हमें भी शादी में ताऊ के दर्शन होने का बेसब्री से इंतज़ार था । लेकिन ताऊ सबको चकमा दे कर अदृश्य ही रहे ।
लेकिन वो कहते हैं न कि यदि सच्चे दिल से मांगो तो खुदा भी मिल जाता है ।
तो भई हमने भी दिल में ठान लिया कि ताऊ के दर्शन करके ही रहेंगे ।
बचपन में दादाजी से सीखा था कि यदि रात में सोते समय राम का नाम लेते हुए सोयें , तो सारी रात भगवान के भजन का पुण्य मिलता है ।
इसलिए कल रात हमने राम राम राम की जगह ताऊ ताऊ ताऊ -राम राम राम --का जाप करना शुरू कर दिया । और देखिये चमत्कार हो गया । ताऊ ने सपने में आकर विशेष रूप से हमें अपने विराट रूप का दर्शन कराया । ठीक वैसे ही , जैसे गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को कराया था ।
लेकिन यह क्या , दर्शन कर हम तो धर्मसंकट में फंस गए । हमें अपने पिताजी द्वारा सुनाया एक किस्सा याद आ गया ।
पिता जी के एक मित्र थे , रिटार्यड ब्रिगेडियर । जब पहली बार पिताजी उनसे मिले तो बोले --ब्रिगेडियर साहब , हम तो समझ रहे थे कि एक लम्बे चौड़े , बड़ी बड़ी मूंछों वाले , रूआबदार व्यक्तित्त्व वाले फौजी से सामना होगा । लेकिन आप तो पतले दुबले सीधे सादे से इंसान निकले ।
स्वपन में ताऊ जी से मिलकर हमें भी कुछ ऐसा ही अनुभव हुआ । हम तो समझे थे कि धोती कुर्ता पहने , उस पर काले रंग की जैकेट पहने , एक कमज़ोर से वृद्ध से मुलाकात होगी जिनके न मूंह में दांत होंगे न पेट में आंत ।
ऊपर से बिना बात ठहाका लगते नज़र आयेंगे जैसे कि हरयाणवी लोग किया करते हैं ।
लेकिन सपने में हमने पाया एक शक्श जो कद में हमसे भी २-३ इंच लम्बा , उम्र में ३-४ साल बड़ा , ४-५ किलो ज्यादा वज़न वाला और ५-६ गुना ज्यादा हैंडसम नौज़वान निकला । और तो और दांत भी पूरे के पूरे सही सलामत । लेकिन बेहद गंभीर मुद्रा में । हमने कहा ताऊ एक हरयाणवी जोक ही सुना दो , वो भी नहीं ।
बस इतना ही कहा --हे भक्त , हम शादी में भी आए थे , फोटो भी खिंचवाए थे । लेकिन कोई हमें पहचान नहीं पाएगा ।
नोट : फोटो सतीश सक्सेना जी के ब्लॉग से , बिना अनुमति लिए , इस विश्वास के साथ कि उन्होंने ज़रूर समीर लाल जी से अनुमति लेकर ही छापी होगी ।
साथ ही नव विवाहित युग्ल के लिए ढेरों आशीर्वाद सहित ईश्वर से प्रार्थना कि ये जोड़ी सदा सुखी रहे और लाल परिवार सदा फले फूले ।
ताऊ जी सपने में दिखे अरे आप तो बड़े सौभाग्यशाली हैं .... इन्हें इंदौर में ही पकड़ पाना आसान हैं ... इन्हें तो मैं जबलपुर में भी खोज रहा था बस निराशा ही हाथ लगी ....
ReplyDeletehum to nahi pechchan paaye ........dr sahab
ReplyDeleteआप तो बड़े सौभाग्यशाली हैं
ReplyDeleteअजी हम तो इन्दौर में बैठे हैं फिर भी आ. ताऊ के दर्शन के इस सौभाग्य-सुख से वंचित ही हैं । फिर भी मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास-
ReplyDeleteवो सुबह कभी तो आएगी...
जय हो ... अब जल्दी से सपने में दिखे हुए ताऊ का चित्र बनवा के दिखा दीजिये !
ReplyDeleteसब को मज़ा आ जायेगा कसम से !
