नई दिल्ली की शताब्दी मनाने के लिए आजकल दिल्ली में तरह तरह के समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं । कहीं कव्वाली , तो कहीं संगीत और कहीं नृत्य के कार्यक्रम । पिछले रविवार को इण्डिया गेट पर आयोजित किया गया --
काईट फेस्टिवल जिसमे विभिन्न प्रकार की पतंगों की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।
प्रस्तुत हैं इस शाम की कुछ झलकियाँ :   इण्डिया गेट जहाँ हम पहुंचे शाम होने पर ।  तब तक प्रतियोगिता तो ख़त्म हो चुकी थी लेकिन शाम रंगीन हो चली थी ।
इण्डिया गेट जहाँ हम पहुंचे शाम होने पर ।  तब तक प्रतियोगिता तो ख़त्म हो चुकी थी लेकिन शाम रंगीन हो चली थी ।  काईट फेस्टिवल का आयोजन किया दिल्ली टूरिज्म ने ।
काईट फेस्टिवल का आयोजन किया दिल्ली टूरिज्म ने ।  एक पेड़ पर टंगी थी अनेक चरखियां । पृष्ठभूमि में इण्डिया गेट रौशनी में नहाया हुआ ।
एक पेड़ पर टंगी थी अनेक चरखियां । पृष्ठभूमि में इण्डिया गेट रौशनी में नहाया हुआ ।  दूसरे एंगल से । पृष्ठभूमि में बस नीला आसमान ।
दूसरे एंगल से । पृष्ठभूमि में बस नीला आसमान ।  एक स्टाल पर पर्दर्शित रंग बिरंगी पतंगें ।
एक स्टाल पर पर्दर्शित रंग बिरंगी पतंगें ।  रात में पतंगों की यह लड़ी आकर्षण का केंद्र बनी ।
रात में पतंगों की यह लड़ी आकर्षण का केंद्र बनी ।  यह चाटवाला भी फेस्टिवल का आनंद ले रहा था । श्रीमती जी को यह चाट बहुत पसंद है , विशेषकर खट्टी खट्टी अमरक के साथ ।
यह चाटवाला भी फेस्टिवल का आनंद ले रहा था । श्रीमती जी को यह चाट बहुत पसंद है , विशेषकर खट्टी खट्टी अमरक के साथ ।  खाने का विशेष प्रबंध भी था , एक मशहूर केटरर द्वारा ।
खाने का विशेष प्रबंध भी था , एक मशहूर केटरर द्वारा । 
ऐसे में हम तो भल्ला पापड़ी और मेडम आलू टिक्की ही पसंद करती हैं । 
इस बीच इण्डिया गेट की पृष्ठभूमि में बने मंच पर रंगारंग कार्यक्रम चल रहे थे ।
पहले जादूगर ने जादू दिखाया ।
फिर शुरू हुआ पंजाबी अकादमी के कलाकारों द्वारा भांगड़ा और गीत संगीत ।
पंजाबी गानों की धुनों पर स्वयं ही श्रोताओं के पैर थिरकने लगते हैं ।
साथ में लेज़र शो भी समारोह में चार चाँद लगा  रहा था ।
 मंच को बड़ी बड़ी रंग बिरंगी पतंगों से सजाया गया था ।
मंच को बड़ी बड़ी रंग बिरंगी पतंगों से सजाया गया था ।  उधर मैदान में अभी भी कुछ शौक़ीन अँधेरे में भी पतंग उड़ा रहे थे ।
 उधर मैदान में अभी भी कुछ शौक़ीन अँधेरे में भी पतंग उड़ा रहे थे । 
कार्यक्रम के अंत में बाहर आइसक्रीम वालों की कतार लगी थी ।  लेकिन खाकर ऐसा लगा जैसे 
आइसक्रीम 
नकली हो ।
 पूरे क्षेत्र में सुरक्षा का भी पूरा प्रबंध था । इसलिए सब बेख़ौफ़ इण्डिया गेट पर रात देर तक पिकनिक मना रहे थे । ज़ाहिर है , यूँ ही नहीं दिल्ली देश का दिल है । नोट : काईट फेस्टिवल की कुछ और तस्वीरें चित्रकथा पर देखिये ।
पूरे क्षेत्र में सुरक्षा का भी पूरा प्रबंध था । इसलिए सब बेख़ौफ़ इण्डिया गेट पर रात देर तक पिकनिक मना रहे थे । ज़ाहिर है , यूँ ही नहीं दिल्ली देश का दिल है । नोट : काईट फेस्टिवल की कुछ और तस्वीरें चित्रकथा पर देखिये । 
 
वाह यूँ लगा जैसे हम भी वहीं थे।
ReplyDeleteकाश हम भी वहां होते ...एक से बढ़कर एक सुंदर तस्वीर
ReplyDeleteकाईट फेस्टिवल की झलकिया देखकर मन प्रसन्न हो गया
ReplyDeletesunder vivaran..
ReplyDeleteवाह जबर्दस्त्त आयोजन लग रहा है यह तो ..शुक्रिया हमें भी इसमें शामिल करने का.
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत झलकियां हैं.
हर बुजुर्ग में एक बच्चा होता है, या कहिये उसका भूत होता है जो उसे अपने बचपन की याद दिला देता है...
ReplyDeleteडॉक्टर साहिब धन्यवाद अपने मन में ही पतंग उड़ाने के दिनों की याद दिलाने के लिए :)
अद्भुत! अद्भुत!! अद्भुत!!!
