माधुरी दीक्षित --एक ऐसा नाम जो ज़ेहन में आते ही दिल धक् धक् करने लगता है । करीब दो दशकों तक करोड़ों युवा दिलों पर राज़ करने के बाद, माधुरी दीक्षित शादी कर यू एस में बस गई थी। अब एक बार फिर देश में टी वी पर उनकी झलक दिखाई दे रही हैं--झलक दिखला जा ४ में ।
सौन्दर्य, अदा और कला का एक ऐसा अद्भुत संगम हैं माधुरी दीक्षित कि आज भी उनके दीवानों की कोई कमी नहीं ।
माधुरी दीक्षित का नाम आते ही हमें तो याद आने लगते हैं मुंबई के डॉ तुषार शाह जिन्हें द ग्रेट इन्डियन लाफ्टर चैलेंज में देखकर हमें भी जोश आ गया था और दो बार प्रोग्राम के डायरेक्टर पंकज जी से मुलाकात के बाद भी जब हमें नहीं चुना गया तो दिल्ली आज तक पर दिल्ली हंसोड़ दंगल जीत कर ही सब्र करना पड़ा ।
लेकिन वो कहानी फिर कभी ।
अभी तो डॉ तुषार शाह की वो कविता याद आ रही है :
माधुरी को ले गया डॉ नेने
क्या गुनाह किया था मैंने ।
इन दो पंक्तियों में जैसे डॉ तुषार ने देश के सारे डॉक्टरों के दिल की बात कह दी ।
हालाँकि उनके दीवानों में सबसे बड़ा नाम आता है एम् ऍफ़ हुसैन का जिनकी दीवानगी इस कदर बढ़ी कि उन्होंने माधुरी को लेकर एक फिल्म ही बना डाली --ग़ज़गामिनी ।
आइये अपनी पसंदीदा कलाकारा से एक हसीन मुलाकात कराते हैं ।
१५ मई १९६७ को मुंबई में जन्मी माधुरी का बचपन का नाम था --बबली । आरम्भ से ही उन्हें नृत्य का बड़ा शौक था । हिंदी फिल्मों में भी उनके नृत्यों पर आज तक भी युवा बदन अपने आप थिरकने लगते हैं ।
उनके फ़िल्मी जीवन की शुरुआत हुई १९८४ में फिल्म अबोध से ।
उस वक्त माधुरी जी , एक अबोध बालिका ही तो थी ।
फिल्म नहीं चली और ४ साल तक उन्हें कोई विशेष सफलता नहीं मिली।
लेकिन १९८८ में आई फिल्म तेज़ाब ने उनकी जिंदगी बदल दी ।
मोहिनी --मोहिनी --मोहिनी --के नारों पर शुरू हुआ उनका डांस --एक दो तीन चार पांच छै सात आठ नौ दस ग्यारा ----इस गाने ने देश में धूम मचा दी ।
१९८९ में परिंदा और राम लखन भी बड़ी कामयाब रही ।
१९९० में आमिर खान के साथ आई फिल्म --दिल । इस फिल्म में पहले नोंक झोंक फिर प्यार का अहसास बहुत खूबसूरती से दिखाया गया था ।
इसी फिल्म में पहली बार हमें पता चला कि किसी कंजूस को मक्खीचूस क्यों कहते हैं ।
१९९१ में साजन , १९९२ में बेटा और १९९३ में खलनायक हिट रही ।
खलनायक का गाना --चोली के पीछे क्या है --सुनकर आज भी आवाज़ निकलती है --हाए--ए --ए --ए !
लेकिन १९९४ में जिस फिल्म ने ज़बर्ज़स्त धूम मचाई वो थी --हम आपके हैं कौन ।
इस फिल्म में माधुरी सचमुच बबली लगी थी ।
१९९५ में आई फिल्म राजा के गाने और नृत्य हमें बड़े पसंद आए ।
२००२ में उनकी आखिरी सफल फिल्म आई --देवदास जिसमे उनका चंद्रमुखी का रोल बड़ा सशक्त रहा ।
उसके बाद तो आप जानते ही हैं --माधुरी को ले गया डॉ नेने ।
लाखों करोड़ों दिलों को तोड़कर माधुरी यू एस चली गई --अपने दिल के डॉक्टर के पास ।
डॉ श्री राम नेने दिलों को जोड़ने का काम करते हैं । जी हाँ , वो एक कार्डियोलोजिस्ट हैं ।
उम्र के साथ चेहरा ढल जायेगा । चेहरे पर पहले रेखाएं , फिर झुर्रियां आ जाएँगी ।
लेकिन यह करोड़ों वाट की मुस्कान वैसी ही रहेगी ।
क्योंकि मनुष्य के शरीर में दांत ही ऐसे अंग है जो हजारों साल के बाद भी नष्ट नहीं होते , बशर्ते कि उनमे कीड़ा न लगे ।
( वैसे दांत का कीड़ा भी एक कवि की कल्पना जैसा ही है । जो हकीकत में नहीं होता । )
पता चला है कि इसी मुस्कान के साथ माधुरी जी जल्दी ही कॉफ़ी विद करन प्रोग्राम में नज़र आएँगी टी वी पर ।
चलिए इंतज़ार करते हैं , आपके साथ हम भी ।
नोट : ब्लॉग जगत में माहौल कुछ इस कदर बिगड़ा हुआ था कि एक बार तो ब्लोगिंग छोड़ने का दिल करने लगा । फिर सोचा कि क्यों न थोडा माहौल बदला जाये । आखिर बहुत हो गई ---देश , धर्म और ज्ञान की बातें ।
Tuesday, January 18, 2011
सौन्दर्य और कला की प्रतिमूर्ति --माधुरी दीक्षित --एक झलक.
