दिसंबर का अंतिम सप्ताह । यानि बच्चों के साथ खुद भी अवकाश पर । शायद सरकारी नौकरी में यही मज़ा है कि जब चाहो छुट्टियाँ ले लो। बस लिख कर देना पड़ता है कि क्यों ले रहे हो । अब आखिर घरेलु कामों के लिए भी तो छुट्टी लेनी ही पड़ती हैं ना।
इस बार छुट्टियों में पत्नी जी ने ऐसा पेला कि दीवाली की कसर पूरी कर दी । फिर एक दिन ऐसा आया कि उनकी छुट्टी ख़त्म हो गई , और हमारी बची थी ।
लेकिन श्रीमती जी जाते जाते ढेरों काम बता कर गई तो हमें लगा कि यह ज़रूरी तो नहीं कि डेन्लोस का बताया हर एक काम किया ही जाए ।
ऐसे में हमने बेटे से कहा कि भई चलो आज पिकनिक मनाते हैं ।
वैसे भी जब बेटे का कद आपके बराबर हो जाए तो वो बेटा कम, दोस्त ज्यादा होता है ।
तो भई , हम दो दोस्त निकल पड़े अपना फ़ोटोग्राफ़ी का शौक पूरा करने जो काफी समय से विवशतापूर्ण नज़रअंदाज़ पड़ा था ।
इसके लिए हमने चुना --राष्ट्रमंडल खेलों में बनाया गया -बारापुला फ़्लाइओवर, जो पूर्वी दिल्ली को दक्षिण दिल्ली से जोड़ता है।
ये तो हमें बाद में पता चला कि यह फ़्लाइओवर तो सीधे आई एन ए जाकर निकलता है , जहाँ हमने अपने जीवन के २० साल गुजारे थे ।
लेकिन पूर्वी दिल्ली के इस क्षेत्र में रहते हुए २३ साल हो गए ।
इसलिए ४३ साल की यादों का पिटारा लिए हम निकल पड़े इस सुहाने सफ़र पर ।
आइये आपको भी दिखाते हैं ये नज़ारा ।
निजामुद्दीन पुल और रिंग रोड टी जंक्शन । पृष्ठ भूमि में इन्द्रप्रस्थ पार्क ।
रिंग रोड से बारापुला की ओर जाते हुए। लूप बनाकर रिंग रोड के ऊपर से जाता है बारापुला फ्लाईओवर ।
करीब ६ किलोमीटर लम्बा यह फ्लाईओवर पूर्वी दिल्ली को दक्षिण दिल्ली से जोड़ता है ।
फ्लाईओवर से दायीं ओर नज़र आ रहा है निज़ामुद्दीन दरगाह जो एक ऐतिहासिक स्मारक है । हाल ही में यहाँ प्रिंस चार्ल्स और कैमिला पारकर होकर गए थे ।
बारापुला फ्लाईओवर कॉमनवेल्थ गेम्स में एथलीट्स को गेम्स विलेज से जवाहर लाल नेहरु स्टेडियम ले जाने के लिए बनाया गया था ।
फ्लाईओवर से दायीं ओर नज़र आता है स्टेडियम ।
और यह रहा वो पुल जो पैदल यात्रियों के लिए बनाया गया था लेकिन ---।
यहाँ से हम सीधे जाकर निकले --आई एन ए ।
एक तरफ लक्ष्मी बाई नगर और किदवई नगर । दूसरी ओर एम्स और सफदरजंग अस्पताल ।
यानि हमारी बचपन से लेकर ज़वानी तक होती हुई कर्मभूमि ।
एम्स के चौराहे पर ये स्टील स्प्राउट्स भारत में शायद पहली बार लगाये गए हैं ।
एम्स का चौराहा रेड लाईट फ्री है । बीच में हरे भरे घास के मैदान बड़े लुभावने लगते हैं ।
एक और दृश्य --पृष्ठ भूमि में एम्स अस्पताल ।
दृश्य का अवलोकन करते हुए --जूनियर दराल , जहाँ ३० साल पहले हम स्वयं विचरण करते थे ।
लक्ष्मी बाई नगर और किदवई नगर के बीच एक गन्दा नाला बहता था । लगभग 16 साल पहले इसे ढककर , इसके ऊपर बनाया गया --दिल्ली हाट । एक ऐसा केंद्र जहाँ देश के सभी राज्यों से आए दस्तकार और शिल्पकार अपनी हस्तकला का प्रदर्शन करते हुए , अपनी रोज़ी रोटी भी कमा सकते हैं ।
दिल्ली हाट का द्वार ।
आज दिल्ली हाट , दिल्ली का एक मुख्य आकर्षण केंद्र बन गया है ।
इसके बारे में अगली पोस्ट में ।
नोट : स्टील स्प्राउट्स की कुछ और तस्वीरें चित्रकथा पर देख सकते हैं ।
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वाह डाक्टर साहब ... खूब घुमवाया आपने इस कड़ाके की ठण्ड में ... मज़ा आ गया !