ReplyDeleteफेस्टिवल के सुन्दर चित्र देखकर मन-प्रसन्न हो गया :)
ReplyDeleteकाश हम भी वहां होते!
ReplyDelete@ "जाटदेवता" संदीप पवाँर said...
ReplyDeleteहुए क्यों नहीं भाई ?
चलिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में हो आइये , वर्ना अगली बार भी यही कहेंगे ।
दराल साहब मामा जी राजीव गाँधी अस्पताल के I.C.U. में भर्ती है वैंटिलेटर पर डालने की नौबत आ सकती है इस कारण कही जाने का विचार नहीं आ रहा है। अब तो बस 24 दिसम्बर को ही बाहर जाऊँगा। वही आपसे भी मुलाकात होगी।
ReplyDeleteवाह इन्द्रधनुषी रंगारंग कार्यक्रम
ReplyDeleteसत्ता के गलियारों में भी पतंग की डोर काटने की तिकड़म भिड़ाई ही जा रही है। सो आम आदमी को भी इसका रस मिलना चाहिए।
ReplyDeleteवाह ! क्या खूब ...
ReplyDeleteआपको तो और लोगों को भी ऐसी आईसक्रीम न खाने की ताकीद करनी चाहिए थी ,आपने खुद कैसे खा ली?विवरण आनंद दायक है। जाकर देखने की जहमत से बचाने के लिए आपको धन्यवाद ।
ReplyDeleteबेहतरीन फोटोग्राफ हम तो दिल्ली पहुच गए डाक्टर साहब खूबसूरत चित्रकथा लिखी
ReplyDeleteTrying again to post my unpublished comment:
ReplyDeleteहर बुजुर्ग में एक बच्चा होता है, या कहिये उसका भूत होता है जो उसे अपने बचपन की याद दिला देता है...
डॉक्टर साहिब धन्यवाद अपने मन में ही पतंग उड़ाने के दिनों की याद दिलाने के लिए :)
ओह ! संदीप जी , दुःख हुआ जानकर । आशा करता हूँ कि जल्दी ही ठीक होंगे ।
ReplyDeleteमाथुर जी , बहुत सालों के बाद ऐसा किया था । तब ऐसा नहीं होता था । लेकिन लगता है मिलावट का असर सब जगह देखने को मिल रहा है ।
JC said...
ReplyDeleteTrying again to post my unpublished comment:
हर बुजुर्ग में एक बच्चा होता है, या कहिये उसका भूत होता है जो उसे अपने बचपन की याद दिला देता है...
डॉक्टर साहिब धन्यवाद अपने मन में ही पतंग उड़ाने के दिनों की याद दिलाने के लिए :)
November 23, 2011 7:33 PM
इतना बडा आयोजन! मुझे पता नहीं था.. यहां हैदराबाद में जनवरी के माह में मकर संकरांति को पतंगों के उडाने का आयोजन होता है। चलो कुछ परिवारों का पेट भी पल जाता है॥ सुंदर चित्रों के लिए आभार डॉक्टर साहब॥
ReplyDeleteबहुत मनोरम चित्र लगाये हैं .. शानदार ..
ReplyDelete.
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक सुंदर तस्वीर !
मन-प्रसन्न हो गया !
वाकई , दिल्ली देश का दिल है… :)
शुक्रिया हमें भी इसमें शामिल करने के लिए !
आभार डॉक्टर साहब
आप ने कभी पतंग उड़ाई है?
ReplyDeleteखट्टी-मीठी कमरख देखकर पानी आ गया। आपके यहाँ अमरख कहते हैं क्या? अच्छा है पंतगबाजी का मेला।
ReplyDeleteबहुत समय निकाल लेते हैं आप भी !
ReplyDeleteसुन्दर चित्र-वर्णन !
अच्छे चित्रों से सजा वर्णन है |आपने हमें भी उस समारोह में पहुंचा दिया |
ReplyDeleteबधाई |
आशा
ये कैट फेस्टिवल तो हमारे दुबई में भी धूम धाम से होता है .. मज़ा आ गया आपके चित्र देख के ... और पानी आ गया खाना देख के ...
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच-708:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
द्विवेदी जी , ख्वाबों ख्यालों में तो रोज उड़ाते हैं । :)
ReplyDeleteलेकिन हकीकत में हमने कभी नहीं उड़ाई ।
लेकिन आपने पूछा क्यों ?
त्रिवेदी जी , जहाँ चाह ,वहां राह । वैसे ब्लोगिंग का समय कम कर दो तो किसी भी काम के लिए वक्त निकल आएगा ।
आभार...लगा हम वहीं है!!
ReplyDeleteएक पेड़ पर टंगी थी अनेक चरखियां । पृष्ठभूमि में इण्डिया गेट रौशनी में नहाया हुआ ।
ReplyDelete...यह चित्र तो इतना अच्छा लगा कि क्या कहूँ! ..वाह! इसे तो अभी लैपटॉप में सजाता हूँ।
कुछ न पूछिये ब्लॉगिंग में कैसे मजे आ रहे हैं।
लगता है हम भी दिल्ली में, पतंग उड़ा रहे हैं।
सुन्दर manohar छवियों vaalirt . behatreen ripo
ReplyDeleteवाह! मनभावन चित्र। वहाँ साक्षात होने की बात ही और है। बात पतंग की हो तो अपना दिल तो बरेली के पेंच और मांझे को याद करने लगता है।
ReplyDeleteशुक्रिया देवेन्द्र जी , वीरुभाई जी , अनुराग जी .
ReplyDeleteअगली पोस्ट और भी पसंद आएगी , ऐसा विश्वास है .