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सही है सर सुनकर आय हाय की सरसराहट होने लगती है .... मैंने भी टी. वी. पर माधुरी का शो देखा था ..पुराणी फ़िल्में याद आ गई ....
ReplyDeleteकुछ चेंज हो . परिवर्तन खुशहाल जीवन के लिए आवश्यक है आपकी सोच सराहनीय है ..स्वागत है ...आभार
ReplyDeleteआपने माधुरी का जिस तरह से वर्णन किया है ...वह हम सब के दिल का वर्णन है !बहुत ही अच्छा लगा माधुरी के बारे में इतना कुछ जान कर !आपने ब्लोगिंग छोड़ने की जो बात की है ...वही मेरे दिमाग में भी थी ..इसी कारन आजकल लिखना कम ही हो पाता है....माहौल बदल कर आपने बहुत बढ़िया किया.....धन्यवाद !.
ReplyDeleteतो आप भी एम.एफ़. हुसैन की लाइन में लग गए डॊक्टर सा’ब:)
ReplyDeleteआज तो धक-धक पोस्ट हो गयी डॉ साहेब.
ReplyDeleteप्रशाद जी , एम् ऍफ़ हुसैन जैसा डिवोशन तो हम कहाँ से लायेंगे । फिर अभी उतनी उम्र भी तो नहीं हुई है । :)
ReplyDeleteनोट : ब्लॉग जगत में माहौल कुछ इस कदर बिगड़ा हुआ था कि एक बार तो ब्लोगिंग छोड़ने का दिल करने लगा ।
ReplyDeleteऐसी क्या बात हो गई दराल जी ........???
आप तो ऐसा सोचना भी मत .....
आपकी तो हमें सख्त जरुरत है ....
हरी माधुरी की बात .....
तो सच कहूँ माधुरी मुझे कभी इतना प्रभावित नहीं कर पाई ....
कला तो जरुर थी इसमें पर वो गंभीरता नहीं थी ....जो मधुबाला में थी ....राखी भी मेरी पसंदीदा हिरोइनों में से रही है ...
सच है ...उम्र के साथ चेहरा ढल जायेगा । चेहरे पर पहले रेखाएं , फिर झुर्रियां आ जाएँगी ।
लेकिन यह करोड़ों वाट की मुस्कान वैसी ही रहेगी ।
हम आपके हैं कौन के बारे में हेतु भारद्वाज ने लिखा हैः
ReplyDelete"यह फिल्म जीवन के उन मूल्यों को परदे पर रेखांकित करती है जिनका ह्रास होता जा रहा है,पर हमारा सामूहिक मन उनके लिए लालायित है। ये मूल्य हैं सामूहिक जीवन को आनंद के साथ जीने के,परिवार की हर खुशी को उत्सव में बदलने के और जीवन में रस लेकर मस्ती के साथ परस्पर जुड़ने के। यह फिल्म उन सभी मूल्यों को पुनरूज्जीवन की ओर संकेत करती है तथा यह भी प्रमाणित करती है कि जीवन रस के साथ जीने के लिए है।"
माधुरी के दीवाने तो देश-दुनिया में सभी तरफ फैले हैं लेकिन डा. तुषार शाह के वास्तविक प्रशंसकों में अपने राम भी शामिल हैं ।
ReplyDeleteफ़िदा हुसैन साहब ने फिल्म बनाई ..आपने पोस्ट लगाईं :) आपकी श्रद्धा भी कम नहीं आंकी जानी चाहिए.
ReplyDeleteवैसे माधुरी के नृत्य कौशल के प्रसंशक हम भी हैं.
मेरी तो पसंदीदा अभिनेत्री हैं.....