ReplyDeleteसर! आपने दिल्ली की बहुत अच्छी सैर करवाई.
ReplyDeleteसभी फोटो ग्राफ्स बहुत ही बढ़िया लगे.
सादर
सुंदर तस्वीरें -समय का अच्छा उपयोग -पुरानी यादों को ताज़ा करनें में.
ReplyDeleteबहुत बदल गयी दिल्ली.,
सभी फोटो ग्राफ्स बहुत ही बढ़िया लगे.
ReplyDeleteदिल्ली की नवीनतम जानकारी डा.सा : ने हमें इन फोटोग्राफ्स से दी ही,इससे अच्छी बात हुई जूनियर दराल सा :से परिचय करवाना.
ReplyDeleteजिस प्रकार दिल्ली का इतना विकास हुआ ,उसी प्रकार जूनियर दराल सा :भी उन्नत्ति करें ,यही हमारी शुभकामनायें हैं.
आद.डा.दराल जी,
ReplyDeleteदिल्ली की सैर करके मज़ा आ गया !
जूनियर दराल से मिलकर और भी प्रसन्नता हुई !
नव वर्ष की असीम अनंत शुभकामनाएं!
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
बहुत ही सुन्दर फ़ोटो लगाये हैं…………बढिया प्रस्तुति।
ReplyDeleteआपने तो हमारी भी यादें ताज़ा करा दीं .दिल्ली के इस क्षेत्र से हमारा भी पुराना नाता है.लक्ष्मीबाई नगर में हमारे दादाजी रहा करते थे करीब ३०-३५ साल.
ReplyDeleteआभार दिल्ली दर्शन का.
शुक्रिया माथुर जी, ज्ञान चाँद जी ।
ReplyDeleteशिखा जी , कॉलिज के दिनों में हम भी यहीं रहते थे ।
बहुत प्यारा लगा यह सफ़र ....कम से कम २० मिनट बचाता है यह नॉएडा से आई एन ए पंहुचने में ...
ReplyDeleteशुभकामनायें !
डा० साहब, समन्वय बहुत सुन्दर है! मगर क्षमा चाहता हूँ
ReplyDelete, मैं ठहरा निराशावादी इंसान इसलिए मुझे यहाँ अपनी और आपकी इनकम टैक्स में भरी रिटर्न के टुकड़े इधर उधर बिखरे नजर आ रहे है, नोट नहीं नोटों के बण्डल उड़ते दिख रहे है मुझे तो flyover से
!
वाह जी, बढिया पिकनिक रही, इस पैदल पार पथ के बगल में पवन चन्दन जी का घर भी है।
ReplyDeleteएम्स वाले गोल चक्कर को आपने खूबसूरती से प्रस्तुत किया।
इसे ही कहते हैं ब्लागरी, जो सबको दिखता है फ़िर भी अनदेखा हो जाता है, उसे ब्लॉगर खूबसूरती से पेश करता है।
नूतन वर्ष की शुभकामनाएं।
आभार
दिल्ली, यानि 'इन्द्रप्रस्थ', जो इतिहासकारों के अनुसार बनती और बिगडती रही है, उत्थान और पतन के चक्र में फंसी ! १९४० से अब तक अधिकतर इसी की छत्र-छाया में जिए हैं! डा. सा. धन्यवाद सैर पर ले जाने का और इसके परिवर्तित रूप की एक झलक दिखाने का!
ReplyDeleteदिल्ली हाट जब भी गए बच्चों (मित्रों?) आदि किसी के साथ तो भोजन वहीं किया हमनें - कभी पूर्वोत्तर का मोमो, कश्मीर की बिरयानी, दक्षिण भारत का इडली-डोसा, पंजाब की लस्सी आदि का आनंद उठाया!...
