दिल्ली हाट का प्रवेश द्वार । अक्सर यहाँ कोई न कोई मेला चल रहा होता है ।
यहाँ छप्पर नुमा स्थायी स्टाल्स बनाई गई हैं । इसके अलावा अस्थाई स्टाल्स भी होती हैं जिन्हें १५ दिन के लिए किराये पर दिया जाता है ।
परिसर में एक मेले जैसा वातावरण बनाया गया है ।
बच्चों को लुभाने के लिए यह इकतारा वाला देखते ही बजाना शुरू कर देता है , अपनी मधुर तान ।
यहाँ भोजन के लिए देश के सभी राज्यों की स्टाल्स हैं जिनमे वहां का लोकप्रिय आहार परोसा जाता है । आप जिस प्रदेश का खाना खाना चाहें , वहीँ जाकर स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं ।
हाट को विभिन्न रूपों से सजाया गया है ।
इसकी एक विशेषता है --हरा भरा परिसर । विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधों के बीच बनाई गई हैं , रंग बिरंगे कपड़ों और साज़ो सामान की दुकानें ।
आपके मनोरंजन के लिए ये लोक नर्तक भी हाज़िर हैं जो कहते ही मनमोहक मुद्रा में नृत्य करने लगते हैं ।
यहाँ एक ओपन एयर थियेटर भी है जहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाते हैं ।
पेड़ों के झुरमुट में लगे ये टेंट शायद सुरक्षा कर्मियों के हैं ।
दिल्ली हाट भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए , सभी वर्ग के लोगों के लिए खरीदारी और मनोरंजन का एक उत्तम स्थान है ।
यदि दिल्ली आना हो तो एक बार यहाँ अवश्य जाइये ।
सुंदर चित्रों के साथ बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा जी पहले पता होता तो हम दिल्ली मे दो दिन खुब बोर हुये थे, यहां घुम आते, चलिये अगली बार सही
ReplyDeletesir ham to bass iske peechhe rahte hain..:)
ReplyDeleteisliye hame to ghar ki murgi daal barabar jaisa lagta hai...:P
waise aapne sahi kah...
हमने एक तारा तो नहीं पर उसके साथ मिलने वाली मिटटी के पहिये वाली गाड़ी खरीदी थी पहले बनारस में मिलती थी, काफी दिनों बाद उसे दिल्ली हाट में देखा तो बेटी के लिए ले लिया | यहा जाने का अनुभव अच्छा रहा|
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर्।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा दिल्ली हाट के बारे में जानना.
ReplyDeleteसादर
bahut hi achaa laga yah sab dekh kar........
ReplyDelete१९७२ में एक बार प्रगति मैदान में एशिया ७२ देखा था ,अब आपने दिल्ली हाट की सैर करा दी ,घर-बैठे बैठे .धन्यवाद.
ReplyDeleteधन्यवाद फिर से सुन्दर तस्वीरों के साथ सैर कराने के लिए! अपने पास कैमरा नहीं है,,,याद दिलादी कि पिछले वर्ष अमेरिका से लड़की और नतिनी आये थे तब उसके साथ दिल्ली हाट भी देखा था जहां से उसने वस्त्रादि खरीदे, वहाँ के फोटो भी खींचे और बाद में साँझा भी किये हमसे,,,
ReplyDeleteअच्छी रिपोर्ट,तस्वीरें खूबसूरत हैं.
ReplyDeleteदिल्ली हाट की परिकल्पना जया जेटली की थी। उन्होने आर्टिसन मैप भी तैयार किया है, भारत के शिल्पकारों का।
ReplyDeleteवैसे अच्छी जगह है घुमने के लिए। लेकिन जिन परम्परागत शिल्पकारों के उत्पाद को बेचने के लिए यह हाट बनाया गया था, उनकी जगह व्यापारी-दलाल ही दिखे मुझे।
उम्दा चित्रों के लिए आभार
बहुत ही सुंदर चित्रों के साथ बढ़िया प्रस्तुति...
ReplyDeleteलगता है आप घर बैठे ही पूरी दिल्ली दिखा देंगे। ताकि आपको हमारी मेहमान नवाज़ी न करनी पडे। बहुत सुन्दर तस्वीरें और विवरण। बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सैर करवाई दिल्ली हाट की...बहुत बढ़िया लगी ये चित्रमय प्रस्तुति.