ReplyDeleteहरकीरत से सहमत हूँ की मधुबाला का सौंदर्य अप्रतिम था ...माधुरी की मुस्कराहट बहुत कुछ उन जैसी ही है ...
ReplyDeleteकभी -कभी कुछ अलग लिखना मूड चेंज करता है ...ब्लौगिंग छोड़ने से तो यही बेहतर है ..!
देश, धर्म और ज्ञान की बातें भरी स्वागतेय पोस्ट.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete..मुझे लो लगता है कि माधुरी सर्वश्रेष्ठ फिल्मी नृत्यांगना हैं। नृत्य के दौरान उनकी आँखें कमाल करती हैं। शेष अभिनय के मामले में तो कई हिरोइनें श्रेष्ठ हैं लेकिन माधुरी का नृत्य देख कर दिल धक-धक ना करें वो भला कौन हो सकता है !
ReplyDelete..कुछ छोड़ना भी नहीं चाहिए, कुछ पकड़ना भी नहीं चाहिए बस यूँ ही मूड बदलते रहना चाहिए।
करियर के पीक पर होने के बावजूद खुद स्टारडम छोड़ना हर किसी के बस की बात नहीं होती...
ReplyDeleteमाधुरी ने गृहस्थी में पति और दो बच्चों के प्रति अपना फर्ज़ पूरा करने के लिए बॉलीवुड से बड़ी-बड़ी पेशकश भी ठुकरा दी थीं...बच्चों के थोड़ा बड़े होने के बाद माधुरी ने यश चोपड़ा की फिल्म आजा नच ले से फिर मुंबई का रुख किया...वो फिल्म चली नहीं...माधुरी का अब भी कहना है कि कोई स्क्रिप्ट उनके व्यक्तित्व के अनुसार मिली तभी वो फिर किसी फिल्म में काम करने पर सोचेंगी...
जहां तक हुसैन का सवाल है तो उनकी लिस्ट में माधुरी के बाद तब्बू और अमृता राव के नाम भी आ चुके हैं...
डॉक्टर साहब आपकी लिस्ट बदली या नहीं...
जय हिंद...
सही निर्णय! ह्रदय परिवर्तन के लिए 'धक्-धक् गर्ल' के अतिरिक्त कोई विकल्प शायद नहीं!
ReplyDelete.डा. सा :आप सब का इलाज करते हैं ,ब्लाग जगत को कैसे छोड़ सकते हैं.सब को आपकी आवश्यकता है.
ReplyDeleteप्रस्तुत आलेख अच्छा लगा.
आद.डा. दराल साहब !
ReplyDeleteपरिवर्तन के लिए आज का विषय अच्छा है मगर ब्लॉग जगत से दूर जाने की बात मन में लाकर आपने हमारे जैसे न जाने कितनों का दिल दुखा दिया ! नए ब्लोगर्स के उत्साह वर्धन के साथ साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका योगदान स्तुत्य है ! कृपया ऐसी बात सोचें भी नहीं
ओह, तो आपभी दिवाने हैं उस धक धक के।
ReplyDelete-------
क्या आपको मालूम है कि हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग कौन से हैं?
हा हा हा , खुशदीप भाई , हमारी लिस्ट अब पूरी हो चुकी है ।
ReplyDeleteवाणी जी सही कह रही हैं । कभी कभी लीक से हटकर भी लिखना चाहिए ।
माथुर साहब , ज्ञान चंद जी , इस सम्मान के लिए शुक्रिया । लेकिन ब्लोगिंग बोझ नहीं लगनी चाहिए । तभी एन्जॉय की जा सकती है ।
डा. साहेब ,बहुत दिनों से आपकी कोई पोस्ट नही आई --मुझे लगा आपने ' सन्यास 'ले लिया हे --ऐसा गजब कभी मत करना ?पल -पल बदलती ,अलग -अलग पोस्ट आपकी ही होती हे --सुकून मिलता हे इस भागती जिन्दगी में --| माधुरी मुझे वहां तक ही पसंद हे जहाँ तक उसकी शक्ल मधुबाला से कुछ हद तक मिलती हे| कभी मेरे ब्लाक पर आकर अपने श्रध्दा -सुमन अर्पित करे --|
ReplyDeleteआपकी पोस्ट तो चिल्ला चिल्ला कर आपका सफ़र बता रही है वाह!!!!!! से आह!!!!!!! तक. हा ..हा ...
ReplyDeleteबहुत दिनों से आपको ब्लॉग पर सक्रीय नहीं देखा तो लगा कहीं व्यस्त होंगे .....खैर देर आये दुरुस्त आये ....
ReplyDeleteमाधुरी के लिए न जाने कितनो का दिल धड़कता होगा ...महिलाओं की बातों पर मत जाइए ....उनका नजरिया अलग ही होगा देखने का ...
