज़रूर ।
जगमग देख कर लगता नहीं है कि हमारे देश में कही अँधेरा भी होगा...
ReplyDeleteदिल के बहलाने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है...
photography is excellent....
बढिया चित्र जो गरीब जनता और अमीर नेता का फ़ासला जताते हैं :(
ReplyDeleteअद्भुत नजारे, प्यारे प्यारे न्यारे न्यारे।
ReplyDeleteऔर फ़ोटोग्राफ़ी भी अनुपम है।
आभार
बहुत शानदार चित्रण डा० साहब !
ReplyDeleteWaaaaaah! Behad khoobsurat pix... Zabardast!!!
ReplyDeleteJCJan 27, 2012 05:31 AM
ReplyDeleteधन्यवाद! पुरानी यादें ताज़ा हो गयीं, क्यूंकि '६० तक इस क्षेत्र में रहने का अवसर मिला! १९५० में राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद को बग्घी में १४ मील लम्बे रास्ते में खड़े लोगों ने, जिसमें हमारा संयुक्त परिवार भी सचिवालय के निकट ही शामिल था, जाते देखा, और निराश हुए क्यूंकि हमने समाचार पत्र पढ़ सोचा था १४ मील लम्बी झांकियां निकलेंगी... '५५ में फिर हमारे स्कूल द्वारा भी पञ्च-वर्षीय योजना पर एक झांकी प्रस्तुत की गयी थी, जिसे हमने भी राजपथ पर बैठ देखा...सन '६६ में पत्नी को दिखाने हेतु जुगाड़ से देखा! और जब निमंत्रण पत्र मिलना आरम्भ हुआ तो सामने से नहीं देखा, टीवी पर ही देखा......
जे सी जी , कृपया एक नज़र यहाँ भी डालें ।
Deletehttp://tdaral.blogspot.com/2012/01/blog-post_27.html
हाहाहा!!! फिर मजा आया!!! यह तो 'बेटन पासिंग' समान अंतरजाल पर आदान-प्रदान का कमाल है!!!
Deleteवाह
ReplyDeleteचलिए आपकी वजह से एक खूबसूरत स्वप्न लोक हमने भी देख लिया
ReplyDeletebahut hi khoobsurat najaare umda photography.
ReplyDeleteवाह ,बहुत बहुत आभार यह छटा दिखने का. आज से पहले कभी देखा न था..
ReplyDeleteवाह मज़ा आ गया देखकर …………बेहद खूबसूरत तस्वीरें ली हैं…………बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteयकीनन इस दिन की सजावट नयनाभिराम होती है ! वहां से आने का दिल नहीं करता ....
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
आपने तो सपनो की दिल्ली घुमा दी ....डॉ, साहेब ...अब डाक्टरी छोड़ो और फोटोग्राफर बन जाओ ..यह धंधा भी बढ़िया हैं हा हा हा हा
ReplyDeleteदर्शी जी , यदि डॉक्टर न होता तो शायद वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर होता । :)
Delete...इन पासों की भी अजब व्यवस्था है, रक्षा मंत्रालय जारी करता है, हर काग़ज़ पर सीरियल नंबर छपा रहता है, इन्हें संभालना भी अपने आप में आजकल एक काम है. ख़ुदा न करे कि अगर ये गुम जाए और किसी वारदात के आसपास आपके हिस्से का पास मिले तो आप तो बिना बात ही गए समझो :)
ReplyDeleteकाजल जी , पहले यूँ ही पड़े रहते थे । अब हम देखने को भी तरसते हैं ।
Deleteयहां उल्टा है, पहले ऑप्शन मांगते थे पर अब बिन मांगे ही टिका जाते हैं :)
Deleteaapne dilli ki yaad dila di ....!!
ReplyDeleteबढि़या चित्र.
ReplyDeleteबहुत शानदार चित्र
ReplyDeleteआपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 28/1/2012 को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।
ReplyDeleteबेहतरीन चित्र हैं.....
ReplyDeleteबेहतरीन तश्वीरे हैं। वाह! आनंद आ गया।
ReplyDeleteआनन्द आ गया, आपका अभार!
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुती.....
ReplyDeleteखूबसूरत नज़ारा अपनी दिल्ली का ....दिल्ली रात की बाँहों में ...
ReplyDeleteआप की मेहनत रंग लाई!
बधाई और आभार !
वाह जी वाह ... आप कैमरे से खेलते हैं ... इतने अध्बुध फोटो पहले नहीं देखे ...
ReplyDeleteआनद आ गया ...
Jiwant ho utha gantantra..
ReplyDeletesundar prastuti hetu aabhar!
बहुत बढ़िया फोटोग्राफी .. सुन्दर नज़ारा दिखाया
ReplyDeleteआपके माध्यम से इन अद्भुत नजारों का हमने भी आनन्द उठा लिया. आभार.
ReplyDeleteवाकेई मे यह द्टुश्य स्वप्नलोक जैसा है।
ReplyDeleteआभार इस प्रस्तुति के लिए।
घर बैठे दिल्ली के आनन्द। शुभकामनाए।
ReplyDeleteआज 29/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
क्या शानदार चित्र हूं..बचपन में वहीं पास में रहता था सो अक्सर त्यौहारों पर ये रोशनी देखने को मिल जाती थी..कम से कम यहां से तो पता चलता है कि अपना देश तमाम परेशानी के बाद भी रोशन होने का मद्दा रखता है।
ReplyDeleteब्लॉगिंग में भी फोटो जर्नलिज़्म टाइप कोई पुरस्कार शुरू हो।
ReplyDeleteराधारमण जी यदि आपको पसंद आया तो समझो मिल गया पुरुस्कार .
Deleteख़ुशी हुई देखकर कि दिल्ली में गणतंत्र दिवस वाकई उत्सव सा है !
ReplyDeleteखूबसूरत तस्वीरें !
नयनाभिराम मनोहर दृश्य |
ReplyDeleteआपका आभार इन्हें शेअर करने के लिए |
:)
गणतंत्र दिवस की ख़ूबसूरत तस्वीरें देखकर मन प्रसन्न हो गया! लाजवाब लाइटिंग और शानदार फोटोग्राफी !
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