गोदियाल जी , आप और हम , शराफत से इमानदारी से रिटर्न्स भरते हैं ।
ReplyDeleteनेकी का काम करते हैं । जो जैसा करता है , वो वैसा भरता है ।
बस यही सोचकर हम तो खुश रहते हैं ।
हा पिछली बार दिल्ली गई थी तो इस फ़्लाइओवर से गुजरी थी और दिल्ली हाट तीन साल पहले गई थी | पर फ्लाईओवर को इस तरह से नहीं देखा था अच्छा लगा |
ReplyDeleteसमय का अच्छा उपयोग जूनियर दराल से मिलकर और भी प्रसन्नता हुई !
ReplyDeleteनव वर्ष की असीम अनंत शुभकामनाएं!
वर्तमान का दिल्ली-दर्शन आपके कैमरे और आपके नजरिये से देखना अच्छा लगा । एक पर्यटक के रुप में दिल्ली में सबसे अधिक समय मैंने एशिया 72 के समय गुजारा था । बाकि तो उसके बाद जब भी दिल्ली जाना होता रहा वहाँ के विकास से अधिक बढती भीड में काम निपटते ही जल्दी से जल्दी निकललो की मानसिकता के साथ ही आना-जाना लगा रहा है ।
ReplyDeleteडा.साहेब ,दिल्ली धुमना बहुत कम होता है | पहले ननद गीताकालोनी में रहती थी तो अक्सर जाना होता था .पर उनके इंतकाल के बाद जाना ही नही हुआ |
ReplyDeleteआज आपके दुवारा एक नई दिल्ली के दर्शन हुए |वेसे ,दिल्ली
से गुजरने का मौका हर साल मिल ही जाता है
यह सुहाना सफर तो बहुत बढ़िया रहा!
ReplyDeleteतसबीरें तो बहुत ही मोहक हैं!
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ReplyDeleteदिल्ली की खूबसूरत तसवीरें .....
ReplyDeleteजूनियर दराल को भी देखा ....
मिसेज दराल भी डॉ हैं क्या ....?
पिछली पोस्ट के जोक्स भी मजेदार थे ....
खास कर डी एन ए टेस्ट वाला .....
... 5-7 saal ho gaye dilli darshan kiye huye ... aaj aapane bilkul naye naye najaare dikhaa diye ... shaandaar post !!
ReplyDeleteजी हरकीरत जी , मिसेज दराल भी डॉक्टर हैं--गायनेकोलोजिस्ट हैं । लेकिन दोनों बच्चे इंजीनियर।
ReplyDeleteयह यों ही नहीं है कि अन्य इलाक़ों के विधायक पूर्वी दिल्ली से ईर्ष्या करने लगे हैं। मैंने एकाधिक बार लोगों को लक्ष्मीनगर अंडरपास से गुजरते वक्त व्यंग्य में कहते सुना कि सरकार पूर्वी दिल्ली को यूरोप बनाकर ही दम लेगी। आपकी तस्वीरें भी इसका तसदीक करती हैं।
ReplyDeleteचित्र किसी भी याहर को कितना सुंदर बना देते हैं, वैसे भी दिल्ली कम सुंदर नहीं, लेकिन यहां देखने वाले की नजरों का भी असर है.
ReplyDeleteसर! आपने दिल्ली की बहुत अच्छी सैर करवाई.
ReplyDeleteसुन्दर तस्वीरों के जरिये दिल्ली दर्शन करवाने के लिए आभार।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट का शीर्षक, "वर्तमान से होकर भूतकाल की ओर..." प्रतिबिम्ब है 'हिन्दू' मान्यता का - मानव जीवन की कहानियों के माध्यम से श्रृष्टि के रचयिता का अपने इतिहास, भूतकाल को सर्वोच्च स्तर पर पहुँच, सर्वगुण संपन्न बन, आराम से (एक स्थान पर बैठे या लेटे) अवलोकन करने का (सर्वोच्च स्तर से शून्य तक!),,,
ReplyDeleteआपने सुन्दर तस्वीरों के जरिये दिल्ली की बहुत अच्छी सैर करवाई.
ReplyDeleteदराल सर,
ReplyDeleteगुरुदेव समीर जी के पुत्र के विवाह समारोह में आपके साथ इसी रास्ते से जाने का सौभाग्य मिला था...सचमुच लगता ही नहीं भारत में ड्राइविंग हो रही है...
आपकी इस पोस्ट से आज जूनियर दराल जी से भी मिलने का मौका मिल गया...
जय हिंद...