उस दिन बहुत परेशान हुए हम लोग ताऊ को ढूँढने में ...लगता है इंदौर ही जाना पड़ेगा इनका रहस्य मालूम करने के लिए !
ReplyDeleteशुभकामनायें !
कुछ राज, राज ही रहें तो अच्छे लगते हैं। ऐसे ही चलने दीजिए।
ReplyDeleteकुछ राज, राज ही रहें तो अच्छे लगते हैं"
ReplyDelete.
बिलकुल सही कहा
थोड़ा और क्लू दीजिये कि ताऊ ने टोपी अथवा कोट के साथ टाई भी लगा रखी थी.... इत्यादि इत्यादि !
ReplyDeleteगोदियाल जी , यही तो प्रोब्लम है । हमें सपनों की बातें बिल्कुल याद नहीं रहती अगले दिन ।
ReplyDeleteलगता है सतीश भाई के साथ हमें भी इन्दौर ही जाना पड़ेगा , ताऊ को पहचानने के लिए ।
:) .सही है सपने में ताऊ... जल्दी ही सी बी आई आएगी ताऊ का चित्र बनवाने आपसे. सपने में देखा एक्सप्लेन कीजिये
ReplyDeletevaah.....sapne men mukalaat....are sorry.... mulakaat....padhkar...dekhkar hamen bhi behad mazaa aa gayaa.....!!
ReplyDeleteमकर संक्रांति पर सब की समृधि एवं खुशहाली का स्वप्न देखते हुए हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteताऊ जी ..वाह आपको सपने दर्शन हो गए ..और मैं कहूँ तो मुझे रोज ही ताऊ जी के दर्शन होते हैं .....अब इसका जबाब बताऊँ ......उनकी लेखनी से .....शुक्रिया
ReplyDeleteआप कैसे हैं? मैं आपकी सारी छूटी हुई पोस्ट्स इत्मीनान से पढ़ कर दोबारा आता हूँ...
ReplyDeleteताऊ दिखादे अपना जलवा एक बार, वेसे ताऊ थोडा बहुत शेटी से मिलता जुलता हे( शॆठी ) पुरानी फ़िल्मो की जान जो गंजा होता हे ना
ReplyDeleteआप धन्य हैं...
ReplyDeleteब्लॉग पर तो ताऊ कम ही नजर आते हैं ताऊ अब!
ReplyDeleteचलिए सपने में ही लही दर्शन तो हो ही गये आपको!
यह तो बताइए कि वो हनूमान के रूप में थे या आदमी की जून में!
चलिए सपने में तो देख लिया ना आपने.....आधी तमन्ना तो पूरी हो गयी...:)
ReplyDeleteडिम्पल बेटा , आपका स्वागत है ।
ReplyDeleteशिखा जी , सी बी आई के हाथ तो कुछ नहीं लगने वाला ।
महफूज़ भाई , वापसी पर स्वागत है ।
भाटिया जी , हा हा हा ! क्या बात है ।
इसमें कोई शक नहीं कि ताऊ एक लोकप्रिय ब्लॉग हस्ती हैं ।
ताऊ ने मिस्टर इंडिया जैसा कोई टोटका ढूंढा हुआ है, जिससे वो मौजूद रह कर भी अदृश्य बना रहता है...
ReplyDeleteलेकिन अब हमारे सतीश भाई पीछे लग गए हैं, ढूंढ कर ही दम लेंगे...
जय हिंद...
लोहड़ी, मकर संक्रान्ति पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई
ReplyDeleteगजब
ReplyDeleteमैनें भी दो साल पहले ताऊजी को सपने में देखा था जी और बिल्कुल यही हुलिया जो आपने बताया है।
रोहतक मीट में मैं भी बता चुका हूँ।
प्रणाम
ब्लॉग परिवार का विस्तार होते देखना एक सुखद अनुभव है।
ReplyDelete.
ReplyDeleteदाराल साहब ,
कहीं आप ही तो ताऊ नहीं ?
Smiles !
.