और यह बात मैं इस लिए कह रही हूँ क्यों कि जब बौबी पिक्चर आई थी तब हम कॉलेज में थे ....घर पर आ कर ऐसे ही बात चल रही थी ...कुछ मेहमान भी आये हुए थे .तो सब लड़कियां कहने लगीं कि चिंटू बहुत अच्छा लग रहा था डिम्पल इतना नहीं जमी ...तो एक अंकल बोले हमसे पूछो न कौन जंचा ..हमें तो डिम्पल ज्यादा अच्छी लगी ....
:):)
हा हा हा ! सही फैसला सुनाया अपने संगीता जी ।
ReplyDeleteअब इतना हक़ तो हमें भी होना ही चाहिए ।
ब्लॉगिंग नहीं
ReplyDeleteछोड़ना चाहें तो
बिगड़े हुए माहौल
की तरफ न करें रुख।
हिन्दी का प्रयोग न करना अपराध घोषित हो
आदरणीय डॉ.दराल साहब
ReplyDeleteसस्नेहाभिवादन !
बहुत अच्छी पोस्ट है… ख़ूबसूरत फोटो भी पसंद आए …, लेकिन, अपना वोट भी हीर जी के साथ मधुबाला के लिए है …
:) करें क्या ? यहां फालतू खड़े रहने में सार तो है नहीं … जब भरतपुर लुटे ही वक़्त बीत गया तो … जाने देते हैं !
दिल्ली हंसोड़ दंगल की कहानी बतलाइए न ! प्लीज़ !
इंतज़ार रहेगा …
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आदरणीय डॉक्टर साहब को नमस्कार व गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें। बढ़िया पोस्ट के लिये बधाई।
ReplyDeleteआप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteराजेन्द्र जी , आपके वोट का हम दिल से सम्मान करते हैं ।
ReplyDeleteअब दिल दिल्ली में लुटे या भरतपुर में , बात तो एक ही है । :)
चलिए अब कहानियां लिखना भी शुरू करते हैं , आपकी फरमाइश पर ।
आप सब को भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ।
आपको व माधुरी के सभी दीवनों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की आपको भी बहुत-बहुत बधाई.
गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteपरिवर्तन के लिए आज का विषय अच्छा है ब्लौगिंग छोड़ने से तो यही बेहतर है .
ReplyDeleteमेरे प्रिय नायिका के ऊपर लिखी ये ये पोस्ट कैसे छूट गयी..:(
ReplyDeleteमाधुरी सिर्फ 1000 watt मुस्कान...और सुन्दरता की स्वामिनी ही नहीं...उनमे जो ग्रेस है..बहुत कम अभिनेत्रियों में मिलता है...आज भी जिस प्रोग्राम में शिरकत करें ,उसकी शोभा दुगुनी हो जाती है.
शुक्रिया इतनी सुन्दर तस्वीरों और इन जानकारियों का..सब रिफ्रेश हो गया फिर से..
Dr. Saahib, plz excuse this "late-latif". Aur itnaa hee kahunga ki padhkar ek phrase yaad a gayaa "Beauty lies in the eyes of the beholder".
ReplyDeleteगोदियाल जी , वैसे तो ऊपर वाले ने सभी को खूबसूरत बनाया है ।
ReplyDeleteलेकिन कुछ को शायद फुर्सत में बनाया है । :)
वैसे सूरत के साथ सीरत भी अच्छी हो , तो सोने पे सुहागा हो जाता है ।
त्रुटिहीन निष्कलंक सौन्दर्य -माधुरी दीक्षित !डॉ साहब ऐसेही दीवाने नहीहुये !
ReplyDeleteडा0 जरूरी नही बडी बडी बाते करके ही लेखन किया जायेग आपके ब्लाग की सभी रचनाए अच्छी लगती है बात तो वही है न जो इस ढंग से कहे की चेहरे पर मुस्कुराहट आये किसी का हंसाना दवा देने के समान है फिर आप तो खुद ही डा0 है इसलिए आपसे निवेदन है ब्लागिग नही छोडयेगा।
ReplyDeleteवाह माधुरी दीक्षित ...अच्छा परिचय करवाया ...आपका आभार सर जी
ReplyDelete.
ReplyDeleteमाधुरी को ले गया डॉ नेने
क्या गुनाह किया था मैंने ...
डॉ दाराल आपका दुःख समझ सकती हूँ ...
Smiles !
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वाह वाह .. माधुरी के विभिन्न रूप ... कमाल किया है डाक्टर साहब ... कुछ अलग हट कर लिखा है आज तो ...
ReplyDeleteहा हा हा ! दिव्या जी , यह दुःख मेरा नहीं , डॉ तुषार का है ।
ReplyDeleteवैसे उनके दुःख में हम भी शामिल हैं । :)