श्री डा. दराल सर,
ReplyDeleteमेरे ब्लाग नजरिया पर मेरा नया आलेख "टिप्पणियों की अनिवार्यता और माडरेशन का नकाब" अवश्य देखें और अपने महत्वपूर्ण विचारों से अन्य पाठकों को अवगत भी करावें ।
इसके अतिरिक्त यदि आप अपने स्तर के अनुकूल समझें तो कृपया देश, दुनिया व समाज की विसंगतियों पर मेरे नजरिये से लिखे जाने वाले आलेखों को अपनी दृष्टि में बनाये रखने हेतु इस ब्लाग 'नजरिया' को फालो कर मुझे अपना अमूल्य सहयोग प्रदान भी कर सकते हैं, यद्यपि यह जरुरी नहीं है । शेष धन्यवाद सहित...
http://najariya.blogspot.com/
आप ने तो हमे आज बहुत सुंदर सुंदर जगह पर घुमाया जी , ओर इतना घुमाया कि हम थक भी गये, जहां दिल्ली हाट बनाया हे नाले को ढक कर तो क्या नाला बंद हो गया हे या नीचे से अब भी बह रहा हे, अगर अब भी बह रहा हे तो उस की बदबू आती होगी आज भी, या उस का सारे नाले को ही ढक कर शहर के बाहर फ़ेंका हे,ओर उस का पानी फ़िल्टर कर के किसी नदी मे डाला हे, अगर ऎसा हे तो बहुत अच्छा काम किया हमारी सरकार ने.
ReplyDeleteचलिये बाते तो साथ साथ मे होती रहेगी, पहले तीन कप चाय बनव ले फ़टा फ़ट
बहुत सुन्दर पिकनिक संस्मरण .... काफी बढ़िया फोटो लगे और बढ़िया जानकारी मिली ... आभार
ReplyDeleteराधा रमण जी सभी विधायकों को हर साल दो करोड़ रुपया मिलता है , क्षेत्र के विकास के लिए ।
ReplyDeleteअब कोई करे ही नहीं तो दोष किसका ।
अरे भाटिया जी , अभी से थक जायेंगे तो दिल्ली हाट कैसे घूमेंगे । हमने भी एक दिन में सारा घूमा था । वो भी बिना चाय पिए ।
आपके सवाल का ज़वाब अगली पोस्ट में मिलेगा जी ।
आपने तो दिल्ली दर्शन करा दिया है (via flyovers).... दिल्ली हाट सच मिएँ बहुत प्रचलित हो रहा है सब के बीच ... हम भी जाने का लोभ नहीं छोड़ पाते ...
ReplyDeleteवाह क्या पिकनिक भ्रमण -कामनवेल्थ के बाद लूटिये मजा दिल्ली का !
ReplyDeleteजी ....
ReplyDeleteडा साहेब ,मिसेस दराल भी डॉक्टर है सुनकर अच्छा लगा |कभी उनसे भी कोई सही राय मिल जाएगी ऐसा विसवास है ...| कभी मेरे ब्लोक पर आइए ...आपका स्वागत है ....
ReplyDeleteकोशिश केसी रही ....? अरमान |
armaanokidoli.blogspot.com
बोलती तस्वीरें ,सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर तस्वीरें. नज़र नज़र की बात है
ReplyDeleteबहुत खूब .. तो यूँ 2010 को बिदा किया आपने
बहुत बढ़िया सैर करवाई ,आपने दिल्ली की....सुन्दर तस्वीरें हैं
ReplyDeleteकभी-कभी ऐसे ट्रिप पर पिता-पुत्र को जाना ही चाहिए.
DR. SAHAAB AAP APNA E.MAIL ID MUJHE BHEJIYE MUJHE AAPSE KUCHH CONSULT KARNA HAI PLS.
ReplyDeleteMera email ID hai Anamika7577@gmail.com
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ReplyDeleteकाश कि पर्यटक दिल्ली देखकर ही लौट जाते।
ReplyDelete..आपकी फोटोग्राफी और जिंदगी जीने का अंदाज अच्छा है।
हम भी घूम लिए आप के साथ दिल्ली!
ReplyDeleteमाशा- अल्लाह डा साहेब ---आपने तो बाम्बे की गर्मी मे
ReplyDeleteदिल्ली की ठंडक पहुंचा दी ----;)
दोस्तों
ReplyDeleteआपनी पोस्ट सोमवार(10-1-2011) के चर्चामंच पर देखिये ..........कल वक्त नहीं मिलेगा इसलिए आज ही बता रही हूँ ...........सोमवार को चर्चामंच पर आकर अपने विचारों से अवगत कराएँगे तो हार्दिक ख़ुशी होगी और हमारा हौसला भी बढेगा.
http://charchamanch.uchcharan.com