बचपन में सुनते थे रामपुरी चाकू प्रसिद्द होते हैं,,,और उनमें एक 'गुप्ती' कहलाता है - उसमें एक बटन होता है जिसको दबाते ही चाकू का फल बाहर आ जाता है!...शायद ऐसा ही कुछ बटन ढूंढना होगा :)
ReplyDeleteहा हा हा !दिव्या जी , हम तो पैदायशी ताऊ हैं । लेकिन ये वाले ताऊ नहीं ।
ReplyDeleteजे सी जी , ढूंढिए तो ।
आदरणीय डॉ. टी एस दराल साहब
ReplyDeleteनमस्कार !
सर्वप्रथम तो आपकी पोस्ट के माध्यम से समीर लाल जी को सुपुत्र की शादी की बहुत बहुत बधाइयां !
ताऊ ने सपने में दर्शन दे दिए यही क्या कम है ?
… और ताऊ सबको चकमा दे कर अदृश्य ही रहे यह तो अच्छा ही रहा वरना आप भी कहते -
तुझसे मिल कर भी दिल को न चैन आ सका
तुझसे मिलना भी इक हादसा हो गया
तू नहीं था तो फ़ुर्क़त( वियोग ) का ग़म था मुझे
अब ये ग़म है कि ग़म बेमज़ा हो गया
ह हाऽऽऽ हा …
# …और दिव्याजी ने भी शक की सुई ठीक घुमाई … :)
>~*~मकरसंक्रांति की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
हम्म्म ...आपने ताऊ का हुलिया बता कर ठीक नहीं किया. ज़रूर कोई पुलिसिया अब एक रेखाचित्र जारी करवा के ही मानेगा :)
ReplyDeleteबधाई डॉ साब।
ReplyDelete:)
ReplyDeleteek nivedan lekar aaee thee samay mile to vertigo par kuch likhiyega........
vaise vertin lerahee hoo........
aabhar
सरिता जी , इस उम्र में vertigo अक्सर cervical spondylitis की वज़ह से होता है । इसमें vartin 8 mg तीन बार लेने से आराम आता है । साथ ही रेस्ट ज़रूरी है , acute स्टेज में । गर्दन के लिए कॉलर का इस्तेमाल कर सकती हैं । बाद में गार्डन की exercise करते रहने से आराम रहता है ।
ReplyDeleteलेकिन और भी कारण हो सकते हैं जिसमे कान का रोग प्रमुख है । इसलिए जाँच कराके ही दवा लेनी चाहिए ।
यदि सच्चे मन से किसी से मिलने की ठान ले तो वो ज़रूर मिलता है चाहे भगवान ही क्यों हो ..फिर आपको भला ताऊ कैसे नही मिलते...उम्मीद करूँगा इससे और बढ़िया मुलाकात हो आपकी ताऊ जी से... समीर जी के पुत्र के विवाह का बढ़िया चित्र...आपका बहुत बहुत धन्यवाद.. मेरी ओर से भी नवविवाहित युगल दंपत्ति को भविष्य की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteअच्छा? तो आपने देख लिया उन्हें? एक स्कैच बनाइये न :)
ReplyDeleteदराल जी .....
ReplyDeleteहम भी यही सोच रहे थे ताऊ जी आये तो जरुर होंगे ...
पर ये तस्वीर में कौन से हो सकते हैं ....?
आपने नाम भी तो नहीं लिखे सबके ....
मैं तो बस आपको , अर्श जी को समीर जी को ही पहचान पी ...
ये तीन पगड़ियों वाले कौन हैं ....?
समीर जी के बेटे की शादी ....?
हमें तो खबर तक न हुई ....
चलिए हमारी शुभकामनाएं नव दम्पति को ....!!
जिस दिन ताऊ जी हमारे सपने मे आ गये उसी दिन एक सकेच बनवा कर देश भर मे बंटवा देंगे। आप भी ऐसा कर के देखिये तो। समीर जी के बेटे और बहु को आशीर्वाद और परिवार को भी बधाई।
ReplyDelete... ye bhee khoob rahee !!
ReplyDeleteराज़ को राज़ ही रहने दो कोई नाम/ शक्ल /सूरत न दो
ReplyDeleteक --क -क-कोन-है- ये- ताऊ !!! लगता है'निरज जाट'से पूछना पडेगा ? वोही 'इंदौर -प्रवास'के दोरान मिला था ताऊ से ---:)
ReplyDeleteडाक्टर साहब ... आपने सपने में तो मुलाकात कर ली हमें तो वो भी नसीब नही हुवे ... दुबई से आना जाना पूरण नही हो पाया ...