ReplyDeleteमुकेश कुमार सिन्हा जी , हम भी वहीँ रहे थे २० साल । सच है घर की मुर्गी दाल बराबर तो लगती है ।
ReplyDeleteमाथुर जी , १९७२ में एशिया ७२ हमने भी देखा था । तब हम स्कूल में होते थे ।
ललित जी , अभी भी शिल्पकारों को जगह दी जाती है किराये पर । लेकिन इस महंगाई के ज़माने में उन्हें परेशानी तो होती ही होगी अपना माल बेचने में ।
निर्मला जी , आप आइये तो सही । अभी बहुत सी दिल्ली बचा कर रखी है जी ।
सचमुच खुशनुमा होता है दिल्ली हाट.
ReplyDeleteदिल्ली दर्शन हेतु एक और नई जगह. देखिये कब संयोग बनता है यहाँ से कुछ खरीद पाने का.
ReplyDeleteये अमीरों के चोंचले है जो झोपडी के मज़े भी शान से लेते हैं :(
ReplyDeleteप्रशाद जी , अमीरों के नहीं --शहरियों के ।
ReplyDeleteशहर में रहने वाले सरसों का साग भी डेलिकेसी समझ कर खाते हैं ।
विडम्बना यह है कि यहाँ छाछ भी पॉलीपैक में मिलता है ।
सर मेरे चित्र तो धरे ही रह गए। आधी दिल्ली वालो की तरह खुद तो पहली बार नहीं घूमा था किसी को घुमाने ही ले गया था। पर अब तो अक्सर जाना होता है। इस बार भी न्यूजीलैंड से आईं एक सिंगर को दिखाने ले गया था दिल्ली में गांव की फिलिंग कहां मिलेगी।
ReplyDeleteखूबसूरत चित्रों के साथ खूबसूरत सैर ..आभार.
ReplyDeleteअगली बार जब दिल्ली जाऊंगा तो यहां तो जाना ही होगा। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteफ़ुरसत में आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री के साथ
सुंदर सचित्र विवरण ,आभार ।
ReplyDeleteDaral saheb,
ReplyDeletekamaal ki prastuti hai.Kya kahen .aapka vyaktitv jhalakata hai aapki har prastuti mein.Badhai!!!
bahut sunder
ReplyDeleteis bar mere blog par
" मैं "
kabhi yha bhi aaye
... valuable post ... thanks !!
ReplyDelete'अमीरों' के लिए दिल्ली हाट के ठीक सामने ही आई एन ए मार्केट है,,,पहले जो बाबुओं की मार्केट होती थी और जहां पहले सस्ती सब्जियां आदि मिलती थीं,,,किन्तु धीरे धीरे इसकी सूरत बदल गयी जब चाणक्यपुरी आदि से विदेशी खरीदार अपनी गाड़ियों में आ खरीदारी करने लगे और दुकानदार उनकी आवश्यकता पूर्ति कर अधिक फलने फूलने लगे...अब यह अंतर-राष्ट्रिय बाज़ार हो गया है :)
ReplyDeleteसुंदर चित्रों के साथ बढ़िया प्रस्तुति|आभार|
ReplyDeleteचित्रात्मक प्रस्तुति अत्यंत प्रभावशाली व जानकारी भरी
ReplyDeleteसही कहा जे सी जी । हमने भी २० साल आई एन ए की मार्केट से ही सब्जियां खरीदी हैं ।
ReplyDeleteवहां के छोले बटुरे अभी तक याद आते हैं ।
सुंदर चित्रों के साथ बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteमज़ा आ गया दिल्ली हाट की यात्रा कर के आपके साथ ... ;लाजवाब चित्र हैं डाक्टर साहब ...
ReplyDeleteसच दिल्ली तो दिल वालों की है ....आप जैसों की ....
ReplyDeleteगुवाहाटी में भी कई बेहतरीन पार्क बनाये जा रहे हैं ....
सोच रही हूँ कभी मैं भी तसवीरें लगा ही दूँ .....
दिल्ली की सैर घर बैठे
ReplyDeleteदराल सर,
ReplyDeleteबड़े दिन से पत्नी और बच्चों को दिल्ली हाट ले जाने की इच्छा है, लेकिन संयोग नहीं बन पा रहा...सुना है आईएनए का मेट्रो स्टेशन भी बड़ा खूबसूरत बनाया गया है...वहां देश के प्रसिद्ध कलाकारों ने पेटिंग्स लगाने के लिए दी हैं...आपकी पोस्ट ने दिल्ली हाट जाने की इच्छा और तेज़ कर दी हैं...जल्दी ही प्रोग्राम बनाता हूं...
जय हिंद...
मज़ा आ गया दिल्ली हाट की यात्रा कर के. सुंदर चित्रों के साथ बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteडा0 साहब दिल्ली हाट घूम कर मजा आ गया। शुक्रिया।
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