ReplyDeleteSapne men hi sahi,mil to liye.
ReplyDeleteBadhai ho...
-Gyanchand Marmagya
नासवा जी , अब तो ताऊ को ही उद्घोषणा करनी पड़ेगी कि ताऊ कौन है ।
ReplyDeleteHi all dralings| I think the man with turban ib extreme right is taau darling, love u darling n take care
ReplyDeleteसतीश सक्सेना जी के दाहिनी ओर खड़े सज्जन का हुलिया आपके सपने के ताऊ से मेल खाता है!
ReplyDeleteजे सी जी , सब की यही राय है कि राज़ राज़ ही रहे तो अच्छा है ।
ReplyDeleteहमें भी ताऊ की उद्घोषणा का इंतहार रहेगा।
ReplyDelete---------
ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?
चलिए मेरी भी यही राय है "राज...राज ही...!"
ReplyDeleteसही बताऊँ डॉ दराल !
ReplyDeleteशक मुझे भी आप पर ही है , राजेंद्र स्वर्णकार जी ने तो सधी ऊँगली उठा दी है ! अब खुल कर आ ही जाओ यार !
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआप लोग काहे भूल रहे हैं कि खुदे समीर जी भी संदेहित ताऊ हैं. हमरा विचार से तो समीर जी ही ताऊ हैं जो कि खुदे दूल्हा के पिताजी हैं अऊर इस फ़ोटो मा बडी बहुरिया का पासे बैठे हैं.
ReplyDelete-राधे राधे सटक बिहारी
भाई लोगो , इस फोटुए में ७ ताऊ और ६ चाचा हैं ।
ReplyDeleteहम तो मान लिए हैं कि हम पैदाइशी ताऊ हैं ।
और सतीश जी आप , का चचा ही बने रहिएगा ?
ताऊ तो कई होंगे पर 'ताऊ रामपुरिया' शायद एक ही हो सकता है, जो ब्लॉगर भी हो,,,
ReplyDeleteदिल्ली की बस में एक हरयाणवी कन्डक्टर ने जब में 'बूढा' नहीं था पर सर में सफेद बाल जल्दी दिखाई देने लग गए थे, मुझे कहा, "ओ ताऊ! आगे नै होज्जा!" मैं समझा किसी और को कह रहा होगा, किन्तु मैंने पाया कि खड़े होने वालों में मैं अकेला ही था! काफी समय उदास रहा, ख़ुशी तब हुई जब किसी ने एक दिन कहा कि ताऊ देवीलाल एक दिन प्रधान मंत्री बनेगा!
मुझे लगता है समीर भाई साहब ही ताऊ हैं।
ReplyDelete..अच्छा लगा।
आप ब्लॉग लिखना छोड़ने की सोच रहे हैं.....ये क्या कह रहे हैं आप। ऐसी गलती न करें। हफ्ते में एक बार ही सही लिखते रहिएगा। अफना न सही बच्चों का ख्याल रखें औऱ उनकी इच्छा में बाधा न बनें। बच्चों की इच्छा है कि दिल्ली के ताउ हमेशा चालू रहें ब्लॉग पर।
ReplyDelete@ रोहित जी
ReplyDeleteशुभ शुभ बोलिए! डा. दराल (तारीफ सिंह) की तारीफ करनी होगी कि वो वर्तमान में जब चारों ओर, हवा में, पानी में, खाद्यपदार्थों में, आदि आदि में, चारों ओर विष व्याप्त है, एक जिंदादिल इंसान हैं जो दूसरों का भला सोचते हैं!!!!!
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteजनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.
ReplyDelete@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"
जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?
जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.
आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.
आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?
वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.
हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.
सदभावना पूर्वक
-राधे राधे सटक बिहारी
जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.
ReplyDelete@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"
जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?
जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.
आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.
आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?
वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.
हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.
सदभावना पूर्वक
-राधे राधे सटक बिहारी
जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.
ReplyDelete@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"
जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?
जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.
आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.
आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?
वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.
हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.
सदभावना पूर्वक
-राधे राधे सटक बिहारी